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प्रारंभिक परीक्षा

चीन का उच्च ऊर्जा फोटॉन स्रोत

  • 18 May 2024
  • 6 min read

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया 

चर्चा में क्यों? 

चीन चौथी पीढ़ी के अत्याधुनिक सिंक्रोट्रॉन प्रकाश स्रोत, उच्च उर्जा फोटॉन स्रोत (High Energy Photon Source- HEPS) के निर्माण के साथ एक बड़ी वैज्ञानिक सफलता प्राप्त कर सकता है।

  • यह विकास चीन को विश्व के कुछ सबसे स्पष्ट X-rays का सृजन करने में सक्षम देशों के चुनिंदा समूह में शामिल करेगा।

नोट: 

  • सिंक्रोट्रॉन फुटबॉल स्टेडियम के आकार की एक बड़ी गोलाकार कण त्वरक है, जो मज़बूत चुंबकीय क्षेत्र के साथ सुरंगों के अंदर एक गोलाकार कक्ष में यात्रा करने के लिये उच्च-ऊर्जा इलेक्ट्रॉनों को प्रोत्साहित करता है और इनका उपयोग करके प्रकाश की तीव्र किरणें उत्पन्न करता है।
    • इस प्रकाश का उपयोग सामग्रियों के अंतरतम रहस्यों को उजागर करने के लिये किया जाता है, जिससे चिकित्सा, कृषि और सामग्री विज्ञान में प्रगति होती है।

HEPS सुविधा क्या है?

  • परिचय:
    • चीन का उच्च ऊर्जा फोटॉन स्रोत (High Energy Photon Source- HEPS) लगभग हुआइरौ में स्थित है, इस त्वरक को इसके 1.36 किलोमीटर की परिधि भंडारण रिंग के भीतर 6 गीगा इलेक्ट्रॉन वोल्ट की ऊर्जा तक इलेक्ट्रॉनों की गति को तेज़ करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
  • HEPS की मुख्य विशेषताएँ: 
    • HEPS उच्च-ऊर्जा वाली X-rays का सृजन करेगा जो नमूनों में गहराई से प्रवेश कर सकता है और नैनोमीटर पैमाने पर जटिल विवरण प्रकट कर सकता है।
    • तकनीकी विशिष्टताएँ:
      • इलेक्ट्रॉन त्वरण: 6 गीगाइलेक्ट्रॉन वोल्ट तक।
      • टाइम रिज़ॉल्यूशन: तीसरी पीढ़ी के सिंक्रोट्रॉन से 10,000 गुना बेहतर, नैनोसेकंड में माप को सक्षम बनाता है।
      • बीमलाइंस: प्रारंभ में 14 से 90 तक विस्तार करने की क्षमता के साथ।
    • वैज्ञानिक प्रभाव:
      • नैनोमीटर-स्तर पर अध्ययन: वास्तविक समय में आणविक एवं परमाणु संरचनाओं के अध्ययन करने की क्षमता।
        • इससे प्रोटीन के छोटे क्रिस्टल सहित सूक्ष्म नमूनों का विश्लेषण किया जा सकता है, जोकि चुनौतीपूर्ण हैं।
      • व्यापक क्षेत्रों में अनुप्रयोग: इससे बायोमेडिसिन, ऊर्जा, उन्नत सामग्री के साथ संघनित पदार्थ भौतिकी जैसे क्षेत्रों में लाभ होगा।
      • परीक्षण सुविधा में तीव्रता: अधिक समय में होने वाले परीक्षण इसके माध्यम से तीव्रता से हो सकते हैं।
  • चुनौतियाँ:
    • एक्स-रे बीम की स्थिरता: यह सुनिश्चित करना कि एक्स-रे बीम व्यावहारिक उपयोग के लिये पर्याप्त रूप से स्थिर है, इसके लिये सावधानीपूर्वक, चरण-दर-चरण समायोजन की आवश्यकता होती है।
    • तकनीकी परिशुद्धता: बीम की चमक और स्थिरता बनाए रखने के लिये हज़ारों घटकों को संरेखित करने की प्रक्रिया महत्त्वपूर्ण है।

HEPS की तुलना अन्य सिंक्रोट्रॉन से कैसे की जाती है?

  • चीन में वर्तमान स्थिति: HEPS चीन के वर्तमान में सबसे उन्नत सिंक्रोट्रॉन, शंघाई सिंक्रोट्रॉन विकिरण सुविधा को पीछे छोड़ देगा।
  • वैश्विक संदर्भ: विश्व भर में चौथी पीढ़ी वाली केवल कुछ ही सिंक्रोट्रॉन सुविधाएँ हैं, जिनमें निम्नलिखित सिंक्रोट्रॉन सम्मिलत हैं:
    • मैक्स IV प्रयोगशाला (लुंड, स्वीडन), सीरियस (कैंपिनास, ब्राज़ील), एक्सट्रीमली ब्रिलियंट सोर्स (ग्रेनोबल, फ्राँस) और एडवांस्ड फोटॉन सोर्स (लेमोंट, इलिनोइस)।
  • भारत में सिंक्रोट्रॉन:
    • भारत के पास इंदौर में स्थित राजा रमन्ना सेंटर फॉर एडवांस्ड टेक्नोलॉजी (RRCAT) में दो सिंक्रोट्रॉन विकिरण स्रोत हैं।
      • इंडस-1:
        • यह एक 450 MeV स्रोत है जो 1999 से कार्यरत है तथा एक्स-रे एवं वैक्यूम पराबैंगनी (VUV) क्षेत्रों में उत्सर्जित करता है।
      • इंडस-2:
        • इंडस-2, 2.5 GeV ऊर्जा और 200 mA बीम करंट के साथ स्वदेशी रूप से निर्मित तीसरी पीढ़ी का सिंक्रोट्रॉन विकिरण स्रोत (SRS) है, जो राजा रमन्ना सेंटर फॉर एडवांस्ड टेक्नोलॉजी (RRCAT), इंदौर में संचालित किया जाता है।
        • इसमें चुंबकों पर आधारित 21 बीमलाइनों तथा सम्मिलन उपकरणों पर आधारित 5 अतिरिक्त बीमलाइनों को लगाया गया है।
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