केंद्रीय बजट 2023-24 | 02 Feb 2023
चर्चा में क्यों?
भारत के वित्त मंत्री ने वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अंतिम पूर्ण केंद्रीय बजट (2023-24 के लिये) प्रस्तुत किया।
बजट और संवैधानिक प्रावधान:
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के अनुसार, एक वर्ष के केंद्रीय बजट को वार्षिक वित्तीय विवरण (Annual Financial Statement- AFS) कहा जाता है।
- यह एक वित्तीय वर्ष में सरकार की अनुमानित प्राप्तियों और व्यय का विवरण है (जो चालू वर्ष में 1 अप्रैल से शुरू होकर अगले वर्ष 31 मार्च को समाप्त होता है)।
- समग्र रूप से बजट में निम्नलिखित बिंदुओं को शामिल किया जाता है:
- राजस्व और पूंजी प्राप्तियों का अनुमान।
- राजस्व बढ़ाने के तरीके और साधन।
- व्यय अनुमान।
- पिछले वित्तीय वर्ष की वास्तविक प्राप्तियों और व्यय का विवरण तथा उस वर्ष में किसी भी कमी या अधिशेष का कारण।
- आने वाले वर्ष की आर्थिक और वित्तीय नीति, अर्थात् कराधान प्रस्ताव तथा नई योजनाओं/परियोजनाओं की शुरुआत।
- संसद में बजट छह चरणों से गुज़रता है:
- बजट की प्रस्तुति।
- आम चर्चा।
- विभागीय समितियों द्वारा जाँच।
- अनुदान मांगों पर मतदान।
- विनियोग विधेयक पारित करना।
- वित्त विधेयक पारित करना।
- वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आर्थिक मामलों के विभाग का ‘बजट प्रभाग’ बजट तैयार करने हेतु ज़िम्मेदार केंद्रीय निकाय है।
- स्वतंत्र भारत का पहला बजट वर्ष 1947 में प्रस्तुत किया गया था।
बजट 2023-24 के प्रमुख बिंदु:
- केंद्रीय बजट 2023-24 का मुख्य विषय समावेशी विकास पर ध्यान केंद्रित करना है जो विशेष रूप से सबका साथ, सबका विकास की अवधारणा को प्रोत्साहित करता है, जिसमें शामिल हैं:
- किसान, महिला, युवा, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग (Other Backward Classes- OBC), दिव्यांगजन (PwD) और आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (Economically Weaker Sections- EWS)।
- वंचितों को समग्र प्राथमिकता (वंचितों को वरीयता)।
- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र (Northeast Region- NER) के केंद्रशासित प्रदेशों पर भी निरंतर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- यह बजट 2019 में पहली बार अनावरण की गई द्वि-आयामी विकास रणनीति की तर्ज पर है:
- निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन देकर रोज़गार सृजित करना और विकास को आगे बढ़ाना।
- 'न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन'; पूंजीगत परिव्यय (Capex) बढ़ाना और विनिवेश के माध्यम से अधिक राजस्व जुटाना।
- बजट की मुख्य उपलब्धियाँ:
- नई आयकर व्यवस्था में बदलाव (छूट की सीमा में और टैक्स स्लैब में)।
- पूंजी निवेश परिव्यय में 33% की वृद्धि का प्रस्ताव किया गया है, इसे बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपए (पिछले एक दशक में सबसे अधिक) किया गया है।
- सीमा शुल्क में परिवर्तन; मोबाइल फोन निर्माण, झींगा हेतु खाद्य आदि के लिये कुछ निविष्टियों के आयात में कमी और सिगरेट, सोने की वस्तुओं, यौगिक रबड़ आदि के आयात में वृद्धि की गई है।
- रेलवे के लिये पूंजी परिव्यय को बढ़ाकर अब तक का सर्वाधिक 2.40 लाख करोड़ रुपए किया गया है।
भाग– A
अमृत काल के लिये बजट का विज़न
- अमृत काल:
- भारत के वित्त मंत्री ने इसे अमृत काल में पहला बजट कहा। अमृत काल का विज़न एक सशक्त और समावेशी अर्थव्यवस्था है जो एक मज़बूत वित्तीय क्षेत्र के साथ प्रौद्योगिकी-संचालित और ज्ञान-आधारित है।
- बजट में इंडिया@100 तक पहुँचने से पहले 4 परिवर्तनकारी अवसरों की पहचान की गई है:
- स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं का आर्थिक सशक्तीकरण
- पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान (PM विकास)
- मिशन मोड में पर्यटन को बढ़ावा
- हरित विकास
बजट 2023-24 की प्राथमिकताएँ:
प्राथमिकता- 1: समावेशी विकास:
- कृषि:
- डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना: ओपन सोर्स, ओपन स्टैंडर्ड और इंटरऑपरेबल पब्लिक बेनिफिट के तौर पर कृषि के लिये डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना विकसित की जाएगी, जिसके निम्नलिखित परिणाम होंगे:
- समावेशी किसान-केंद्रित समाधान
- फसल योजना/स्वास्थ्य के लिये प्रासंगिक सूचना सेवाएँ
- कृषि इनपुट, ऋण और बीमा तक बेहतर पहुँच
- कृषि-प्रौद्योगिकी उद्योग और स्टार्ट-अप्स का विकास-समर्थन
- कृषि-स्टार्टअप के लिये वित्तपोषण: ग्रामीण क्षेत्रों में युवा उद्यमियों द्वारा कृषि-स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने के लिये कृषि त्वरक कोष की स्थापना की जाएगी।
- कृषि-ऋण: पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन पर ध्यान देने के साथ कृषि ऋण लक्ष्य को बढ़ाकर 20 लाख करोड़ रुपए किया जाएगा।
- मछुआरों, मछली विक्रेताओं और MSME के लिये 6,000 करोड़ रुपए के लक्षित निवेश के साथ पीएम मत्स्य संपदा योजना की एक नई उप-योजना शुरू की जाएगी।
- बागवानी: आत्मनिर्भर स्वच्छ पादप कार्यक्रम का शुभारंभ 2,200 करोड़ रुपए के प्रारंभिक परिव्यय के साथ उच्च गुणवत्ता वाली बागवानी फसल हेतु रोग-मुक्त तथा गुणवत्तापूर्ण पौध सामग्री की उपलब्धता बढ़ाने के उद्देश्य से किया जाएगा।
- कदन्न: भारत को 'श्री अन्न' (पोषक अनाज/कदन्न) हेतु एक वैश्विक केंद्र बनाने के लिये ‘भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद’ को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सर्वोत्तम प्रथाओं, अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकियों को साझा करने हेतु उत्कृष्टता केंद्र के रूप में समर्थन दिया जाएगा।
- कृषि सहकारी समितियाँ: "सहकार से समृद्धि" के दृष्टिकोण को पूरा करने के लिये सरकार अगले 5 वर्षों में विकेंद्रीकृत भंडारण क्षमता स्थापित करने और कवर न किये गए गाँवों में कई सहकारी समितियों की स्थापना करने की योजना बना रही है।
- डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना: ओपन सोर्स, ओपन स्टैंडर्ड और इंटरऑपरेबल पब्लिक बेनिफिट के तौर पर कृषि के लिये डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना विकसित की जाएगी, जिसके निम्नलिखित परिणाम होंगे:
- शिक्षा और कौशल:
- स्वास्थ्य:
- वर्ष 2014 से स्थापित मौजूदा 157 चिकित्सा महाविद्यालयों के साथ ही 157 नए नर्सिंग कॉलेज खोले जाएंगे।
- वर्ष 2047 तक सिकल सेल एनीमिया के उन्मूलन हेतु एक कार्यक्रम शुरू किया जाएगा, जिसमें शामिल होगा:
- जागरूकता बढ़ाना
- प्रभावित आदिवासी क्षेत्रों में 7 करोड़ लोगों (0-40 वर्ष की आयु) की यूनिवर्सल स्क्रीनिंग
- केंद्र और राज्यों के सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से परामर्श
प्राथमिकता- 2: अंतिम छोर तक पहुँचना
- नया 'आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम':
- आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम की सफलता के आधार पर आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम हाल ही में 500 ब्लॉकों को कवर करते हुए शुरू किया गया था।
- इसका उद्देश्य स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, कृषि, जल संसाधन, वित्तीय समावेशन, कौशल विकास और बुनियादी ढाँचे जैसे कई क्षेत्रों के प्रदर्शन में सुधार करना है।
- प्रधानमंत्री कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTG) विकास मिशन:
- विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (Particularly Vulnerable Tribal Groups- PVTG) की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार हेतु प्रधानमंत्री PVTG विकास मिशन शुरू किया जाएगा।
- इससे PVTG परिवारों और बस्तियों को सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल तथा स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पोषण, सड़क तथा दूरसंचार कनेक्टिविटी और स्थायी आजीविका के अवसरों तक बेहतर पहुँच जैसी बुनियादी सुविधाओं का लाभ उठाने में मदद मिलेगी।
- अनुसूचित जनजातियों के लिये विकास कार्ययोजना के तहत अगले 3 वर्षों में मिशन को लागू करने के लिये 15,000 करोड़ रुपए की राशि उपलब्ध कराई जाएगी।
- केंद्र 3.5 लाख आदिवासी छात्रों की सेवा करने वाले 740 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों के लिये 38,800 शिक्षकों और सहायक कर्मचारियों की भी भर्ती करेगा।
- सूखाग्रस्त क्षेत्र के लिये जल:
- कर्नाटक के सूखाग्रस्त मध्य क्षेत्र में ऊपरी भद्रा परियोजना को स्थायी सूक्ष्म सिंचाई प्रदान करने और पीने के पानी के लिये भूमिगत वाटर टैंकों को भरने हेतु 5,300 करोड़ रुपए की केंद्रीय सहायता दी जाएगी।
- अन्य पहल:
- प्रधानमंत्री आवास योजना के परिव्यय को 66% बढ़ाकर 79,000 करोड़ रुपए से अधिक किया जा रहा है
- पहले चरण में 1 लाख प्राचीन शिलालेखों के डिजिटलीकरण के साथ एक डिजिटल एपिग्राफी संग्रहालय में 'भारत साझा शिलालेख (भारत श्री)' स्थापित किया जाएगा।
प्राथमिकता- 3: अवसंरचना और निवेश
- अवसंरचना हेतु पूंजीगत व्यय में वृद्धि:
- पूंजी निवेश परिव्यय लगातार तीसरे वर्ष बढ़ा है जो 33% बढ़कर 10 लाख करोड़ रुपए हो गया, जिससे यह सकल घरेलू उत्पाद का 3.3% हो गया है।
- 'प्रभावी पूंजीगत व्यय' का बजट 13.7 लाख करोड़ रुपए है जो सकल घरेलू उत्पाद का 4.5% है।
- पूंजीगत निवेश हेतु राज्य सरकारों को सहायता:
- सरकार ने अवसंरचना में निवेश को बढ़ावा देने और उन्हें पूरक नीतिगत कार्यों के लिये प्रोत्साहित करने हेतु राज्य सरकारों को 50 वर्ष के ब्याज मुक्त ऋण को एक और वर्ष के लिये जारी रखने का फैसला किया है।
- इसके लिये बढ़ा हुआ परिव्यय 1.3 लाख करोड़ रुपए है।
- रेलवे:
- रेलवे के लिये 2.40 लाख करोड़ रुपए का पूंजी परिव्यय प्रदान किया गया है, यह अब तक का सबसे अधिक परिव्यय है जो वर्ष 2013-14 में किये गए परिव्यय का लगभग 9 गुना अधिक है।
- विमानन:
- क्षेत्रीय हवाई संपर्क में सुधार हेतु 50 अतिरिक्त हवाईअड्डे, हेलीपोर्ट, वाटर एयरोड्रोम और उन्नत लैंडिंग ग्राउंड को पुनर्विकसित किया जाएगा।
- अन्य परिवहन परियोजनाएँ:
- निजी स्रोतों से 15,000 करोड़ रुपए सहित 75,000 करोड़ रुपए के निवेश के साथ बंदरगाहों, कोयला, इस्पात, उर्वरक और खाद्यान्न उद्योगों के लिये अंतिम छोर तक पहुँच हेतु 100 महत्त्वपूर्ण परिवहन बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं की पहचान की गई है।
- प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के लिये ऋण की उपलब्धता हेतु एक शहरी अवसंरचना विकास निधि (Urban Infrastructure Development Fund- UIDF) की स्थापना की जाएगी।
- UIDAF का प्रबंधन राष्ट्रीय आवास बैंक द्वारा किया जाएगा और टियर 2 और टियर 3 शहरों में शहरी बुनियादी ढाँचा तैयार करने के लिये सार्वजनिक एजेंसियों द्वारा इसका उपयोग किया जाएगा।
- इस उद्देश्य के लिये वार्षिक आधार पर 10,000 करोड़ रुपए आवंटित किये जाएंगे।
प्राथमिकता- 4: क्षमता को उजागर करना:
- अनुपालन को कम करना और जन विश्वास विधेयक:
- कंपनी अधिनियम 2013 में किये गए संशोधनों के तहत व्यापार सुगमता को बढ़ाने के लिये 39,000 से अधिक अनुपालन कम किये गए हैं और 3,400 से अधिक कानूनी प्रावधानों को गैर-अपराधीकृत किया गया है।
- विश्वास पर आधारित शासन को आगे बढ़ाने के लिये सरकार ने 42 केंद्रीय अधिनियमों में संशोधन के लिये जन विश्वास विधेयक पेश किया।
- AI के लिये उत्कृष्टता केंद्र:
- "मेक AI इन इंडिया एंड मेक AI वर्क फॉर इंडिया" के विज़न को साकार करने के लिये शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिये तीन उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किये जाएंगे।
- कृषि, स्वास्थ्य और स्थायी शहरों में अनुसंधान, अत्याधुनिक अनुप्रयोगों को विकसित करने और बेहतर समाधान पेश करने में अग्रणी उद्योग के अभिकर्त्ता महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
- राष्ट्रीय डेटा शासन नीति:
- स्टार्टअप्स और शिक्षाविदों द्वारा नवाचार एवं अनुसंधान की सुविधा के लिये एक राष्ट्रीय डेटा शासन नीति लाई जाएगी, जो अज्ञात डेटा तक पहुँच को सक्षम करेगी।
- डेटा शेयरिंग के लिये डिजीलॉकर:
- विभिन्न प्राधिकरणों, नियामकों, बैंकों और अन्य व्यावसायिक संस्थाओं के सा, जब भी आवश्यक हो दस्तावेज़ों को ऑनलाइन सुरक्षित रूप से संग्रहीत करने और साझा करने के लिये MSME, बड़े व्यवसाय तथा धर्मार्थ ट्रस्टों द्वारा उपयोग के लिये एक डिजीलॉकर स्थापित किया जाएगा।
- विवादों का समाधान:
- विवाद से विश्वास: MSME के लिये कम कठोर अनुबंध निष्पादन (कोविड अवधि के दौरान प्रभावित MSME को राहत के रूप में प्रदान किया जा रहा है)।
- सरकार और सरकारी उपक्रमों के संविदात्मक विवादों के तेज़ी से निपटान को सक्षम करने वाली आसान और मानकीकृत निपटान योजना।
- ई-न्यायालय: न्याय के प्रभावी प्रशासन के लिये ई-न्यायालय का तीसरा चरण शुरू किया जाएगा।
- विवाद से विश्वास: MSME के लिये कम कठोर अनुबंध निष्पादन (कोविड अवधि के दौरान प्रभावित MSME को राहत के रूप में प्रदान किया जा रहा है)।
- 5G प्रौद्योगिकी:
- इंजीनियरिंग संस्थानों में 5G सेवाओं का उपयोग कर अनुप्रयोगों को विकसित करने के लिये 100 प्रयोगशालाएँ स्थापित की जाएंगी ताकि अवसरों, व्यापार मॉडल और रोज़गार की संभावनाओं की एक नई शृंखला को साकार किया जा सके।
- प्रयोगशालाओं में स्मार्ट क्लासरूम, सटीक खेती, इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम और हेल्थकेयर एप जैसे एप्लीकेशन की सुविधा होगी।
प्राथमिकता- 5: हरित विकास:
- राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन:
- राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के लिये 19,700 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं ताकि अर्थव्यवस्था को कम कार्बन तीव्रता में परिवर्तित करने, जीवाश्म ईंधन के आयात पर निर्भरता को कम करने तथा देश को इस उभरते हुए क्षेत्र में प्रौद्योगिकी और बाज़ार का नेतृत्त्व करने के लिये तैयार किया जा सके।
- लक्ष्य: वर्ष 2030 तक 5 MMT के वार्षिक उत्पादन तक पहुँचने का लक्ष्य है।
- गोबरधन योजना:
- चक्रीय अर्थव्यवथा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से गोबरधन (गैल्वनाइजिंग आर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सिज धन) नामक योजना के तहत 10,000 हज़ार करोड़ रुपए के कुल निवेश के साथ 500 नए ‘अपशिष्ट से आमदनी’ संयंत्र स्थापित किये जाएंगे।
- प्राकृतिक और बॉयोगेस का विपणन कर रहे सभी संगठनों के लिये 5 प्रतिशत का कम्प्रेस्ड बायोगैस अधिशेष भी लाया जाएगा।
- भारतीय प्राकृतिक खेती जैव-इनपुट संसाधन केंद्र:
- सरकार अगले तीन वर्षों में एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिये प्रोत्साहित कर उनकी सहायता करेगी। इसके लिये राष्ट्रीय स्तर पर वितरित सूक्ष्म उर्वरक एवं कीटनाशक विनिर्माण नेटवर्क तैयार करते हुए 10,000 बायो-इनपुट संसाधन केंद्र स्थापित किये जाएंगे।
- हरित ऊर्जा में अन्य निवेश:
- ऊर्जा संक्रमण और शुद्ध शून्य उद्देश्यों तथा ऊर्जा सुरक्षा (पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय) की दिशा में प्राथमिकता वाले पूंजी निवेश के लिये 35,000 करोड़ रुपए।
- 4,000 मेगावाट की क्षमता वाली बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणालियों को व्यवहार्यता अंतराल वित्तपोषण के साथ समर्थित किया जाएगा।
- लद्दाख से 13 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा की निकासी और ग्रिड एकीकरण हेतु अंतर-राज्यीय पारेषण प्रणाली के लिये 20,700 करोड़ रुपए (केंद्रीय सहायता- 8,300 करोड़ रुपए)।
प्राथमिकता- 6: युवा शक्ति:
- MSME के लिये क्रेडिट गारंटी:
- वर्ष 2022 में MSME के लिये क्रेडिट गारंटी योजना को नया प्रारूप दिया गया था और यह 1 अप्रैल, 2023 से 9,000 करोड़ रुपए की राशि के निवेश के माध्यम से प्रभावी होगी।
- इससे अतिरिक्त 2 लाख करोड़ रुपए के संपार्श्विक (collateral) मुक्त गारंटीकृत ऋण की अनुमति मिलेगी।
- क्रेडिट की लागत लगभग 1% कम हो जाएगी।
- इससे 2 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त संपार्श्विक-मुक्त गारंटीकृत ऋण प्रदान किया जा सकेगा।
- क्रेडिट की लागत लगभग 1% कम हो जाएगी।
- वर्ष 2022 में MSME के लिये क्रेडिट गारंटी योजना को नया प्रारूप दिया गया था और यह 1 अप्रैल, 2023 से 9,000 करोड़ रुपए की राशि के निवेश के माध्यम से प्रभावी होगी।
- वित्तीय सूचना रजिस्ट्री:
- वित्तीय और सहायक सूचनाओं के केंद्रीय भंडार के रूप में काम करने के लिये एक राष्ट्रीय वित्तीय सूचना रजिस्ट्री की स्थापना की जाएगी।
- यह ऋण के कुशल प्रवाह की सुविधा प्रदान करेगा, जो वित्तीय समावेशन और वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देगा।
- एक नया विधायी ढाँचा, जिसे RBI के परामर्श से तैयार किया गया है, इस क्रेडिट सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे को नियंत्रित करेगा।
- लघु बचत योजनाएँ:
- आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाने हेतु एक बार नई लघु बचत योजना, महिला सम्मान बचत प्रमाणपत्र, को मार्च 2025 तक दो साल की अवधि के लिये उपलब्ध कराया जाएगा।
- यह आंशिक निकासी विकल्प के साथ महिलाओं या लड़कियों (7.5% की निश्चित ब्याज दर) के नाम पर 2 लाख रुपए तक की जमा सुविधा प्रदान करेगा।
- वरिष्ठ नागरिक बचत योजना के लिये अधिकतम जमा सीमा 15 लाख रुपए से बढ़ाकर 30 लाख रुपए की जाएगी।
- मासिक आय खाता योजना के लिये अधिकतम जमा सीमा 4.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 9 लाख रुपए (एकल खाते के लिये) और 9 लाख रुपए से बढ़ाकर 15 लाख रुपए (संयुक्त खाते के लिये) की जाएगी।
- आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाने हेतु एक बार नई लघु बचत योजना, महिला सम्मान बचत प्रमाणपत्र, को मार्च 2025 तक दो साल की अवधि के लिये उपलब्ध कराया जाएगा।
राजकोषीय प्रबंधन की स्थिति:
- पूंजीगत व्यय हेतु धन का उपयोग:
- वित्त मंत्री ने कहा कि सभी राज्यों को वर्ष 2023-24 के अंत तक पूंजीगत व्यय के लिये अपने 50 वर्षीय ऋण का उपयोग करना चाहिये।
- इसमें से अधिकांश राज्यों के विवेक पर निर्भर होगा, हालाँकि विशिष्ट उद्देश्यों के लिये नामित राज्यों हेतु एक हिस्सा सशर्त होगा, जैसे:
- पुराने सरकारी वाहनों को बदलना।
- शहरी नियोजन में सुधार।
- शहरी स्थानीय निकायों को नगरपालिका बॉण्ड प्राप्त करने हेतु पात्र बनाना।
- पुलिस अधिकारियों हेतु आवास का निर्माण।
- एकीकृत मॉल का निर्माण।
- बच्चों और किशोरों हेतु पुस्तकालयों तथा डिजिटल बुनियादी ढाँचे का निर्माण करना।
- केंद्रीय योजनाओं के पूंजीगत व्यय में योगदान करना।
- राज्यों को राजकोषीय घाटे की अनुमति:
- राज्यों को अपने सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) का 3.5% घाटा रखने की अनुमति है, इस राशि का 0.5% विशेष रूप से विद्युत क्षेत्र में सुधारों के लिये निर्धारित है।
- संशोधित अनुमान 2022-23:
- कुल प्राप्तियाँ (उधार को छोड़कर): 24.3 लाख करोड़ रुपए।
- शुद्ध कर प्राप्ति: 20.9 लाख करोड़ रुपए।
- कुल व्यय: 41.9 लाख करोड़ रुपए।
- पूंजीगत व्यय: 7.3 लाख करोड़ रुपए।
- राजकोषीय घाटा: सकल घरेलू उत्पाद का 6.4%।
- कुल प्राप्तियाँ (उधार को छोड़कर): 24.3 लाख करोड़ रुपए।
- बजट अनुमान 2023-24:
- बजट 2023-24 में कुल प्राप्तियाँ और कुल व्यय क्रमशः 27.2 लाख करोड़ रुपए और 45 लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान लगाया गया है।
- निवल कर प्राप्तियाँ 23.3 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है।
- राजकोषीय घाटा GDP के 5.9 प्रतिशत रहने का अनुमान।
- वर्ष 2023-24 में राजकोषीय घाटे का वित्तपोषण करने के लिये दिनांकित प्रतिभूतियों से निवल बाज़ार उधारियाँ 11.8 लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान है।
- सकल बाज़ार उधारी का अनुमान 15.4 लाख करोड़ रुपए है।
- साथ ही सरकार वर्ष 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को 4.5% से कम करने के लिये इस योजना पर अडिग रहने हेतु प्रतिबद्ध है।
- बजट 2023-24 में कुल प्राप्तियाँ और कुल व्यय क्रमशः 27.2 लाख करोड़ रुपए और 45 लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान लगाया गया है।
भाग– B
प्रत्यक्ष कराधान में प्रस्तावित सुधार:
- व्यक्तिगत आयकर:
- व्यक्तिगत आयकर से संबंधित पाँच प्रमुख घोषणाएँ हैं। नई कर व्यवस्था में छूट की सीमा बढ़ाकर 7 लाख रुपए कर दी गई है।
- इसका मतलब है कि नई कर व्यवस्था में 7 लाख रुपए तक की आय वाले व्यक्तियों को कोई कर नहीं देना होगा।
- नई व्यक्तिगत कर व्यवस्था में कर ढाँचे में स्लैब की संख्या को घटाकर पाँच और कर छूट की सीमा को बढ़ाकर 3 लाख रुपए कर दिया गया है।
- व्यक्तिगत आयकर से संबंधित पाँच प्रमुख घोषणाएँ हैं। नई कर व्यवस्था में छूट की सीमा बढ़ाकर 7 लाख रुपए कर दी गई है।
- अन्य कर सुधार:
- मानक कटौती:
- नई कर व्यवस्था में वेतनभोगी कर्मचारियों हेतु मानक कटौती को बढ़ाकर 50,000 रुपए और पारिवारिक पेंशन के लिये कटौती को 15,000 रुपए तक करने का प्रस्ताव किया गया है।
- MSMEs:
- सूक्ष्म उद्यमों और कुछ पेशेवरों के लिये प्रकल्पित कराधान की सीमा बढ़ा दी गई है, जब तक कि नकद में प्राप्त राशि कुल सकल प्राप्तियों/कारोबार के 5% से अधिक न हो।
- MSME को किये गए भुगतान के लिये कटौती की अनुमति केवल तभी दी जाएगी जब भुगतान वास्तव में भुगतान की समय पर प्राप्ति (Timely Receipt) में सहयोग करने के लिये किया गया हो।
- सहकारिता:
- 31 मार्च, 2024 से पहले विनिर्माण शुरू करने वाली नई विनिर्माण सहकारी समितियों पर कर की दर 15% कम होगी।
- प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों और प्राथमिक सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों द्वारा नकद जमा तथा ऋण की सीमा को बढ़ाकर 2 लाख रुपए प्रति सदस्य कर दिया गया है।
- सहकारी समितियों की नकद निकासी पर स्रोत पर की गई टैक्स (कर) कटौती को बढ़ाकर 3 करोड़ रुपए कर दिया गया है।
- स्टार्टअप:
- स्टार्टअप्स को आयकर लाभ प्राप्त करने की तिथि को बढ़ाकर 31 मार्च, 2024 कर दिया गया है। स्टार्टअप्स के लिये हानियों को अग्रेषित करने की अवधि को निगमन के 7 वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष कर दिया गया है।
- ऑनलाइन गेमिंग:
- ऑनलाइन गेमिंग पर करदेयता को TDS के साथ और निकासी के समय अथवा वित्तीय वर्ष के अंत में जीती गई कुल राशि पर करदेयता के साथ स्पष्ट किया जाएगा।
- सोना:
- सोने के इलेक्ट्रोनिक गोल्ड रिसीप्ट में परिवर्तन और इसके विपरीत (Vice Versa) को पूंजीगत लाभ के रूप में नहीं माना जाएगा।
- आयकर से छूट:
- आयकर प्राधिकरण बोर्ड और आयोग जिसकी स्थापना केंद्र या राज्य सरकार द्वारा आवास, शहर, कस्बे और गाँव के विकास लिये नियामक एवं विकास गतिविधियों या कार्यों हेतु की गई हो उन्हें आयकर से बाहर रखने का प्रस्ताव।
- अग्निवीर निधि को EEE स्तर प्रदान करने और अग्निपथ योजना 2022 में पंजीकृत अग्निवीरों को अग्निवीर कॉर्पस फंड द्वारा किये गए भुगतान को कर के दायरे से बाहर रखने का प्रस्ताव।
- अग्निवीरों की कुल आय में की गई कटौती राशि को अग्निवीरों को देने का प्रस्ताव, जो कि उन्होंने योगदान दिया है या केंद्र सरकार ने उनकी सेवा के लिये उनके खाते में हस्तांतरित किया है।
- मानक कटौती:
- कॉमन IT रिटर्न फॉर्म:
- करदाताओं की सेवाओं में सुधार के लिये सरकार ने शिकायत निवारण तंत्र को मज़बूत करने की योजना के साथ-साथ करदाताओं की सुविधा हेतु अगली पीढ़ी के कॉमन आईटी रिटर्न फॉर्म के लिये एक प्रस्ताव पेश किया।
- वर्तमान और प्रस्तावित कर दरें:
कर की दर |
वर्तमान आय स्लैब |
प्रस्तावित आय स्लैब |
शून्य |
2.5 लाख रूपए तक |
3 लाख रूपए तक |
5% |
2.5 लाख से 5 लाख रूपए तक |
3 लाख से 6 लाख रूपए तक |
10% |
5 लाख से 7.5 लाख रूपए तक |
6 लाख से 9 लाख रूपए तक |
15% |
7.5 लाख से 10 लाख रूपए तक |
9 लाख से 12 लाख रूपए तक |
20% |
10 लाख से 12 लाख रूपए तक |
12 लाख से 15 लाख रूपए तक |
25% |
12 लाख से 15 लाख रूपए तक |
- |
30% |
15 लाख रूपए से अधिक |
15 लाख रूपए से अधिक |
अप्रत्यक्ष कराधान हेतु प्रस्तावित सुधार:
- सीमा शुल्क:
- वस्त्र और कृषि के अलावा अन्य सामानों हेतु मूल सीमा शुल्क दरों की संख्या 21 से घटाकर 13 कर दी गई है।
- निर्दिष्ट सिगरेट्स पर राष्ट्रीय आपदा आकस्मिक शुल्क (National Calamity Contingent Duty- NCCD) में लगभग 16% की वृद्धि की गई है।
- शुल्क में वृद्धि:
- सोने और प्लेटिनम से बनी वस्तुएँ
- चाँदी की डोर, बार और वस्तुओं पर आयात शुल्क
- शुल्क से छूट:
- मिश्रित संपीड़ित प्राकृतिक गैस में निहित संपीड़ित बायोगैस।
- परीक्षण एजेंसियाँ जो परीक्षण और/या प्रमाणन उद्देश्यों हेतु वाहनों, ऑटोमोबाइल उपकरण/घटकों, उप-प्रणालियों तथा टायरों का आयात करती हैं।
- साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी हेतु लिथियम-आयन सेल निर्माण के लिये निर्दिष्ट मशीनरी पर सीमा शुल्क की समयसीमा को बढ़ाकर 31.03.2024 कर दिया गया है।
- रासायनिक उद्योग में प्रयुक्त विकृत एथिल अल्कोहल।
- सीमा शुल्क कानूनों में विधायी परिवर्तन:
- सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 को संशोधित किया जा रहा है ताकि आवेदन दायर होने के बाद समाधान हेतु अंतिम निर्णय लेने के लिये नौ महीने की समयसीमा निर्धारित की जा सके।
- एंटी डंपिंग ड्यूटी (ADD), काउंटरवेलिंग ड्यूटी (CVD) और सेफगार्ड उपायों के उद्देश्य एवं दायरे को स्पष्ट करने के लिये सीमा शुल्क अधिनियम को संशोधित किया जाएगा।
- केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम में भी किये जाएँगे बदलाव:
- GST के तहत अभियोजन शुरू करने हेतु कर की न्यूनतम राशि 1 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 2 करोड़ रुपए की जाएगी।
- कर के लिये चक्रवृद्धि राशि को कर राशि के 50-150% से घटाकर 25-100% कर दिया जाएगा।
- कुछ अपराधों को अपराध की श्रेणी से बाहर किया जाएगा।
- रिटर्न या स्टेटमेंट दाखिल करने की अवधि नियत तारीख से अधिकतम तीन वर्ष तक सीमित होगी।
- अपंजीकृत आपूर्तिकर्त्ताओं और कंपोजिशन करदाताओं को ई-कॉमर्स ऑपरेटरों (ECO) के माध्यम से माल की अंतर-राज्य आपूर्ति करने की अनुमति दी जाएगी।