प्रारंभिक परीक्षा
वंदे भारत ट्रेन
- 07 Feb 2022
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वर्ष 2022-2023 के केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री ने अगले तीन वर्षों में 400 नई वंदे भारत ट्रेनों (Vande Bharat trains) के निर्माण का प्रस्ताव पेश किया है।
- 400 ट्रेनों के निर्माण में 50,000 करोड़ रुपए के निवेश की संभावना है, जबकि वर्ष 2018 की कीमत पर मौजूदा वंदे भारत पर प्रति ट्रेन 16 बोगी सेट के हिसाब से 106 करोड़ रुपए निवेश किये गए हैं।
- नई ट्रेन चलाने का प्रस्ताव वर्तमान में चल रही योजना के अतिरिक्त है ताकि वर्ष 2023 में स्वतंत्रता दिवस तक पूरे भारत में 75 वंदे भारत ट्रेनों का परिचालन संभव हो सके।
प्रमुख बिंदु
वंदे भारत ट्रेन:
- यह स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और निर्मित सेमी हाई स्पीड, स्व-चालित ट्रेन है जिसे गति और यात्री सुविधा के मामले में राजधानी ट्रेनों की शुरुआत के बाद भारतीय रेलवे के अगले कदम के रूप में देखा जाता है।
- प्रथम वंदे भारत ट्रेन का निर्माण इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF), चेन्नई द्वारा 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के हिस्से के रूप में लगभग 100 करोड़ रुपए की लागत से किया गया था।
- वंदे भारत अलग लोकोमोटिव द्वारा संचालित यात्री कोचों की पारंपरिक प्रणालियों की तुलना में ट्रेन सेट तकनीक (Train Set Technology) के अनुकूलन का भारत का पहला प्रयास था।
- हालाँकि ट्रेन सेट कॉन्फिगरेशन एक जटिल प्रक्रिया है लेकिन इसे बनाए रखना आसान है, यह कम ऊर्जा खपत के साथ ट्रेन संचालन में अधिक लचीली है।
- वर्तमान में दो वंदे भारत एक्सप्रेस संचालन में हैं- पहली, नई दिल्ली और वाराणसी के बीच और दूसरी, नई दिल्ली से कटरा के बीच।
- 400 नई ट्रेनों में ‘बेहतर दक्षता’ के लिये रेलवे इनमें से कई ट्रेनों को स्टील के बजाय एल्युमीनियम से बनाने पर विचार कर रहा है।
- वर्तमान वंदे भारत ट्रेन की तुलना में एल्युमीनियम बॉडी प्रत्येक ट्रेन सेट को लगभग 40-80 टन हल्का बना देगी यानी ऊर्जा की कम खपत के साथ-साथ बेहतर गति क्षमता प्राप्त होगी।
वंदे भारत ट्रेनों की विशेषताएँ:
- विकास के चरण के दौरान वंदे भारत ट्रेन बिना लोकोमोटिव के संचालित होती हैं जो एक प्रणोदन प्रणाली पर आधारित होती हैं, इसे डिस्ट्रिब्यूटेड ट्रैक्शन पावर टेक्नोलॉजी (Distributed Traction Power Technology) कहा जाता है, जिसके द्वारा ट्रेन सेट संचालित होता है।
- इसके डिब्बों में ऑन-बोर्ड वाईफाई , जीपीएस आधारित यात्री सूचना प्रणाली, सीसीटीवी, सभी डिब्बों में स्वचालित दरवाज़े, घूमने वाली कुर्सियाँ और विमान में बायो-वैक्यूम प्रकार के शौचालय सहित यात्री सुविधाएँ शामिल हैं।
- यह तेज़ त्वरण के कारण अधिकतम 160 किमी. प्रति घंटे की गति प्राप्त कर सकती है, जिससे यात्रा का समय 25% से 45% तक कम हो जाता है।
- इसमें बेहतर ऊर्जा दक्षता हेतु बिजली के साथ एक ब्रेकिंग सिस्टम भी है जिससे यह लागत, ऊर्जा और पर्यावरण के अनुकूल हो जाती है।
महत्त्व:
- तीन वर्षों में इन 400 ट्रेन सेट एवं उनके उपकरणों के निर्माण से 10,000-15,000 रोज़गारों का सृजन होगा।
- देश के ‘रोलिंग स्टॉक’ उद्योग में लगभग 50,000 करोड़ रुपए का निवेश घटक निर्माण, आपूर्ति आदि से संबंधित क्षेत्रों को प्रोत्साहन देगा।
- यह रेलवे की वित्त और परिचालन दक्षता में भी सुधार करेगा।
आगे की राह
- भारतीय रेलवे उन्नत अगली पीढ़ी की ट्रेनों के साथ यात्रा के नए अनुभव से युक्त युग की ओर बढ़ रहा है। ऐसे समय में जब कम लागत वाली एयरलाइंस और सुगम सड़क नेटवर्क कड़ी प्रतिस्पर्द्धा की पेशकश कर रहे हैं, नई ट्रेनें रेलवे यातायात बनाए रखने और यहाँ तक कि इसे बढ़ाने में मदद कर सकती हैं।
- इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना का समय पर क्रियान्वयन और विभिन्न वर्गों की यात्रा की मांग को ध्यान में रखते हुए वंदे भारत परियोजना की सफलता सुनिश्चित करने में काफी मदद मिलेगी।