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जैव विविधता और पर्यावरण

नेट-ज़ीरो लक्ष्य के लिये नीति आयोग पैनल

  • 06 Jul 2024
  • 14 min read

प्रिलिम्स के लिये:

पेरिस समझौता, जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन, COP26, COP 27, राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC), शुद्ध शून्य, राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन, जैव ईंधन, नीति आयोग

मेन्स के लिये:

2070 तक नेट-जीरो हासिल करने के लिये नीति आयोग की कार्य योजना, पेरिस जलवायु समझौता और इसके प्रभाव।

स्रोत: बिजनेस स्टैण्डर्ड 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नीति आयोग ने वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य (Net-Zero) अर्थव्यवस्था बनने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये नीतियों को तैयार करने और रोडमैप बनाने के लिये समर्पित बहु-क्षेत्रीय समितियों का गठन किया है।

  • भारत द्वारा वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य अर्थव्यवस्था बनने के अपने लक्ष्य की घोषणा के 3 वर्ष बाद यह शुरू किया गया है।

नीति आयोग द्वारा गठित कार्यसमूहों के प्रमुख क्षेत्र क्या हैं?

  • परिचय:
    • नीति आयोग ने 6 कार्य समूह बनाए हैं। ये समूह मैक्रोइकोनॉमिक संकेतक, जलवायु वित्त, महत्त्वपूर्ण खनिजों और ऊर्जा संक्रमण के सामाजिक पहलुओं जैसे मुख्य क्षेत्रों के लिये नीति प्रारूप, कार्य मॉडल विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
    • यह परिवहन, उद्योग, भवन, विद्युत एवं कृषि पर क्षेत्रीय समितियाँ भी बनाएगा।
  • 6 शुद्ध-शून्य कार्य समूह:
    • मैक्रोइकोनॉमिक संकेतक: यह मैक्रोइकोनॉमिक संकेतकों पर शुद्ध-शून्य मार्गों के निहितार्थों की जाँच करेगा और संरेखित मौद्रिक एवं राजकोषीय नीतियों का सुझाव देगा।
    • जलवायु वित्त: शमन और अनुकूलन के लिये भारत की जलवायु वित्त आवश्यकताओं का अनुमान लगाना और वित्त के संभावित स्रोतों की पहचान करना।
    • महत्त्वपूर्ण खनिज: महत्त्वपूर्ण खनिजों के लिये अनुसंधान एवं विकास, घरेलू विनिर्माण और आपूर्ति शृंखला का निर्माण करना।
    • ऊर्जा संक्रमण के सामाजिक पहलू: ऊर्जा संक्रमण के सामाजिक प्रभावों का आकलन करना और शमन रणनीतियों को प्रस्तावित करना।
    • नीतियों का समन्वयन: क्षेत्रीय समितियों की रिपोर्टों को एकत्रित करना और एक समेकित नीति पुस्तिका तैयार करना।
    • क्षेत्रीय समितियाँ: विद्युत, उद्योग, भवन, परिवहन एवं कृषि क्षेत्रों के लिये संक्रमण मार्ग तैयार करना।
  • अपेक्षित परिणाम:
    • सभी कार्य समूहों के लिये अपनी कार्ययोजनाएँ प्रस्तुत करने की समय-सीमा अक्तूबर, 2024 है। नीति आयोग की रिपोर्ट से यह अपेक्षा की जाती है कि यह सभी केंद्रीय मंत्रालयों के लिये जलवायु-लचीली और अनुकूली नीतियों का मसौदा तैयार करने के लिये एक नीति पुस्तिका (Policy Handbook) बनेगी, ताकि वर्ष 2070 तक भारत के शुद्ध-शून्य लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।

शुद्ध-शून्य लक्ष्य क्या है?

  • शुद्ध-शून्य से तात्पर्य उत्पादित कार्बन उत्सर्जन और वायुमंडल से निष्काषित कार्बन के बीच एक समग्र संतुलन हासिल करना है।
    • इसे कार्बन तटस्थता कहा जाता है, जिसका अर्थ यह नहीं है कि कोई देश अपने उत्सर्जन को शून्य पर ले आएगा।
    • इसके अतिरिक्त वनों जैसे अधिक कार्बन सिंक का निर्माण कर उत्सर्ज़न के अवशोषण को बढ़ाया जा सकता है।
      • वायुमंडल से गैसों को निष्काषित करने के लिये कार्बन कैप्चर और स्टोरेज जैसी भविष्य की तकनीकों की आवश्यकता है।
  • 70 से अधिक देशों ने वर्ष 2050 तक शुद्ध शून्य लक्ष्य प्राप्त करने की प्रतिबद्धता जताई है।

शुद्ध शून्य लक्ष्य हासिल करने के लिये भारत की पहल क्या हैं?

  • जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना: इसका उद्देश्य जनप्रतिनिधियों, विभिन्न सरकारी अभिकर्त्ताओं, वैज्ञानिकों, उद्योग और समुदायों के बीच जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न खतरे और इससे निपटने के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना है।
  • भारत ने कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज-26 (COP) ग्लासगो शिखर सम्मेलन में वर्ष 2070 तक अपने उत्सर्जन को शून्य तक कम करने की प्रतिबद्धता जताई है।
  • इसके लिये भारत ने 5-आयामी 'पंचमित्र' जलवायु कार्रवाई लक्ष्य की रूपरेखा तैयार की:
    • वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता तक पहुँच।
    • वर्ष 2030 तक अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का 50% नवीकरणीय ऊर्जा से आपूर्ति करना।
    • अभी से वर्ष 2030 तक कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में 1 बिलियन टन की कमी।
    • वर्ष 2005 के स्तर से वर्ष 2030 तक अर्थव्यवस्था की कार्बन उत्सर्जन तीव्रता में 45% की कमी।
    • वर्ष 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करना।

शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्त करने के लिये भारत द्वारा क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

  • कार्बन पृथक्करण को बढ़ाना: भारत अपने वन एवं वृक्ष आवरण का विस्तार करके, बंज़र भूमि को बहाल करके, कृषि वानिकी को बढ़ावा देकर और न्यून कार्बन वाली कृषि पद्धतियों को अपनाकर अपनी कार्बन पृथक्करण क्षमता को बढ़ा सकता है।
    • कार्बन पृथक्करण न केवल उत्सर्जन को कम कर सकता है, बल्कि जैवविविधता संरक्षण, मृदा उर्वरता में सुधार, जल सुरक्षा, आजीविका सहायता और आपदा जोखिम में कमी जैसे कई सह-लाभ भी प्रदान कर सकता है।
  • जलवायु अनुकूल बनाना: भारत अपनी आपदा प्रबंधन प्रणालियों को मज़बूत करके, प्रारंभिक चेतावनी और पूर्वानुमान क्षमताओं में सुधार कर सकता है साथ ही जलवायु-सह्य बुनियादी ढाँचे में निवेश करके, जलवायु-स्मार्ट कृषि, स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं में वृद्धि कर स्थानीय समुदायों एवं संस्थानों को सशक्त बनाकर जलवायु के अनुकूल बना सकता है।
  • भारत की हरित परिवहन क्रांति को आगे बढ़ाना: एक बेहतरीन चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर नेटवर्क स्थापित करके और EV अपनाने के लिये प्रोत्साहित कर इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
    • इलेक्ट्रिक बसों, साझा गतिशीलता सेवाओं और स्मार्ट ट्रैफिक प्रबंधन प्रणालियों जैसे अभिनव सार्वजनिक परिवहन समाधानों को पेश करके भीड़भाड़ और उत्सर्जन को कम किया जा सकता है।
  • जलवायु स्मार्ट कृषि: जैविक खेती, कृषि वानिकी और परिशुद्ध कृषि को बढ़ावा देकर सतत् कृषि की विधियों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
    • रिमोट सेंसिंग, IoT डिवाइस और AI-आधारित एनालिटिक्स जैसे प्रौद्योगिकी-संचालित समाधानों को एकीकृत करने से संसाधन उपयोग को अनुकूलित किया जा सकता है, जल की खपत को कम किया जा सकता है और फसल उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: भारत विकसित देशों के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौतों के माध्यम से उन्नत स्वच्छ प्रौद्योगिकियों को प्राप्त करके, अंतर्राष्ट्रीय जलवायु वित्त को सुरक्षित करके और अन्य विकासशील देशों के साथ सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करके अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का लाभ उठा सकता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

‘वर्ष 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने की भारत की प्रतिज्ञा’ पर चर्चा कीजिये। भारत की सतत् विकास प्राथमिकताओं के लिये इस प्रतिबद्धता के प्रमुख नीतिगत उपायों और निहितार्थों पर भी चर्चा कीजिये।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न

प्रिलिम्स 

प्रश्न. ‘अभीष्ट राष्ट्रीय निर्धारित अंशदान (Intended Nationally Determined Contributions)’ पद को कभी-कभी समाचारों में किस संदर्भ में देखा जाता है? (2016)

(a) युद्ध-प्रभावित मध्य-पूर्व के शरणार्थियों के पुनर्वास के लिये यूरोपीय देशों द्वारा दिये गए वचन
(b) जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिये विश्व के देशों द्वारा बनाई गई कार्य-योजना
(c) एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक) की स्थापना करने में सदस्य राष्ट्रों द्वारा किया गया पूंजी योगदान
(d)  धारणीय विकास लक्ष्यों के बारे में विश्व के देशों द्वारा बनाई गई कार्य-योजना

उत्तर: (b)


प्रश्न. जलवायु-अनुकूल कृषि (क्लाइमेट-स्मार्ट एग्रीकल्चर) के लिये भारत की तैयारी के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:  (2021)

  1. भारत में ‘जलवायु-स्मार्ट ग्राम (क्लाइमेट-स्मार्ट विलेज)’ दृष्टिकोण, अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान कार्यक्रम-जलवायु परिवर्तन, कृषि एवं खाद्य सुरक्षा (सी.सी.ए.एफ.एस.) द्वारा संचालित परियोजना का एक भाग है। 
  2. सी.सी.ए.एफ.एस. परियोजना, अंतर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान हेतु परामर्शदात्री समूह (सी.जी.आई.ए.आर.) के अधीन संचालित किया जाता है, जिसका मुख्यालय प्राँस में है। 
  3. भारत में स्थित अंतर्राष्ट्रीय अर्धशुष्क उष्णकटिबंधीय फसल अनुसंधान संस्थान (आई.सी.आर.आई.एस.ए.टी.), सी.जी.आई.ए.आर. के अनुसंधान केंद्रों में से एक है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

(a) केवल 1 और 2             
(b)  केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3  
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से भारत सरकार के 'हरित भारत मिशन' के उद्देश्यों को सर्वोत्तम रूप से वर्णित करता है/करते हैं? (2016)

  1. पर्यावरणीय लाभों और लागतों को केंद्र एवं राज्य के बजट में शामिल करते हुए, इसके द्वारा हरित लेखांकन (ग्रीन अकाउंटिंग) को अमल में लाना।
  2. कृषि उत्पाद के संवर्द्धन हेतु द्वितीय हरित क्रांति आरंभ करना जिससे भविष्य में सभी के लिये खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो।
  3. वन आच्छादन की पुनर्प्राप्ति और संवर्द्धन करना तथा अनुकूलन एवं शमन उपायों के संयोजन से जलवायु परिवर्तन का प्रत्युत्तर देना।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)


मेन्स

प्रश्न. संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन (यू.एन.एफ.सी.सी.सी.) के सी.ओ.पी. के 26वें सत्र के प्रमुख परिणामों का वर्णन कीजिए। इस सम्मेलन में भारत द्वारा की गई वचनबद्धताएँ क्या हैं ? (2021)

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