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भारतीय अर्थव्यवस्था

एक महत्त्वपूर्ण खनिज के रूप में कोकिंग कोल

  • 25 Nov 2024
  • 17 min read

प्रिलिम्स के लिये:

नीति आयोग, कोकिंग कोल, महत्त्वपूर्ण खनिज, इस्पात उत्पादन, यूरोपीय संघ, लिथियम, रेयर अर्थ, अवसादी चट्टान, विशेष प्रयोजन वाहन, वाष्पशील यौगिक  

मेन्स के लिये:

भारत के लिये कोकिंग कोल और महत्त्वपूर्ण खनिजों का महत्त्व।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में नीति आयोग की रिपोर्ट, जिसका शीर्षक था 'कोकिंग कोल के आयात को कम करने के लिये घरेलू कोकिंग कोल की उपलब्धता बढ़ाना', में कोकिंग कोल को महत्त्वपूर्ण खनिजों की सूची में शामिल करने की वकालत की गई थी।

कोकिंग कोयले को महत्त्वपूर्ण खनिज क्यों घोषित किया जाना चाहिये?

  • महत्त्वपूर्ण खनिज मानदंडों को पूरा करना: कोकिंग कोयला भारत के लिये 'महत्त्वपूर्ण खनिज' घोषित करने के लिये सभी मानदंडों को पूरा करता है।
    • राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों के लिये महत्त्वपूर्ण खनिजों का आर्थिक महत्त्व है।
    • महत्त्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति का ज़ोखिम उच्च है, क्योंकि आयात पर निर्भरता बहुत अधिक है तथा विशेष देशों में महत्त्वपूर्ण कच्चे माल का संकेंद्रण भी बहुत अधिक है।
    • इन सामग्रियों के अद्वितीय और विश्वसनीय गुणों के कारण, वर्तमान तथा भविष्य के अनुप्रयोगों के लिये इनके (व्यवहार्य) विकल्पों का अभाव है।
  • इस्पात उत्पादन: कोकिंग कोयला इस्पात उत्पादन के लिये एक महत्त्वपूर्ण कच्चा माल है, जो इस्पात की लागत का लगभग 42% है, जो भारत में  बुनियादी ढाँचे के विकास और रोज़गार सृजन क्षेत्रों के लिये महत्त्वपूर्ण है।
    • किफायती कोकिंग कोयले की उपलब्धता अर्थव्यवस्था के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • उच्च आयात निर्भरता: भारत अपनी आवश्यकता का लगभग 85% कोकिंग कोयला आयात करता है, जो यूरोपीय संघ (EU) के 62% से बहुत अधिक है, जिससे इसके इस्पात उद्योग और आर्थिक स्थिरता के लिये खतरा पैदा हो रहा है।
    • कोकिंग कोयले के घरेलू उत्पादन से वित्त वर्ष 2023-24 में 58 मीट्रिक टन कोकिंग कोयले के आयात पर 1.5 लाख करोड़ रुपए की बचत हो सकती है।
  • विशाल घरेलू भंडार: भारत में कोकिंग कोयले के व्यापक प्रमाणित भंडार हैं- 16.5 बिलियन टन मध्यम गुणवत्ता वाला कोयला और 5.13 बिलियन टन उत्तम गुणवत्ता वाला कोयला। 
    • धातुकर्म प्रयोजनों के लिये इन भंडारों का उपयोग करने से ऊर्जा सुरक्षा बढ़ सकती है, आपूर्ति श्रृंखला संबंधी जोखिम कम हो सकते हैं तथा घरेलू इस्पात उत्पादन को समर्थन मिल सकता है।
  • इस्पात उद्योग की प्रतिस्पर्द्धात्मकता: वित्त वर्ष 2023-24 में एकीकृत इस्पात संयंत्रों (ISP) द्वारा 58 मीट्रिक टन कोकिंग कोयले का आयात किया गया, जिसकी लागत लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपए थी। 
    • कोकिंग कोयले को महत्त्वपूर्ण खनिज घोषित करने से घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलने के साथ इस्पात उत्पादन लागत कम हो सकती है तथा वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ सकती है।
  • पूर्ण क्षमता उपयोग: वित्त वर्ष 2022-23 में PSU वाशरीज़ का क्षमता उपयोग 32% से कम था जबकि वाश्ड (स्वच्छ) कोयले का उत्पादन केवल 35-36% था।
    • वाशरी उपकरणों में कुशल प्रौद्योगिकियों को अपनाने हेतु निवेश तथा सब्सिडी से उनकी दक्षता में सुधार होने के साथ लागत कम हो सकती है। 
  • वैश्विक प्रथाएँ: यूरोपीय संघ द्वारा कोकिंग कोयले को 29 अन्य कच्चे पदार्थों (जिसमें लिथियम, कोबाल्ट और दुर्लभ मृदा तत्त्व जैसे ' हरित ऊर्जा ' खनिज शामिल हैं) के साथ एक महत्त्वपूर्ण कच्चा पदार्थ घोषित किया गया है।
    • कोकिंग कोयले को इसी प्रकार वर्गीकृत करने का भारत का निर्णय वैश्विक प्रथाओं के अनुरूप होगा तथा इसे आर्थिक विकास के लिये एक प्रमुख संसाधन के रूप में प्राथमिकता मिलेगी। 
  • ऊर्जा सुरक्षा और स्थिरता: घरेलू कोकिंग कोल भंडार विकसित करने पर भारत के ध्यान से आयात पर निर्भरता कम होने के साथ ऊर्जा सुरक्षा मज़बूत हो सकती है साथ ही वर्ष 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को भी प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।

कोकिंग कोल और भारत

  • आयात पर उच्च निर्भरता: वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में भारत का कोकिंग कोल आयात 29.6 मिलियन टन (mt) तक पहुँच गया, जो छह साल का उच्चतम स्तर है।
    • विश्व स्तर पर भारत, कोकिंग कोयले का सबसे बड़ा आयातक है।
  • उच्च इस्पात उत्पादन: कोकिंग कोयले के आयात में वृद्धि भारत के इस्पात उत्पादन में वृद्धि के अनुरूप है।
    • विश्व स्तर पर भारत, चीन के बाद कच्चे इस्पात का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
  • शीर्ष आयातक देश: ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और रूस कोकिंग कोयले के संदर्भ में भारत के सबसे बड़े आपूर्तिकर्त्ता हैं।
  • आयात का रुझान: वित्त वर्ष 2024 की पहली छमाही और वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही के बीच रूस से आयात में 200% की उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। 
    • भारत के कोकिंग कोल आयात में ऑस्ट्रेलिया की हिस्सेदारी H1FY25 में घटकर 54% (16 मिलियन टन) हो गई, जो H1FY22 में 80% (21.7 मिलियन टन) थी।
  • विविधीकरण: मोजाम्बिक और इंडोनेशिया से सोर्सिंग में मामूली वृद्धि हुई है।

Coking_Coal_Import_by_India

कोकिंग कोल के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • कोकिंग कोयला (या धातुकर्म कोयला) भू-पर्पटी में पाया जाने वाला एक प्राकृतिक अवसादी चट्टान है।
    • इसमें हार्ड कोकिंग कोल, सेमी-हार्ड कोकिंग-कोल और सेमी-सॉफ्ट कोकिंग कोल सहित गुणवत्ता श्रेणी की एक विस्तृत शृंखला शामिल है। सभी का उपयोग स्टील निर्माण के लिये किया जाता है। 
    • कोकिंग कोयले में आमतौर पर थर्मल कोयले की तुलना में अधिक कार्बन, न्यून राख और न्यूनतम आर्द्रता होती है, जिसका उपयोग विद्युत उत्पादन के लिये किया जाता है।
  • कोक का निर्माण: कोकिंग कोयले को कोक भट्टियों में वायु की अनुपस्थिति में उष्ण किया जाता है जिससे कोक का निर्माण होता है, जो एक छिद्रयुक्त, कार्बन युक्त पदार्थ है। 
    • कोकिंग नामक इस प्रक्रिया में कोयले से वाष्पशील यौगिक निकाल दिये जाते हैं, जिससे कोक ब्लास्ट फर्नेस में उपयोग के लिये उपयुक्त हो जाता है। 
  • इस्पात विनिर्माण में भूमिका:
    • ईंधन: कोक उच्च तापमान (लगभग 1,000°C से 1,200°C) पर दहन से कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) उत्पन्न करता है, जिसका उपयोग लौह अयस्क (Fe2O3) को विगलित लोहे में परिवर्तन के लिये किया जाता है।
    • अपचायक कारक: कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) ब्लास्ट फर्नेस में लौह अयस्क के साथ अभिक्रिया करके आयरन ऑक्साइड (Fe2O3 ) को आयरन (Fe) में परिवर्तित कर देता है।
  • कोकिंग कोल उत्पादन: वर्ष 2022 में कोकिंग कोल के सबसे बड़े उत्पादक चीन (62%), ऑस्ट्रेलिया (15%), रूस (9%), यूएसए (5%) और कनाडा (3%) थे। 
  • सामरिक महत्त्व: निम्न-कार्बन संक्रमण से संबंधित सभी उद्योगों में  इस्पात को एक सामरिक सामग्री के रूप में उद्धृत किया जाता है।
    • एक टन इस्पात उत्पादन के लिये लगभग 780 किलोग्राम कोकिंग कोयले की आवश्यकता होती है।
  • कोक उत्पादन के उप-उत्पाद: टार, बेंज़ोल, अमोनिया सल्फेट, सल्फर और कोक ओवन गैस जैसे उप-उत्पादों का उपयोग रासायनिक विनिर्माण और ताप/विद्युत उत्पादन के लिये किया जाता है।

भारत के लिये महत्त्वपूर्ण खनिज कौन-से हैं?

  • वैश्विक परिदृश्य: महत्त्वपूर्ण खनिजों की सूची विभिन्न देशों में उनके उद्योगों और प्राथमिकताओं  के आधार पर भिन्न-भिन्न होती है।
    • उदाहरण के लिये, संयुक्त राज्य अमेरिका ने 50 महत्त्वपूर्ण खनिजों की पहचान की है, इसके अतिरिक्त जापान ने 34, यूनाइटेड किंगडम ने 18, यूरोपीय संघ ने 34 तथा कनाडा ने 31 खनिजों की पहचान की है।
  • भारतीय परिदृश्य: भारत ने कुल 30 खनिजों की पहचान की है जो भारत के लिये सबसे महत्त्वपूर्ण हैं, जहाँ भारत को निर्बाध आपूर्ति शृंखला सुनिश्चित करने के लिये अपने प्रयासों को प्राथमिकता देनी चाहिये।
    • सूची: पहचाने गए खनिजों में एंटीमनी, बेरिलियम, बिस्मथ, कोबाल्ट, ताँबा, गैलियम, जर्मेनियम, ग्रेफाइट, हाफ्नियम, इंडियम, लिथियम, मॉलिब्डेनम, नियोबियम, निकल, पीजीई, फॉस्फोरस, पोटाश, REE, रेनियम, सिलिकॉन, स्ट्रोंटियम, टैंटालम, टेल्यूरियम, टिन, टाइटेनियम, टंगस्टन, वैनेडियम, जिरकोनियम, सेलेनियम और कैडमियम शामिल हैं।
    • महत्त्वपूर्ण खनिजों वाले राज्य/केंद्र शासित प्रदेश: इन खनिजों वाले राज्य/केंद्र शासित प्रदेश बिहार, गुजरात, झारखंड, ओडिशा, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और जम्मू और कश्मीर हैं।

Critical_Minerals

  • भारत की आयात निर्भरता: भारत महत्त्वपूर्ण खनिजों के लिये आयात पर बहुत अधिक निर्भर है, लिथियम, कोबाल्ट और निकल जैसे खनिजों के लिये 100% आयात निर्भरता है।
    • यह निर्भरता जारी रहने की संभावना है, क्योंकि इन खनिजों की मांग वर्ष 2030 तक दोगुनी हो जाने की उम्मीद है।

India's_Import_Dependency_of_Key_Minerals_vs_Geopolitical_Risk

महत्त्वपूर्ण खनिजों को सुरक्षित करने के लिये भारत की क्या पहल हैं?

 निष्कर्ष

  • कोकिंग कोल को 'महत्त्वपूर्ण खनिज': नीति आयोग की सिफारिश के अनुसार, घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने, इस्पात क्षेत्र की प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाने तथा कुशल विनिर्माण रोज़गार सृजित करने के लिये कोकिंग कोयले को महत्त्वपूर्ण खनिज घोषित किया जाना चाहिये।
  • संपूर्ण सरकार का दृष्टिकोण: घरेलू धातुकर्म कोयले की कमी को दूर करने के लिये, नीति आयोग ने कई मंत्रालयों (कोयला, इस्पात, पर्यावरण और वन) को शामिल करते हुए 'संपूर्ण सरकार' दृष्टिकोण की सिफारिश की है।
  • निजी भागीदारी: कोयला क्षेत्र भंडारों के विकास के लिये सार्वजनिक-निजी भागीदारी (Public-Private Partnership- PPP) मोड में विशेष प्रयोजन वाहन (Special Purpose Vehicles- SPV) का गठन किया जाना चाहिये।
  • कोयला उत्पादन को अनुकूलित करना: धातुकर्म कोयले के उत्पादन के लिये खान योजनाकारों, भूवैज्ञानिकों, खनन इंजीनियरों और वाशरी संचालकों के बीच  सहयोगात्मक टीमवर्क की आवश्यकता होती है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: भारत के इस्पात उद्योग और अर्थव्यवस्था के लिये कोकिंग कोल के रणनीतिक महत्त्व पर चर्चा कीजिये। भारत कोकिंग कोल के आयात पर अपनी उच्च निर्भरता को कैसे संबोधित कर सकता है?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स 

प्रश्न. भारत में इस्पात उत्पादन उद्योग को निम्नलिखित में से किसके आयात की अपेक्षा होती है? (2015)

(a) शोरा 
(b) शैल फ़ॉस्फ़ेट (रॉक फ़ॉस्फ़ेट)
(c) कोककारी (कोकिंग) कोयला
(d) उपर्युक्त सभी

उत्तर: (c)  


प्रश्न: कोयले के बृहत् सुरक्षित भण्डार होते हुए भी भारत क्यों मिलियन टन कोयले का आयात करता है? (2012)

  1. भारत की यह नीति है कि वह अपने कोयले के भण्डार को भविष्य के लिए सुरक्षित रखे और वर्तमान उपयोग के लिए इसे अन्य देशों से आयात करें।
  2. भारत के अधिकतर विद्युत् संयंत्र कोयलें पर आधारित हैं और उन्हें देश से पर्याप्त मात्रा में कोयले की आंतरिक आपूर्ति नहीं हो पाती।
  3. इस्पाव कम्पनियों को बड़ी मात्रा में कोक कोयले की आवश्यकता पड़ती है, जिसे आयात करना पड़ता है।

उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3 
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


मेन्स

प्रश्न: गोंडवानालैंड के देशों में से एक होने के बावजूद भारत के खनन उद्योग अपने सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) में बहुत कम प्रतिशत में योगदान देते है। विवेचना कीजिये। (2021)

प्रश्न: “प्रतिकूल पर्यावरणीय पर प्रभाव के बावजूद, कोयला खनन विकास के लिये अभी भी अपरिहार्य है” विवेचना कीजिये। (2017)

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