अंतर्राष्ट्रीय संबंध
तीव्र लेज़र ‘आइंस्टीन सिद्धांत’ के परीक्षण में मदद कर सकती है
- 03 Jul 2017
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संदर्भ
हाल ही में वैज्ञानिकों ने विश्व के सबसे तेज़ लेज़र को विकसित किया है। यह लेज़र काफी सटीक है तथा ऑप्टिकल परमाणु घड़ी को अधिक सटीक बनाने के साथ-साथ आइंस्टीन के ‘सापेक्षता के सिद्धांत’ का परीक्षण करने में भी मदद करेगा।
लेज़र (विकिरण के उत्सर्जन से प्रेरित प्रकाश प्रवर्द्धन)
लेज़र एक उपकरण है, जो विद्युत चुम्बकीय विकिरण के प्रेरित प्रकाश प्रवर्द्धन के आधार पर ऑप्टिकल प्रवर्द्धन की प्रक्रिया के माध्यम से प्रकाश का उत्सर्जन करता है। लेज़र और प्रकाश के अन्य स्रोतों के बीच मुख्य अंतर यह है कि लेज़र प्रकाश को एकरूप (coherently) से उत्सर्जित करता है।
सैद्धांतिक रूप से, लेज़र प्रकाश में केवल एक रंग, आवृत्ति एवं तरंगदैर्ध्य होती है, लेकिन व्यवहार में लेज़र का स्पक्ट्रम कुछ किलोहर्ट्ज (kHz) से मेगाहर्ट्ज (MHz) की चौड़ाई तक हो सकता हैं।
लेज़र के सबसे महत्त्वपूर्ण गुणों में से एक है उत्सर्जित प्रकाश का संयोजन (coherence)।
लेज़र को निर्वात में उनकी तरंगदैर्ध्य के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- जर्मनी के शोधकर्त्ताओं ने अब केवल 10 मिलीहर्ट्ज (mHz) की लाइनविड्थ वाले लेज़र को विकसित किया है, जो पहले से कहीं अधिक एक आदर्श लेज़र होगा।
- इस विकसित सटीक लेज़र के विभिन्न अनुप्रयोग हैं, जैसे - ऑप्टिकल परमाणु घड़ी, सटीक स्पेक्ट्रोस्कोपी, रेडियो-एस्ट्रोनॉमी और सापेक्षता के सिद्धांत का परीक्षण।
- वर्तमान में लेज़र लाइट का उपयोग उद्योगों, फार्मा क्षेत्र और सूचना प्रौद्योगिकी में किया जा रहा है।
- लेज़र ने अनुसंधान और मौसम-विज्ञान के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन किये हैं। इसके साथ ही कुछ नए क्षेत्रों में भी इसके अनुप्रयोगों की संभावना बढ़ रही है।
सापेक्षता सिद्धांत
- 20वीं सदी की शुरुआत में भौतिक वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन (1879-1955) द्वारा प्रस्तावित ‘सापेक्षता का सिद्धांत’ हमारे समय की सबसे महत्त्वपूर्ण वैज्ञानिक उपलब्धियों में से एक है।
- हालाँकि आइंस्टीन द्वारा सापेक्षता की अवधारणा को प्रस्तुत नहीं किया गया था।
- उन्होंने बताया कि निर्वात में प्रकाश की गति स्थिर होती है तथा गति की एक पूर्ण भौतिक सीमा भी होती है।
- यह किसी व्यक्ति के रोज़मर्रा के जीवन पर कोई ज़्यादा प्रभाव नहीं डालता है, क्योंकि हमारी गति प्रकाश की गति से काफी कम हैं।
- सापेक्षता सिद्धांत यह बताता है कि पृथ्वी पर एक पर्यवेक्षक के दृष्टिकोण से एक वस्तु धीमी गति और कम दूरी से गति करती है।
- आइंस्टीन ने एक प्रसिद्ध समीकरण E = mc2 भी दिया था, जिसके माध्यम से द्रव्यमान और ऊर्जा की तुल्यता का पता लगाया जा सकता है।