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जैव विविधता और पर्यावरण

पेरियार एवं परम्बिकुलम टाइगर रिज़र्व

  • 28 Aug 2019
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रबंधन प्रभावशीलता मूल्यांकन (Management Effectiveness Evaluation- MEE) और बाघ स्थिति रिपोर्ट (Tiger Status Report), 2018 द्वारा पेरियार (Periyar) और परम्बिकुलम (Parambikulam) बाघ रिज़र्व के संबंध में कुछ सुझाव दिये गए हैं।

Tiger Populations

प्रमुख बिंदु

  • रिपोर्ट के अनुसार, इन टाइगर रिज़र्व की छिद्रित सीमा, अवैध अंतर-राज्यीय प्रवेश बिंदुओं और असुरक्षित वन क्षेत्रों के प्रबंधन में सुधार किये जाने की आवश्यकता है।
  • रिपोर्ट के अनुसार रिज़र्व के कोर में स्थित सबरीमाला मंदिर के लिये आयोजित तीर्थ यात्रा को सबसे बड़े जैविक कारक के रूप में पहचाना गया है जो इन रिज़र्व के संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। हालाँकि पर्यटन और अन्य गतिविधियों से उत्पन्न जैविक दबाव काफी कम हो गया है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, त्रावणकोर देवास्वम बोर्ड द्वारा सबरीमाला मास्टर प्लान का पालन न करने के कारण रिज़र्व की पारिस्थितिकी को खतरा उत्पन्न हुआ है।
  • रिज़र्व में स्थित घास के मैदानों और खेतों में आक्रामक प्रजाति लैंटाना कैमारा (Lantana camar) का प्रसार जैव-विविधता पर संकट उत्पन्न कर रहा है।
  • मन्नान (Mannan), पलियान (Paliyan), उराली (Urali), मालमपंदरम (Malampandaram) और मलायन (Malayan) समुदायों के आदिवासी अपनी आजीविका के लिये पेरियार एवं परम्बिकुलम टाइगर रिज़र्व पर निर्भर करते हैं। रिपोर्ट में उनके प्राकृतिक-सांस्कृतिक जुड़ाव को जंगल के साथ बरकरार रखते हुये उन्हें वैकल्पिक आजीविका के प्रावधान हेतु सुझाव दिया गया है।
  • MEE ने रिज़र्व के कोर क्षेत्र में स्थित निजी संपत्ति पर चिंता व्यक्त की है। हालाँकि इस क्षेत्र की 67.52 हेक्टेयर भूमि को हाल ही में पारिस्थितिकीय संवेदनशील भूमि (Ecological Fragile Land) के रूप में अधिसूचित किया गया है।

राज्य सरकार द्वारा किये गये उपाय

  • राज्य सरकार द्वारा निजी संपत्ति को अधिग्रहण करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है।
  • आक्रामक प्रजातियों के प्रसार की इस समस्या के समाधान के लिये एक आक्रामक और विदेशी प्रजाति निगरानी सेल का गठन किया गया है। इन प्रजातियों की पहचान और प्रबंधन संबंधी योजना तैयार करने के लिये अध्ययन किये जा रहे हैं।

स्रोत: द हिंदू

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