भारतीय अर्थव्यवस्था
स्वेज़ नहर में ब्लॉकेज
- 01 Apr 2021
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यह एडिटोरियल 28/03/2021 को ‘द हिंदुस्तान टाइम्स’ में प्रकाशित लेख “Suez crisis and the fragility of global trade” पर आधारित है। इसमें स्वेज़ नहर मार्ग अवरुद्ध होने के कारण उत्पन्न मुद्दों पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।
हाल ही में एक बड़े कंटेनर पोत, एम.वी. एवर गिवेन (MV Ever Given) के कारण स्वेज़ नहर का पारगमन मार्ग अवरुद्ध हो गया। विश्व के सबसे महत्त्वपूर्ण पारगमन मार्गों में से एक मानी जाने वाली स्वेज़ नहर में इस तरह के ब्लॉकेज/अवरोध के चलते वैश्विक शिपिंग में अत्यधिक व्यवधान उत्पन्न हो गया।
यह अस्थायी अवरुद्धता वैश्विक व्यापार के लिये बहुत महँगी साबित हुई है, क्योंकि अनुमान लगाया जा रहा है कि इसके कारण प्रति घंटे लगभग 400 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है। जटिल एवं नाजुक रूप से संतुलित वैश्विक आपूर्ति-शृंखला और तेल की कीमतों पर इसके नकारात्मक प्रभाव के कारण ग्राहकों पर अतिरिक्त भार पड़ेगा।
स्वेज़ नहर का पारगमन मार्ग अवरुद्ध होने के कारण व्यापार और अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाला नकारात्मक प्रभाव वैश्विक व्यापार की नाजुकता की ओर इशारा करता है जिसे मज़बूत किये जाने की आवश्यकता है।
स्वेज़ नहर : पृष्ठभूमि
- स्वेज़ नहर की उत्पत्ति का इतिहास बहुत पुराना है, मिस्र के राजा सेनूस्रेट तृतीय फिरौन के शासनकाल (1874 ईसा पूर्व) के दौरान प्रथम जलमार्ग की खुदाई की गई थी।
- हालाँकि इस अल्पविकसित नहर को सिल्टिंग यानी गाद जमा होने के कारण छोड़ दिया गया था और बीच की शताब्दियों के दौरान इसे कई बार खोला भी गया था।
- फ्राँसीसियों के प्रयासों द्वारा 19वीं शताब्दी के मध्य में आधुनिक स्वेज़ नहर का निर्माण किया गया और 17 नवंबर, 1869 को इसे नेविगेशन के लिये खोला गया था।
- वर्ष 1858 में यूनिवर्सल स्वेज़ शिप कैनाल कंपनी (Universal Suez Ship Canal Company) को 99 वर्षों के लिये नहर के निर्माण और संचालन का काम सौंपा गया जिसके बाद इसका अधिकार मिस्र सरकार को सौंपा जाना था।
- मिस्र स्थित इस कृत्रिम समुद्री जलमार्ग का निर्माण भूमध्य सागर और लाल सागर को जोड़ने के लिये वर्ष 1859 और 1869 के बीच किया गया था।
- स्वेज़ नहर यूरोप और एशिया को जोड़ने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है, साथ ही यह अफ्रीका में केप ऑफ गुड होप से होकर नेविगेट (जलयात्रा) करने की आवश्यकता को समाप्त करती है और इस तरह 7,000 किमी. तक की दूरी को कम करती है।
- स्वेज़ नहर के कारण ही एशिया और यूरोप के बीच मिस्र की स्थिति एक रणनीतिक जंक्शन के रूप में है। उपनिवेशों और अर्द्ध-उपनिवेशों द्वारा ज़ोर दिये जाने के बाद जमाल अब्देल नासेर ने वर्ष 1956 में इस नहर का राष्ट्रीयकरण किया।
- वर्ष 1956 में ब्रिटेन, फ्राँस और इज़रायल ने इस नहर पर निर्भर अपने कॉर्पोरेट हितों की रक्षा के लिये मिस्र पर आक्रमण किया। इस युद्ध को स्वेज़ संकट (Suez Crisis) की संज्ञा दी गई।
स्वेज़ नहर का महत्त्व
- उपनिवेशीकरण को सक्षम बनाने में: स्वेज़ नहर का निर्माण वैश्विक समुद्री कनेक्टिविटी की दृष्टि से एक महत्त्वपूर्ण विकास था और इसने औपनिवेशिक इतिहास को स्पष्ट रूप से प्रभावित किया।
- ब्रिटिश साम्राज्य का उदय काफी हद तक इस नहर द्वारा ही सक्षम हुआ था।
- वैश्विक व्यापार की जीवन-रेखा: यह नहर पश्चिम और पूर्व के बीच सभी प्रकार के व्यापार हेतु एक जीवन रेखा के रूप में कार्य करती है क्योंकि प्रतिवर्ष लगभग 10% वैश्विक व्यापार इस मार्ग से ही होता है।
- नहर के माध्यम से प्रतिदिन भेजे जाने वाले माल की कीमत अनुमानतः 9.5 बिलियन डॉलर है और यह नहर मिस्र सरकार के लिये राजस्व के एक बड़े हिस्से का सृजन करती है।
- ग्लोबल चोक पॉइंट्स में से एक: वोल्गा-डॉन और ग्रैंड कैनाल (चीन) के अलावा स्वेज़ और पनामा (जो प्रशांत और अटलांटिक महासागरों को जोड़ती है) वैश्विक समुद्री क्षेत्र की दो सबसे महत्त्वपूर्ण नहरें हैं।
स्वेज़ के अवरुद्ध होने का प्रभाव:
- स्वेज़ नहर में उत्पन्न ब्लॉकेज की स्थिति महामारी तथा खरीद में उछाल के कारण पहले से ही दबावग्रस्त आपूर्ति शृंखला पर और अधिक दबाव डाल सकती है।
- इस अवरुद्धता के कारण मध्य-पूर्व से यूरोप तक तेल और प्राकृतिक गैसों का शिपमेंट भी प्रभावित हुआ है।
निष्कर्ष
- यह देखा जा सकता है कि भले ही वर्ष 1869 और 1956 से अब तक बहुत कुछ बदल गया है “जहाँ डेटा नए तेल की तरह है” फिर भी वैश्विक अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा ऐसा है जो अब भी इतिहास में तैयार की गई वास्तविक प्रणालियों के आधार पर चलता है।
- राजकोषीय और आपूर्ति-शृंखला में व्यवधान के कारण उत्पन्न परिणामों को देखते हुए स्वेज़ नहर के संदर्भ में विशिष्ट मौजूदा प्रक्रियाओं और प्रोटोकॉलों की निष्पक्ष समीक्षा करने की आवश्यकता है तथा निश्चित ही इसे सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिये।
प्रश्न- स्वेज़ नहर में अवरुद्धता की स्थिति वैश्विक व्यापार की नाजुकता को प्रदर्शित करती है तथा आपूर्ति शृंखला को मज़बूत किये जाने की आवश्यकता का संकेत देती है। चर्चा कीजिये।