केंद्रीय बजट 2025-26 में स्वास्थ्य संबंधी पहल | 06 Feb 2025
प्रिलिम्स के लिये:केंद्रीय बजट 2025-26, आर्थिक समीक्षा (ES) 2024-25, अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स (UPF), सीमा शुल्क (BCD), अप्रत्यक्ष कर, स्वास्थ्य बीमा, गिग वर्कर्स, ई-श्रम पोर्टल, प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (PM-ABHIM), पीएम मातृ वंदना योजना, बाल पोषण, आँगनवाड़ी, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना, राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम, WTO, घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (HCES) 2022-23, FSSAI, कीमोथेरेपी। मेन्स के लिये:केंद्रीय बजट 2025-26 में स्वास्थ्य पहल, अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों (UPF) से संबंधित चिंताएँ, कैंसर डे-केयर सेंटर की स्थापना। |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय बजट 2025-26 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के लिये लगभग 1 लाख करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं।
- वित्त वर्ष 2026 के बजट में स्वास्थ्य का हिस्सा वित्त वर्ष 2025 के 1.9% से मामूली रूप से बढ़कर 1.97% हो गया, लेकिन समग्र स्वास्थ्य आवंटन बजट के 2% से कम रहा।
- आर्थिक समीक्षा (EC) 2024-25 और केंद्रीय बजट 2025-26 में देश में स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिये कई उपायों की सिफारिश की गई और घोषणा की गई।
- कई घोषणाओं में से प्रमुख घोषणा डेकेयर कैंसर सेंटर की स्थापना है।
नोट: राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 में सिफारिश की गई है कि स्वास्थ्य व्यय को सकल घरेलू उत्पाद के 1.15% (2017) से बढ़ाकर 2025 तक सकल घरेलू उत्पाद का 2.5% किया जाए।
स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिये कौन-से उपाय सुझाए गए हैं तथा घोषित किये गए हैं?
- UPF पर कर लगाना: आर्थिक समीक्षा 2024-25 ने मोटापे, मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर के साथ संबंधों का हवाला देते हुए, उनकी खपत को रोकने के लिये अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों (UPF) पर 'स्वास्थ्य कर' का प्रस्ताव दिया है।
- UPF की अधिक खपत भारत के विश्व में मधुमेह का केंद्र बनने का मुख्य कारण है, जहाँ 101 मिलियन से अधिक लोग इससे प्रभावित हैं।
- कैंसर देखभाल विस्तार: सरकार ने वित्त वर्ष 2026 तक प्रत्येक ज़िले में कैंसर देखभाल केंद्र और स्थानीय कीमोथेरेपी और उपचार के लिये वित्त वर्ष 2025-26 तक 200 नए डेकेयर कैंसर केंद्र स्थापित करने की योजना बनाई है।
- जीवन रक्षक दवाओं में छूट: बजट में 36 जीवन रक्षक दवाओं को सीमा शुल्क (BCD) से छूट दी गई है, जिससे लागत कम हो जाएगी, जबकि फार्मा कंपनियों द्वारा चलाए जा रहे रोगी सहायता कार्यक्रम (PAP) शुल्क मुक्त दवाएँ उपलब्ध कराना जारी रखेंगे।
- BCD एक अप्रत्यक्ष कर है, जो भारत में आयातित सभी वस्तुओं पर लगाया जाता है।
- PAP उन लोगों की सहायता करते हैं जिनके पास स्वास्थ्य बीमा नहीं है, वे दवाइयों की पूरी लागत को कवर करते हैं या दवाओं पर छूट प्रदान करते हैं।
- गिग वर्कर्स के लिये एबी पीएम-जेएवाई: एबी पीएम-जेएवाई का विस्तार लगभग 1 करोड़ गिग वर्कर्स को कवर करने के लिये किया गया है, जिन्हें स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच के लिये ID कार्ड के साथ ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत किया जाएगा।
- स्वास्थ्य अवसंरचना और जनशक्ति: स्वास्थ्य सुविधाओं में विस्तार किये जाने और वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं की पूर्ति करने हतु वार्षिक रूप से 3,00,000 स्वास्थ्य पेशेवरों को प्रशिक्षित करने हेतु पाँच कौशल केंद्र स्थापित किये जाने के उद्देश्य से केंद्रीय बजट में प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (PM-ABHIM) के लिये 4,200 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं।
- महिला एवं बाल स्वास्थ्य देखभाल: बाल पोषण और टीकाकरण हेतु वित्त पोषण में वृद्धि के साथ प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के अंतर्गत मातृ स्वास्थ्य कार्यक्रमों में विस्तार किया जाएगा।
- अधिक आँगनवाड़ी केंद्रों को डिजिटल ट्रैकिंग प्रणाली से उन्नत किया जाएगा।
- भैषजिक अनुसंधान: सरकार ने भैषजिक अथवा फार्मास्युटिकल विनिर्माण को बढ़ावा देने हेतु उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजना के लिये 2,445 करोड़ रुपए आवंटित किये।
- मानसिक स्वास्थ्य और टेलीमेडिसिन: समग्र भारत में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार किये जाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम हेतु निधि का आवंटन किया गया।
- चिकित्सा पर्यटन: सरकार भारत के चिकित्सा पर्यटन बाज़ार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से चिकित्सा पर्यटकों के लिये वीज़ा प्रक्रियाओं का सरलीकरण करने की योजना बना रही है। वर्ष 2024 में भारत के चिकित्सा पर्यटन बाज़ार का मूल्य 7.56-10.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
- चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 2023 में "हील इन इंडिया" पहल शुरू की गई थी।
नोट:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन की वर्ष 2023 की रिपोर्ट के अनुसार भारत का UPF व्यय वर्ष 2006 में 900 मिलियन अमेरिकी डॉलर था वर्ष 2019 में बढ़कर 37.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जिसमें खुदरा बिक्री (वर्ष 2011 से वर्ष 2021) में 13.7% की वृद्धि हुई है।
- घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (HCES) 2022-23 के अनुसार UPF हेतु ग्रामीण क्षेत्रों के घरेलू खाद्य बजट में 9.6% और शहरी क्षेत्रों के घरेलू खाद्य बजट में 10.64% का व्यय किया जाता है।
- ब्राज़ील, कनाडा, चिली, फ्राँस, मैक्सिको, इज़रायल, पेरू, यूनाइटेड किंगडम और उरुग्वे जैसे देश UPF की लेबलिंग और विपणन प्रतिबंधों के लिये न्यूट्रिएंट प्रोफाइल मॉडल (NPM) का उपयोग करते हैं।
- NPM के अंतर्गत पोषक तत्त्वों के आधार पर खाद्य पदार्थों की रेटिंग की जाती है, ताकि स्वस्थ विकल्पों और स्वास्थ्य हेतु हानिप्रद विकल्पों की पहचान की जा सके।
- डेनमार्क ने वर्ष 2011 की शुरुआत में ही संतृप्त वसा पर कर लागू कर दिया था, जबकि मैक्सिको ने शर्करा युक्त पेय और जंक फूड पर अधिभार लगाया था ।
UPF की खपत में कमी लाने हेतु आर्थिक समीक्षा 2024-25 में क्या अनुशंसाएँ की गईं?
- स्पष्ट विनियमन: इसमें स्पष्ट UPF परिभाषाओं और लेबलिंग मानकों सहित सख्त FSSAI विनियमनों की अनुशंसा की गई।
- कड़ी निगरानी: स्वास्थ्य मानकों के अनुपालन को सुनिश्चित करने और भ्रामक दावों को रोकने के लिये ब्रांडेड उत्पादों की कड़ी निगरानी किया जाने का सुझाव दिया गया।
- उन्नत उपभोक्ता संरक्षण: अतिरंजित विपणन, विशेष रूप से बच्चों और किशोरों को लक्षित करने वाले विपणन की रोकथाम करने हेतु कानूनों का सुदृढ़ीकरण कर्ण एकी आवश्यकता है।
- उच्च कराधान: उपभोग को हतोत्साहित करने और लोक स्वास्थ्य पहलों को वित्तपोषित करने के लिये व्यापक मात्रा में विपणन किये गए UPF पर उच्च कर अधिरोपित किये जाने पर विचार किया जाना चाहिये।
- उपभोक्ता जागरूकता: विशेष रूप से बच्चों के लिये, UPF के स्वास्थ्य जोखिमों, जिनमें मोटापा, मधुमेह और अन्य चयापचय संबंधी रोग शामिल हैं, के बारे में शैक्षिक अभियान शुरू किये जाने चाहिये।
डेकेयर कैंसर सेंटर क्या है?
- परिचय: डेकेयर कैंसर सेंटर एक कैंसर क्लिनिक है जो ऐसे रोगियों के लिये एक दिन में कीमोथेरेपी की सुविधा प्रदान करता है जिन्हें त्वरित उपचार की आवश्यकता होती है और जिन्हें रात भर अस्पताल में रहने की आवश्यकता नहीं होती है।
- सरकार की योजना वर्ष 2025-26 तक भारत के 759 ज़िला अस्पतालों में 200 केंद्र स्थापित करने की है।
- उद्देश्य: इसका उद्देश्य ज़िला स्तर पर कैंसर देखभाल को बढ़ाना, महानगरीय अस्पतालों पर बोझ कम करना है, और यह उच्च उपचार लागत और लंबी यात्रा दूरी का सामना करने वाली ग्रामीण आबादी के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- महत्त्व: ये केंद्र कैंसर देखभाल की सुलभता में सुधार के लिये कीमोथेरेपी, दवाएँ, बायोप्सी और जटिलता प्रबंधन की सुविधा प्रदान करेंगे।
- चिंताएँ:
- सेवा स्पष्टता का अभाव: रेडियोथेरेपी जैसे उन्नत उपचारों की अनुपस्थिति के बारे में चिंताएँ मौजूद हैं , जिसके लिये उपकरणों में उच्च निवेश की आवश्यकता होती है।
- बुनियादी ढाँचे की समस्या: कई ज़िला अस्पतालों में बायोप्सी सेवाओं का अभाव है, और कुछ मेडिकल कॉलेज कैंसर का उपचार उपलब्ध नहीं कराते, जिससे इन केंद्रों के प्रबंधन की उनकी क्षमता पर संदेह उत्पन्न होता है।
- विश्वास संबंधी मुद्दे: मरीज़ कैंसर के उपचार के लिये ज़िला-स्तरीय केंद्रों पर भरोसा करने में अनिच्छुक हो सकते हैं, तथा एम्स जैसे स्थापित अस्पतालों को प्राथमिकता दे सकते हैं।
- कार्यबल की कमी: छोटे ज़िलों में प्रशिक्षित कैंसर विशेषज्ञों को आकर्षित करने के बारे में चिंताएँ हैं, जिनके लिये प्रतिस्पर्द्धी वेतन और प्रोत्साहन की आवश्यकता हो सकती है।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: भारत में कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं और नौ में से एक व्यक्ति को कैंसर होने की आशंका है।
- इन केंद्रों से मरीजों की बढ़ती संख्या कम होगी और विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में उपचार सुलभता में सुधार होगा।
निष्कर्ष
केंद्रीय बजट 2025-26 में स्वास्थ्य संबंधी बढ़ती चिंताओं को दूर करने के लिये कैंसर देखभाल विस्तार और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों (UPF) पर कराधान सहित प्रमुख स्वास्थ्य उपाय प्रस्तुत किये गए हैं। यद्यपि इन पहलों का उद्देश्य पहुँच और सामर्थ्य में सुधार लाना है, फिर भी बुनियादी ढाँचे, कार्यबल और सार्वजनिक विश्वास जैसी चुनौतियाँ अभी भी महत्त्वपूर्ण बाधाएँ बनी हुई हैं।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: प्रस्तावित कैंसर डे-केयर सेंटरों के महत्त्व और उनके कार्यान्वयन में शामिल चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। |
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