नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

एक्सोप्लैनेट

  • 17 Jan 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

एक्सोप्लैनेट, नासा, जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप, LHS 475b , एक्सोप्लैनेट, रेड ड्वार्फ स्टार।

मेन्स के लिये:

एक्सोप्लैनेट, खोज और इसके अध्ययन का महत्त्व।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने LHS 475b नाम के नए एक्सोप्लैनेट की खोज की है। 

  • वेब टेलीस्कोप की बढ़ी हुई क्षमताओं को देखते हुए आशा है कि भविष्य में पृथ्वी के आकार के और भी ग्रहों की खोज हो सकती है। 

LHS 475b: 

  • निष्कर्ष: 
    • मोटे तौर पर यह पृथ्वी के आकार का है, इसका व्यास 99% पृथ्वी के समान है।
    • यह एक आकाशीय, चट्टानी ग्रह है जो पृथ्वी से लगभग 41 प्रकाश वर्ष (Light Year) दूर नक्षत्र ऑक्टान में है।
    • यह पृथ्वी से दो मामलों में भिन्न है, पहला कि यह केवल दो दिनों में एक परिक्रमा पूरी करता है तथा दूसरा, पृथ्वी से सैकड़ों डिग्री अधिक गर्म है।
    • हमारे सौरमंडल के किसी भी ग्रह की तुलना में यह अपने तारे के अधिक निकट है
      • यह एक रेड ड्वार्फ स्टार के बहुत करीब से परिक्रमा करता है और केवल दो दिनों में एक पूर्ण परिक्रमा पूरी कर लेता है।
      • अब तक खोजे गए अधिकांश एक्सोप्लैनेट बृहस्पति के समान हैं क्योंकि पृथ्वी के आकार के ग्रह बहुत छोटे हैं और इन्हें पुराने टेलीस्कोप से इनका पता लगाना भी कठिन होता है।
  • महत्त्व: 
    • पृथ्वी के आकार के इस चट्टानी ग्रह के अवलोकन संबंधी परिणाम इस प्रकार के ग्रहों के वायुमंडल के अध्ययन में सहायक भविष्य की कई संभावनाओं का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
    • लाल बौने तारे का तापमान सूर्य के तापमान का आधा है, इसलिये शोधकर्त्ता उम्मीद कर रहे हैं कि इसमें भी वातावरण हो सकता है।

एक्सोप्लैनेट:

  • परिचय: 
    • एक्सोप्लैनेट ऐसे ग्रह हैं जो अन्य तारों की परिक्रमा करते हैं और हमारे सौरमंडल से दूर हैं। एक्सोप्लैनेट का पता लगाने की पहली पुष्टि वर्ष 1992 में हुई थी।
      • नासा के अनुसार, अब तक 5,000 से अधिक एक्सोप्लैनेट की खोज की गई है।  
      • वैज्ञानिकों का मानना है कि तारों की तुलना में ग्रहों की संख्या अधिक है क्योंकि कम-से- कम एक ग्रह प्रत्येक तारे की परिक्रमा करता है। 
    • एक्सोप्लैनेट विभिन्न आकार के होते हैं। वे बृहस्पति जैसे बड़े व गैसीय तथा पृथ्वी जैसे छोटे एवं चट्टानी हो सकते हैं। इनके तापमान में भी भिन्नता पाई जाती है जो अत्यधिक गर्म (Boiling Hot) से अत्यधिक ठंडे (Freezing Cold)  तक हो सकते हैं।

Exoplanet-Types

  • खोज:
    • एक्सोप्लैनेट को दूरबीनों से सीधे देखना बहुत मुश्किल होता है। वे उन तारों की उज्ज्वल चमक में छिपे हुए हैं जिनकी वे परिक्रमा करते हैं।  
    • इसलिये खगोलविद् एक्सोप्लैनेट का पता लगाने और अध्ययन करने के लिये अन्य तरीकों का उपयोग करते हैं जैसे कि इन ग्रहों के तारों के उन प्रभावों को देखना जिनकी वे परिक्रमा करते हैं। 
    • वैज्ञानिक अप्रत्यक्ष तरीकों पर भरोसा करते हैं जैसे कि पारगमन विधि जो एक तारे के मंद होने की माप करती है जिसके सामने से एक ग्रह गुज़रता है। 
    • अन्य अन्वेषण विधियों में गुरुत्त्वाकर्षण माइक्रोलेंसिंग शामिल है- एक दूर के तारे से प्रकाश गुरुत्त्वाकर्षण द्वारा अपवर्तित और केंद्रित होता है क्योंकि एक ग्रह तारे तथा पृथ्वी के बीच से गुज़रता है। यह विधि काल्पनिक रूप से एक्सोप्लैनेट अन्वेषण के लिये हमारे सूर्य का उपयोग कर सकती है। 
  • महत्त्व: 
    • एक्सोप्लैनेट का अध्ययन न केवल अन्य सौर प्रणालियों के प्रति हमारी समझ को व्यापक बनाता है, बल्कि हमें अपने ग्रह प्रणाली और उनकी उत्पत्ति के बारे में जानकारी देने में भी मदद करता है।  
    • हालाँकि उनके बारे में जानने का सबसे सशक्त कारण मानव जाति के सर्वाधिक गहन और विचारोत्तेजक प्रश्नों में से एक का उत्तर खोजना है कि क्या हम इस ब्रह्मांड में अकेले हैं? 
    • अध्ययन का एक अन्य महत्त्वपूर्ण तत्त्व एक्सोप्लैनेट और उसके समूह तारों के मध्य की दूरी का पता लगाना है।  
      • यह वैज्ञानिकों को यह निर्धारित करने में मदद करता है कि खोज की गई दुनिया रहने योग्य है या नहीं। यदि एक एक्सोप्लैनेट तारे के बहुत करीब है, तो यह पानी को तरल बनाए रखने हेतु अत्यधिक गर्म हो सकता है। यदि यह बहुत दूर है, तो इस पर केवल जमा हुआ पानी ही हो सकता है। 
      • जब कोई ग्रह इतनी दूरी पर होता है जो पानी को तरल बनाए रखने में सक्षम होता है, तो उसे "गोल्डीलॉक्स ज़ोन" या रहने योग्य क्षेत्र कहा जाता है।

लाल वामन (ड्वार्फ) तारे:  

  • लाल वामन तारे छोटे, कम द्रव्यमान वाले, मंद और शांत तारे हैं, वे ब्रह्मांड में सबसे सामान्य एवं सबसे छोटे हैं।  
  • चूँकि वे ज़्यादा प्रकाश नहीं फैलाते हैं, इसलिये पृथ्वी से नग्न आँखों द्वारा उनका पता लगाना बहुत कठिन है। 
  • हालाँकि चूँकि लाल वामन अन्य सितारों की तुलना में मंद होते हैं, इसलिये इसे घेरने वाले एक्सोप्लैनेट को ढूँढना आसान होता है। इसलिये शिकार हेतु लाल वामन ग्रह एक लोकप्रिय लक्ष्य है। 
  • लाल वामन तारे का वास योग्य क्षेत्र हमारे सूर्य अधिक निकट होता है, जिससे संभवतः वास योग्य ग्रहों का पता लगाना आसान हो जाता है।

Types-of-stars

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. 'गोल्डीलॉक्स ज़ोन (Goldilocks Zone)' शब्द निम्नलिखित में से किसके संदर्भ में अक्सर समाचारों में देखा जाता है? (2015)

(a) भू-पृष्ठ के ऊपर वास योग्य मंडल की सीमाएँ
(b) पृथ्वी के अंदर का वह क्षेत्र जिसमें शैल गैस उपलब्ध है
(c) बाह्य अंतरिक्ष में पृथ्वी जैसे ग्रहों की खोज
(d) मूल्यवान धातुओं से युक्त उल्कापिंडों की खोज

उत्तर: (c)

व्याख्या:

  • गोल्डीलॉक्स ज़ोन (Goldilocks Zone) जिसे वास योग्य क्षेत्र (Habitable Zone) भी कहा जाता है, एक तारे के चारों ओर का वह क्षेत्र है जहाँ पृथ्वी जैसे किसी ग्रह की सतह न तो बहुत ठंडी और न ही बहुत गर्म हो अर्थात् उस ग्रह पर जीवन की संभावना हो।
  • जैसा कि हम जानते हैं, पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत जल की उपस्थिति के कारण हुई, अतः जल जीवन का अनिवार्य घटक है। 

अतः विकल्प (c) सही है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow