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एशिया-प्रशांत जलवायु रिपोर्ट 2024

  • 05 Nov 2024
  • 9 min read

स्रोत: बीएस

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में एशियाई विकास बैंक (ADB) ने एशिया-प्रशांत (APAC) जलवायु रिपोर्ट, 2024 जारी की, जिसमें एशिया-प्रशांत क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन के गंभीर आर्थिक प्रभावों पर प्रकाश डाला गया।

एशिया-प्रशांत जलवायु रिपोर्ट 2024 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

जलवायु परिवर्तन के आर्थिक प्रभाव: 

  • उच्च ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के तहत, एशिया प्रशांत क्षेत्र में वर्ष 2070 तक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 17% की कमी देखी जा सकती है।
    • उच्च GHG उत्सर्जन के तहत वर्ष 2100 तक यह आँकड़ा 41% तक बढ़ सकता है।
  • भारत में वर्ष 2070 तक GDP में 24.7% की गिरावट आ सकती है। बांग्लादेश में संभावित 30.5% की गिरावट है, जबकि वियतनाम में 30.2% की कमी और इंडोनेशिया में 26.8% की गिरावट देखी जा सकती है।

आर्थिक घाटे के मुख्य कारण: 

  • समुद्र स्तर में वृद्धि: वर्ष 2070 तक, समुद्र स्तर में वृद्धि के कारण 300 मिलियन लोगों को तटीय बाढ़ से खतरा होगा। वर्ष 2070 तक वार्षिक क्षति 3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ सकती है।
  • श्रम उत्पादकता में कमी: श्रम उत्पादकता में कमी के कारण एशिया प्रशांत क्षेत्र में 4.9% GDP का नुकसान होने की उम्मीद है, लेकिन भारत में 11.6% तक नुकसान हो सकता है।
  • शीतलन की मांग: बढ़ते तापमान से क्षेत्रीय GDP में 3.3% की कमी आ सकती है, जबकि भारत के GDP में शीतलन आवश्यकताओं के कारण 5.1% की तीव्र गिरावट आ सकती है।

प्राकृतिक आपदाओं पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव: 

  • नदी में बाढ़: वर्ष 2070 तक, वार्षिक नदी बाढ़ से एशिया प्रशांत क्षेत्र में 1.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हो सकता है, जिससे 110 मिलियन से अधिक लोग प्रभावित होंगे।
    • भारत के अनुमानित नुकसान में 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की आवासीय क्षति और 700 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की वाणिज्यिक क्षति शामिल है।
  • तूफान और वर्षा: उष्णकटिबंधीय तूफानों तथा वर्षा की तीव्रता में वृद्धि से बाढ़ एवं भूस्खलन की स्थिति खराब होने की आशंका है, विशेषकर भारत-चीन सीमा जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में, जहाँ गंभीर गर्मी के कारण भूस्खलन में 30-70% की वृद्धि हो सकती है।
  • वनों और पारिस्थितिकी तंत्रों के लिये निहितार्थ: अनुमान है कि उच्च उत्सर्जन परिदृश्यों के तहत जलवायु परिवर्तन के कारण वर्ष 2070 तक एशिया प्रशांत क्षेत्र में वन उत्पादकता में 10-30% की कमी आएगी।
    • भारत को वियतनाम और दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ-साथ 25% से अधिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, जबकि चीन तथा मध्य एशिया जैसे क्षेत्रों में 5% से कम नुकसान हो सकता है।

सुधार के लिये आवश्यक कदम: 

  • नेट-ज़ीरो लक्ष्य और अंतराल: एशिया की 44 अर्थव्यवस्थाओं में से 36 ने नेट-ज़ीरो उत्सर्जन लक्ष्य निर्धारित किये हैं। हालाँकि केवल चार देशों ने इन लक्ष्यों को कानूनी रूप से सुनिश्चित किया है और अधिकांश के पास विस्तृत योजनाएँ नहीं हैं।
    • भारत तथा चीन ने वर्ष 2070 और 2060 तक के लक्ष्य निर्धारित किये हैं, जो आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD) की कई अर्थव्यवस्थाओं से पीछे है, जिनमें से 38 में से 32 ने नेट-जीरो लक्ष्य निर्धारित किये हैं और 23 कानूनी रूप से प्रतिबद्ध हैं तथा कई देशों ने वर्ष 2050 तक का लक्ष्य निर्धारित किया है।
    • अपनी जलवायु महत्त्वाकांक्षाओं को बढ़ाने के लिये, विकासशील एशिया को स्पष्ट नीतियों और बढ़े हुए वित्तपोषण समर्थन की आवश्यकता है, जिसमें ADB जैसी संस्थाएँ इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता करने के लिये तैयार हैं।
  • जलवायु वित्त: इस क्षेत्र को जलवायु अनुकूलन के लिये प्रतिवर्ष 102-431 बिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता है, जो वर्ष 2021 से 2022 तक के 34 बिलियन अमेरिकी डॉलर से काफी ज़्यादा है।
    • इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिये अधिक निजी निवेश और उन्नत नीतियों की आवश्यकता है। जलवायु जोखिमों की बेहतर पहचान तथा विनियामक सुधारों से निजी जलवायु निवेश को आकर्षित करने में सहायता मिल सकती है।
    • रिपोर्ट में अनुकूलन प्रतिक्रियाओं में तेज़ी लाने तथा अनुकूलन-केंद्रित जलवायु वित्त को बढ़ाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा: रिपोर्ट में इस क्षेत्र की नवीकरणीय ऊर्जा का लाभ उठाकर शुद्ध-शून्य संक्रमण की क्षमता को रेखांकित किया गया है।
    • घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय कार्बन बाज़ारों को अपनाना जलवायु कार्रवाई के लिये लागत प्रभावी साधन के रूप में रेखांकित किया गया है।

एशियाई विकास बैंक (ADB

  • ADB एक क्षेत्रीय विकास बैंक है जिसकी स्थापना वर्ष 1966 में बुनियादी अवसरंचना, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और जलवायु परिवर्तन से संबंधित परियोजनाओं के लिये ऋण, तकनीकी सहायता एवं अनुदान प्रदान करके एशिया में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और गरीबी को कम करने के लिये की गई थी। 
    • ADB के 69 शेयरधारक सदस्य हैं, जिनमें से 49 एशिया और प्रशांत क्षेत्र से हैं।  भारत ADB का संस्थापक सदस्य और बैंक का चौथा सबसे बड़ा शेयरधारक है तथा वर्ष 2010 से इसका सबसे बड़ा कर्ज़दार है।
  • यह अत्यधिक गरीबी उन्मूलन के अपने प्रयासों को जारी रखते हुए समृद्ध, समावेशी, लचीले और सतत् एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र को प्राप्त करने के लिये प्रतिबद्ध है। 
  • मुख्यालय: मनीला, फिलीपींस।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रश्न. सार्वभौम अवसंरचना सुविधा (ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर फैसिलिटी) (2017) 

(a) एशिया में अवसंरचना के उन्नयन के लिये ASEAN का उपक्रमण है, जो एशियाई विकास बैंक द्वारा दिये गए साख (क्रेडिट) से वित्तपोषित है।
(b) गैर-सरकारी क्षेत्रक और संस्थागत निवेशकों की पूंजी का संग्रहण करने के लिये विश्व बैंक का सहयोग है, जो जटिल अवसंरचना सरकारी-गैर-सरकारी भागीदारियों (PPP) की तैयारी तथा संरचना-निर्माण को सुकर बनाता है।
(c) OECD के साथ कार्य करने वाले विश्व के प्रमुख बैंकों का सहयोग है, जो उन अवसंरचना परियोजनाओं को विस्तारित करने पर केंद्रित है जिनमें गैर-सरकारी विनिवेश संग्रहीत करने की क्षमता है।
(d) UNCTAD द्वारा वित्तपोषित उपक्रमण है जो विश्व में अवसंरचना के विकास को वित्तपोषित करने और सुकर बनाने का प्रयास करता है।

उत्तर: (b)

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