प्रारंभिक परीक्षा
अल्ट्रासाउंड से कैंसर का पता लगाना
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, वैज्ञानिकों ने कैंसर का पता लगाने के लिये एक अल्ट्रासाउंड (Ultrasound Technique) तकनीक विकसित की है, जो ऊतकों से RNA, DNA और प्रोटीन जैसे बायोमार्करों को रक्तप्रवाह में जारी करके पारंपरिक बायोप्सी के लिये कम आक्रामक, लागत प्रभावी विकल्प प्रदान करती है।
कैंसर क्या है?
- कैंसर एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में कुछ कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से बढ़ती हैं तथा अन्य क्षेत्रों में फैल जाती हैं।
- कारण: कैंसर शरीर में कहीं भी उत्पन्न हो सकता है, जब सामान्य कोशिका विभाजन और वृद्धि बाधित होती है, जिसके परिणामस्वरूप असामान्य कोशिकाओं का विकास होता है, जो ट्यूमर का रूप ले सकते हैं, यह कैंसरयुक्त या गैर-कैंसरयुक्त हो सकते हैं।
कैंसर के प्रकार |
|
कार्सिनोमा (Carcinom) |
एपिथेलियल सेल्स (त्वचा, ग्रंथियाँ) में उत्पन्न होता है। उदाहरण: स्तन, फेफड़े, प्रोस्टेट कैंसर |
सार्कोमा (Sarcoma) |
हड्डियों और माँसपेशियों या वसा जैसे ऊतकों में उत्पन्न होता है। |
लेकिमिया (Leukemia) |
रक्त का निर्माण करने वाले ऊतकों को प्रभावित करता है, जिसके परिणामस्वरूप असामान्य श्वेत रक्त कोशिका में वृद्धि होती है |
लिंफोमा (Lymphom) |
प्रतिरक्षा कोशिकाओं (लिम्फोसाइट्स) में निर्मित होता है। जैसे- हॉजकिन और नॉन-हॉजकिन लिंफोमा। |
मल्टिपल मायलोमा (Multiple Myeloma) |
अस्थि मज्जा में प्लाज्मा कोशिकाओं का कैंसर |
मेलेनोमा (Melanom) |
यह रोग रंग-उत्पादक कोशिकाओं से शुरू होता है जो आमतौर पर त्वचा को प्रभावित करता है। |
सामान्य कोशिकाएँ |
कैंसर कोशिकाएँ |
इनमे तभी वृद्धि होती हैं जब उन्हें वृद्धि के संकेत मिलते हैं। |
वृद्धि संकेतों की आवश्यकता के बिना वृद्धि करती हैं। |
विभाजन रोकने के लिये संकेतों का पालन करती है या आवश्यकता पड़ने पर क्षतिग्रस्त हो जाती है। |
अन्य कोशिकाओं से आने वाले संकेतों पर प्रतिक्रिया न करना |
प्रतिरक्षा प्रणाली क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की पहचान कर उन्हें नष्ट कर देती है। |
प्रतिरक्षा प्रणाली से बचने की आवश्यकता होती है। |
गुणसूत्र संख्या और संरचना को स्थिर बनाए रखती है। |
गुणसूत्र संबंधी असामान्यताएँ (दोहराव, विलोपन, अतिरिक्त गुणसूत्र) एकत्रित होना। |
किये गए शोध की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- कई कैंसरों का पता लगाने का सर्वोत्तम तरीका बायोप्सी है, जिसमें शरीर के उस भाग से, जहाँ कैंसर होने का संदेह होता है, एक नीडल (सुई) का उपयोग करके ऊतक या कोशिकाओं का एक छोटा टुकड़ा निकाला जाता है।
- हालाँकि, बायोप्सी प्रक्रिया श्रमसाध्य, असुविधाजनक और संभवतः हानिकारक है।
- अध्ययन में पाया गया है कि उच्च ऊर्जा अल्ट्रासाउंड (अल्ट्रासाउंड स्कैन में प्रयुक्त आवृत्तियों से अधिक आवृत्तियों पर) कैंसरग्रस्त ऊतक के एक छोटे टुकड़े को ड्रॉपलेट (बूंदों) में तोड़ सकता है और उनके पदार्थ को रक्तप्रवाह में प्रवाहित कर सकता है।
- इस विधि से रक्त के नमूनों का उपयोग कैंसर के प्रकारों और उनमें मौजूद उत्परिवर्तनों का पता लगाने के लिये किया जा सकेगा, जो वर्तमान में रक्त में पता लगाना संभव नहीं है।
- इस पद्धति का मुख्य लाभ यह है कि यह नॉन इन्वैसिव है, जिससे रोगी को असुविधा नहीं होगी। हालाँकि, कैंसर का पता लगाने के पारंपरिक तरीके के रूप में इस तकनीक को लाने से पहले रोगियों को व्यापक रूप से अधिक अध्ययन की आवश्यकता होगी।
नोट:
- अल्ट्रासाउंड (जिसे सोनोग्राफी या अल्ट्रासोनोग्राफी भी कहा जाता है) एक नॉन इन्वैसिव इमेजिंग टेस्ट है जो उच्च-तीव्रता वाली ध्वनि तरंगों का उपयोग करके शरीर के अंदर की संरचनाओं को प्रदर्शित करता है।
- चिकित्सा क्षेत्र में अनुप्रयोग:
- गर्भावस्था की निगरानी
- अनियमित वृद्धि (जैसे, ट्यूमर, सिस्ट), पित्ताशय की पथरी, गुर्दे की पथरी या रक्त के थक्के जैसी आंतरिक समस्याओं का पता लगाना
- प्रक्रियाओं के लिये मार्गदर्शन (बायोप्सी के लिये नीडल का उपयोग)
- डॉप्लर अल्ट्रासाउंड धमनियों और नसों में रक्त प्रवाह का मूल्यांकन करता है
- चिकित्सा क्षेत्र में अनुप्रयोग:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न. कैंसरग्रस्त ट्यूमर के उपचार के संदर्भ में, साइबरनाइफ नामक एक उपकरण चर्चा में रहा है। इस संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही नहीं है? (2010) (a) यह एक रोबोटिक इमेज गाइडेड सिस्टम है। उत्तर: (d) प्रश्न. 'RNA अंतर्क्षेप [RNA इंटरफे्रेंस (RNAi)]' प्रौद्योगिकी ने पिछले कुछ वर्षों में लोकप्रियता हासिल कर ली है। क्यों? (2019)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) 1, 2 और 4 उत्तर: (a) |
रैपिड फायर
कर्मयोगी मिशन के तहत राष्ट्रीय शिक्षण सप्ताह
स्रोत: पी.आई.बी
हाल ही में प्रधानमंत्री ने 19 अक्तूबर, 2024 को मिशन कर्मयोगी पहल के अंतर्गत सिविल सेवा क्षमता निर्माण में एक नया अध्याय जोड़ते हुए राष्ट्रीय शिक्षण सप्ताह (NLW) का उद्घाटन किया।
- कर्मयोगी सप्ताह/NLW एक पहल है जिसका उद्देश्य सिविल सेवकों को निरंतर सीखने और क्षमता निर्माण की संस्कृति को अपनाने के लिये प्रेरित और सशक्त करना है, जो राष्ट्रीय सेवा उद्देश्यों को पुनः संरेखित करने के लिये एक मंच के रूप में कार्य करता है।
- NLW का उद्देश्य एकीकृत "वन गवर्मेंट (One Government)" की दृष्टि को साकार करने की दिशा में कार्य करना, सभी हितधारकों को राष्ट्रीय उद्देश्यों के साथ जोड़ना तथा जीवनभर सीखने को प्रोत्साहित करना है।
- मिशन कर्मयोगी- राष्ट्रीय सिविल सेवा क्षमता निर्माण कार्यक्रम (NPSCCB) का उद्देश्य स्पष्ट दृष्टिकोण, कौशल और ज्ञान के साथ भविष्य के लिये सिविल सेवा क्षमता का निर्माण करना है।
- कर्मयोगी भारत पोर्टल एक ऑनलाइन शिक्षण मंच के रूप में कार्य करता है, जो भारतीय लोकाचार पर आधारित एक सक्षम सिविल सेवा क्षमता का निर्माण के लिये है, जो कुशल सार्वजनिक सेवा वितरण के लिये भारत की प्राथमिकताओं के साथ संरेखित है।
- अन्य संबंधित पहल: सिविल सेवा प्रशिक्षण संस्थानों के लिये राष्ट्रीय मानक (NPSCCB) और आरंभ।
अधिक पढ़ें: सिविल सेवा सुधार
रैपिड फायर
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड हेतु संरक्षण प्रयास
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
हाल ही में राजस्थान के जैसलमेर में कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से राज्य पक्षी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (अर्डियोटिस नाइग्रिसेप्स) की संतति का जन्म संरक्षण प्रयासों में एक मील का पत्थर साबित हुआ।
- आधिकारिक अनुमानों के अनुसार भारत के वनों में 150 से भी कम ग्रेट इंडियन बस्टर्ड बचे हैं, जिनमें से 90% राजस्थान के रेगिस्तानी क्षेत्रों में मिलते हैं और शेष गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में मिलते हैं।
- जैसलमेर प्रजनन केंद्र की स्थापना राजस्थान वन विभाग द्वारा केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के बस्टर्ड रिकवरी कार्यक्रम के हिस्से के रूप में की गई थी, जिसे वर्ष 2016 में शुरू किया गया था।
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की संरक्षण स्थिति:
- IUCN: गंभीर रूप से संकटग्रस्त
- CITES: परिशिष्ट 1
- प्रवासी प्रजातियों पर अभिसमय (CMS): परिशिष्ट I
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची I
और पढ़ें: ग्रेट इंडियन बस्टर्ड का संरक्षण
रैपिड फायर
ई-श्रम- वन स्टॉप सॉल्यूशन'
स्रोत: पी.आई.बी
हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा शुरू किये गए ई-श्रम-वन स्टॉप सॉल्यूशन पोर्टल के तहत असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों से संबंधित 12 कल्याणकारी योजनाओं को एकीकृत किया गया है।
- वर्ष 2021 में लॉन्च किया गया ई-श्रम पोर्टल भारत में असंगठित श्रमिकों (NDUW) का राष्ट्रीय डेटाबेस बनाने के लिये डिज़ाइन किया गया है ।
- इसका उद्देश्य निर्माण कार्य में संलग्न मज़दूरों, प्रवासी कार्यबल, रेहड़ी-पटरी वालों और घरेलू कामगारों जैसे असंगठित श्रमिकों का पंजीकरण करना है।
- पोर्टल पर पंजीकृत श्रमिकों को एक विशिष्ट 12 अंकों की संख्या वाला ई-श्रम कार्ड मिलता है, जिसमें मृत्यु या स्थायी दिव्यांगता के लिये 2 लाख रुपए और आंशिक दिव्यांगता के लिये 1 लाख रुपए का दुर्घटना बीमा प्रदान किया जाता है।
ई-श्रम पंजीकृत श्रमिकों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ:
- प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन योजना (PM-SYM)
- व्यापारियों और स्व-नियोजित व्यक्तियों के लिये राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS)
- प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना (PMJJBY)
- प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY)
- अटल पेंशन योजना
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS)
- प्रधानमंत्री आवास योजना - ग्रामीण (PMAY-G)
- राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (NSAP) - वृद्धावस्था संरक्षण
- आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY)
- प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना
- राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त एवं विकास निगम (NSKFDC)
- मैनुअल स्कैवेंजरों के पुनर्वास के लिये स्वरोज़गार योजना
- बुनकरों के लिये स्वास्थ्य बीमा योजना (HIS)
और पढ़ें: अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन में ई-श्रम पोर्टल का प्रदर्शन
रैपिड फायर
साथी पोर्टल
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (Department of Agriculture & Farmers' Welfare- DA&FW)) ने नई दिल्ली में बीज प्रमाणीकरण, पता लगाने की क्षमता और समग्र सूची (SATHI) पोर्टल पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया।
- राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (National Informatics Centre- NIC) द्वारा विकसित इस पोर्टल का उद्देश्य बीज प्रमाणीकरण और सूची प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव लाना तथा किसानों की बीज की गुणवत्ता और पता लगाने संबंधी चिंताओं का समाधान करना है।
- यह पंजीकरण, अनुमोदन और प्रमाणन के लिये लेन-देन संबंधी समय को न्यूनतम करने हेतु प्रक्रियाओं को अनुकूलित करेगा, साथ ही पर्यावरण के अनुकूल परिचालन विकल्प भी प्रदान करेगा।
- इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology- MeitY) के अंतर्गत NIC सरकार का प्रौद्योगिकी साझेदार है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1976 में विकास के विभिन्न पहलुओं में केंद्र और राज्य सरकारों को प्रौद्योगिकी-संचालित समाधान प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी।
- अन्य संबंधित पहल: डिजिटल कृषि मिशन , एकीकृत किसान सेवा मंच (UFSP), तथा कृषि में राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना (NEGP-A)
और पढ़ें: कृषि क्षेत्र के लिये पहल