अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस | 30 Jul 2021
प्रिलिम्स के लिये:सेंट पीटर्सबर्ग घोषणा, प्रोजेक्ट टाइगर 1973, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण,अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ मेन्स के लिये:भारत में बाघ संरक्षण परियोजनाएँ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस (29 जुलाई) के अवसर पर आयोजित आभासी बैठक में भारत के प्रधानमंत्री ने देश में बाघों के लिये सुरक्षित आवास सुनिश्चित करने और बाघों के अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र पोषित करने हेतु भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया।
- इस बैठक में भारत के 14 टाइगर रिज़र्व्स को ग्लोबल कंज़र्वेशन एश्योर्ड | टाइगर स्टैंडर्ड्स (CA|TS) की मान्यता दी गई।
प्रमुख बिंदु:
बाघ संरक्षण की स्थिति:
- भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची- I
- अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) रेड लिस्ट: लुप्तप्राय
- वन्यजीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES): परिशिष्ट- I।
बाघ संरक्षण का महत्त्व:
- बाघ संरक्षण वनों के संरक्षण का प्रतीक है।
- बाघ एक अनूठा जानवर है जो किसी स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र और उसकी विविधता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- यह एक खाद्य शृंखला में उच्च उपभोक्ता है जो खाद्य शृंखला में शीर्ष पर होता है और जंगली (मुख्य रूप से बड़े स्तनपायी) आबादी को नियंत्रण में रखता है।
- इस प्रकार बाघ शिकार द्वारा शाकाहारी जंतुओं और उस वनस्पति के मध्य संतुलन बनाए रखने में मदद करता है जिस पर वे भोजन के लिये निर्भर होते हैं।
- बाघ संरक्षण का उद्देश्य मात्र एक खूबसूरत जानवर को बचाना नहीं है।
- यह इस बात को सुनिश्चित करने में भी सहायक है कि हम अधिक समय तक जीवित रहें क्योंकि इस संरक्षण के परिणामस्वरूप हमें स्वच्छ हवा, पानी, परागण, तापमान विनियमन आदि जैसी पारिस्थितिक सेवाओं की प्राप्ति होती है।
- इसके अलावा बाघ संरक्षण के महत्त्व को “तेंदुओं, सह-परभक्षियों और शाकभक्षियों की स्थिति-2018” (Status of Leopards, Co-predators and Megaherbivores- 2018) रिपोर्ट द्वारा दर्शाया जा सकता है।
- यह वर्ष 2014 की तुलना में एक उल्लेखनीय वृद्धि है, जो कि देश के बाघों वाले 18 राज्यों के वनाच्छादित प्राकृतिक आवासों में 7,910 थी।
- यह रिपोर्ट इस बात का प्रमाण है कि बाघों के संरक्षण से पूरे पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण होता है।
भारत में बाघ संरक्षण परियोजनाएँ:
- प्रोजेक्ट टाइगर 1973: यह वर्ष 1973 में शुरू की गई पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) की एक केंद्र प्रायोजित योजना है। यह देश के राष्ट्रीय उद्यानों में बाघों को आश्रय प्रदान करता है।
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण: यह MoEFCC के अंतर्गत एक वैधानिक निकाय है और इसको वर्ष 2005 में टाइगर टास्क फोर्स की सिफारिशों के बाद स्थापित किया गया था।
भारत की बाघ संरक्षण स्थिति:
- भारत वैश्विक स्तर पर बाघों की 70% से अधिक आबादी का घर है।
- भारत के 18 राज्यों में कुल 51 बाघ अभयारण्य हैं और वर्ष 2018 की अंतिम बाघ गणना में इनकी आबादी में वृद्धि देखी गई।
- भारत ने बाघ संरक्षण पर सेंट पीटर्सबर्ग घोषणा (St. Petersburg Declaration) से चार वर्ष पहले बाघों की आबादी को दोगुना करने का लक्ष्य हासिल किया।
- भारत की बाघ संरक्षण रणनीति में स्थानीय समुदायों को भी शामिल किया गया है।
कंज़र्वेशन एश्योर्ड | टाइगर स्टैंडर्ड्स (CA|TS):
- CA|TS को टाइगर रेंज देशों (Tiger Range Countries- TRC) के वैश्विक गठबंधन द्वारा एक मान्यता उपकरण के रूप में स्वीकार किया गया है और इसे बाघ व संरक्षित क्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा विकसित किया गया है।
- वर्तमान में 13 टाइगर रेंज देश हैं - भारत, बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, लाओ PDR, मलेशिया, म्याँमार, नेपाल, रूस, थाईलैंड और वियतनाम।
- CA|TS विभिन्न मानदंडों का एक सेट है, जो बाघ से जुड़े स्थलों को इस बात को जाँचने का मौका देता है कि क्या उनके प्रबंधन से बाघों का सफल संरक्षण संभव होगा।
- इसे आधिकारिक तौर पर वर्ष 2013 में लॉन्च किया गया था।
- ग्लोबल टाइगर फोरम (GTF) बाघ संरक्षण पर काम करने वाला एक अंतर्राष्ट्रीय NGO है और वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड इंडिया भारत में CATS मूल्यांकन हेतु राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के दो कार्यान्वयन भागीदार हैं।
- 14 टाइगर रिज़र्व जिन्हें मान्यता दी गई है, वे हैं:
- असम में मानस, काजीरंगा और ओरांग टाइगर रिज़र्व,
- मध्य प्रदेश में सतपुड़ा, कान्हा और पन्ना टाइगर रिज़र्व,
- महाराष्ट्र में पेंच टाइगर रिज़र्व,
- बिहार में वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व,
- उत्तर प्रदेश में दुधवा टाइगर रिज़र्व,
- पश्चिम बंगाल में सुंदरबन टाइगर रिज़र्व,
- केरल में परम्बिकुलम टाइगर रिज़र्व,
- कर्नाटक का बांदीपुर टाइगर रिज़र्व,
- तमिलनाडु में मुदुमलाई और अनामलाई टाइगर रिज़र्व।