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भारतीय समाज

कोविड-19 महामारी का प्रभाव

  • 28 Dec 2024
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

कोविड-19, GDP विकास दर, सार्वजनिक ऋण, नेट-ज़ीरो प्रतिबद्धताएँ, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना,  गिग वर्क, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, SARS-CoV-2 वायरस, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)।

मेन्स के लिये:

भारत और विश्व में महामारी के बाद की रिकवरी, आर्थिक व्यवधान, संरक्षणवाद, लोकतंत्र, वैश्विक आपूर्ति शृंखला।

स्रोत: लाइव मिंट

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व में कोविड-19 महामारी को पाँच साल बीत चुके हैं, जिससे लाखों लोगों की मृत्यु, अभूतपूर्व आर्थिक व्यवधान और महत्त्वपूर्ण सामाजिक चुनौतियाँ उत्पन्न हुई थी।

  • यद्यपि यह तीव्र संकट लगभग समाप्त हो चुका है, फिर भी अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं, कानूनों और समाज पर इसके दुष्परिणाम अभी भी विश्व की दिशा पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डाल रहे हैं।

कोविड-19 महामारी ने विश्व को कैसे बदल दिया?

  • आर्थिक प्रभाव:
    • GDP अंतराल:
      • भारत ने वर्ष 2020-21 के दौरान अपनी GDP वृद्धि दर में तीव्र गिरावट दर्ज की गई, जो कि लॉकडाउन के कारण -5.8% तक गिर गई, जो कोविड-पूर्व औसत 6.6% थी।
      • महामारी के बाद की रिकवरी मज़बूत रही, जिसके बाद के तीन वर्षों (2021 से 2023) में वृद्धि दर 9.7%, 7% और 8.2% रही, लेकिन अर्थव्यवस्था महामारी-पूर्व की स्थिति से कई वर्ष पीछे है।
      • यद्यपि अर्थव्यवस्था महामारी से अच्छी तरह उबर गई है, और उसके बाद के तीन वर्षों (2021-2023) में 9.7%, 7% और 8.2% की दर से वृद्धि हुई है, फिर भी अर्थव्यवस्था अभी भी महामारी-पूर्व की गति से कई साल पीछे है।
      • वर्ष 2020 में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 3.1% की गिरावट आई है, और वर्ष 2023 वैश्विक आर्थिक संभावना रिपोर्ट आधार वर्ष 2020 के पूर्वानुमान से लगभग 4.7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की कमी का संकेत प्रदर्शित करती है।
      • अमेरिका और चीन सहित बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को भी इसी प्रकार के उत्पादन अंतराल का सामना करना पड़ा, जो व्यापार तनाव और बाह्य चुनौतियों के कारण और भी बदतर हो गया।
    • ऋण की स्थिति:
      • महामारी के दौरान विश्व की सरकारों ने बहुत अधिक कर्ज लिया, जिसके कारण वर्ष 2020 में सार्वजनिक ऋण में 20 वर्षों की सबसे बड़ी वृद्धि हुई।
      • सार्वजनिक ऋण कोविड-पूर्व स्तर से उच्च बना हुआ है तथा नेट-शून्य प्रतिबद्धताओं, यूरोप के रक्षा बजट में वृद्धि एवं बढ़ते संरक्षणवाद के कारण खर्च में वृद्धि होने का अनुमान है।
      • उच्च ऋण बोझ से राजकोषीय अनुकूलन बाधित होता है, जिससे स्वास्थ्य, शिक्षा एवं बुनियादी ढाँचे जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को कम संसाधन मिलते हैं।
  • औद्योगिक नीतियाँ:
    • महामारी से वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं की कमज़ोरियों पर प्रकाश (विशेष रूप से सेमीकंडक्टर और फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्र में इनपुट हेतु चीन पर अत्यधिक निर्भरता का होना) पड़ा है।
    • विश्व स्तर पर सरकारों ने नई औद्योगिक नीतियाँ शुरू की हैं, जिनमें अमेरिकी चिप्स अधिनियम, भारत की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना एवं मेड इन चाइना 2025 शामिल हैं, जिनका उद्देश्य आत्मनिर्भरता बढ़ाना है।
    • वर्ष 2019 से 2024 के बीच, भू-राजनीतिक चिंताओं एवं आपूर्ति शृंखला संबंधी अनुकूलन को मज़बूत करने के प्रयासों से प्रेरित होकर, वैश्विक स्तर पर राज्य हस्तक्षेप में तीन गुना वृद्धि हुई है।
  • सामाजिक एवं राजनीतिक गतिशीलता:
    • विश्वास में कमी आना:
      • एडेलमैन ट्रस्ट बैरोमीटर द्वारा सरकारों, व्यवसायों एवं मीडिया जैसी संस्थाओं के बीच वैश्विक विश्वास को मापा जाता है। महामारी के बाद इस विश्वास में तीव्र गिरावट देखी गई है, जिससे शासन एवं नेतृत्व के प्रति जनता के असंतोष पर प्रकाश पड़ता है।
      • वर्ष 2023 में 24 देशों में किये गये प्यू सर्वेक्षण (Pew Survey) से पता चलता है कि 74% लोग निर्वाचित पदाधिकारियों से अलग महसूस करते हैं और 59% लोग लोकतंत्र से असंतुष्ट हैं।
      • सत्ता-विरोधी भावना में वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2024 में 54 में से 40 चुनावों में सत्ताधारी दलों को हार का सामना करना पड़ा, जिससे महामारी के दीर्घकालिक राजनीतिक दुष्परिणामों पर प्रकाश पड़ता है।
    • बदलते कार्य मॉडल:
      • महामारी से हाइब्रिड कार्य को लोकप्रियता मिली है, जिसके तहत वर्ष 2024 में नौकरी चाहने वाले 42% भारतीयों ने लचीले कार्य घंटों को प्राथमिकता दी।
      • गिग वर्क और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के उदय से श्रमिकों को वैकल्पिक आय के स्रोत तलाशने में सहायता मिली है।
      • कार्य-जीवन संतुलन पर अधिक बल देने से नियोक्ताओं को कर्मचारी कल्याण को ध्यान में रखते हुए नीतियाँ अपनाने हेतु प्रोत्साहन मिला।

Covid-19_Pandemic’s_Impact

कोविड-19 महामारी

  • SARS-CoV-2 वायरस के कारण होने वाले कोविड-19 की पहली बार दिसंबर 2019 में चीन के वुहान में पहचान की गई थी और फिर यह तीव्रता से विश्व स्तर पर प्रसारित हुआ।
  • मार्च 2020 तक विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा इसे महामारी घोषित कर दिया गया, जिस क्रम में व्यापक लॉकडाउन एवं प्रतिबंध लगाए गए।
  • इस वायरस के कारण लाखों लोगों की मृत्यु हुई, स्वास्थ्य सेवा प्रणाली बाधित हुई तथा बेरोज़गारी एवं वैश्विक मंदी सहित गंभीर सामाजिक-आर्थिक कठिनाइयाँ उत्पन्न हुईं।
  • इसके प्रभाव ने सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों, आपूर्ति शृंखलाओं और वैश्विक समन्वय में कमजोरियों को उजागर किया।

आगे की राह:

  • आर्थिक सुधार: सकल घरेलू उत्पाद सुधार में तेज़ी लाने के लिये हरित ऊर्जा, प्रौद्योगिकी और विनिर्माण जैसे प्रमुख विकास क्षेत्रों में निवेश करना।
    • आवश्यक सार्वजनिक निवेश को बनाए रखते हुए महामारी-काल के ऋणों का प्रबंधन करने के लिये संतुलित राजकोषीय रणनीति अपनाना।
  • वैश्विक सहयोग और आपूर्ति शृंखला लचीलापन: संरक्षणवाद को कम करने और आपूर्ति शृंखला स्थिरता सुनिश्चित करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय व्यापार गठबंधनों को मज़बूत करना।
    • चीन जैसे विशिष्ट क्षेत्रों पर निर्भरता कम करने के लिये विनिर्माण आधार में विविधता लाना।
  • शासन में विश्वास बढ़ाना: सरकारों में जनता का विश्वास पुनः स्थापित करने के लिये नीति निर्माण में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना।
    • लक्षित कल्याण कार्यक्रमों और समावेशी नीतियों के माध्यम से सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को दूर करना।
  • कार्यबल अनुकूलन: अनौपचारिक श्रमिकों के लिये कानूनी ढाँचा और सामाजिक सुरक्षा जाल प्रदान करके हाइब्रिड और गिग कार्य मॉडल को प्रोत्साहित करना।
    • दूरस्थ कार्य और डिजिटल अर्थव्यवस्था के विकास को समर्थन देने के लिये डिजिटल बुनियादी ढाँचे में निवेश करना।
  • सामाजिक समानता और स्वास्थ्य प्रणालियाँ: भविष्य की स्वास्थ्य संकटों के लिये तैयारी करने हेतु स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच का विस्तार करना और प्रणालियों को मजबूत करना।
    • वैश्विक स्तर पर टीकों और आवश्यक दवाओं जैसे संसाधनों का समान वितरण सुनिश्चित करना।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: कोविड-19 महामारी ने वैश्विक GDP विकास पथ में विचलन को कैसे प्रभावित किया है, और भारत को स्थायी सुधार पथ सुनिश्चित करने के लिये कौन सी नीतियाँ अपनानी चाहिए?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. कोविड-19 वैश्विक महामारी को रोकने के लिये बनाई जा रही वैक्सीनों के प्रसंग में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. सीरम संस्थान ने mRNA प्लेटफॉर्म का प्रयोग कर कोविशील्ड नामक कोविड-19 वैक्सीन निर्मित की।
  2. स्पुतनिक V वैक्सीन रोगवाहक (वेक्टर) आधारित प्लेटफॉर्म का प्रयोग कर बनाई गई है। 
  3. कोवैक्सीन एक निष्कृत रोगजनक आधारित वैक्सीन है।

उपर्युक्त कथनों में कौन से सही हैं?

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3 
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. COVID-19 महामारी ने भारत में वर्ग असमानताओं और गरीबी को गति दे दी है। टिप्पणी कीजिये। (2020)

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