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भारतीय अर्थव्यवस्था

ऑटो ट्रिगर तंत्र

  • 24 Aug 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत ने कहा है कि वह जकार्ता में शुरू हुए क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (Regional Comprehensive Economic Partnership-RCEP) की वार्ता में आयात में तीव्र बढ़ोतरी के विरुद्ध अस्थायी सुरक्षा उपाय के रूप में ऑटो ट्रिगर (Auto Trigger) पर अपने प्रस्ताव को स्वीकार किये जाने पर बल देगा।

प्रमुख बिंदु

  • भारत घरेलू उद्योग की सुरक्षा के लिये आयात वृद्धि को नियंत्रित करने हेतु 'ऑटो-ट्रिगर' तंत्र पर बल दे रहा है।
  • Auto Trigger तंत्र के अनुसार, यह RCEP के सदस्य देशों के लिये आयात शुल्क में कमी या उसे पूर्णतया समाप्ति की दशा में आयात में होने वाली अप्रत्याशित वृद्धि को रोकने के लिये एक व्यवस्था है। इसके तहत RCEP देशों के बीच होने वाले आयात की मात्रा एक निश्चित सीमा से अधिक पहुँचने पर इस पर संरक्षण शुल्क (Safeguard Duties) स्वत: लागू हो जाएगा।
  • भारत प्रस्तावित Investor-State Dispute Settlement (ISDS) निकाय को RCEP समझौते में समावेशित करने का विरोध कर रहा है क्योंकि यह निकाय सदस्य देशों के घरेलू कानूनों को देश के बाहर चुनौती देने का प्रावधान करता है।
  • भारत ‘रूल्स ऑफ ओरिजिन’ (Rules of Origin) के नियमों को और भी कठोर करने पर बल दे रहा है। इससे कम आयात शुल्क वाले देशों के माध्यम से वस्तुओं के आयात को रोका जा सकेगा।

रूल्स ऑफ ओरिजिन

(Rules of origin)

  • ये ऐसे मापदंड हैं जो किसी उत्पाद के राष्ट्रीय स्रोत को निर्धारित करने के लिये आवश्यक होते हैं।
  • इसके तहत कई मामलों में शुल्क और प्रतिबंध ‘आयात के स्रोत’ पर निर्भर करते हैं।
  • भारत को आशंका है कि RCEP समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद भारतीय बाज़ार ऐसे तीसरे देश से आयातित सस्ती वस्तुओं से भर जाएगा जो RCEP का सदस्य नहीं है लेकिन इसने अन्य RCEP सदस्यों के साथ FTA (Free Trade Agreement) पर हस्ताक्षर कर रखे है।

क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP)

  • क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) एक प्रस्तावित मेगा मुक्त व्यापार समझौता (Free Trade Agreement-FTA) है, जो आसियान के दस सदस्य देशों तथा छह अन्य देशों (ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूज़ीलैंड) के बीच किया जाना है।
  • ज्ञातव्य है कि इन देशों का पहले से ही आसियान से मुक्त व्यापार समझौता है।
  • वस्तुतः RCEP वार्ता की औपचारिक शुरुआत वर्ष 2012 में कंबोडिया में आयोजित 21वें आसियान शिखर सम्मेलन में हुई थी।
  • RCEP को ट्रांस पेसिफिक पार्टनरशिप (Trans Pacific Partnership- TPP) के एक विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।
  • सदस्य देश: ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्याँमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम। इनके अलावा ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूज़ीलैंड सहभागी (Partner) देश हैं।

स्रोत: द हिंदू (बिज़नेस लाइन)

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