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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 19 Jul, 2024
  • 32 min read
प्रारंभिक परीक्षा

थर्टी मीटर टेलीस्कोप (TMT)

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में बंगलुरु स्थित भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (Indian Institute of Astrophysics- IIA) के भारतीय शोधकर्ताओं ने आगामी थर्टी मीटर टेलीस्कोप (Thirty Meter Telescope- TMT) के अनुकूली प्रकाशिकी प्रणाली (Adaptive Optics System- AOS) के लिये एक व्यापक तारा सूची तैयार करने हेतु एक नया ऑनलाइन टूल विकसित किया है।

थर्टी मीटर टेलीस्कोप (TMT) की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?

  • परिचय:
    • यह हवाई के मौना कीआ में शुरू होने वाली एक महत्त्वाकांक्षी अंतर्राष्ट्रीय परियोजना है, जिसमें भारत, अमेरिका, कनाडा, चीन और जापान शामिल हैं, जिसका उद्देश्य ब्रह्मांड की समझ को महत्त्वपूर्ण रूप से आगे बढ़ाना है।
      • भारत TMT परियोजना में एक प्रमुख साझेदार है तथा IIA स्थित भारत TMT केंद्र राष्ट्रीय सहयोग का नेतृत्व कर रहा है। 
    • TMT एक अगली पीढ़ी की खगोलीय वेधशाला है जिसे इसके विशाल 30-मीटर प्राथमिक दर्पण, उन्नत अनुकूली प्रकाशिकी प्रणाली और अत्याधुनिक उपकरणों के साथ अभूतपूर्व रिज़ॉल्यूशन तथा संवेदनशीलता प्रदान करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
    • TMT, विशाल मैगलन टेलीस्कोप और यूरोपीय दक्षिणी वेधशाला का अत्यंत विशाल टेलीस्कोप, भू-आधारित खगोल विज्ञान के भविष्य का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • प्राथमिक लक्ष्य:
    • प्रारंभिक ब्रह्मांड और बिग बैंग के बाद पहली आकाशगंगाओं तथा तारों के निर्माण एवं विकास का अध्ययन करना।
    • ब्रह्मांडीय समय में आकाशगंगाओं के निर्माण, संरचना और विकास की जाँच करना।
    • अतिविशाल ब्लैक होल और उनकी मेज़बान आकाशगंगाओं के बीच संबंध का अध्ययन करना।
    • तारों और ग्रह प्रणालियों के निर्माण की जाँच करना।
    • एक्सोप्लैनेट की विशेषता बताना और उनके वायुमंडल का अध्ययन करना।

  • अनुकूली प्रकाशिकी प्रणाली (AOS) और नया ऑनलाइन टूल:
    • TMT का AOS, जिसे नैरो फील्ड इंफ्रारेड एडेप्टिव ऑप्टिक्स सिस्टम (Narrow Field Infrared Adaptive Optics System- NFIRAOS) के रूप में जाना जाता है, वायुमंडलीय अशांति को ठीक करने और छवि रिज़ॉल्यूशन को बढ़ाने के लिये विकृत दर्पण तथा लेज़र गाइड स्टार (Laser Guide Stars- LGS) का उपयोग करता है।
    • यह सुविधा कृत्रिम मार्गदर्शक तारे बनाने के लिये आकाश में नौ लेज़र तक प्रक्षेपित करेगी। हालाँकि वायुमंडलीय अशांति इन लेज़र किरणों को प्रभावित करती है, इसलिये वायुमंडलीय टिप-टिल्ट (Tip-Tilt) को मापना अनिश्चित है।
      • इन प्रभावों को ठीक करने के लिये AO प्रणाली को तीन वास्तविक तारों, जिन्हें प्राकृतिक मार्गदर्शक तारे (Natural Guide Stars- NGS) के रूप में जाना जाता है, से फीडबैक की आवश्यकता होती है।
    • शोधकर्त्ताओं ने एक स्वचालित कोड विकसित किया है जिसका उपयोग निकट अवरक्त (NIR) तारों की सूची बनाने के लिये एक ऑनलाइन उपकरण के रूप में किया जा सकता है।
      • स्वचालित कोड, विभिन्न प्रकाशीय आकाश सर्वेक्षणों में पहचाने गए तारकीय स्रोतों के अपेक्षित निकट-अवरक्त परिमाणों की गणना उनके प्रकाशीय परिमाणों का उपयोग करके कर सकता है।

अन्य प्रमुख टेलीस्कोप

इसी प्रकार की अन्य परियोजनाएँ जिनका भारत हिस्सा है:

  • यूरोपियन काउंसिल फॉर न्यूक्लियर रिसर्च (CERN)"गॉड पार्टिकल" संबंधी परियोजना     
    • CMS: CMS उन प्रयोगों में से एक है, जिसमें हिग्स बोसॉन या 'गॉड पार्टिकल' की खोज की गई।
    • ALICE: ALICE में बिग बैंग के दौरान मौजूद स्थितियों का पता लगाया गया।
  • इंटरनेशनल फैसिलिटी फॉर एंटीप्रोटॉन एंड आयन रिसर्च (FAIR): यह द्रव्य के संरचनात्मक भागों और ब्रह्मांड के विकास के अध्ययन से संबंधित है।
    • NUSTAR (परमाणु संरचना, खगोल भौतिकी और अभिक्रियाएँ)
    • CBM (संपीड़ित बैरियोनिक पदार्थ)
    • PANDA (डार्मस्टाट में एंटीप्रोटॉन विलोपन)

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान के संदर्भ में, हाल ही में समाचारों में रहे दक्षिण ध्रुव पर स्थित एक कण डिटेक्टर 'आइसक्यूब' के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2015)

  1. यह विश्व का सबसे बड़ा न्यूट्रीनो डिटेक्टर है जिसमें एक क्यूबिक किलोमीटर बर्फ शामिल है। 
  2. यह डार्क मैटर की खोज के लिये एक शक्तिशाली दूरबीन है। 
  3. यह बर्फ में गहराई तक दबा हुआ है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


प्रश्न. अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के संदर्भ में हाल ही में खबरों में रहा "भुवन" क्या है? (2010)

(a) भारत में दूरस्थ शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए इसरो द्वारा लॉन्च किया गया एक छोटा उपग्रह
(b) चंद्रयान-द्वितीय के लिये अगले चंद्रमा प्रभाव जाँच को दिया गया नाम
(c) भारत की 3डी इमेजिंग क्षमताओं के साथ इसरो का एक जियोपोर्टल (Geoportal)
(d) भारत द्वारा विकसित एक अंतरिक्ष दूरबीन

उत्तर: (c)


प्रारंभिक परीक्षा

दस वर्षों में धान की सबसे कम बुआई

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा जून 2024 में जारी आँकड़ों के अनुसार, धान की बुआई का क्षेत्र अभी तक केवल 2.27 मिलियन हेक्टेयर (mha) ही रहा।

  • जून 2024 में भारत की प्राथमिक खरीफ फसल धान की बुआई का क्षेत्र, वर्ष 2015 के सूखा प्रभावित वर्ष के अतिरिक्त, विगत एक दशक में सबसे कम रहा।

धान की बुआई के क्षेत्र में हुई कमी के क्या कारण हैं?

  • ऐतिहासिक तुलना:
    • फसल मौसम निगरानी समूह के आँकड़ों के अनुसार वर्ष 2016 और वर्ष 2017 में धान की खेती का क्षेत्रफल क्रमशः 3.90 मिलियन हेक्टेयर तथा 3.89 मिलियन हेक्टेयर था एवं तब से इसमें 3.60 मिलियन हेक्टेयर व 2.69 मिलियन हेक्टेयर के बीच उतार-चढ़ाव होता रहा है तथा जून 2023 के आँकड़ों में क्षेत्रफल जून 2024 से थोड़ा अधिक था।
  • धान की बुआई में गिरावट के कारण:
    • वर्षा के प्रतिरूप में परिवर्तन: किसानों ने धान की बुआई हेतु आवश्यक पर्याप्त वर्षा को लेकर आशंकाएँ व्यक्त करते हुए जून माह के स्थान पर जुलाई माह में बुआई करने का निर्णय लिया। 
      • यह बदलाव हाल के वर्षों में देखी गई वर्षा के अनियमित पैटर्न के कारण है। उदाहरण के लिये, जून 2024 में 11% वर्षा की कमी थी। 
      • इन प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण लाखों किसानों के लिये जून माह अब खरीफ फसलों की बुआई के लिये उपयुक्त नहीं रहा 
    • कृषि संबंधी आवश्यकताएँ: धान की खेती करने के दौरान रोपाई के समय लगातार दो सप्ताह तक खेतों को 10 सेमी. की ऊँचाई तक जल से भरने की आवश्यकता होती है। 
    • शुष्क जून का प्रभाव: जून माह महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत का प्रतीक है जो भारत की 61% वर्षा आधारित कृषि के लिये आवश्यक मृदा को आद्रता  प्रदान करता है। शुष्क जून के परिणामस्वरूप ज़मीन में आद्रता का स्तर अपर्याप्त होता है जिससे किसानों के लिये फसल की बुआई करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। 
      • डाउन टू अर्थ द्वारा भारत के 676 ज़िलों को कवर करते हुए 1988-2018 की अवधि के आँकड़ों के विश्लेषण के अनुसार 62% ज़िलों में जून माह की वर्षा का स्तर कम रहा
  • निहितार्थ:
    • इन बदलावों के कारण फसल का परंपरागत कैलेंडर, जिसमें औसत वर्षा और तापमान के साथ-साथ बुआई तथा कटाई का समय उल्लिखित है, प्रासंगिक नहीं रहा।
    • जून 2024 के अंत तक धान की बुआई के क्षेत्र में हुई गिरावट भारतीय कृषि के समक्ष विद्यमान व्यापक चुनौतियों, विशेष रूप से अनियमित मानसून पैटर्न के प्रभाव का संकेत है।
      • हालाँकि अन्य खरीफ फसलों के बुआई क्षेत्र में वृद्धि देखी गई है किंतु समग्र प्रवृत्ति जलवायु की बदलती परिस्थितियों से निपटने के लिये बेहतर मौसम पूर्वानुमान और अनुकूली कृषि पद्धतियों की आवश्यकता को रेखांकित करती है।

खरीफ फसलें क्या हैं?

  • खरीफ फसलें वे फसलें हैं जो बरसात के मौसम में बोई जाती हैं, जो आमतौर पर जून में दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत के साथ शुरू होती हैं, जबकि फसल विपणन सीज़न अक्तूबर 2024 से सितंबर 2025 तक चलेगा।
    • खरीफ की कुछ प्रमुख फसलें धान, मक्का, बाजरा, दालें, तिलहन, कपास और गन्ना हैं।
  • भारत में कुल खाद्यान्न उत्पादन में खरीफ फसलों का योगदान लगभग 55% है।
  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में आगामी 2024-25 खरीफ विपणन सत्र के लिये धान के  न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को 5.35% बढ़ाकर 2,300 रुपए प्रति क्विंटल करने को मंज़ूरी दी।
    • मंत्रिमंडल ने सभी 14 खरीफ सीजन की फसलों के लिये MSP बढ़ोतरी को मंज़ूरी दे दी है, जो सरकार की “स्पष्ट नीति” के अनुरूप है, जिसमें MSP को सरकार द्वारा गणना की गई उत्पादन लागत से कम-से-कम 15 गुना अधिक रखने की बात कही गई है।
  • हालाँकि इनमें से केवल चार फसलों के MSP ऐसे हैं जो किसानों को उनकी उत्पादन लागत से 50% से अधिक का मार्जिन प्रदान करेंगे अर्थात् बाजरा (77%), उसके बाद अरहर दाल (59%), मक्का (54%) और काला चना (52%)।
  • वर्ष 2024 में MSP वृद्धि से कुल 2 लाख करोड़ रुपए का वित्तीय बोझ पड़ने की संभावना है, जो पिछले सीज़न की तुलना में लगभग 35,000 करोड़ रुपए अधिक है।

और पढ़ें: केंद्र खरीफ फसलों हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2023)  

  1. भारत सरकार नाइजर (गिज़ोटिया एबिसिनिका) बीजों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) प्रदान करती है।
  2.  नाइजर की खेती खरीफ फसल के रूप में की जाती है।
  3.  भारत में कुछ आदिवासी लोग खाना पकाने के लिये नाइजर सीड ऑयल का उपयोग करते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कितने सही हैं?

(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) कोई भी नहीं 

उत्तर: c 


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020) 

  1. सभी अनाजों, दालों और तिलहनों का 'न्यूनतम समर्थन मूल्य' (MSP) पर खरीद भारत के किसी भी राज्य/केंद्रशासित प्रदेश में असीमित है।
  2.  अनाजों एवं दालों का MSP किसी भी राज्य/केंद्रशासित प्रदेश में उस स्तर पर निर्धारित किया जाता है, जिस स्तर पर बाज़ार मूल्य कभी नहीं पहुँच पाते हैं। 

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: D


प्रारंभिक परीक्षा

SEBI द्वारा नवीन पूंजी वर्ग का प्रस्ताव

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India- SEBI) ने एक नवीन पूंजी वर्ग या उत्पाद श्रेणी शुरू करने का प्रस्ताव दिया है।

  • इस कदम का उद्देश्य निवेशकों को एक विनियमित निवेश उत्पाद उपलब्ध कराना है, जिसमें उच्च जोखिम लेने की क्षमता हो, साथ ही अपंजीकृत और अनधिकृत निवेश उत्पादों के प्रसार पर भी अंकुश लगाया जा सके।

नोट: 

  • PMS निवेशकों को अपने निवेश पोर्टफोलियो के प्रबंधन के लिये पेशेवरों पर भरोसा करने और विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों से प्रतिस्पर्द्धी रिटर्न अर्जित करने की अनुमति देता है।
  • यह सेवा प्रत्येक निवेशक की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये तैयार की गई है तथा यह सुनिश्चित करती है कि यह उनकी अपेक्षाओं और आवश्यकताओं को पूरा करना

प्रस्तावित नवीन पूंजी वर्ग क्या है?

  • न्यूनतम निवेश सीमा: नवीन पूंजी वर्ग के अंतर्गत न्यूनतम निवेश सीमा प्रति निवेशक 10 लाख रुपए प्रस्तावित की गई है।
  • विशिष्ट नामकरण: सेबी ने इस नवीन पूंजी वर्ग के लिये विशिष्ट नामकरण का प्रस्ताव किया है ताकि इसे पारंपरिक MF, PMS, वैकल्पिक निवेश कोष (Alternative Investment Funds- AIF), रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (Real Estate Investment Trusts- REIT) और इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश ट्रस्ट (Infrastructure Investment Trusts- INVIT) से अलग किया जा सके।
  • निवेश रणनीतियाँ: कुछ निवेश रणनीतियाँ जिनकी अनुमति दी जा सकती है, उनमें दीर्घ-अल्प अवधि इक्विटी फंड और इनवर्स एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (Exchange-Traded Fund- ETF) (ऐसे फंड जो स्टॉक एक्सचेंजों पर कारोबार किये जाते हैं, काफी हद तक व्यक्तिगत स्टॉक की तरह) शामिल हैं।
    • निवेशकों के पास नए परिसंपत्ति वर्ग के अंतर्गत निवेश रणनीतियों के लिये व्यवस्थित निवेश योजना (Systematic Investment Plan- SIP), व्यवस्थित निकासी योजना (Systematic Withdrawal Plan- SWP) और व्यवस्थित हस्तांतरण योजना (Systematic Transfer Plan- STP) जैसी व्यवस्थित योजनाओं का विकल्प भी हो सकता है।
  • एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMC) के लिये पात्रता मानदंड:
    • पात्रता के दो मार्ग:
      • पहला मार्ग: कम-से-कम तीन वर्षों से परिचालनरत विद्यमान एमएफ, जिनकी औसत प्रबंधनाधीन परिसंपत्ति (AUM) 10,000 करोड़ रुपए है तथा जिनके प्रायोजक/AMC के विरुद्ध पिछले तीन वर्षों में सेबी द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है, वे सीधे इस नए वर्ग में उत्पाद पेश कर सकते हैं।
      • दूसरा मार्ग: मौजूदा और नए MF जो पहले पात्रता मार्ग को पूरा नहीं करते हैं, उन्हें कम-से-कम 10 वर्ष के फंड प्रबंधन अनुभव वाले और कम-से-कम 5,000 करोड़ रुपए के AUM का प्रबंधन करने वाले मुख्य निवेश अधिकारी (Chief Investment Officer- CIO) की नियुक्ति करनी चाहिये।
        • न्यूनतम 7 वर्ष के निवेश प्रबंधन अनुभव वाले और 3,000 करोड़ रुपए के AUM का प्रबंधन करने वाले अतिरिक्त फंड मैनेजर की नियुक्ति।
  • संभावित लाभ और निहितार्थ:
    • विनियमित निवेश उत्पाद: नवीन पूंजी वर्ग से निवेशकों को एक विनियमित निवेश उत्पाद प्रदान करने की उम्मीद है, जो उच्च जोखिम लेने की क्षमता और उच्च टिकट आकार (ticket size) प्रदान करता है।
    • MF और PMS के बीच की खाई को पाटना: नवीन पूंजी वर्ग का उद्देश्य MF और PMS के बीच की खाई को भरना है, जो निवेशकों के उभरते वर्ग की आवश्यकताओं को पूरा करने वाले उत्पाद प्रस्तुत करता है।
    • MF की भूमिका को सुदृढ़ करना: नवीन पूँजी वर्ग, उत्पादों के पेशकश के लिये पात्रता मानदंड निवेश परिदृश्य में स्थापित MF और AMC की स्थिति को मज़बूत कर सकते हैं।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI)

SEBI एक सांविधिक निकाय है, जिसकी स्थापना वर्ष 1992 में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के प्रावधानों के अनुसार निवेशकों के हितों की रक्षा करने तथा प्रतिभूति बाज़ार को विनियमित करने के लिये की गई थी।

  • इसका मुख्यालय मुंबई में स्थित है तथा इसके क्षेत्रीय कार्यालय अहमदाबाद, कोलकाता, चेन्नई और दिल्ली में हैं।
  • सेबी की स्थापना से पूर्व पूंजी निर्गम नियंत्रक, पूंजी निर्गम (नियंत्रण) अधिनियम, 1947 के अंतर्गत पूंजी बाज़ारों को विनियमित करता था।
    • वर्ष 1988 में सेबी का गठन एक सरकारी प्रस्ताव के माध्यम से भारत में पूंजी बाज़ारों के लिये नियामक प्राधिकरण के रूप में किया गया था।
    • प्रारंभ में सेबी एक गैर-सांविधिक निकाय था, लेकिन सेबी अधिनियम 1992 के माध्यम से इसे स्वायत्तता और सांविधिक शक्तियाँ प्राप्त हुईं।
  • सेबी बोर्ड में एक अध्यक्ष तथा अन्य पूर्णकालिक और अंशकालिक सदस्य शामिल हैं। सेबी वर्तमान मुद्दों को संबोधित करने के लिये आवश्यकतानुसार समितियों का गठन करता है।
    • सेबी के निर्णयों से प्रभावित लोगों के हितों की रक्षा के लिये प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (SAT) की स्थापना की गई है, जिसमें एक पीठासीन अधिकारी और दो सदस्य हैं।
    • SAT को सिविल न्यायालय के समान अधिकार प्राप्त हैं तथा इसके निर्णयों के विरुद्ध अपील सर्वोच्च न्यायालय में की जा सकती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा उन विदेशी निवेशकों को जारी किया जाता है जो खुद को सीधे पंजीकृत किये बिना भारतीय शेयर बाज़ार का हिस्सा बनना चाहते हैं? (2019)

(a) जमा प्रमाण-पत्र
(b) वाणिज्यिक-पत्र
(c) वचन-पत्र
(d) पार्टिसिपेटरी नोट

उत्तर: (d)


रैपिड फायर

फ्लोरिडा कारपेंटर चींटियाँ

स्रोत: द हिंदू

हाल के अध्ययन से पता चला है कि फ्लोरिडा कारपेंटर चींटियाँ (Camponotus floridanus) अपने जीवित रहने की संभावनाओं को बेहतर बनाने के लिये अपने घोंसले में जीवन रक्षक सर्जरी करती हैं।

  • चोट लगने के स्थान के आधार पर, ये चींटियाँ या तो अंग काटना (सर्जरी के माध्यम से शारीरिक घटक को हटाना) अथवा केवल घाव को साफ करना चुनती हैं।
    • पैर के ऊपर (फीमर) चोट लगने पर अंग-विच्छेदन किया जाता है, जबकि पैर के निचले भाग (टिबिया) में लगे घावों के लिये सफाई की जाती है।
  • चींटियों में हेमोलिम्फ नामक एक नीला-हरा तरल पदार्थ होता है, जो अधिकांश अकशेरुकी जीवों के रक्त के समान होता है। पैर की अधिक चोट लगने से हेमोलिम्फ का प्रवाह धीमा हो जाता है, जिससे प्रभावी विच्छेदन में सहायता मिलती है।
  • चींटियों के इस व्यवहार को जीव जगत में सबसे परिष्कृत "चिकित्सा प्रणाली" माना जाता है, जो केवल मानव चिकित्सा पद्धतियों की प्रतिद्वंद्वी है।

फ्लोरिडा कारपेंटर चींटियाँ:

  • ये 1.5 सेमी. से अधिक लंबी लाल-भूरे रंग की प्रजातियाँ हैं, जिनके 6 पैर होते हैं, जो दक्षिण-पूर्वी अमेरिका में पाई जाती हैं।
  • वे सड़ती हुई लकड़ी में कालोनियाँ बनाती हैं और साथ ही प्रतिद्वंद्वी चींटी कालोनियों से अपने घोंसलों की रक्षा करते हैं।

और पढ़ें: कीटों का जीवन, ओरंगुटान द्वारा औषधीय पौधे से घाव का उपचार


रैपिड फायर

गेवरा और कुसमुंडा विश्व की सबसे बड़ी कोयला खदानों में शामिल

स्रोत: पी.आई.बी.

हाल ही में छत्तीसगढ़ स्थित कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) की सहायक कंपनी साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) की गेवरा और कुसमुंडा कोयला खदानों ने WorldAtlas.com द्वारा जारी विश्व  की 10 सबसे बड़ी कोयला खदानों की सूची में क्रमशः द्वितीय एवं चतुर्थ स्थान हासिल किया है।

  • छत्तीसगढ़ के कोरबा ज़िले में स्थित ये दो खदानें सालाना 100 मिलियन टन से अधिक कोयले का उत्पादन करती हैं, जो भारत के कुल कोयला उत्पादन का लगभग 10% है
  • गेवरा SECLकी मेगाप्रोजेक्ट्स में से एक है एवं वित्त वर्ष 2022-23 के लिये वार्षिक उत्पादन 52.5 मिलियन टन और वित्त वर्ष 2023-24 में 59 मिलियन टन तक पहुँचने के साथ वर्ष 2023 में देश की सबसे बड़ी कोयला खदान बन गई। वित्त वर्ष 2023-24 में कुसमुंडा खदान से 50 मिलियन टन से अधिक का उत्पादन हुआ।
  • ये खदानें बिना विस्फोट के पर्यावरण-अनुकूल कोयला निष्कर्षण के लिये "सरफेस माइनर" जैसी उन्नत खनन मशीनों का उपयोग करती हैं
    • अधिभार हटाने (कोयले की परत को उजागर करने के लिये मिट्टी, पत्थर आदि की परतों को हटाने की प्रक्रिया) के लिये, खदानें पर्यावरण के अनुकूल और विस्फोट-मुक्त ओबी हटाने के लिये वर्टिकल रिपर्स के साथ-साथ विश्व की कुछ सबसे बड़ी HEMM (हैवी अर्थ मूविंग मशीनरी) का उपयोग करती हैं
  • कोल इंडिया लिमिटेड एक महारत्न कंपनी है, जिसकी स्थापना नवंबर 1975 में की गई थी एवं तब से यह विश्व की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक बन गई है। यह वर्ष 1973 के कोयला खान (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम के तहत काम करती है, जो इसे देश में कोयला खनन और वितरण पर एकाधिकार देता है।

और पढ़े: कोल इंडिया और CCI


रैपिड फायर

शिवाजी महाराज की वाघ नख की महाराष्ट्र में वापसी

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

हाल ही में छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा इस्तेमाल किया गया युद्धकालीन हथियार 'वाघ नख' लंदन के विक्टोरिया एंड अल्बर्ट (V&A) संग्रहालय से मुंबई लाया गया है।

  • विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय ने प्राचीन हथियार को तीन वर्ष की अवधि के लिये ऋणात्मक आधार पर महाराष्ट्र सरकार को सौंपा है, उक्त अवधि के दौरान इसे राज्य भर के संग्रहालयों में प्रदर्शित किया जाएगा।
  • 'वाघ नख', जिसका शाब्दिक अर्थ है 'बाघ का पंजा', एक विशिष्ट मध्यकालीन खंजर है जिसका उपयोग भारतीय उपमहाद्वीप में किया जाता है। इस घातक हथियार में एक दस्ताने और एक छड़ से जुड़े चार अथवा पाँच घुमावदार ब्लेड होते हैं, जिसे व्यक्तिगत सुरक्षा अथवा गुप्त तरीके से हमला करने के लिये डिज़ाइन किया गया था। इसके नुकीले ब्लेड काफी तेज़ थे।
    • कोंकण क्षेत्र में शिवाजी की मज़बूत पकड़ व अभियानों को कमज़ोर करने के लिये नियुक्त किये गए बीजापुर के सेनापति अफज़ल खान और छत्रपति शिवाजी के बीच लड़ाई हुई थी। अफज़ल खान ने शांतिपूर्ण सुलह का सुझाव दिया था किंतु संभावित खतरे की आशंका को देखते हुए शिवाजी पूरी तैयारी के साथ आए थे।
  • उनका जन्म 19 फरवरी, 1630 को महाराष्ट्र के पुणे ज़िले के शिवनेरी किले में हुआ था, वह बीजापुर सल्तनत के तहत पुणे और सुपे की जागीरदारी रखने वाले मराठा सेनापति शाहजी भोंसले तथा एक धार्मिक महिला जीजाबाई के पुत्र थे, जिनका शिवाजी के जीवन पर काफी प्रभाव पड़ा।
  • उन्होंने प्रतापगढ़ की लड़ाई, पवन खिंड की लड़ाई, सूरत की लूट, पुरंदर की लड़ाई, सिंहगढ़ की लड़ाई और संगमनेर की लड़ाई जैसी महत्त्वपूर्ण लड़ाइयाँ लड़ीं।
    • उनके द्वारा छत्रपति, शाककार्ता, क्षत्रिय कुलवंत तथा हैंदव धर्मोधारक की उपाधियाँ धारण की गई।
    • उन्होंने आठ मंत्रियों की एक परिषद (अष्टप्रधान) के साथ एक केंद्रीकृत प्रशासन की स्थापना की, जो प्रत्यक्ष रूप से उनके प्रति ज़िम्मेदार थे और राज्य के विभिन्न मामलों पर उन्हें सलाह देते थे।
    • शिवाजी ने जागीरदारी प्रणाली को समाप्त कर दिया और इसे रैयतवारी प्रणाली में बदल दिया तथा वंशानुगत राजस्व अधिकारियों की स्थिति में परिवर्तन किया, जिन्हें देशमुख, देशपांडे, पाटिल एवं कुलकर्णी के नाम से जाना जाता था।

और पढ़ें:  छत्रपति शिवाजी महाराज का वाघ नख


रैपिड फायर

कार्लोस अल्काराज़ ने अपना चौथा ग्रैंड स्लैम जीता

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स 

हाल ही में स्पेन के कार्लोस अल्काराज़ (Carlos Alcaraz) ने विंबलडन टेनिस मेंस सिंगल के फाइनल मैच में सर्बिया के नोवाक जोकोविच को हराकर अपना चौथा ग्रैंड स्लैम खिताब जीता।

  • इस जीत के साथ ही अल्काराज़ मात्र 21 वर्ष की आयु में 4 ग्रैंड स्लैम खिताब जीतने वाले सबसे कम आयु के खिलाड़ी बन गए।
  • पिछले 5 ग्रैंड स्लैम में से 4 खिताब, अल्काराज़ और जैनिक सिनर (इटली के खिलाड़ी) जैसे टेनिस के नई पीढ़ी के खिलाड़ियों ने अर्जित किये जो मेंस टेनिस में शक्ति संतुलन में बदलाव का संकेत है।
  • फेडरर, नडाल और जोकोविच, जिन्हें "बिग थ्री" माना जाता है, का पिछले दो दशकों से इस खेल पर प्रभुत्व रहा है जो वर्तमान में उभरते प्रतिभाशाली खिलाड़ियों से कड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं।

ग्रैंड स्लैम:

  • यह एक ही कैलेंडर सीज़न में सभी 4 प्रमुख टेनिस चैंपियनशिप (ऑस्ट्रेलिया, फ्राँस, ब्रिटेन (विंबलडन) और संयुक्त राज्य अमेरिका की चैंपियनशिप) जीतने को संदर्भित करता है।
  • यह खिताब 5 विभिन्न खिलाड़ियों द्वारा 6 बार अर्जित किया गया है।
  • डॉन बज वर्ष 1938 में एक ही वर्ष में सभी 4 प्रमुख चैंपियनशिप जीतकर टेनिस में ग्रैंड स्लैम का खिताब अर्जित करने वाले पहले खिलाड़ी हैं।

और पढ़ें: ऑस्ट्रेलियाई ओपन


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