प्रारंभिक परीक्षा
डॉ. के. कस्तूरीरंगन का योगदान
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व अध्यक्ष (1994-2003) डॉ. के. कस्तूरीरंगन का बंगलूरू में निधन हो गया।
डॉ. के. कस्तूरीरंगन का योगदान क्या था?
- ISRO में नेतृत्व: उन्होंने भारत के पहले चंद्र मिशन चंद्रयान-1 (2008) के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे भारत में अंतरिक्ष अन्वेषण की शुरुआत हुई।
- उनके नेतृत्व में भारतीय सुदूर संवेदन (IRS) शृंखला, भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह (INSAT) जैसे प्रमुख उपग्रहों के सफल संचालन और PSLV तथा GSLV का सफल प्रक्षेपण किया गया।
- वह भारत के पहले दो प्रायोगिक पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों, भास्कर-I और II के परियोजना निदेशक थे।
- रिमोट सेंसिंग और राष्ट्रीय विकास में भूमिका: उन्होंने राष्ट्रीय प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन प्रणाली (NNRMS) में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई , जिससे कृषि, जल प्रबंधन, वानिकी और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों के लिये उपग्रह-आधारित सेवाएँ सक्षम हुईं।
- अंतरिक्ष अनुप्रयोगों में अग्रणी: उन्होंने EDUSAT (दूरस्थ-शिक्षा के लिये), INSAT/GSAT (सुदूर-चिकित्सा और संचार के लिये), OCEANSAT (समुद्र विज्ञान के लिये) और CARTOSAT (मानचित्रकला के लिये) जैसे विषयगत अंतरिक्ष मिशनों की शुरुआत की, जिसका भारत के सामाजिक और आर्थिक विकास पर सीधा प्रभाव पड़ा।
- विज्ञान से परे नीतिगत योगदान: ISRO में अपने कार्यकाल के बाद, उन्होंने राज्यसभा सदस्य और बाद में योजना आयोग (अब नीति आयोग ) के सदस्य के रूप में कार्य किया।
- उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 का मसौदा तैयार करने वाली समिति की अध्यक्षता की।
- उन्होंने पश्चिमी घाट पारिस्थितिकी रिपोर्ट की समीक्षा के लिये उत्तरदायी समिति की अध्यक्षता की।
- उन्होंने सिफारिश की कि संपूर्ण पश्चिमी घाट के बजाय इसके केवल 37% क्षेत्र को ही पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र (ESA) के अंतर्गत लाया जाए।
- मान्यता और पुरस्कार: उनके योगदान के लिये उन्हें पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले तथा अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उनके कार्य के लिये अंतर्राष्ट्रीय मान्यता भी मिली।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. भारत के उपग्रह प्रक्षेपण यान के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) |
प्रारंभिक परीक्षा
विस्तारित महाद्वीपीय शेल्फ पर भारत का दावा
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
भारत ने मध्य अरब सागर में अपने विस्तारित महाद्वीपीय शेल्फ में लगभग 10,000 वर्ग किलोमीटर का विस्तार किये जाने हेतु संयुक्त राष्ट्र महाद्वीपीय शेल्फ सीमा आयोग (CLCS) के समक्ष एक संशोधित दावा प्रस्तुत किया है, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान के साथ जारी समुद्री विवाद से बचते हुए मूल्यवान समुद्री संसाधनों का संरक्षण करना है।
विस्तारित महाद्वीपीय शेल्फ क्या है?
- विस्तारित महाद्वीपीय जलमग्न सीमा/शेल्फ (ECS): UNCLOS के अंतर्गत महाद्वीपीय शेल्फ में तटीय देश के प्रादेशिक समुद्र से परे ऐसे विस्तारित पनडुब्बी क्षेत्रों का समुद्र तल और अवमृदा शामिल है, जो या तो महाद्वीपीय सीमांकन के प्राकृतिक किनारे तक अथवा इसके आधार रेखाओं से 200 समुद्री मील तक, जो भी अधिक दूर हो, होता है।
- विस्तारित महाद्वीपीय शेल्फ से तात्पर्य उस समुद्री क्षेत्र से है जो अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) की 200 समुद्री मील की सीमा से आगे विस्तारित होता है और किसी देश के महाद्वीपीय शेल्फ का विस्तार होता है।
- अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ): भारत सहित तटीय राष्ट्र, अपनी तटरेखा से 200 समुद्री मील तक विस्तारित अनन्य आर्थिक क्षेत्र के हकदार हैं।
- इससे उन्हें मत्स्यन और समुद्र तल पर खनन सहित संसाधन निष्कर्षण के लिये विशेष अधिकार प्राप्त हो जाते हैं।
- संयुक्त राष्ट्र CLCS संयुक्त राष्ट्र समुद्र कानून अभिसमय (UNCLOS) के कार्यान्वयन को सुगम बनाता है।
विस्तारित महाद्वीपीय शेल्फ के संदर्भ में भारत का वर्तमान दावा क्या है?
- प्रारंभिक प्रस्तुति (2009): इस वर्ष भारत ने संयुक्त राष्ट्र CLCS में अपना ECS दावा प्रस्तुत किया, जिसमें बंगाल की खाड़ी, हिंद महासागर और अरब सागर के निश्चित भाग शामिल थे, तथा अपने EEZ से परे समुद्र तल पर अधिकार की मांग की गई थी।
- आपत्तियाँ और समीक्षा: वर्ष 2021 में, पाकिस्तान ने विवादित सर क्रीक क्षेत्र के पास 100 समुद्री मील के ओवरलैप का हवाला देते हुए पश्चिमी अरब सागर में भारत के दावे पर आपत्ति जताई।
- वर्ष 2023 में, CLCS ने अरब सागर में भारत के दावे को खारिज़ कर दिया, लेकिन संशोधनों के साथ पुनः प्रस्तुत करने की अनुमति दी।
- संशोधित प्रस्तुतीकरण (वर्ष 2025): भारत ने पश्चिमी अरब सागर प्रस्तुतीकरण को दो भागों में विभाजित करके अपने दावे को संशोधित किया, विवादित क्षेत्र को छोड़ दिया और मध्य अरब सागर में लगभग 10,000 वर्ग किमी को जोड़ दिया।
- इस रणनीतिक कदम का उद्देश्य खनिजों, पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स और तेल भंडारों से समृद्ध समुद्री क्षेत्रों को सुरक्षित करना है, जो भारत के आर्थिक हितों के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
- वर्तमान स्थिति: भारत के संशोधित प्रस्तुतीकरण की 64वें CLCS सत्र (अगस्त 2025) में समीक्षा की जाएगी, जिसमें UNCLOS के अनुच्छेद 76 के तहत सिफारिशें की जाएंगी।
- UNCLOS का अनुच्छेद 76 महाद्वीपीय शेल्फ को परिभाषित करता है और इसकी बाहरी सीमाओं के निर्धारण के लिये नियम स्थापित करता है।
नोट: अरब सागर में भारत का महाद्वीपीय शेल्फ का दावा ओमान के साथ ओवरलैप है, लेकिन दोनों देशों के बीच वर्ष 2010 से एक समझौता है जिसमें कहा गया है कि सीमांकित न होने के बावजूद यह क्षेत्र "विवाद के अधीन नहीं" है।
- भारत ने बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर में 300,000 वर्ग किमी क्षेत्र पर अपना दावा किया है, हालाँकि म्याँमार और श्रीलंका इसका विरोध करते हैं।
भारत के लिये विस्तारित महाद्वीपीय शेल्फ का क्या महत्त्व है?
- सामरिक नियंत्रण और समुद्री संप्रभुता: भारत का समुद्र तल और उप-समुद्र तल क्षेत्र, इसके विस्तारित महाद्वीपीय शेल्फ दावों से 1.2 मिलियन वर्ग किमी के जुड़ने के साथ, लगभग इसके 3.274 मिलियन वर्ग किमी भूमि क्षेत्र के बराबर हो जाएगा, जिससे इसकी समुद्री संप्रभुता मज़बूत होगी और इसकी सामरिक स्वायत्तता बढ़ेगी।
- ECS अधिकारों का दावा करके भारत हिंद महासागर में अपना प्रभाव बढ़ाता है, तथा समुद्री कूटनीति और संसाधन प्रबंधन पर क्षेत्रीय सहयोग में बड़ी भूमिका निभाता है।
- आर्थिक विकास और नीली अर्थव्यवस्था: ECS मत्स्य पालन, अपतटीय ऊर्जा और समुद्री जैव प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों की संभावनाओं को खोलता है, जो भारत की नीली अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान देता है।
- वैज्ञानिक एवं पर्यावरणीय प्रबंधन: भारत का दावा समुद्र विज्ञान संबंधी अनुसंधान को बढ़ावा देने के साथ वैश्विक पर्यावरणीय मानदंडों के अनुरूप समुद्री संसाधनों के धारणीय प्रबंधन को सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।
सर क्रीक
- यह कच्छ के रण में दलदली भूमि में स्थित 96 किलोमीटर लंबी जल स्ट्रिप है जो भारत और पाकिस्तान के बीच विवादित है।
- सर क्रीक भारत के कच्छ क्षेत्र और पाकिस्तान के सिंध प्रांत को अलग करती है तथा अरब सागर से जुड़ती है।
- सर क्रीक क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सीमा और भारत एवं पाकिस्तान के बीच अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (IMBL) का सीमांकन नहीं किया गया है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष प्रश्नप्रश्न. 'क्षेत्रीय सहयोग के लिये इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन फॉर रीजनल को-ऑपरेशन (IOR_ARC)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2015)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) व्याख्या:
अतः विकल्प (b) सही है। मेन्सप्रश्न. विश्व में संसाधन संकट से निपटने के लिये महासागरों के विभिन्न संसाधनों, जिनका उपयोग किया जा सकता है, का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। (2014) |
प्रारंभिक परीक्षा
UDAN योजना
स्रोत: पी.आई.बी.
UDAN (उड़े देश का आम नागरिक) योजना के हाल ही में 8 वर्ष पूर्ण हुए, जिसमें आम जनता के लिये वायु यात्रा को अधिक सुलभ और वहन योग्य बनाने में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया।
UDAN योजना क्या है?
- परिचय:
- UDAN का उद्देश्य देश के दूरवर्ती क्षेत्रों तक वायु कनेक्टिविटी सुनिश्चित करते हुए विमानन का अधिक से अधिक विस्तार करना और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ाना है।
- यह योजना राष्ट्रीय नागरिक विमानन नीति (NCAP) 2016 के तहत तैयार की गई थी जिसका उद्देश्य बाज़ार संचालित तथा वित्तीय रूप से समर्थित मॉडल के माध्यम से टियर-2 और टियर-3 शहरों को जोड़ना था।
- भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) इसके कार्यान्वयन के लिये ज़िम्मेदार नोडल एजेंसी है।
उद्देश्य और महत्त्व:
- UDAN योजना की मुख्य विशेषताएँ:
- व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण (VGF) : किफायती किराया सुनिश्चित करने के लिये एयरलाइनों को वित्तीय सहायता।
- योजना के अंतर्गत व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये क्षेत्रीय संपर्क निधि (RCF) का प्रावधान किया गया है।
- व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण (VGF) : किफायती किराया सुनिश्चित करने के लिये एयरलाइनों को वित्तीय सहायता।
- वहनीयता सुनिश्चित करने के लिये हवाई किराये की सीमा निर्धारित की गई है।
- क्षेत्रीय मार्गों पर परिचालन को व्यवहार्य बनाने के लिये विमानन टर्बाइन ईंधन (ATF) पर करों में कमी के साथ एयरलाइनों को अन्य रियायतें दी गई हैं।
- केंद्र, राज्य, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) और निजी हवाईअड्डा संचालकों के बीच सहयोगात्मक शासन पर ध्यान दिया गया है।
- UDAN योजना का विकास:
- महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ:
- 625 मार्ग संचालित किये गए, जिनके द्वारा पूरे भारत में 90 हवाई अड्डों (15 हेलीपोर्ट और 2 जल एयरोड्रोम सहित) को जोड़ा गया है।
- सस्ती क्षेत्रीय हवाई यात्रा से 1.49 करोड़ से अधिक यात्री लाभान्वित हुए हैं।
- हवाई अड्डे का नेटवर्क 74 (2014) से बढ़कर 159 (2024) हो गया है।
- UDAN के अंतर्गत प्रमुख नवाचार:
- UDAN यात्री कैफे: कोलकाता और चेन्नई हवाई अड्डों पर किफायती यात्री कैफे शुरू किये गए हैं, जो किफायती कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध कराते हैं।
- सीप्लेन परिचालन: देश भर में 50 से अधिक चिन्हित जल निकायों से निविदा आमंत्रित करने के लिये UDAN राउंड 5.5 शुरू किया गया है।
- कृषि UDAN योजना: किसानों को समर्थन देने और कृषि उपज के लिये मूल्य प्राप्ति में सुधार करने के लिये डिज़ाइन की गई कृषि UDAN, विशेष रूप से पूर्वोत्तर, पर्वतीय और जनजातीय क्षेत्रों से समय पर और लागत प्रभावी हवाई रसद की सुविधा प्रदान करती है।
- कोविड-19 महामारी के दौरान दूरदराज़ के क्षेत्रों में आवश्यक चिकित्सा सामान पहुँचाने के लिये लाइफलाइन UDAN शुरू की गई थी।
नोट: केंद्रीय बजट 2025-26 में क्षेत्रीय संपर्क को और बढ़ाने के उद्देश्य से 'संशोधित UDAN योजना' शुरू की गई है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नमेन्सप्रश्न. सार्वजनिक-निज़ी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत संयुक्त उद्यमों के माध्यम से भारत में हवाई अड्डों के विकास की जाँच कीजिये। इस संबंध में अधिकारियों के सामने क्या चुनौतियाँ हैं? (2017) |
रैपिड फायर
राष्ट्रीय शून्य खसरा-रूबेला उन्मूलन अभियान
स्रोत: पी.आई.बी.
सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) के अंतर्गत विश्व टीकाकरण सप्ताह (24-30 अप्रैल) के दौरान राष्ट्रीय शून्य खसरा-रूबेला उन्मूलन अभियान (2025-26) शुरू किया गया है।
- इसका लक्ष्य 100% टीकाकरण कवरेज के माध्यम से वर्ष 2026 तक भारत में खसरा और रूबेला (M-R) को खत्म करना है।
M-R उन्मूलन की दिशा में प्रगति
- टीकाकरण कवरेज में वृद्धि और रोग में कमी: वर्ष 2024-25 के अनुसार, UIP के तहत प्रदान की गई M-R वैक्सीन की दो खुराक के संदर्भ में भारत का M-R टीकाकरण कवरेज 90% से अधिक है।
- वर्ष 2024 में, वर्ष 2023 की तुलना में खसरे के मामलों में 73% और रूबेला के मामलों में 17% की कमी आई है।
- लक्ष्य और रणनीति: भारत का लक्ष्य वर्ष 2026 तक खसरा और रूबेला को खत्म करना है जिसमें 95% से अधिक कवरेज प्राप्त करने, निगरानी को मज़बूत करने, त्वरित प्रकोप प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने तथा जागरूकता अभियानों के माध्यम से टीकाकरण में निष्क्रियता को दूर करने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
- अंतर्राष्ट्रीय मान्यता: भारत को रोग उन्मूलन में अग्रणी प्रयासों के लिये M-R पार्टनरशिप से M-R चैंपियन पुरस्कार (वर्ष 2024) प्राप्त हुआ है।
खसरा और रूबेला
- M-R संक्रामक वायरल रोग है जिससे मुख्य रूप से बच्चे प्रभावित होते हैं। मोरबिलिवायरस (RNA वायरस) के कारण होने वाला खसरा अत्यधिक संक्रामक है और इससे मृत्यु सहित गंभीर जटिलताएँ हो सकती हैं।
- रूबेला वायरस के कारण होने वाला रूबेला रोग सामान्य होता है लेकिन गर्भावस्था के दौरान यह गंभीर जोखिम पैदा करता है जिससे जन्मजात रूबेला सिंड्रोम (CRS) होने की संभावना होती है जिसके साथ सुनने की शक्ति में कमी आने के साथ हृदय संबंधी असामान्यताएँ जैसे जन्म दोष भी हो सकते हैं।
- दोनों बीमारियों से शरीर पर लाल चकत्ते हो जाते हैं और M-R वैक्सीन के माध्यम से इनकी रोकथाम की जा सकती है।
और पढ़ें: खसरा और रूबेला
रैपिड फायर
मैकग्रेगर मेमोरियल मेडल
स्रोत: द हिंदू
पाँच सैन्य कर्मियों को वर्ष 2023 और वर्ष 2024 के लिये सैन्य टोह, अन्वेषण और साहसिक कार्य में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिये चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ द्वारा मैकग्रेगर मेमोरियल मेडल से सम्मानित किया गया।
- इतिहास: यह पुरस्कार वर्ष 1870 में यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया (USI) के संस्थापक मेजर जनरल सर चार्ल्स मेटकाफ मैकग्रेगर के सम्मान में 3 जुलाई 1888 को संस्थापित किया गया था।
- USI नई दिल्ली में स्थित एक राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा सेवा प्रबुद्ध मंडल है।
- परिचय: प्रारंभ में यह मेडल सैन्य टोह/आवीक्षण और अन्वेषण के लिये प्रदान किया जाता था जिसके दायरे में वर्ष 1947 के बाद विस्तार किया गया और इसमें पर्वतारोहण, नौकायन और अल्ट्रा-रनिंग जैसी साहसिक गतिविधियाँ भी शामिल कर दी गईं।
- यह मेडल भारतीय सेना, नौसेना, वायु सेना, प्रादेशिक सेना, रिज़र्व बल, राष्ट्रीय राइफल्स और असम राइफल्स के सभी रैंक के कर्मियों को प्रदान किया जा सकता है।
- चार्ल्स मेटकाफ: यह ब्रिटिश अधिकारी और खोजकर्त्ता अथवा गवेक्षक थे। उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों का सर्वेक्षण और मानचित्रण करके, आसूचना एकत्र करके और हिमालय के दुर्गम क्षेत्रों के बारे में ब्रिटिश ज्ञान का वर्द्धन कर एंग्लो-भूटान युद्ध (1864-1865) में योगदान दिया।
रैपिड फायर
सिमलीपाल राष्ट्रीय उद्यान
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
ओडिशा सरकार ने हाल ही में सिमलीपाल टाइगर रिज़र्व को राज्य का दूसरा राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया है, जिससे यह भारत का 107वाँ राष्ट्रीय उद्यान बन गया है।
- महत्त्व: अब इसके अधिसूचित क्षेत्र (845.70 वर्ग किमी) में किसी भी मानवीय गतिविधि की अनुमति नहीं होगी।
- शेष 2,750 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र वन्यजीव अभयारण्य होगा (सीमित मानवीय गतिविधियों की अनुमति)।
- ग्रेटर सिमलीपाल लैंडस्केप कार्यक्रम का उद्देश्य नव-नामित राष्ट्रीय उद्यान और इसके निकटवर्ती पारिस्थितिक गलियारों को संरक्षित करना है।
परिचय:
- ओडिशा के मयूरभंज ज़िले में स्थित सिमलीपाल, वन्य मेलेनिस्टिक बाघों का विश्व का एकमात्र उद्यान है, जिसमें 40 रॉयल बंगाल टाइगर, ओडिशा के 25% हाथी और 104 आर्किड प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से अनेक इस क्षेत्र के लिये स्थानिक हैं।
- यह दक्कन प्रायद्वीपीय जैवभौगोलिक क्षेत्र, छोटानागपुर प्रांत और महानदी क्षेत्र के अंतर्गत आता है।
- यह अपने मनमोहक जलप्रपातों के लिये जाना जाता है, जिनमें बरेहीपानी और जोरंडा शामिल हैं।
- यह उद्यान ऊँचे पठारों और पहाड़ियों से घिरा हुआ है, इसकी सबसे ऊँची चोटी खैरीबुरू और मेघाशिनी की जुड़वाँ चोटियाँ हैं।
- सिमिलिपाल के वन साल वृक्षों, नम पर्णपाती और अर्द्ध-सदाबहार वृक्षों का मिश्रण हैं, जो वनस्पतियों, जीव-जंतुओं और वन-निर्भर समुदायों के लिये एक जटिल और समृद्ध आवास का निर्माण करते हैं।
- यहाँ पाई जाने वाली प्रमुख खुरधारी (Ungulate) प्रजातियाँ हैं: सांभर (Rusa unicolor), चीतल (Axis axis ), बार्किंग डियर (Muntiacus vaginalis), गौर (Bos gaurus) और माउस हिरण (Moschiola indica)।
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