पंचमसाली लिंगायतों की कोटा मांग
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में कर्नाटक के प्रमुख लिंगायत समुदाय के भीतर एक उप-जाति पंचमसाली लिंगायत, अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की श्रेणी 2A में शामिल होने की मांग कर रहे हैं।
- इस कदम का उद्देश्य कर्नाटक के OBC कोटा मैट्रिक्स की श्रेणी 3B के तहत मौजूदा 5% कोटा के विपरीत, सरकारी नौकरियों और शैक्षिक प्रवेश में 15% कोटा सुरक्षित करना है।
पंचमसाली लिंगायतों की कोटा मांग क्या है?
- पंचमसाली लिंगायत: लिंगायत, जिन्हें आधिकारिक तौर पर हिंदू उपजाति 'वीरशैव लिंगायत' के रूप में वर्गीकृत किया गया है, 12वीं शताब्दी के दार्शनिक-संत बसवन्ना के अनुयायी हैं।
- बसवन्ना ने एक कट्टरपंथी जाति-विरोधी आंदोलन की शुरुआत की, जिसमें रूढ़िवादी हिंदू प्रथाओं को अस्वीकार करते हुए भगवान, विशेष रूप से भगवान शिव के साथ एक व्यक्तिगत, भावनात्मक संबंध की अवधारणा दी।
- लिंगायत समुदाय में विभिन्न उपजातियाँ शामिल हैं, जिनमें कृषि प्रधान पंचमसाली सबसे बड़ी हैं, जो लिंगायत आबादी का लगभग 70% और कर्नाटक की कुल आबादी का लगभग 14% हिस्सा बनाती हैं।
- कर्नाटक में मौजूदा ओबीसी कोटा श्रेणियाँ:
- श्रेणी 2A में शामिल करने की मांग वर्ष 2020 में प्रमुखता से उभरी।
- कर्नाटक में सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 32% ओबीसी आरक्षण पाँच श्रेणियों में विभाजित है।
- श्रेणी 2A में 102 जातियाँ शामिल हैं,जिसमें पंचमसाली भी शामिल होना चाहते हैं।
- जटिल वर्गीकरण का उद्देश्य प्रमुख ओबीसी समूहों को कोटा लाभों पर एकाधिकार करने से रोकना है, ताकि सापेक्ष हाशिये पर स्थित समान वितरण सुनिश्चित हो सके।
- सरकार द्वारा पूर्व में उठाए गए कदम:
- पिछली राज्य सरकार ने श्रेणी 2B के तहत 4% मुस्लिम कोटा वोक्कालिगा और लिंगायत को पुनः आवंटित करके पंचमसाली को खुश करने का प्रयास किया, जिससे नई श्रेणियाँ 2C तथा 2D बनाई गईं।
- इससे लिंगायत कोटा 5% से बढ़कर 7% और वोक्कालिगा कोटा 4% से बढ़कर 6% हो गया।
- हालाँकि पंचमसाली ने श्रेणी 2A में शामिल किये जाने पर ज़ोर दिया और पुनः आवंटन को कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
- वर्तमान स्थिति और सरकार का रुख:
- सरकार सर्वोच्च न्यायालय से कानूनी समाधान की प्रतीक्षा कर रही है। कर्नाटक सामाजिक, आर्थिक और जाति सर्वेक्षण के निष्कर्ष, जिनसे भविष्य की कोटा योजनाओं पर प्रभाव पड़ने की उम्मीद है, भी लंबित हैं।
- राज्य सरकार संतुलन बनाने के लिये सभी लिंगायतों को केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल करने पर विचार कर सकती है।
- वर्तमान में, केवल 16 लिंगायत उप-जातियों को, जिन्हें "बहुत पिछड़ा" माना जाता है, केंद्रीय सरकार की नौकरियों और कॉलेज प्रशासन के लिये ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण प्रदान किया जाता है।
और पढ़ें… वोक्कालिगा, लिंगायत आरक्षण में हिस्सेदारी
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारत के 'चांगपा' समुदाय के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2014)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के सांविधिक निकाय से संवैधानिक निकाय में रूपांतरण को ध्यान में रखते हुए इसकी भूमिका की विवेचना कीजिये।(2022) प्रश्न. क्या कमज़ोर और पिछड़े समुदायों के लिये आवश्यक सामाजिक संसाधनों को सुरक्षित करने के द्वारा, उनकी उन्नति के लिये सरकारी योजनाएँ, शहरी अर्थव्यवस्थाओं में व्यवसायों की स्थापना करने में उनको बहिष्कृत कर देती हैं? (2014) |
केंद्रीय बजट 2024-25 में कृषि संबंधी पहल
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय बजट 2024-25 में वित्त मंत्री ने नमो ड्रोन दीदी योजना के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों (SHG) को ड्रोन प्रदान करने के लिये 500 करोड़ रुपए के आवंटन की घोषणा की, साथ ही एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक कृषि पद्धतियों को अपनाने हेतु समर्थन दिया।
कृषि के क्षेत्र में प्रमुख पहल क्या हैं?
- नमो ड्रोन दीदी योजना:
- यह योजना मार्च 2024 में शुरू की गई थी और इसका उद्देश्य 15,000 चयनित महिला स्वयं सहायता समूहों को कृषि उद्देश्यों के लिये किसानों को किराये पर देने हेतु ड्रोन प्रदान करना है।
- कार्यान्वयन अवधि वर्ष 2023-24 से 2025-26 तक है।
- केंद्रीय बजट वर्ष 2024-25 के तहत इस पहल के लिये 500 करोड़ रुपए निर्धारित किये गए हैं।
- यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को कृषि में तकनीकी प्रगति से एकीकृत करके उन्हें सशक्त बनाएगी, जिससे उद्यमशीलता को बढ़ावा मिलेगा।
- ड्रोन परिशुद्ध कृषि (Precision Agriculture) के माध्यम से कृषि दक्षता को बढ़ाएंगे, जिससे बेहतर फसल प्रबंधन और उपज अनुकूलन हो सकेगी।
- यह योजना मार्च 2024 में शुरू की गई थी और इसका उद्देश्य 15,000 चयनित महिला स्वयं सहायता समूहों को कृषि उद्देश्यों के लिये किसानों को किराये पर देने हेतु ड्रोन प्रदान करना है।
- प्राकृतिक कृषि हेतु समर्थन:
- एक करोड़ किसानों को प्रामाणीकरण और ब्रांडिंग के माध्यम से प्राकृतिक कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा।
- प्राकृतिक कृषि एक कृषि पद्धति है जिसमें फसलों की कृषि के लिये न्यूनतम हस्तक्षेप और प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग पर ज़ोर दिया जाता है।
- यह कार्य वैज्ञानिक संस्थाओं और इच्छुक ग्राम पंचायतों के माध्यम से किया जाएगा।
- राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन के तहत वर्ष 2024-25 के लिये 365.64 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं।
- 10,000 आवश्यकता-आधारित जैव-आगत संसाधन केंद्र स्थापित किये जाएंगे।
- एक करोड़ किसानों को प्रामाणीकरण और ब्रांडिंग के माध्यम से प्राकृतिक कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा।
- जन समर्थ आधारित किसान क्रेडिट:
- राज्यों में जन समर्थन आधारित किसान क्रेडिट जारी करने की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे एकल खिड़की ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से 13 सरकारी योजनाओं तक पहुँच सुगम हो जाएगी।
- दलहन, तिलहन और सब्ज़ी उत्पादन:
- दलहनों और तिलहनों में आत्मनिर्भरता हासिल करने हेतु एक रणनीति तैयार की जा रही है, जो महत्त्वपूर्ण है क्योंकि भारत वर्तमान में खाद्य तेल के लिये आयात पर बहुत अधिक निर्भर है।
- प्रमुख उपभोग केंद्रों के निकट सब्ज़ी उत्पादन हेतु बड़े पैमाने पर क्लस्टर विकसित किये जाएंगे।
- इसमें कुशल आपूर्ति शृंखलाओं के लिये किसान-उत्पादक संगठनों, सहकारी समितियों और स्टार्टअप्स को बढ़ावा देना शामिल है।
- राष्ट्रीय सहकारिता नीति और ग्रामीण अर्थव्यवस्था:
- सरकार ने सहकारी क्षेत्र के व्यवस्थित और सुव्यवस्थित सर्वांगीण विकास के लिये राष्ट्रीय सहयोग नीति की घोषणा की।
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास को गति देना और बड़े पैमाने पर रोज़गार सृजन करना नीति का लक्ष्य होगा।
- झींगा उत्पादन और निर्यात:
- भारत विश्व के सबसे बड़े झींगा निर्यातकों में से एक है।
- वर्ष 2022-23 में भारत का समुद्री खाद्य निर्यात 8.09 बिलियन अमेरीकी डॉलर रहा, जिसमें झींगा का हिस्सा 5.6 बिलियन अमरीकी डॉलर के साथ सबसे अधिक रहा।
- झींगा ब्रूड-स्टॉक्स न्यूक्लियस ब्रीडिंग केंद्रों का नेटवर्क स्थापित करने के लिये वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि झींगा पालन, उनके प्रसंस्करण और निर्यात के लिये नाबार्ड के माध्यम से वित्तपोषण की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
- भारत विश्व के सबसे बड़े झींगा निर्यातकों में से एक है।
कृषि से संबंधित अन्य पहल
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न 1. किसान क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत किसानों को निम्नलिखित में से किस उद्देश्य के लिये अल्पकालिक ऋण सुविधा प्रदान की जाती है? (2020)
निम्नलिखित कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिये: (a) केवल 1, 2 और 5 उत्तर: (b) |
सांस्कृतिक मानचित्रण के लिये राष्ट्रीय मिशन (NMCM)
स्रोत: पी. आई. बी.
हाल ही में संस्कृति मंत्रालय ने भारत भर के गाँवों की सांस्कृतिक विरासत का व्यापक अवलोकन प्रदान करने के लिये राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन (National Mission on Cultural Mapping- NMCM) शुरू किया है।
- इसका उद्देश्य 6.5 लाख गाँवों के सांस्कृतिक पहलुओं का मानचित्रण करते हुए विकास और पहचान में सांस्कृतिक विरासत की भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाना तथा कलाकारों एवं कला प्रथाओं का एक राष्ट्रीय रजिस्टर बनाना, साथ ही राष्ट्रीय सांस्कृतिक कार्यस्थल (National Cultural Workplace- NCWP) के लिये एक वेब पोर्टल व मोबाइल ऐप बनाना है।
- इसमें 2011 की जनगणना के अनुसार भारत के सभी बसे हुए गाँवों को शामिल किया जाएगा तथा मानचित्रण प्रक्रिया के लिये बिहार के सभी गाँवों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
- यह डेटाबेस मेरा गाँव मेरी धरोहर वेब पोर्टल पर उपलब्ध होगा जिसका उपयोग अन्य मंत्रालयों और संगठनों द्वारा स्थानीय संस्कृतियों, परंपराओं तथा कला रूपों के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिये किया जा सकेगा।
मेरा गाँव मेरी धरोहर (MGMD):
- यह एक राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन (NMCM) है, जिसे संस्कृति मंत्रालय द्वारा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) के समन्वय से संचालित किया जाता है।
- इसमें भारतीय गाँवों के संबंध में विस्तृत जानकारी संकलित की गई है, जिसमें जीवन, इतिहास और लोकाचार के पहलुओं को शामिल किया गया है।
- सूचना को 7 क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है: कला और शिल्प, पारिस्थितिकी, शैक्षिक परंपराएँ, महाकाव्य, स्थानीय तथा राष्ट्रीय इतिहास, वास्तुकला विरासत एवं अन्य विशिष्ट विशेषताएँ।
और पढ़ें: मेरा गाँव, मेरी धरोहर कार्यक्रम
नासा ने शुक्र ग्रह पर भेजा हॉलीवुड गीत
स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया
हाल ही में नासा ने हॉलीवुड गायिका मिस्सी इलियट के गीत "द रेन" को डीप स्पेस नेटवर्क (Deep Space Network- DSN) के माध्यम से शुक्र ग्रह तक प्रेषित किया है।
- यह प्रसारण कैलिफोर्निया के गोल्डस्टोन डीप स्पेस कम्युनिकेशंस कॉम्प्लेक्स में स्थित (डीप स्पेस स्टेशन) एंटीना का उपयोग करके किया गया था।
शुक्र ग्रह के अध्ययन के लिये नासा का भावी मिशन:
- दाविंसी मिशन (DAVINCI Mission), जिसका पूरा नाम डीप एटमॉस्फियर वीनस इन्वेस्टिगेशन ऑफ नोबल गैसेस, केमिस्ट्री एंड इमेजिंग (Deep Atmosphere Venus Investigation of Noble gases, Chemistry, and Imaging) है, वर्ष 2029 तक प्रक्षेपित किया जाना है।
- वेरिटस (Veritas), जिसे वीनस एमिसिविटी, रेडियो साइंस, InSAR, टोपोग्राफी और स्पेक्ट्रोस्कोपी के नाम से भी जाना जाता है, के वर्ष 2031 तक प्रक्षेपित होने की उम्मीद है।
भारत का शुक्र मिशन- शुक्रयान-1:
- शुक्र ऑर्बिटर मिशन के अंतर्गत, इसरो शुक्रयान-1 को प्रक्षेपित करने की योजना बना रहा है, जो शुक्र के वायुमंडल का अध्ययन करने के लिये शुक्र की परिक्रमा करने वाला एक अंतरिक्ष यान है।
शुक्र ग्रह:
- शुक्र को अक्सर पृथ्वी का जुड़वाँ ग्रह कहा जाता है तथा यह पृथ्वी से थोड़ा छोटा है।
- यह सूर्य के बाद दूसरा ग्रह और छठा सबसे बड़ा ग्रह है।
- यह हमारे सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह भी है।
- शुक्र पूर्व से पश्चिम की ओर घूमता है, जो कि अधिकांश ग्रहों की तुलना में पीछे की ओर है तथा इसका दिन इसके वर्ष से भी बड़ा होता है।
अधिक पढ़ें: शुक्र ग्रह पर ज्वालामुखी गतिविधि
न्यूट्रीनो
स्रोत: द हिंदू
कण भौतिकी और खगोल भौतिकी में न्यूट्रिनो महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह एक मौलिक प्राथमिक कण है और वायुमंडलीय न्यूट्रिनो का अध्ययन तब किया जा सकता है जब सौर विकिरण पृथ्वी के वायुमंडल से टकराता है।
न्यूट्रिनो:
- न्यूट्रिनो उप-परमाणु कण होते हैं जिनमें कोई विद्युत आवेश नहीं होता है, उनका द्रव्यमान छोटा होता है और वे लेफ्ट हैंडेड होते हैं (उनके घूमने की दिशा उनकी गति की दिशा के विपरीत होती है)।
- वे ब्रह्मांड में फोटॉन के बाद दूसरे सबसे प्रचुर कण हैं और पदार्थ बनाने वाले कणों में सबसे प्रचुर हैं।
- न्यूट्रिनो पदार्थ के साथ बहुत कम ही परस्पर क्रिया करते हैं, जिससे उनका अध्ययन करना मुश्किल हो जाता है।
- न्यूट्रिनो एक प्रकार (इलेक्ट्रॉन-न्यूट्रिनो, म्यूऑन-न्यूट्रिनो, टाऊ-न्यूट्रिनो) से दूसरे प्रकार में बदल सकते हैं क्योंकि वे यात्रा करते हैं और अन्य कणों के साथ परस्पर क्रिया करते हैं, जिसे न्यूट्रिनो दोलन कहा जाता है।
- न्यूट्रिनो पदार्थ के साथ सीमित परस्पर क्रिया दर के कारण बड़ी दूरी तक सूचना ले जा सकते हैं।
- उन्हें संभावित रूप से सूचना प्रसारित करने के लिये प्रयोग किया जा सकता है, जो संचार चैनलों में विद्युत चुंबकीय तरंगों की जगह ले सकता है।
- भौतिकविदों ने न्यूट्रिनो का अध्ययन करने और न्यूट्रिनो तथा डिटेक्टर के पदार्थ के बीच परस्पर क्रिया की संख्या को अधिकतम करने के लिये बड़े एवं संवेदनशील डिटेक्टर बनाए हैं।
- भारत की न्यूट्रिनो वेधशाला परियोजना को थेनी (तमिलनाडु) के पोट्टीपुरम गाँव में 1,200 मीटर गहरी गुफा में स्थापित करने का प्रस्ताव है।
और पढ़ें: न्यूट्रिनो वेधशाला परियोजना
चीन द्वारा सेवानिवृत्ति आयु में वृद्धि
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
चीन अपनी वैधानिक सेवानिवृत्ति आयु को धीरे-धीरे बढ़ाने की योजना बना रहा है, जो वर्तमान में विश्व स्तर पर सबसे कम है, क्योंकि वह पेंशन बजट घाटे का सामना कर रहा है।
- चीन में पुरुषों के लिये वर्तमान सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष है, महिलाओं (व्हाइट-कॉलर) के लिये 55 वर्ष तथा महिलाओं (कारखाना श्रमिक) के लिये 50 वर्ष है।
जनसांख्यिकीय परिवर्तन:
- चीन में जीवन प्रत्याशा वर्ष 1960 में लगभग 44 वर्ष से बढ़कर वर्ष 2021 में 78 वर्ष हो गई है तथा अनुमान है कि वर्ष 2050 तक यह 80 वर्ष से अधिक हो जाएगी।
- 60 वर्ष और उससे अधिक आयु की जनसंख्या वर्ष 2035 तक 280 मिलियन से बढ़कर 400 मिलियन से अधिक होने की उम्मीद है।
- प्रत्येक सेवानिवृत्त व्यक्ति का भरण-पोषण करने वाले श्रमिकों का अनुपात घट रहा है, जिसका वर्ष 2030 तक 5-से-1 से घटकर 4-से-1 तथा वर्ष 2050 तक 2-से-1 हो जाने का अनुमान है।
- भारत में केंद्र सरकार का पेंशन व्यय बजट 2024-25 में लगभग 2.40 लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान है, जो अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद का 0.7% है।
- इसके अतिरिक्त भारत की राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली एक कम लागत वाली, कर-कुशल सेवानिवृत्ति बचत खाता है जिसके अंतर्गत व्यक्ति और उसका नियोक्ता व्यक्ति की सामाजिक सुरक्षा/कल्याण के लिये उसके सेवानिवृत्ति खाते में सह-योगदान करते हैं।
- इसी प्रकार अटल पेंशन योजना को वर्ष 2015 में गरीबों, वंचितों और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिये एक सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा प्रणाली बनाने हेतु शुरू किया गया था।