अंतर्राष्ट्रीय संबंध
प्रधानमंत्री की नाइजीरिया, ब्राज़ील और गुयाना की यात्रा
- 21 Nov 2024
- 19 min read
स्रोत: एलएम
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, भारत के प्रधानमंत्री ने दक्षिण अमेरिका के तीन देशों नाइजीरिया (अफ्रीका), ब्राज़ील और गुयाना की यात्रा शुरू की है।
- नाइजीरिया की अपनी यात्रा के बाद प्रधानमंत्री 19वें G20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिये ब्राज़ील गए तथा तत्पश्चात गुयाना के लिये रवाना हुए।
भारत-नाइजीरिया संबंधों की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- हालिया राजनयिक जुड़ाव:
- नवंबर 2024 में भारतीय प्रधानमंत्री की नाइजीरिया की हालिया यात्रा द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्त्वपूर्ण क्षण है, क्योंकि यह 17 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा है।
- इस यात्रा के दौरान, उनके स्वागत समारोह में नाइजीरिया के दूसरे सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार ग्रैंड कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ नाइजर से सम्मानित किया गया।
- नवंबर 2024 में भारतीय प्रधानमंत्री की नाइजीरिया की हालिया यात्रा द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्त्वपूर्ण क्षण है, क्योंकि यह 17 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा है।
- भारत-नाइजीरिया संबंध:
- ऐतिहासिक संबंध: भारत ने वर्ष 1958 में लागोस में अपनी राजनयिक उपस्थिति स्थापित की, जो वर्ष 1960 में नाइजीरिया को ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता मिलने से दो वर्ष पहले थी, जो उनके द्विपक्षीय संबंधों की शुरुआत थी।
- वर्ष 2007 में दोनों देशों ने अपने संबंधों को "रणनीतिक साझेदारी" तक बढ़ा दिया।
- सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान: भारत ने नाइजीरिया के विकास में विशेष रूप से शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- भारत ने कडुना में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और पोर्ट हरकोर्ट में नौसेना युद्ध कॉलेज की स्थापना की, जिससे नाइजीरिया के सैन्य प्रशिक्षण तथा क्षमता निर्माण में योगदान मिला।
- आर्थिक जुड़ाव: भारत-नाइजीरिया आर्थिक संबंध महत्त्वपूर्ण हैं, क्योंकि 200 से अधिक भारतीय कंपनियाँ विनिर्माण, दूरसंचार और फार्मास्यूटिकल्स जैसे प्रमुख क्षेत्रों में लगभग 27 बिलियन अमरीकी डॉलर का निवेश कर रही हैं।
- यह मज़बूत साझेदारी भारत को संघीय सरकार के बाद नाइजीरिया में दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता बनाती है।
- विकासात्मक सहायता: भारत ने स्वयं को नाइजीरिया के लिये एक प्रमुख विकास साझेदार के रूप में स्थापित किया है, जो 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर के रियायती ऋण के माध्यम से विकासात्मक सहायता प्रदान कर रहा है।
- यह सहायता नाइजीरिया के सामाजिक-आर्थिक विकास का समर्थन करने के लिये भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है और ग्लोबल साउथ में विकास को बढ़ावा देने के भारत के व्यापक दृष्टिकोण के अनुरूप है।
- क्षेत्रीय प्रभाव: "जायंट ऑफ अफ्रीका" के रूप में जाना जाने वाला नाइजीरिया अफ्रीका की सबसे बड़ी आबादी (~ 220 मिलियन) वाला देश है तथा महाद्वीप में चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है।
- अफ्रीकी संघ (AU) के संस्थापक सदस्य के रूप में नाइजीरिया अफ्रीकी राजनीति और क्षेत्रीय स्थिरता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- सामरिक हित: चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिये भारत नाइजीरिया के साथ मज़बूत संबंध चाहता है क्योंकि चीन पिछले दो दशकों में अफ्रीका का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया है।
- भारत अफ्रीका के महत्त्वपूर्ण खनिजों के भंडार को स्वीकार करता है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे उद्योगों के लिये आवश्यक हैं और भारत के आर्थिक लक्ष्यों के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
- साझा चुनौतियों पर ध्यान: दोनों राष्ट्र आतंकवाद, अलगाववाद, समुद्री डकैती और मादक पदार्थों की तस्करी जैसी साझा चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
- सांस्कृतिक महत्त्व: यह संबंध नाइजीरिया में मौजूद विशाल भारतीय प्रवासी समुदाय (लगभग 60,000) के कारण समृद्ध हुआ है, जो पश्चिमी अफ्रीका में सबसे बड़ा है।
- इससे सांस्कृतिक आदान-प्रदान, शैक्षिक पहल और लोगों के बीच आपसी संपर्क के माध्यम से सांस्कृतिक संबंधों तथा आर्थिक सहयोग को बढ़ावा मिलता है।
- ऐतिहासिक संबंध: भारत ने वर्ष 1958 में लागोस में अपनी राजनयिक उपस्थिति स्थापित की, जो वर्ष 1960 में नाइजीरिया को ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता मिलने से दो वर्ष पहले थी, जो उनके द्विपक्षीय संबंधों की शुरुआत थी।
- भारत-नाइजीरिया संबंधों में अवसर:
- स्वास्थ्य सेवा सहयोग: भारत वहनीय और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं के साथ नाइजीरियाई चिकित्सा पर्यटकों के लिये अग्रणी गंतव्य है।
- रक्षा सहयोग: नाइजीरिया प्रशिक्षण, उपकरण आपूर्ति और विशेष रूप से बोको हराम जैसे समूहों से निपटने के लिये आतंकवाद विरोधी रणनीतियों जैसे क्षेत्रों में भारत के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाना चाहता है।
- व्यापार और आर्थिक सहयोग: व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिये दोनों देशों के प्रमुख व्यापारिक समूहों के साथ भारत-नाइजीरिया व्यापार परिषद का गठन करने से नए अवसरों की पहचान करने और उन्हें विकसित करने में सहायता मिल सकती है।
नाइजीरिया
- स्थान: अफ्रीका का पश्चिमी तट, जिसे अक्सर "अअफ्रीका का विशालकाय देश" कहा जाता है।
- सीमाएँ: उत्तर – नाइजर, पूर्व – चाड और कैमरून, दक्षिण – गिनी की खाड़ी, पश्चिम – बेनिन।
- स्वतंत्रता: वर्ष 1960 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्त हुई।
- आधिकारिक भाषा: अंग्रेज़ी, स्थानीय भाषाओं में हौसा, योरूबा, इग्बो और इजाव शामिल हैं।
- भूगोल: विविधतापूर्ण, शुष्क से लेकर आर्द्र भूमध्यरेखीय तक की जलवायु।
- जल निकासी : प्रमुख घाटियों में नाइजर-बेन्यू, चाड झील और गिनी की खाड़ी शामिल हैं। नाइजर नदी और इसकी सबसे बड़ी सहायक नदी, बेन्यू नदी, प्रमुख नदियाँ हैं।
भारत-ब्राजील संबंधों की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- हालिया राजनयिक जुड़ाव:
- भारत और ब्राजील ने ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में 19वें जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान द्विपक्षीय चर्चा की।
- दोनों देशों ने ऊर्जा, जैव ईंधन, रक्षा, कृषि, स्वास्थ्य सेवा और डिजिटल प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में सहयोग को मज़बूत करने पर ध्यान केंद्रित किया।
- भारत ने ब्राजील की 'भूख और गरीबी के विरुद्ध वैश्विक गठबंधन' पहल के प्रति दृढ़ समर्थन व्यक्त किया तथा जी-20 की अध्यक्षता के दौरान ब्राजील के नेतृत्व की सराहना की।
- ब्राजील ने वैश्विक जलवायु चुनौतियों से निपटने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया तथा वर्ष 2025 में ब्राजील के बेलेम में होने वाले COP30 शिखर सम्मेलन से पहले अज़रबैजान में UNFCCC COP29 जलवायु वार्ता में निर्णायक कार्रवाई का आह्वान किया।
- ब्राज़ील वर्ष 2028-2029 के कार्यकाल के लिये संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अस्थायी सीट के लिये भारत की उम्मीदवारी का समर्थन करता है।
- भारत-ब्राजील संबंध:
- संस्थागत सहभागिता:
- भारत और ब्राज़ील के बीच द्विपक्षीय तथा विभिन्न बहुपक्षीय मंचों जैसे ब्रिक्स, IBSA, G4, G20,, BASIC, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA), WTO, UNESCO एवं WIPO में बहुत करीबी एवं बहुआयामी संबंध हैं।
- राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (National Security Advisors- NSA) के नेतृत्व में रणनीतिक वार्ता, भारत-ब्राजील बिजनेस लीडर्स फोरम, आर्थिक और वित्तीय वार्ता, तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर संयुक्त समिति जैसे संस्थागत तंत्र व्यापार, रक्षा, विज्ञान और आर्थिक नीति पर सहयोग को बढ़ावा देते हैं।
- व्यापार और निवेश:
- दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2022 में 15.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया।
- वर्ष 2021 में, भारत ऑटोमोबाइल, IT, खनन, ऊर्जा और जैव ईंधन जैसे क्षेत्रों में निवेश के साथ ब्राजील का वाँ सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया।
- वर्ष 2004 में मर्कोसुर (ब्राजील, अर्जेंटीना, उरुग्वे, पैराग्वे) के साथ हस्ताक्षरित अधिमान्य व्यापार समझौता (Preferential Trade Agreement- PTA) आर्थिक संबंधों को और मज़बूत करता है।
- रक्षा सहयोग:
- रक्षा सहयोग वर्ष 2003 के समझौते पर आधारित है तथा संयुक्त रक्षा समिति (Joint Defence Committee- JDC) की बैठकों के माध्यम से इसे संस्थागत रूप दिया गया है।
- रणनीतिक वार्ता में रक्षा और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की गई, जबकि CERT-In के साथ साइबर सुरक्षा पर 2020 समझौता ज्ञापन में साइबर सहयोग पर प्रकाश डाला गया।
- ऊर्जा सुरक्षा:
- ऊर्जा सुरक्षा एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है, जिसमें भारतीय तेल निगम और ब्राजील के CNPEM के बीच 2020 का समझौता ज्ञापन जैव ऊर्जा अनुसंधान को बढ़ावा देगा।
- दोनों देशों ने अमेरिका के साथ मिलकर जैव ईंधन उत्पादन और मांग को बढ़ाने के लिये वर्ष 2023 में G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन (Global Biofuel Alliance- GBA) की शुरुआत की।
- इथेनॉल उत्पादन में ब्राजील की विशेषज्ञता भारत के इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम का समर्थन करती है, जिसके तहत ब्राजील 27% मिश्रण प्राप्त कर रहा है तथा भारत ने वर्ष 2025-26 तक 20% मिश्रण का लक्ष्य रखा है, जो वर्तमान 15.83% है।
- संस्थागत सहभागिता:
भारत और गुयाना के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्र कौन से हैं?
- हालिया राजनयिक जुड़ाव:
- प्रधानमंत्री की हाल की गुयाना यात्रा, जो 56 वर्षों में पहली यात्रा है, कैरीबियाई और लैटिन अमेरिका में भारत की नई रुचि को दर्शाती है, जिसे भारतीय प्रवासियों के साथ ऐतिहासिक संबंधों और गुयाना के बढ़ते तेल क्षेत्र का समर्थन प्राप्त है।
- भारत-गुयाना संबंध:
- ऐतिहासिक और राजनयिक संबंध:
- भारत ने वर्ष 1965 में भारतीय आयोग के साथ गुयाना में अपनी राजनयिक उपस्थिति स्थापित की, जिसे वर्ष 1968 में पूर्ण उच्चायोग के रूप में उन्नत किया गया।
- गुयाना ने भी वर्ष 1990 में आर्थिक कठिनाइयों के कारण बंद किये गये अपने मिशन को वर्ष 2004 में पुनः खोल दिया।
- विकास सहयोग और तकनीकी सहायता:
- भारत, भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (ITEC) कार्यक्रम के माध्यम से विकासात्मक सहायता प्रदान करता है तथा विविध क्षेत्रों में छात्रवृत्ति प्रदान करता है।
- ICCR छात्रवृत्ति कार्यक्रम अकादमिक आदान-प्रदान की सुविधा भी प्रदान करता है, इन योजनाओं के अंतर्गत 600 से अधिक गुयाना के विद्वानों को प्रशिक्षित किया गया है।
- आर्थिक और व्यापारिक संबंध:
- भारतीय कंपनियाँ जैव ईंधन, ऊर्जा, खनिज और फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्र में अवसर तलाश रही हैं।
- FICCI और जॉर्जटाउन चैंबर ऑफ कॉमर्स के बीच संयुक्त व्यापार परिषद आर्थिक सहयोग को सुविधाजनक बनाती है।
- गुयाना नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं, विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) के तहत भारत के साथ सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है। द्विपक्षीय सहयोग सौर ऊर्जा, जैव ईंधन और सतत् विकास पहल तक विस्तारित है।
- सांस्कृतिक एवं लोगों के बीच संबंध:
- गुयाना, जिसकी आबादी लगभग 43.5% भारतीय मूल की है, सबसे पुराने भारतीय प्रवासियों में से एक का प्रतिनिधित्व करता है, जो 185 वर्ष पूर्व प्रवासित हुए थे।
- क्रिकेट एक एकीकृत शक्ति के रूप में कार्य करता है, जिसमें गुयाना के खिलाड़ी इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में भाग लेते हैं।
- आयुर्वेद और योग लोकप्रियता प्राप्त कर रहे हैं, जिससे सांस्कृतिक संबंध और मज़बूत हो रहे हैं।
- चीन से प्रतिस्पर्द्धा:
- गुयाना के साथ संबंधों को मज़बूत करने के भारत के प्रयासों को चीन से प्रतिस्पर्द्धा का सामना करना पड़ रहा है, जिसकी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) परियोजनाओं के माध्यम से महत्वपूर्ण उपस्थिति है।
- यद्यपि भारत ने जॉर्जटाउन में एक सड़क परियोजना के लिये 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर देने की प्रतिबद्धता जताई है, फिर भी चीनी प्रथाओं और लाभों के बारे में स्थानीय भावनाओं के मिश्रित होने के बावजूद, चीन का अधिक निवेश है।
- ऐतिहासिक और राजनयिक संबंध:
गुयाना
- राजधानी : जॉर्जटाउन
- ब्रिटेन द्वारा उपनिवेशित: गुयाना को वर्ष 1966 में यूनाइटेड किंगडम (UK) से स्वतंत्रता प्राप्त हुई और वर्ष 1970 में यह एक गणराज्य बन गया।
- भूगोल : दक्षिण अमेरिका के उत्तरी तट पर स्थित, वेनेज़ुएला, ब्राज़ील और सूरीनाम से घिरा, उत्तर में अटलांटिक महासागर।
- प्रमुख नदियाँ : एस्सेकिबो नदी (सबसे बड़ी), डेमेरारा नदी और बर्बिस नदी।
- पर्वत : पकाराइमा पर्वत, कनुकु पर्वत, अकाराई पर्वत।
प्रधानमंत्री को गुयाना, बारबाडोस और डोमिनिका से शीर्ष राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए
- भारत के प्रधानमंत्री को गुयाना (ऑर्डर ऑफ एक्सीलेंस ), बारबाडोस (बारबाडोस की स्वतंत्रता का मानद आदेश) और डोमिनिका (डोमिनिका अवार्ड ऑफ ऑनर) से सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुआ।
- प्रधानमंत्री को उनकी राजनीतिज्ञता, कोविड-19 महामारी के दौरान डोमिनिका को दिये गए समर्थन और भारत-डोमिनिका संबंधों को मज़बूत करने की प्रतिबद्धता के लिये डोमिनिका के सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- इन पुरस्कारों के साथ, प्रधानमंत्री को अब तक मिले अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों की संख्या 19 हो गई है।
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