प्रारंभिक परीक्षा
प्रिलिम्स फैक्ट्स: 07 अक्तूबर, 2020
- 07 Oct 2020
- 12 min read
भौतिकी में नोबेल पुरस्कार
Nobel Prize in Physics
6 अक्तूबर, 2020 को ब्लैक होल की हमारी समझ को आगे बढ़ाने के लिये तीन वैज्ञानिकों [रोजर पेनरोज़ (Roger Penrose), रेनहार्ड गेनज़ेल (Reinhard Genzel) और एंड्रिया गेज़ (Andrea Ghez)] को भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
प्रमुख बिंदु:
- रोजर पेनरोज़ (Roger Penrose) के अनुसार, ब्लैक होल का गठन सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत (General theory of Relativity) का एक मज़बूत पूर्वानुमान है।
- जर्मन रेनहार्ड गेनज़ेल और अमेरिकन एंड्रिया गेज़ को ‘हमारी आकाशगंगा के केंद्र में एक ‘सुपरमैसिव कॉम्पैक्ट ऑब्जेक्ट’ (Supermassive Compact Object) की खोज के लिये’ यह पुरस्कार रोजर पेनरोज़ के साथ संयुक्त रूप से प्रदान किया गया है।
- गेनज़ेल एवं गेज़ ने मिल्की वे के मध्य क्षेत्र के सबसे चमकीले तारों की कक्षाओं की सटीक माप की और उनके अध्ययनों से पता चला कि थोड़ा असामान्य प्रक्षेपण पथ एवं तारों की गति को केवल बहुत बड़े पैमाने पर किंतु अदृश्य वस्तु की उपस्थिति से समझाया जा सकता है। जिसे अब धनु A* (Sagittarius A*) सुपरमैसिव ब्लैक होल के रूप में जाना जाता है, जिसका द्रव्यमान सूर्य से चार मिलियन गुना अधिक है और हमारे सौर मंडल के आकार के लगभग एक क्षेत्र तक सीमित है।
धनु A* (Sagittarius A*):
- धनु A* दो ब्लैक होल्स में से एक है जिसकी तस्वीरों को इवेंट होराइज़न टेलीस्कोप प्रोजेक्ट (Event Horizon Telescope Project) के माध्यम से कैप्चर किया गया है।
- ब्लैक होल कुछ भी उत्सर्जित या विकीर्णित नहीं करते हैं यहाँ तक कि प्रकाश भी नहीं। इसलिये उनकी छवि को कैप्चर करने का कोई तरीका नहीं है।
- किंतु इनकी सीमा के ठीक बाहर का क्षेत्र जिसे इवेंट होराइज़न कहा जाता है जिसमें भारी मात्रा में गैस, बादल एवं प्लाज़्मा की मौजूदगी होती है, सभी प्रकार के विकिरणों यहाँ तक कि दृश्य प्रकाश का उत्सर्जन करता है।
- विशाल दूरबीनों के एक नेटवर्क के माध्यम से वैज्ञानिकों ने ब्लैक होल की इवेंट होराइज़न के बाहर विकिरण को कैप्चर किया है और एक छवि को पुनः बनाया है।
- चूँकि इनसे प्रकाश बाहर नहीं निकल सकता, अतः हमें ब्लैक होल दिखाई नहीं देते, वे अदृश्य होते हैं। हालाँकि विशेष उपकरणों से युक्त अंतरिक्ष टेलिस्कोप की मदद से ब्लैक होल की पहचान की जा सकती है। इस तरह दो ब्लैक होल की छवियों को कैप्चर किया गया था।
- इनमें से एक ब्लैक होल जो पृथ्वी से 55 प्रकाश वर्ष दूर मेसियर 87 आकाशगंगा के केंद्र में है, की छवि को वैज्ञानिकों द्वारा पिछले वर्ष जारी किया गया था।
वैश्विक भारतीय वैज्ञानिक (वैभव) समिट 2020
Vaishwik Bhartiya Vaigyanik (VAIBHAV) Summit 2020
05 अक्तूबर, 2020 को आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR-Indian Agricultural Research Institute) की ओर से ‘वैश्विक भारतीय वैज्ञानिक (वैभव) शिखर सम्मेलन-2020 [Vaishwik Bhartiya Vaigyanik (VAIBHAV) Summit 2020] के भाग के रूप में ‘परिशुद्ध खेती’ (Precision Agriculture) के अंतर्गत ’परिशुद्ध खेती के लिये सेंसर एवं सेंसिंग’ (Sensors and Sensing for Precision Agriculture) विषय पर एक सत्र का आयोजन किया गया।
प्रमुख बिंदु:
- इस सत्र में 38 पैनल के सदस्यों सहित 1019 लोगों ने भाग लिया।
- यह भारत सरकार की विदेशी एवं भारतीय वैज्ञानिकों/शिक्षाविदों की चिंतन पद्धतियों तथा अनुसंधान एवं विकास की संस्कृति को विचार विमर्श एवं रचनात्मक संवाद के माध्यम एक साथ लाने, ठोस परिणामों के लिये रुपांतरण संबंधी शोध/अकादमिक संस्कृति की योजना तैयार करने तथा आत्मनिर्भर भारत के प्रयास को बल देने के लिये विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के आधार को मज़बूत बनाने की एक पहल है।
- कृषि एवं अनेक प्रक्रमों से सीधे तौर पर संबंधित ‘कृषि-अर्थव्यवस्था एवं खाद्य सुरक्षा’ विषय पर विचार विमर्श के लिये कुल 18 आधारों की पहचान की गई है।
- ‘परिशुद्ध खेती’ के अंतर्गत सेंसर, रिमोट सेंसिंग, डीप लर्निंग और अर्टीफिशियल इंटेलीजेंस और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IOT) में हुए विकास को व्यवहार में लाकर दक्षता एवं पर्यावरणीय निरंतरता का संवर्द्धित उपयोग कर मृदा, पौधों एवं पर्यावरण की निगरानी के माध्यम से कृषि उत्पादकता बढ़ाने पर चर्चा करना है।
वैभव समिट:
- यह प्रवासी भारतीय एवं देश के वैज्ञानिकों व शिक्षाविदों का एक वैश्विक शिखर सम्मेलन है।
उद्देश्य:
- उभरती चुनौतियों को हल करने हेतु वैश्विक भारतीय शोधकर्त्ताओं की विशेषज्ञता एवं ज्ञान का लाभ उठाने के लिये एक व्यापक रोडमैप तैयार करना।
- भारत में शिक्षाविदों एवं वैज्ञानिकों के साथ सहभागिता तथा सहकारी साधनों के बारे में गहराई से चिंतन करना।
- ग्लोबल आउटरीच के माध्यम से देश में ज्ञान एवं नवाचार का एक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना।
आयोजक:
- यह शिखर सम्मेलन विभिन्न विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा शैक्षणिक संगठनों का एक संयुक्त प्रयास है जिसमें विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) शामिल हैं।
परिशुद्ध खेती (Precision Agriculture):
- परिशुद्ध कृषि, कृषि प्रबंधन के लिये एक दृष्टिकोण है जो सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि फसलों एवं मिट्टी को वही मिलता है जो उन्हें इष्टतम स्वास्थ्य एवं उत्पादकता के लिये चाहिये।
- परिशुद्ध कृषि का लक्ष्य पर्यावरण की लाभप्रदता, स्थिरता एवं सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
- परिशुद्ध कृषि को उपग्रह कृषि (Satellite Agriculture) और साइट-विशिष्ट फसल प्रबंधन (Site-specific Crop Management- SSCM) के रूप में भी जाना जाता है।
स्टारलिंक मिशन
Starlink Mission
हाल ही में स्पेसएक्स (SpaceX) ने अपने 13वें स्टारलिंक मिशन (Starlink Mission) के तहत 60 स्टारलिंक उपग्रहों (Starlink Satellites) को फ्लोरिडा (संयुक्त राज्य अमेरिका) के केनेडी स्पेस सेंटर (Kennedy Space Center) से सफलतापूर्वक कक्षा में लॉन्च किया।
प्रमुख बिंदु:
- वर्ष 2020 में स्पेसएक्स द्वारा लॉन्च किया गया यह 17वाँ मिशन है।
- स्पेसएक्स ने अब तक 700 से अधिक स्टारलिंक सैटेलाइट लॉन्च किये हैं।
- इस मिशन के लिये एक फाल्कन 9 बूस्टर ( Falcon 9 Booster) का पुन: उपयोग किया गया है।
- गौरतलब है कि मई, 2020 में फाल्कन-9 (Falcon 9) रॉकेट का उपयोग करके नासा के दो अंतरिक्ष यात्रियों को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station-ISS) पर प्रवास के लिये भेजा गया था।
स्टारलिंक (Starlink):
- स्टारलिंक (Starlink) एक सैटेलाइट इंटरनेट तारामंडल (Satellite Internet Constellation) है जिसका निर्माण स्पेसएक्स द्वारा किया जा रहा है जो सैटेलाइट इंटरनेट एक्सेस (Satellite Internet Access) प्रदान करता है।
- यह तारामंडल ज़मीनी ट्रांसीवर (Transceivers) के साथ संयोजन में कार्य करते हुए लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में बड़े पैमाने पर छोटे उपग्रहों से मिलकर बना हुआ है।
एंग्लो-सैक्सन योद्धा
Anglo-Saxon Warrior
हाल ही में पुरातत्त्वविदों द्वारा एक एंग्लो-सैक्सन योद्धा (Anglo-Saxon Warrior) के अस्थिपंजर को बर्कशायर (इंग्लैंड) के एक क्षेत्र में खोजा गया है जो स्थानीय जनजातियों के उत्थान एवं पतन पर प्रकाश डालता है।
प्रमुख बिंदु:
- एंग्लो-सैक्सन एक सांस्कृतिक समूह था जो 5वीं शताब्दी में इंग्लैंड में निवास करता था।
- इस समूह में जर्मेनिक जनजातियों (Germanic Tribes) के लोग शामिल थे जो महाद्वीपीय यूरोप से ब्रिटिश द्वीप पर चले गए थे। जहाँ स्वदेशी ब्रिटिश समूह के लोगों ने एंग्लो-सैक्सन संस्कृति एवं भाषा के कई पहलुओं को अपनाया है।
- एंग्लो-सैक्सन लोगों ने इंग्लैंड में अपने साम्राज्य की स्थापना की और आधुनिक अंग्रेजी भाषा में लगभग आधे शब्द इस समूह की भाषा से संबंधित हैं।
- ऐतिहासिक रूप से ब्रिटेन में एंग्लो-सैक्सन काल लगभग 450 ईस्वी से 1066 ईस्वी के बीच बताया जाता है।
- प्रारंभिक एंग्लो-सैक्सन काल में एक अंग्रेजी राष्ट्र का निर्माण हुआ था। इस अवधि के दौरान वहाँ ईसाई धर्म स्थापित किया गया और साहित्य एवं भाषा का तेज़ी से विकास हुआ।