जैव विविधता और पर्यावरण
गिद्धों का संरक्षण
- 03 Jul 2021
- 6 min read
प्रिलिम्स के लिये:वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व, गिद्ध मेन्स के लिये:गिद्ध कार्ययोजना, 2020-25 |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व (Valmiki Tiger Reserve- VTR), बिहार में 150 गिद्ध देखे गए, जिसने वीटीआर के संरक्षित क्षेत्र में गिद्ध संरक्षण योजना को प्रेरित किया है।
प्रमुख बिंदु
गिद्ध के विषय में:
- यह मरा हुआ जानवर खाने वाले पक्षियों की 22 प्रजातियों में से एक है जो मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में रहते हैं।
- ये प्रकृति के कचरा संग्रहकर्त्ता के रूप में एक महत्त्वपूर्ण कार्य करते हैं और पर्यावरण से कचरा हटाकर उसे साफ रखने में मदद करते हैं।
- गिद्ध वन्यजीवों की बीमारियों को नियंत्रण में रखने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- भारत गिद्धों की 9 प्रजातियों यथा- ओरिएंटल व्हाइट बैकड (Oriental White Backed), लॉन्ग बिल्ड (Long Billed), स्लेंडर-बिल्ड (Slender Billed), हिमालयन (Himalayan), रेड हेडेड (Red Headed), मिस्र देशीय (Egyptian), बियरडेड (Bearded), सिनेरियस (Cinereous) और यूरेशियन ग्रिफॉन (Eurasian Griffon) का घर है।
- इन 9 प्रजातियों में से अधिकांश के विलुप्त होने का खतरा है।
- बियरडेड, लॉन्ग बिल्ड और ओरिएंटल व्हाइट बैकड वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (Wildlife Protection Act), 1972 की अनुसूची-1 में संरक्षित हैं। बाकी 'अनुसूची IV' के अंतर्गत संरक्षित हैं।
IUCN स्थिति :
खतरे :
- डाइक्लोफेनाक (Diclofenac) जैसे विषाक्त जो पशुओं के लिये दवा के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- मानवजनित गतिविधियों के कारण प्राकृतिक आवासों का नुकसान।
- भोजन की कमी और दूषित भोजन।
- बिजली लाइनों से करंट।
संरक्षण के प्रयास :
- हाल ही में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री ने देश में गिद्धों के संरक्षण के लिये एक 'गिद्ध कार्ययोजना 2020-25' (Vulture Action Plan 2020-25) शुरू की।
- यह डिक्लोफेनाक का न्यूनतम उपयोग सुनिश्चित करेगा और गिद्धों हेतु मवेशियों के शवों के प्रमुख भोजन की विषाक्तता को रोकेगा।
- ‘गिद्ध सुरक्षित क्षेत्र कार्यक्रम’ को देश के उन आठ अलग-अलग स्थानों पर लागू किया जा रहा है जहाँ गिद्धों की आबादी विद्यमान है। इनमें से दो स्थान उत्तर प्रदेश में हैं।
- उत्तर भारत में पिंजौर (हरियाणा), मध्य भारत में भोपाल, पूर्वोत्तर में गुवाहाटी और दक्षिण भारत में हैदराबाद जैसे विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों के लिये चार बचाव केंद्र प्रस्तावित हैं।
- MoEFCC ने अब रेड-हेडेड एवं इजिप्टियन गिद्धों दोनों के लिये प्रजनन कार्यक्रमों के साथ-साथ संरक्षण योजनाएँ भी शुरू की हैं।
- भारत में गिद्धों की मौत के कारणों पर अध्ययन करने के लिये वर्ष 2001 में हरियाणा के पिंजौर में एक गिद्ध देखभाल केंद्र (Vulture Care Centre-VCC) स्थापित किया गया।
- कुछ समय बाद वर्ष 2004 में गिद्ध देखभाल केंद्र को उन्नत (Upgrade) करते हुए भारत के पहले ‘गिद्ध संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र’ (VCBC) की स्थापना की गई।
- वर्तमान में भारत में नौ गिद्ध संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र हैं, जिनमें से तीन बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी (Bombay Natural History Society-BNHS) द्वारा प्रत्यक्ष रूप से प्रशासित किये जा रहे हैं।
वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व
अवस्थिति:
- बिहार के पश्चिमी चंपारण ज़िले में भारत-नेपाल सीमा पर स्थित है।
- यह भारत में हिमालयी तराई वनों की सबसे पूर्वी सीमा बनाती है।
- देश के गंगा के मैदानों के जैव-भौगोलिक क्षेत्र में स्थित जंगल में भाबर और तराई क्षेत्रों का संयोजन है।
अवस्थापना:
- इसकी स्थापना मार्च 1994 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत की गई थी।
जैव विविधता:
- राष्ट्रीय उद्यान के जंगल में पाए जाने वाले वन्यजीव बंगाल टाइगर, भारतीय गैंडा, काला भालू, ऊदबिलाव, भारतीय तेंदुआ, जंगली कुत्ता, भैंस और सूअर हैं।
- साथ ही यहाँ भारतीय उड़ने वाली लोमड़ियों को भी देखा जा सकता है।
- रिज़र्व में समृद्ध विविधता है। यहाँ पक्षियों की 250 से अधिक प्रजातियों की सूचना मिली है।
- ‘थारू' एक अनुसूचित जनजाति है जो वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान के परिदृश्य में प्रमुख समुदाय है।
बिहार में अन्य संरक्षित क्षेत्र:
- भीमबाँध अभयारण्य।
- राजगीर अभयारण्य।
- कैमूर अभयारण्य।
- कँवर झील पक्षी विहार।
- विक्रमशिला गंगेटिक डॉल्फिन।