केंद्रीय बजट 2024-2025 | 24 Jul 2024
प्रिलिम्स के लिये:केंद्रीय बजट, संसद, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY), मुद्रा ऋण, अंतरिम बजट, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI), इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक, मुद्रा ऋण, विवाद से विश्वास योजना मेन्स के लिये:भारतीय अर्थव्यवस्था में संसद और सरकारी नीतियों का महत्त्व। |
स्रोत: पी. आई. बी.
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संसद में केंद्रीय बजट 2024-25 प्रस्तुत किया गया। यह 18वीं लोकसभा का पहला आम बजट था।
केंद्रीय बजट 2024-25 की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
- लक्षित क्षेत्र:
- अंतरिम बजट में कहा गया था हमें 4 मुख्य समुदायों-‘गरीब’, ‘महिला’, ‘युवा’ और ‘अन्नदाता’ पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
- बजट की विषयवस्तु:
- केंद्रीय बजट 2024-25 में रोज़गार, कौशल विकास, MSME और मध्यम वर्ग पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इस वर्ष शिक्षा, रोज़गार और कौशल प्रशिक्षण के लिये 1.48 लाख करोड़ रूपए आवंटित किये गए हैं।
- बजट प्राथमिकताएँ:
- बजट में कृषि, रोज़गार, मानव संसाधन विकास, विनिर्माण, सेवाएँ, शहरी विकास, ऊर्जा सुरक्षा, अवसंरचना, नवाचार, अनुसंधान एवं विकास तथा अगली पीढ़ी के सुधार सहित नौ क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गई है।
- प्राथमिकता 1: कृषि में उत्पादकता और लचीलापन:
- इन उपायों में 109 नई उच्च उपज वाली फसल किस्में जारी करना, 1 करोड़ किसानों के बीच प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देना, आवश्यकता-आधारित 10,000 जैव-इनपुट केंद्र स्थापित करना और दलहन एवं तिलहन के उत्पादन, भंडारण व विपणन को बढ़ाना (तिलहन के लिये ‘आत्मनिर्भरता’ प्राप्त करना) शामिल हैं।
- इस वर्ष कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के लिये 1.52 लाख करोड़ रुपए की घोषणा की गई है।
- सरकार राज्यों के साथ मिलकर 3 वर्षों में किसानों और उनकी भूमि को कवर करने के लिये कृषि में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) के कार्यान्वयन की सुविधा प्रदान करेगी।
- प्राथमिकता 2: रोज़गार और कौशल:
- बजट में रोज़गार से जुड़ी प्रोत्साहन जैसी योजनाएँ और कौशल को बढ़ावा देने की पहल की गई है, जिसका उद्देश्य 5 वर्ष की अवधि में 20 लाख युवाओं को कौशल प्रदान करना एवं 1,000 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों को उन्नत करना है।
- उच्च शिक्षा के लिये वित्तीय सहायता और कौशल विकास हेतु ऋण की भी घोषणा की गई है।
- मॉडल कौशल ऋण योजना को संशोधित किया जाएगा, ताकि सरकार द्वारा प्रवर्तित निधि से गारंटी के साथ 7.5 लाख रुपए तक के ऋण की सुविधा दी जा सके, जिससे प्रत्येक वर्ष 25,000 छात्रों को मदद मिलने की उम्मीद है।
- बजट में रोज़गार से जुड़ी प्रोत्साहन जैसी योजनाएँ और कौशल को बढ़ावा देने की पहल की गई है, जिसका उद्देश्य 5 वर्ष की अवधि में 20 लाख युवाओं को कौशल प्रदान करना एवं 1,000 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों को उन्नत करना है।
- प्राथमिकता 3: समावेशी मानव संसाधन विकास और सामाजिक न्याय:
- आदिवासी समुदायों और महिला उद्यमियों सहित हाशिये पर स्थित समूहों के बीच आर्थिक गतिविधियों के लिये समर्थन बढ़ाने पर ज़ोर दिया गया है।
- सरकार की पूर्वोदय पहल का उद्देश्य बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और आंध्र प्रदेश सहित भारत के पूर्वी क्षेत्र का व्यापक विकास करना है, जिसमें मानव संसाधन विकास, बुनियादी ढाँचे में वृद्धि और आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा ताकि विकसित राष्ट्र की ओर बढ़ा जा सके।
- वित्त मंत्री ने आदिवासी समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने हेतु प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान शुरू करने की घोषणा की है। इस अभियान के तहत आदिवासी बहुल क्षेत्रों और आकांक्षी ज़िलों के 63,000 गाँवों को शामिल किया जाएगा, जिससे लगभग 5 करोड़ आदिवासियों को लाभ मिलेगा।
- बैंकिंग सेवाओं को बढ़ाने के लिये पूर्वोत्तर क्षेत्र में इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक की 100 से अधिक शाखाएँ स्थापित की जाएँगी। साथ ही इस वर्ष ग्रामीण विकास और बुनियादी ढाँचे के लिये 2.66 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
- प्राथमिकता 4: विनिर्माण और सेवाएँ:
- बजट में MSME के लिये समर्थन पर ज़ोर दिया गया है, जिसमें श्रम-प्रधान विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिसमें प्रति आवेदक 100 करोड़ रुपए तक की नई स्व-वित्तपोषण गारंटी निधि की पेशकश की गई है।
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक MSME ऋण के लिये अपनी आंतरिक मूल्यांकन क्षमताओं को बढ़ाएँगे। इसके अतिरिक्त, मुद्रा ऋण सीमा पिछले 'तरुण' श्रेणी के उधारकर्त्ताओं के लिये 20 लाख रुपए तक बढ़ जाएगी।
- बजट में 50 खाद्य विकिरण इकाइयाँ स्थापित करने, 100 खाद्य गुणवत्ता प्रयोगशालाएँ स्थापित करने और ई-कॉमर्स निर्यात केंद्र बनाने जैसी पहल भी शामिल हैं।
- इसके अलावा, 500 शीर्ष कंपनियों में इंटर्नशिप के लिये एक योजना का लक्ष्य 5 वर्षों में 1 करोड़ युवाओं को लाभान्वित करना है।
- प्राथमिकता 5: शहरी विकास:
- पीएम आवास योजना शहरी 2.0 के तहत 1 करोड़ शहरी गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों की आवास आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये 10 लाख करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं, जिसमें 5 वर्षों में 2.2 लाख करोड़ रुपए की केंद्रीय सहायता शामिल है।
- सरकार, बैंक योग्य परियोजनाओं के माध्यम से 100 बड़े शहरों में जलापूर्ति, सीवेज उपचार और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिये राज्य सरकारों एवं बहुपक्षीय विकास बैंकों के साथ भी सहयोग करेगी।
- इसके अतिरिक्त पीएम स्वनिधि की सफलता के आधार पर, सरकार अगले पाँच वर्षों में वार्षिक रूप से 100 साप्ताहिक स्ट्रीट फूड हब (हाट) स्थापित करने की योजना बना रही है।
- प्राथमिकता 6: ऊर्जा सुरक्षा:
- प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना का लक्ष्य 1 करोड़ घरों को मुफ्त बिजली (हर महीने 300 यूनिट तक) देने के लिये छतों पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाना है।
- इसमें परमाणु ऊर्जा को भारत के ऊर्जा मिश्रण के एक महत्त्वपूर्ण हिस्से के रूप में रेखांकित किया गया है।
- प्राथमिकता 7: बुनियादी ढाँचा:
- सरकार इस दिशा में अगले 5 वर्षों में बुनियादी ढाँचे के लिये मज़बूत वित्तीय सहायता बनाए रखने की कोशिश करेगी। इस वर्ष पूंजीगत व्यय के लिये 11,11,111 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं, जो हमारे सकल घरेलू उत्पाद का 3.4% है।
- जनसंख्या वृद्धि के कारण 25,000 ग्रामीण बस्तियों को बारहमासी सड़कों से जोड़ने के लिये प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के चरण IV की घोषणा की गई है।
- बिहार के लिये त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम और अन्य स्रोतों के तहत सरकार कोसी-मेची अंतर-राज्यीय लिंक जैसी परियोजनाओं और बैराज, नदी प्रदूषण निवारण और सिंचाई सहित 20 अन्य योजनाओं के लिये 11,500 करोड़ रुपए आवंटित करेगी।
- इसके अतिरिक्त असम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम को बाढ़ प्रबंधन, भूस्खलन एवं संबंधित परियोजनाओं के लिये वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
- प्राथमिकता 8: नवाचार, अनुसंधान और विकास:
- सरकार बुनियादी अनुसंधान और प्रोटोटाइप विकास का समर्थन करने हेतु राष्ट्रीय अनुसंधान कोष की स्थापना करेगी, जिसमें वाणिज्यिक स्तर पर निजी क्षेत्र द्वारा संचालित अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिये 1 लाख करोड़ रुपए आवंटित किये जाएँगे।
- अगले दशक में अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को पाँच गुना बढ़ाने के लिये 1,000 करोड़ रुपए का उद्यम पूंजी कोष स्थापित किया जाएगा।
- प्राथमिकता 9: अगली पीढ़ी के सुधार
- आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिये आर्थिक नीति ढाँचे, श्रम सुधार और FDI नियमों के सरलीकरण की योजनाओं की रूपरेखा तैयार की गई है।
- सरकार द्वारा व्यापार करने में आसानी को बेहतर बनाने के लिये जन विश्वास विधेयक 2.0 पेश किया जाएगा।
- अन्य मुख्य बातें:
- आर्थिक नीति फ्रेमवर्क:
- सरकार आर्थिक विकास के लिये समग्र दृष्टिकोण निरूपित करने हेतु एक आर्थिक नीति फ्रेमवर्क का निर्माण करेगी और रोज़गार के अवसरों तथा सतत् उच्च विकास के लिये अगली पीढ़ी के सुधारों का लक्ष्य तय करेगी।
- श्रम संबंधी सुधार
- ई-श्रम पोर्टल का अन्य पोर्टलों के साथ समग्र एकीकरण करने से ऐसा वन-स्टॉप समाधान सुगम होगा। उद्योग और व्यापार के लिये अनुपालन की सुगमता बढ़ाने हेतु श्रम सुविधा और समाधान पोर्टल को नवीकृत किया जाएगा।
- सरकार, जलवायु अनुकूलन और उपशमन के लिये पूंजी की उपलब्धता बढ़ाने हेतु जलवायु वित्त के लिये एक टैक्सोनॉमी विकसित करेगी।
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और ओवरसीज़ निवेश
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और ओवरसीज निवेश के लिये नियमों और विनियमों को सरल किया जाएगा ताकि
- (1) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश सुविधाजनक हो सके (2) प्राथमिकताओं पर आधारित निवेश हो सके और (3) ओवरसीज़ निवेशों के लिये मुद्रा के रूप में भारतीय रुपए के उपयोग हेतु अवसरों को बढ़ावा मिले।
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और ओवरसीज निवेश के लिये नियमों और विनियमों को सरल किया जाएगा ताकि
- NPS वात्सल्य
- माता-पिता और अभिभावकों द्वारा अवयस्क बच्चों के लिये अंशदान हेतु NPS-वात्सल्य योजना शुरू की जाएगी। वयस्कता की आयु होने पर इस योजना को सहज रूप से एक सामान्य NPS खाते में बदला जा सकेगा।
- नई पेंशन योजना (NPS)
- NPS की समीक्षा के लिये गठित समिति ने अपने कार्य में पर्याप्त प्रगति की है और इस दिशा में एक ऐसा समाधान निकाला जाएगा जिससे प्रासंगिक मुद्दों का समाधान होगा तथा साथ ही आम जनता के हितों की सुरक्षा के लिये राजकोषीय दूरदर्शिता बनाए रखी जाएगी।
- प्रत्यक्ष कर सुधार: प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर व्यवस्थाओं की व्यापक समीक्षा एवं सरलीकरण का प्रस्ताव है।
- परिवर्तनों में संशोधित आयकर स्लैब और कटौती, कर अनुपालन का सरलीकरण एवं पूंजीगत लाभ कराधान में सुधार लाना शामिल हैं।
- सीमा शुल्क सुधार: GST और सीमा शुल्क दरों को युक्तिसंगत बनाने, आवश्यक दवाओं और महत्त्वपूर्ण खनिजों के लिये छूट के साथ घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के उपायों पर प्रकाश डाला गया है।
- विवाद समाधान: विवाद से विश्वास योजना, अपील हेतु मौद्रिक सीमा में वृद्धि तथा हस्तांतरण मूल्य निर्धारण आकलन को सुव्यवस्थित करने के उपायों जैसी पहलों का उद्देश्य मुकदमेबाजी को कम करना तथा कर निश्चितता प्रदान करना है।
- आर्थिक नीति फ्रेमवर्क:
बजट अनुमान 2024-25
- वर्ष 2024-25 के लिये उधार के अलावा कुल प्राप्तियाँ और कुल व्यय क्रमशः 32.07 लाख करोड़ रुपए और 48.21 लाख करोड़ रुपए अनुमानित हैं।
- शुद्ध कर प्राप्तियाँ 25.83 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है और राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 4.9% रहने का अनुमान है। साथ ही सरकार अगले वर्ष घाटे को 4.5% से नीचे लाने का लक्ष्य रखेगी।
- वर्ष 2024-25 के दौरान दिनांकित प्रतिभूतियों के माध्यम से सकल और शुद्ध बाज़ार उधार क्रमशः 14.01 लाख करोड़ रुपए और 11.63 लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान है।
- बजट भाषण में भारत की निम्न एवं स्थिर मुद्रास्फीति पर प्रकाश डाला गया, जो 4% के लक्ष्य की ओर बढ़ रही है तथा शीघ्र खराब होने वाली वस्तुओं की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये विशिष्ट उपाय किये गए हैं।
दृष्टि मेन्स प्रश्न प्रश्न. भारत में बजट से संबंधित संवैधानिक प्रावधानों पर चर्चा कीजिये। संवैधानिक ढाँचा, वित्तीय मामलों के साथ व्यय पर संसदीय नियंत्रण किस प्रकार सुनिश्चित करता है? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न. वित्त मंत्री संसद में बजट प्रस्तुत करते हुए उसके साथ अन्य प्रलेख भी प्रस्तुत करते हैं जिनमें वृहद आर्थिक रूपरेखा विवरण (The Macro Economic Framework Statement) भी सम्मिलित रहता है। यह पूर्वोक्त प्रलेख निम्न आदेशन के कारण प्रस्तुत किया जाता है: (2020) (a) चिरकालिक संसदीय परंपरा के कारण उत्तर : (d) मेन्स:प्रश्न. पूंजी बजट और राजस्व बजट के मध्य अंतर स्पष्ट कीजिये। इन दोनों बजटों के संघटकों को समझाइये। (2021) |