अंतर्राष्ट्रीय संबंध
पूर्वी समुद्री गलियारा
- 19 Dec 2024
- 18 min read
प्रिलिम्स के लिये:नीली अर्थव्यवस्था, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा, चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री गलियारा, उत्तरी समुद्री मार्ग, अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) मेन्स के लिये:पूर्वी समुद्री गलियारे का महत्त्व, समुद्री व्यापार और आर्थिक विकास का महत्त्व, भारत-रूस संबंध |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में चेन्नई और व्लादिवोस्तोक (रूस) के मध्य हाल ही में खोले गए पूर्वी समुद्री गलियारे से शिपिंग/परिवहन समय और लागत में कमी से भारत-रूस व्यापार में वृद्धि हुई है।
- यह गलियारा कच्चे तेल, कोयला, उर्वरक और धातु जैसे क्षेत्रों में व्यापार बढ़ाने के लिये महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि भारत रूसी तेल का सबसे बड़ा आयातक बन गया है।
- इस गलियारे से द्विपक्षीय व्यापार की गतिशीलता में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन आने तथा दोनों देशों के बीच आर्थिक और सामरिक सहयोग को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
पूर्वी समुद्री गलियारा (ईस्टर्न मैरीटाइम कॉरिडोर-EMC) क्या है?
- परिचय:
- चेन्नई-व्लादिवोस्तोक पूर्वी समुद्री गलियारा (EMC) भारत के पूर्वी तट (चेन्नई बंदरगाह) को रूस के सुदूर-पूर्वी क्षेत्र (व्लादिवोस्तोक बंदरगाह) के बंदरगाहों से जोड़ने वाला एक समुद्री गलियारा है।
- यह जापान सागर, दक्षिण चीन सागर और मलक्का जलडमरूमध्य से होकर गुज़रता है।
- महत्त्व:
- EMC से शिपिंग दूरी 8,675 समुद्री मील (यूरोप-सेंट पीटर्सबर्ग-मुंबई मार्ग के माध्यम से) से घटकर 5,600 समुद्री मील हो गई है, जिससे परिवहन समय 40 दिनों से घटकर केवल 24 दिन रह गया है।
- यह भारत के लिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि भारत जुलाई, 2024 में चीन को पीछे छोड़कर रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है।
- रसद लागत में कमी:
- भारत अपनी कच्चे तेल की खपत का लगभग 85% आयात करता है।
- व्यापार का विविधीकरण:
- यह गलियारा न केवल कच्चे तेल के शिपमेंट को सुगम बनाता है, बल्कि कोयला, LNG, उर्वरक और अन्य वस्तुओं के शिपमेंट को भी सुगम बनाता है, जिससे देशों के मध्य व्यापारिक संबंध व्यापक होते हैं।
- भारत के समुद्री क्षेत्र में वृद्धि:
- यह गलियारा भारत के समुद्री क्षेत्र को सहयोग प्रदान करता है, जो देश के लगभग 95% (मात्रा के अनुसार) और 70% (मूल्य के अनुसार) व्यापार तथा इसके विकास एवं दक्षता में योगदान देता है।
- यह गलियारा भारत का समुद्री विज़न, 2030 के अनुरूप है, जिसमें समुद्री क्षेत्र में परिवर्तन लाने के उद्देश्य से 150 से अधिक पहल शामिल हैं।
- सामरिक महत्त्व:
- व्लादिवोस्तोक प्रशांत महासागर में स्थित सबसे बड़ा रूसी बंदरगाह है और यह गलियारा दक्षिण चीन सागर से होकर गुज़रता है तथा इस क्षेत्र में चीन के प्रभुत्व को संबोधित करते हुए भारत की रणनीतिक उपस्थिति को मज़बूत करता है।
- चेन्नई-व्लादिवोस्तोक गलियारा अन्य पहलों, जैसे उत्तरी समुद्री मार्ग और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) के साथ संरेखित है।
- भारत की ‘एक्ट फार ईस्ट नीति’ को आगे बढ़ाना:
- इसके अतिरिक्त, इससे पर्यटन, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और व्यापार साझेदारी के अवसर उत्पन्न होंगे, जिससे भारत एक प्रमुख क्षेत्रीय शक्ति के रूप में स्थापित होगा।
- EMC रूसी संसाधनों तक भारत की पहुँच को बढ़ाएगा तथा प्रशांत क्षेत्र में व्यापारिक गतिविधियों में इसकी स्थिति को मज़बूत करेगा।
- क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ाकर, यह पूर्वी एशिया, आसियान और रूस के साथ व्यापार को बढ़ावा देता है, बहुविध परिवहन को सुविधाजनक बनाता है तथा बुनियादी ढाँचे के विकास को समर्थन प्रदान करता है।
भारत के लिये अन्य कौन-से समुद्री गलियारे महत्त्वपूर्ण हैं?
- अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC):
- INSTC 7,200 किलोमीटर लंबा बहुविध पारगमन मार्ग है, जो हिंद महासागर और फारस की खाड़ी को ईरान के माध्यम से कैस्पियन सागर से और आगे रूस के सेंट पीटर्सबर्ग के माध्यम से उत्तरी यूरोप से जोड़ता है।
- इसकी शुरूआत वर्ष 2000 में भारत, ईरान और रूस के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते के माध्यम से हुई थी, इसमें 13 सदस्य देशों को शामिल किया गया है।
- यह भारत, ईरान, अज़रबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच जहाज़, रेल और सड़क मार्गों को जोड़ता है।
- इस गलियारे के 3 मार्ग हैं: केंद्रीय गलियारा (भारत से ईरान होते हुए रूस), पश्चिमी गलियारा (अज़रबैजान-ईरान-भारत) और पूर्वी गलियारा (रूस से मध्य एशिया होते हुए भारत)।
- जून 2024 में रूस ने पहली बार INSTC के माध्यम से भारत को कोयला ले जाने वाली दो ट्रेनें भेजीं।
- यह भारत, ईरान, अज़रबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच जहाज़, रेल और सड़क मार्गों को जोड़ता है।
- भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) परियोजना:
- IMEC परियोजना की घोषणा G20 शिखर सम्मेलन (2023) में की गई थी, IMEC का उद्देश्य भारत, मध्य पूर्व और यूरोप को रेलवे, सड़क एवं जहाज़-से-रेल लिंक के नेटवर्क के माध्यम से जोड़ना है।
- इसमें दो गलियारे शामिल हैं: पूर्वी गलियारा, जो भारत को अरब की खाड़ी से जोड़ता है तथा उत्तरी गलियारा, जो खाड़ी को यूरोप से जोड़ता है।
- इस परियोजना में एक विद्युत केबल, एक हाइड्रोजन पाइपलाइन और एक हाई-स्पीड डेटा केबल भी शामिल होगी, जिससे एशिया, यूरोप और मध्य पूर्व में क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा मिलेगा।
- उत्तरी समुद्री मार्ग (NSR):
- NSR 5,600 किमी. लंबा आर्कटिक शिपिंग मार्ग है, जो बेरिंट और कारा सागर को बेरिंग जलडमरूमध्य से जोड़ता है।
- यह स्वेज़ नहर जैसे पारंपरिक मार्गों की तुलना में 50% कम पारगमन समय प्रदान करता है, जो वर्ष 2021 के स्वेज़ नहर ब्लॉकेज के बाद इसने ध्यान आकर्षित किया।
- यह एक ऐसा क्षेत्र बन गया है, जहाँ दोनों देश आर्कटिक शिपिंग और पोलर नेविगेशन से संबंधित परियोजनाओं पर कार्य कर रहे हैं, जो पश्चिमी यूरेशिया तथा एशिया-प्रशांत के बीच एक रणनीतिक शिपिंग मार्ग प्रदान करता है।
- भारत की दिलचस्पी NSR में इसलिये है क्योंकि रूसी कच्चे तेल और कोयले का आयात बढ़ रहा है। NSR क्षेत्र में रूस-चीन के प्रभाव को संतुलित करने के लिये भी महत्त्वपूर्ण है।
भारत-रूस संबंधों के प्रमुख पहलू क्या हैं?
- सामरिक साझेदारी: भारत और रूस ने वर्ष 2000 में अपनी सामरिक साझेदारी को औपचारिक रूप दिया, जिसे वर्ष 2010 में विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त सामरिक साझेदारी में उन्नत किया गया।
- इसका लक्ष्य वर्ष 2025 तक 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश और 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार हासिल करना है तथा वर्ष 2030 तक 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का लक्ष्य हासिल करना है।
- द्विपक्षीय व्यापार और निवेश: वित्त वर्ष 2023-24 में भारत-रूस व्यापार 65.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया। रूस से प्रमुख आयात और निर्यात (वित्त वर्ष 2024):
- मूल्य के अनुसार:
- आयात: कच्चा तेल, परियोजना माल, कोयला, कोक, वनस्पति तेल और उर्वरक।
- निर्यात: प्रसंस्कृत खनिज, लोहा और इस्पात, चाय, समुद्री उत्पाद और कॉफी।
- मात्रा के अनुसार:
- आयात: कच्चा पेट्रोलियम, कोयला, उर्वरक, वनस्पति तेल तथा लोहा एवं इस्पात।
- निर्यात: प्रसंस्कृत खनिज, लोहा और इस्पात, चाय, ग्रेनाइट तथा प्रसंस्कृत फल और जूस।
- वर्ष 2018 में द्विपक्षीय निवेश 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर गया, जिसे वर्ष 2025 तक 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाने का संशोधित लक्ष्य रखा गया है।
- मूल्य के अनुसार:
- वंदे भारत स्लीपर के लिये भारत-रूस संयुक्त उद्यम: भारत-रूस संयुक्त उद्यम किनेट ने 1,920 वंदे भारत स्लीपर कोचों के निर्माण के लिये लातूर में मराठवाड़ा रेल कोच फैक्ट्री का अधिग्रहण कर लिया है।
- ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग: रूस भारत की ऊर्जा सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है और दोनों देश तेल एवं गैस क्षेत्रों में व्यापक रूप से सहयोग करते हैं।
- रूस के राज्य स्वामित्व ऊर्जा कंपनियों ने भारत के ऊर्जा बुनियादी ढाँचे में महत्त्वपूर्ण निवेश किया है, जबकि भारतीय कंपनियाँ रूस में तेल अन्वेषण परियोजनाओं में शामिल हैं।
- रक्षा और सुरक्षा सहयोग: भारत और रूस का IRIGC-M&MTC तंत्र द्वारा विनियमित दीर्घकालिक रक्षा सहयोग रहा है, जिसमें इंद्र तथा वोस्तोक 2022 जैसे नियमित द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सैन्य अभ्यास शामिल हैं।
- दोनों देशों के प्रमुख रक्षा परियोजनाओं में S-400 प्रणाली, MiG-29, कामोव हेलीकॉप्टर, INS विक्रमादित्य, Ak-203 राइफलों और ब्रह्मोस मिसाइलों का प्रदाय एवं T-90 टैंक व Su-30 MKI का अनुज्ञापित उत्पादन शामिल है।
- यह सहयोग क्रेता-विक्रेता मॉडल से शुरू होकर उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकियों के संयुक्त अनुसंधान, विकास एवं उत्पादन में परिणत हुआ है।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी: इसमें अंतरिक्ष (गगनयान), नैनो प्रौद्योगिकी और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसे क्षेत्रों में सहयोग शामिल है।
- दोनों देशों ने संयुक्त रूप से कुडनकुलम नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र का विकास किया। यह साझेदारी नवाचार के लिये वर्ष 2021 के रोडमैप द्वारा निर्देशित है, जिसका उद्देश्य प्रौद्योगिकियों का व्यावसायीकरण करना और संयुक्त परियोजनाओं का समर्थन करना है।
- भू-राजनीतिक और क्षेत्रीय सहयोग:
- भारत-रूस संबंध वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा में साझा हितों पर आधारित हैं, जिसमें संयुक्त राष्ट्र तथा BRICS जैसे बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग भी शामिल है।
- एशिया-प्रशांत क्षेत्र में रूस की बढ़ती सहभागिता विशेष रूप से चीन के समुद्री प्रभाव को संतुलित करने के संदर्भ में, भारत की रणनीतिक प्राथमिकताओं के अनुरूप है।
- आर्थिक कूटनीति और कराधान समझौते:
- भारत-रूस दोहरा कराधान परिहार समझौता (DTAA), जो वर्ष 1996 से प्रभावी है, दोहरे कराधान को समाप्त करके और राजकोषीय अपवंचन को रोककर सीमा पार निवेश तथा व्यापार को बढ़ावा देने में एक महत्त्वपूर्ण साधन है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: भारत-रूस सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों और चुनौतियों को उजागर करते हुए वर्तमान संबंधों की स्थिति की विवेचना कीजिये। भारत इस रणनीतिक सहभागिता को किस प्रकार मज़बूत कर सकता है? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. हिंद महासागर नौसेना परिसंवाद (सिम्पोज़ियम) (IONS) के संबंध में निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2017)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) प्रश्न. 'इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन फॉर रीज़नल को-ऑपरेशन (IOR ARC)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2015)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) प्रश्न. भू-युद्धनीति की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण क्षेत्र होने के नाते दक्षिणपूर्वी एशिया लंबे अंतराल और समय से वैश्विक समुदाय का ध्यान आकर्षित करता आया है। इस वैश्विक संदर्श की निम्नलिखित में से कौन-सी व्याख्या सबसे प्रत्ययकारी है? (2011) (a) यह द्वितीय विश्व युद्ध का सक्रिय घटनास्थल था। उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न. परियोजना 'मौसम' को भारत सरकार की अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों की सुदृढ़ करने की एक अद्वितीय विदेश नीति पहल माना जाता है। क्या इस परियोजना का एक रणनीतिक आयाम है? चर्चा कीजिये। (2015) प्रश्न. दक्षिण चीन सागर के मामले में, समुद्री भूभागीय विवाद और बढ़ता हुआ तनाव समस्त क्षेत्र में नौपरिवहन की और ऊपरी उड़ान की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिये समुद्री सुरक्षा की आवश्यकता की अभिपुष्टि करते हैं। इस संदर्भ में भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा कीजिये। (2014) |