इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी (EEG)
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी (EEG) जर्मन फिजियोलॉजिस्ट हैंस बर्जर द्वारा विकसित प्रथम मानव EEG के शताब्दी वर्ष के कारण चर्चा में रही है।
- व्लादिमीर प्राव्दिच-नेमिंस्की ने वर्ष 1912 में एक कुत्ते के मस्तिष्क से पहला स्तनधारी EEG प्राप्त किया, इसके बाद वर्ष 1924 में हंस बर्गर ने पहला मानव EEG प्राप्त किया।
इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी (EEG) क्या है?
- परिचय:
- EEG का मतलब इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी है। ‘इलेक्ट्रो-’ बिजली से संबंधित है; ‘-एन्सेफेलो-’ मस्तिष्क को संदर्भित करता है और ‘-ग्राफी’ एक प्रत्यय है जिसका अर्थ है दिखाना या प्रतिनिधित्व करना।
- EEG भौतिकी और तंत्रिका जीव विज्ञान में एक उल्लेखनीय उपकरण है, जो आक्रामक प्रक्रियाओं के बिना मानव मस्तिष्क के कार्य करने की स्थिति दर्शाता है।
- EEG सेटअप सरल, लागत प्रभावी, गैर-आक्रामक, पोर्टेबल, स्थान-कुशल है और MRI के विपरीत उच्च-ऊर्जा विकिरण या ध्वनि उत्सर्जित नहीं करता है।
- कार्यविधि:
- आयतन चालन वह इंटरफेस है जो विद्युत विभव के स्रोत और उसको मापने वाले इलेक्ट्रोड के बीच होता है।
- यह तब होता है जब विद्युत विभव को उसके स्रोत से कुछ दूरी पर मापा जाता है।
- मस्तिष्क में न्यूरॉन लगातार अपने आस-पास के वातावरण के साथ आयनों का आदान-प्रदान करते हैं, जिससे विद्युत गतिविधि की तरंगें उत्पन्न होती हैं, जो खोपड़ी पर स्थित इलेक्ट्रोडों को इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम उत्पन्न करने के लिये प्रेरित करती हैं।
- आयतन चालन वह इंटरफेस है जो विद्युत विभव के स्रोत और उसको मापने वाले इलेक्ट्रोड के बीच होता है।
- अनुप्रयोग:
- यह मिर्गी (मस्तिष्क से जुड़ी एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति जो लोगों को बार-बार बिना किसी कारण के दौरे पड़ने के लिये अतिसंवेदनशील बनाती है) का निदान करने के लिये उपलब्ध सबसे अच्छा परीक्षण है।
- ईईजी परीक्षण एनेस्थीसिया, नींद के पैटर्न, कोमा के दौरान न्यूरोलॉजिकल गतिविधि और ऑक्सीजन की उपलब्धता के प्रभावों को भी प्रकट कर सकता है।
- EEG मस्तिष्क की मृत्यु की पुष्टि करने में भी मदद कर सकता है।
- तंत्रिका विज्ञान, संज्ञानात्मक मनोविज्ञान, न्यूरोलिंग्विस्टिक्स और न्यूरोमार्केटिंग अध्ययनों तथा मस्तिष्क-कंप्यूटर इंटरफेस विकसित करने के लिये भी इसका उपयोग किया जाता है।
- शोधकर्त्ताओं ने EEG डेटा को विभिन्न मस्तिष्क गतिविधियों से जोड़ा है, जो सामान्य और असामान्य स्थितियों के बीच प्रभावी रूप से अंतर करते हैं।
- चुनौतियाँ:
- EEG तीव्र मस्तिष्क गतिविधि को मिलीसेकंड में ट्रैक करने के लिये उपयुक्त है, लेकिन यह मस्तिष्क की सतह एवं डेन्ड्राइट्स से आने वाले संकेतों के प्रति पक्षपाती है, परिणामस्वरूप गतिविधि के मूल का पता लगाना जटिल हो जाता है।
- शोधकर्त्ता इन चुनौतियों से निपटने के लिये MRI और उन्नत तरीकों के साथ EEG का उपयोग करते हैं।
EEG एवं अन्य प्रौद्योगिकियाँ
विशेषता |
EEG (इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी) |
fMRI (फंक्शनल मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग) |
PET Scan (पॉज़िट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी स्कैन) |
MEG (मैग्नेटोएन्सेफेलोग्राफी) |
यह क्या मापता है |
न्यूरॉन्स की विद्युतीय गतिविधि |
मस्तिष्क में रक्त प्रवाह में परिवर्तन |
मस्तिष्क कोशिकाओं की चयापचय गतिविधि |
मस्तिष्क में विद्युत धाराओं द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र |
सुरक्षा |
सुरक्षित, गैर-आक्रामक |
सुरक्षित, गैर-आक्रामक (कुछ सीमाओं के साथ) |
कम खुराक वाले विकिरण जोखिम की आवश्यकता होती है |
सुरक्षित, गैर-आक्रामक |
लागत |
अपेक्षाकृत सस्ती |
बहुत महंगी |
महंगी |
महंगी |
सुवाह्यता/पोर्टेबल(Portability) |
पोर्टेबल, विभिन्न सेटिंग्स में उपयोग किया जा सकता है |
पोर्टेबल नहीं, एक बड़े स्कैनर कक्ष की आवश्यकता होती है |
पोर्टेबल नहीं, एक विशेष स्कैनर की आवश्यकता होती है |
कुछ हद तक पोर्टेबल, चुंबकीय रूप से संरक्षित कमरे की आवश्यकता होती है |
अनुप्रयोग |
मिर्गी का निदान, नींद का अध्ययन, मस्तिष्क कार्य निगरानी |
कार्यों के दौरान मस्तिष्क की कार्यप्रणाली का अध्ययन, ब्रेन मैपिंग |
रोगों से जुड़े चयापचय परिवर्तनों की पहचान करना, कैंसर का पता लगाना |
कार्यों के दौरान मस्तिष्क की कार्यप्रणाली का अध्ययन, मिर्गी का स्थानीयकरण |
और पढ़ें: MRI
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. दृश्यमान प्रकाश संचार (VLC) तकनीक के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही है? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (c) प्रश्न: हाल ही में सुर्खियों में रहे 'Li-Fi' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2016)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (c) |
BIMSTEC के विदेश मंत्रियों की दूसरी रिट्रीट
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
बहु-क्षेत्रीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग के लिये बंगाल की खाड़ी पहल (Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation- BIMSTEC) के विदेश मंत्रियों की दूसरी रिट्रीट नई दिल्ली में आयोजित हुई, जो म्याँमार में बढ़ते तनाव और प्रमुख घटनाक्रमों के बीच और अधिक महत्त्वपूर्ण हो गई है।
- भारत के विदेश मंत्री ने, विशेष रूप से म्याँमार के सैन्य जुंटा (Military Junta) द्वारा विभिन्न एथनिक आर्म्ड ऑर्गेनाइज़ेशंस (Ethnic Armed Organisations- EAO) के विरुद्ध हाल ही में सामना किये गए चुनौतियों के आलोक में, आंतरिक रूप से क्षेत्रीय चुनौतियों का समाधान करने के लिये BIMSTEC की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
नोट: यह रिट्रीट वर्ष 2024 में BIMSTEC चार्टर के प्रभावी होने के बाद से पहला बड़ा आयोजन है, जो संगठन के विकास में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर है। बिम्सटेक विदेश मंत्रियों की रिट्रीट का पहला संस्करण वर्ष 2023 में बैंकॉक, थाईलैंड में आयोजित किया गया था।
BIMSTEC विदेश मंत्रियों की बैठक की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
- वैश्विक एवं क्षेत्रीय विकास: बैठक में वर्तमान वैश्विक एवं क्षेत्रीय चुनौतियों के कारण क्षमता निर्माण और आर्थिक सहयोग जैसे दीर्घकालिक लक्ष्यों को प्राप्त करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया।
- म्याँमार संकट: चर्चा का मुख्य विषय क्षेत्रीय स्थिरता और विकास परियोजनाओं पर म्याँमार संकट का प्रभाव था। म्याँमार में अस्थिरता BIMSTEC के लिये एक बड़ी चिंता का विषय है क्योंकि इसने नेपाल, भूटान, भारत, बांग्लादेश, म्याँमार और थाईलैंड के बीच संबंधों को मज़बूत करने के उद्देश्य से विभिन्न विकास तथा कनेक्टिविटी परियोजनाओं को प्रभावित किया है।
- मानवीय सहायता पर चर्चा: बातचीत में मानवीय सहायता की संभावना पर भी चर्चा हुई, हालाँकि भारत की वर्तमान सहायता विस्थापित आबादी और मिज़ोरम में शरण लेने वाले सैन्य कर्मियों तक ही सीमित है।
- म्याँमार संकट पर भारत का रुख: भारत ने विशेष रूप से तब से सतर्क रुख अपनाया है, जब से एथनिक आर्म्ड ऑर्गेनाइज़ेशंस (EAO) ने महत्त्वपूर्ण व्यापार मार्गों और अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के निकट क्षेत्रों पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया है।
- भारत साइबर अपराध, मादक पदार्थों और अवैध हथियारों जैसे पार-देशीय अपराधों से निपटने में सहयोग कर रहा है।
म्याँमार संकट
म्याँमार की सैन्य (Tatmadaw) जुंटा ने फरवरी 2021 में लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को पारजित किया। इसके कारण व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए और लोकतंत्र की बहाली की मांग को लेकर सविनय अवज्ञा आंदोलन हुआ।
- सेना की दमनकारी नीति का प्रतिरोध करने हेतु एथनिक आर्म्ड ऑर्गेनाइज़ेशंस (EAO) सहित विपक्षी समूहों ने सैन्य शासन का विरोध करने के लिये पीपल्स डिफेंस फोर्सेज़ (PDF) का गठन किया, जो अपदस्थ सांसदों द्वारा स्थापित नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट (NUG) का समर्थन कर रहा था। अक्तूबरबर 2023 से सैन्य और सशस्त्र विपक्षी समूहों के बीच संघर्ष अधिक बढ़ गया, जिससे नागरिकों का व्यापक विस्थापन हुआ तथा मानवतावाद संकट की स्थिति में आया।
- लगभग 2.6 मिलियन नागरिकों को विवश होकर अपना निवास छोड़ना पड़ा और वर्तमान में 18.6 मिलियन नागरिकों, कुल आबादी का लगभग 1/3, को मानवीय सहायता की आवश्यकता है। मुद्रास्फीति और संघर्ष ने भोजन और अन्य मूल आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को बढ़ा दिया है जिससे 1/4 आबादी को खाद्य संकट का सामना करना पड़ा और अस्वस्थता की स्थिति उत्पन्न हुई।
- भारत ने एक संतुलित रुख बनाते हुए अपने हितों की रक्षा के लिये सेना के साथ वार्ता करते हुए लोकतंत्र के विघटन पर चिंता व्यक्त की। सेना विरोधी तत्त्वों ने भारत-म्याँमार सीमा के समीप स्थित महत्त्वपूर्ण शहरों पर कब्ज़ा कर लिया है जिससे भारत-म्याँमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग जैसी महत्त्वपूर्ण कनेक्टिविटी परियोजनाएँ प्रभावित हुई हैं।
और पढ़ें: बिम्सटेक चार्टर
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2016)
उपर्युक्त में से कौन-सा/से युग्म सही सुमेलित है/हैं? (a) 1 और 2 उत्तर- (c) |
वन सलाहकार समिति (FAC)
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की वन सलाहकार समिति (FAC) ने पुरी में प्रस्तावित श्री जगन्नाथ अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के निर्माण के लिये वन भूमि पर बिना अनुमति के दीवारें बनाने के लिये ओडिशा सरकार को फटकार लगाई।
वन सलाहकार समिति (FAC) क्या है?
- परिचय:
- यह एक वैधानिक निकाय है जिसका गठन वन (संरक्षण) अधिनियम,1980 द्वारा किया गया था।
- यह पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) के अंतर्गत आता है।
- FAC उन औद्योगिक परियोजनाओं का मूल्यांकन करता है जिनके कार्यकलापों के लिये वन भूमि की आवश्यकता होती है।
- समिति को विशिष्ट आवश्यकताओं के अधीन वन भूमि के परिवर्तन को अनुमोदित करने, अस्वीकार करने या अनुमति प्रदान करने का अधिकार है।
- हाल ही में प्राप्त उपग्रह चित्रों से पता चला कि परियोजना की प्रबंधन एजेंसी द्वारा FAC की मंज़ूरी प्राप्त करने से पहले ही दीवार का निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया था।
वन संरक्षण अधिनियम, 1980 क्या है?
- परिचय: वन संरक्षण अधिनियम 1980 को वन-संबंधी कानूनों को सुव्यवस्थित करने, वनों की कटाई को विनियमित करने, वन उत्पादों के परिवहन की निगरानी करने तथा लकड़ी एवं अन्य वन उत्पादों पर शुल्क लगाने हेतु अधिनियमित किया गया था।
- इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत, गैर-वनीय उद्देश्यों के लिये वन भूमि के परिवर्तन हेतु केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति आवश्यक है।
- यह मुख्य रूप से भारतीय वन अधिनियम, 1927 अथवा वर्ष 1980 के राज्य अभिलेखों द्वारा मान्यता प्राप्त वन भूमि पर लागू होता था।
- इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत, गैर-वनीय उद्देश्यों के लिये वन भूमि के परिवर्तन हेतु केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति आवश्यक है।
- सर्वोच्च न्यायालय की व्याख्या: सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वर्ष 1996 में दिये गए गोदावर्मन निर्णय में वर्गीकरण या स्वामित्व की परवाह किये बिना वनों के संरक्षण का आदेश दिया गया।
- इसने वनों या वन जैसे भू-भागों की अवधारणा को प्रस्तुत किया, जो वनों के मिलते-जुलते क्षेत्रों को संदर्भित करता है, लेकिन सरकारी या राजस्व अभिलेखों में आधिकारिक तौर पर इस रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है। इससे "डीम्ड फॉरेस्ट" या ऐसे क्षेत्रों का विचार सामने आया जो वनों के समान होते हैं, लेकिन सरकारी या राजस्व अभिलेखों में औपचारिक रूप से वनों के रूप में निर्दिष्ट नहीं हैं।
- वनों की भिन्न-भिन्न परिभाषाओं के संबंध में चिंता: भारत में राज्य सर्वेक्षणों और विशेषज्ञ रिपोर्टों के आधार पर 'वनों' की अलग-अलग व्याख्या करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप भिन्न-भिन्न परिभाषाएँ सामने आती हैं।
- उदाहरण के लिये, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश अपनी परिभाषाओं को आकार, वृक्ष घनत्व तथा प्राकृतिक वृद्धि के आधार पर निर्धारित करते हैं, जबकि गोवा वन प्रजातियों के कवरेज पर निर्भर करता है।
- विभिन्न परिभाषाओं के अनुरूप अनुमानित वन क्षेत्र भारत के आधिकारिक वन क्षेत्र का 1% से 28% तक है।
- वन संरक्षण अधिनियम में हालिया संशोधन:
- हाल ही में पारित वन (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2023 का उद्देश्य इस क्षेत्र में स्पष्टता लाना तथा वनों से संबंधित चिंताओं का समाधान करना है।
- इसमें अधिनियम के दायरे में वन भूमि के दायरे को परिभाषित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया तथा भूमि की कुछ श्रेणियों को इसके प्रावधानों से छूट दी गई।
- इसमें सड़कों और रेलमार्गों के साथ संपर्क के प्रयोजनों के लिये 0.10 हेक्टेयर तक वन भूमि, सुरक्षा संबंधी बुनियादी ढाँचे के लिये 10 हेक्टेयर तक तथा सार्वजनिक उपयोगिता परियोजनाओं के लिये वामपंथी उग्रवाद प्रभावित ज़िलों में 5 हेक्टेयर तक वन भूमि को छूट दी गई है।
- इसमें अधिनियम के दायरे में वन भूमि के दायरे को परिभाषित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया तथा भूमि की कुछ श्रेणियों को इसके प्रावधानों से छूट दी गई।
- हालाँकि सर्वोच्च न्यायालय के अंतरिम निर्देश में वन प्रशासन के प्रति पारंपरिक दृष्टिकोण को बरकरार रखा गया है, जिस पर केंद्र द्वारा हाल ही में किये गए संशोधन का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
- इसके अलावा, सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी निर्णय दिया कि किसी भी सरकार या प्राधिकरण द्वारा चिड़ियाघर या सफारी के निर्माण के लिये अंतिम मंज़ूरी न्यायालय से लेनी होगी।
- हाल ही में पारित वन (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2023 का उद्देश्य इस क्षेत्र में स्पष्टता लाना तथा वनों से संबंधित चिंताओं का समाधान करना है।
वन संरक्षण के लिये पहल:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2023)
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं? (a) केवल एक उत्तर: (b) प्रश्न. "मियावाकी पद्धति" किसके लिये विख्यात है: (2022) (a) शुष्क और अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों में वाणिज्यिक कृषि का संवर्द्धन उत्तर: (c) प्रश्न. टिहरी जलविद्युत परिसर निम्नलिखित में से किस नदी पर स्थित है? (2008) (a) अलकनंदा उत्तर: (b) प्रश्न. तपोवन और विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजनाएँ कहाँ स्थित हैं? (2008) (a) मध्य प्रदेश उत्तर: (c) |
GRSE त्वरित नवाचार प्रोत्साहन योजना (GAINS 2024)
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में रक्षा राज्य मंत्री ने कोलकाता में गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (GRSE) की GRSE त्वरित नवाचार प्रोत्साहन योजना (GRSE Accelerated Innovation Nurturing Scheme- GAINS 2024) का शुभारंभ किया।
- इस अभिनव योजना का उद्देश्य शिपयार्ड से संबंधित समास्याओं का समाधान करना और देश के स्टार्टअप्स के माध्यम से प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देना है।
- यह भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्टार्टअप इंडिया’ नीतियों के अनुरूप है तथा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) एवं स्टार्ट-अप्स को आगे की तकनीकी उन्नति के लिये अभिनव समाधान विकसित करने के लिये प्रोत्साहित करने में सक्षम बनाती है।
- इसका उद्देश्य पोत डिज़ाइन एवं निर्माण उद्योग में मौजूदा और उभरती चुनौतियों का समाधान करने के लिये MSME व स्टार्टअप्स के विशाल इकोसिस्टम का लाभ उठाने के साथ आत्मनिर्भरता के उद्देश्यों को प्राप्त करना है।
और पढ़ें: ‘मेक इन इंडिया’, भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम
यूनाइटेड स्टेट्स सीक्रेट सर्विस
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
वर्ष 2024 में राष्ट्रपति पद के लिये रिपब्लिकन प्रत्याशी और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को एक चुनावी कार्यक्रम के दौरान गोली मार दी गई। राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिये ज़िम्मेदार एजेंसी सीक्रेट सर्विस ने शूटर को मार गिराया।
यूनाइटेड स्टेट्स सीक्रेट सर्विस:
- यूनाइटेड स्टेट्स सीक्रेट सर्विस की स्थापना वर्ष 1865 में हुई थी। इसे उपराष्ट्रपति, निर्वाचित राष्ट्रपति, उनके परिवारों, पूर्व राष्ट्रपतियों के साथ-साथ उनके जीवनसाथियों (पति/पत्नी के पुनर्विवाह को छोड़कर) और पूर्व राष्ट्रपतियों के 16 वर्ष की आयु तक के बच्चों की सुरक्षा करना अनिवार्य है।
- मूल रूप से अमेरिकी मुद्रा की जालसाज़ी से निपटने के लिये वर्ष 1902 में सीक्रेट सर्विस ने राष्ट्रपति विलियम मैककिनले की वर्ष 1901 में हत्या के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति की सुरक्षा की पूर्णकालिक ज़िम्मेदारी संभाली।
- मैककिनले से पहले राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन तथा जेम्स ए गारफील्ड की वर्ष 1865 और वर्ष 1881 में हत्या कर दी गई थी।
- वर्ष 1968 में राष्ट्रपति रॉबर्ट कैनेडी की हत्या के बाद एजेंसी ने चुनाव प्रत्याशी का प्रभार संभाला।
- रॉबर्ट कैनेडी, वर्ष 1968 के राष्ट्रपति चुनाव में भाग ले रहे थे।
- कैनेडी की उनके भाई, राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी की हत्या के पाँच वर्ष से भी कम समय बाद, 5 जून 1968 को लॉस एंजिल्स में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
IMO का 132वाँ सत्र
स्रोत: पी.आई.बी.
भारतीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय ने लंदन में अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (International Maritime Organization -IMO) की परिषद के 132वें सत्र में भाग लिया।
- अंतर्राष्ट्रीय समुद्री व्यापार में बड़ी रुचि रखने वाले देशों के लिये IMO परिषद के निर्वाचित सदस्य के रूप में भारत ने नाविकों के परित्याग के ज्वलंत मुद्दे पर प्रकाश डाला।
- नाविक वे लोग होते हैं जो जहाज़ों पर काम करते हैं या जो समुद्र में नियमित रूप से यात्रा करते हैं।
- भारत ने संयुक्त त्रिपक्षीय कार्य समूह में IMO का प्रतिनिधित्व करने वाली आठ सरकारों में से एक के रूप में अपना स्थान सुरक्षित कर लिया है, जो नाविकों के मुद्दों और समुद्री परिचालनों में मानवीय तत्त्व के समाधान के लिये समर्पित है।
- अन्य प्रस्तावित सदस्य हैं फिलीपींस, थाईलैंड, लाइबेरिया, पनामा, ग्रीस, अमेरिका और फ्राँस।
- लाल सागर, अदन की खाड़ी तथा आस-पास के क्षेत्रों में व्यवधानों से संबंधित चिंताओं पर भी विचार किया गया, जिससे शिपिंग तथा व्यापार लॉज़िस्टिक्स पर प्रभाव पड़ रहा है।
- भारत ने सतत् समुद्री परिवहन के लिये दक्षिण एशियाई उत्कृष्टता केंद्र (SACE-SMarT) के लिये अपना प्रस्ताव दोहराया।
- इस क्षेत्रीय केंद्र का उद्देश्य भारत और दक्षिण एशिया में समुद्री क्षेत्र को तकनीकी रूप से उन्नत, पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ तथा डिजिटल रूप से कुशल उद्योग में बदलना है।
- यह केंद्र ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने, तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देने, क्षमता निर्माण और डिजिटल संक्रमण पर ध्यान केंद्रित करेगा।
और पढ़ें: अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन
विश्व की दुर्लभतम व्हेल
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में न्यूज़ीलैंड की संरक्षण एजेंसी ने दक्षिण द्वीप के समुद्र तट पर एक जीव के पाए जाने की घोषणा की जो कि संभवतः एक स्पेड-टूथ व्हेल (Spade-Toothed Whale) है और यह न्यूज़ीलैंड के वैज्ञानिकों के लिये एक बड़ी सफलता हो सकती है।
- स्पेड-टूथ व्हेल को विश्व में सबसे दुर्लभ माना जाता है और इन्हें अभी तक सजीव अवस्था में नहीं पाया गया है जिसका अर्थ यह है कि विशाल दक्षिणी प्रशांत महासागर में उनकी संख्या, आहार तथा पर्यावास के संबंध में स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है।
- पहली स्पेड-टूथ व्हेल की अस्थियाँ वर्ष 1872 में न्यूज़ीलैंड के पिट द्वीप पर पाई गई थीं।
- उक्त व्हेल को जल धारा के प्रवाह के कारण समुद्र के किनारे पाया गया जिसकी थूथन की लंबाई पाँच मीटर है और उसके रंग पैटर्न तथा कपाल, चोंच व दंत के आकार की मदद से इसकी पहचान की गई।
- शोधककर्त्ता स्थानीय माओरी जनजातियों के साथ मिलकर यह निर्धारित करेंगे कि इसका अध्ययन किस प्रकार किया जाएगा।
- न्यूज़ीलैंड के मूल निवासियों द्वारा व्हेल को पवित्र टाओंगा (Taonga) की संज्ञा दी जाती है तथा पूर्व में की गई संधियों में व्हेल को "लीगल पर्सन" के रूप में मान्यता प्रदान की गई थी। हालाँकि वैश्विक स्तर पर व्हेल के संबंध में ऐसी मान्यता विधिक रूप बाध्यकारी नहीं हैं।
- IUCN स्थिति: डेटा डिफिशिएंट (DD)
और पढ़ें: स्पर्म व्हेल
प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस
स्रोत: पी.आई.बी
हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री ने इंदौर से मध्य प्रदेश के सभी 55 ज़िलों में प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस का उद्घाटन किया।
- राज्य सरकार द्वारा नई शिक्षा नीति, 2020 के अनुरूप पाठ्यक्रम प्रदान करने के लिये शुरू किये गए इन कॉलेजों का उद्देश्य शिक्षा को रोज़गारोन्मुखी बनाना है।
- मध्य प्रदेश, नई शिक्षा नीति (NEP) लागू करने वाला पहला राज्य बन गया है।
- ये कॉलेज वर्ष 2047 तक मज़बूत शैक्षणिक नींव स्थापित करेंगे।
- इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये नई शिक्षा नीति, 2020 प्रस्तुत की गई। यह केवल डिग्री प्रदान करने के बजाय युवाओं के समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित करता है।
- इसमें अकादमिक विषयों एवं जीवन कौशल दोनों की शिक्षा देना शामिल है। छात्रों में पारंपरिक सोच के बजाय लीक से हटकर सोचने को प्रोत्साहित करने पर ज़ोर दिया जाता है।
और पढ़ें: नई शिक्षा नीति 2020
नगालैंड की जलमार्ग क्षमता में वृद्धि
स्रोत: पी.आई.बी.
केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री (MoPSW) ने नगालैंड के मुख्यमंत्री के साथ मिलकर नगालैंड के दीमापुर में आयोजित हितधारक सम्मेलन के दौरान नगालैंड की जलमार्ग क्षमता को सक्षम करने के उद्देश्य से प्रमुख पहलों की घोषणा की।
- तिजु जुनकी (राष्ट्रीय जलमार्ग 101) का विकास: इसके तहत भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) और नगालैंड का परिवहन विभाग अंतर्देशीय जल परिवहन के लिये फेयरवे के विकास, कौशल विकास तथा पोत खरीद के लिये नौवहन व्यवहारिकता अध्ययन करने के लिये सहयोग करेंगे।
- नगालैंड में तिजु नदी आगे चलकर चिंडौन नदी (इरावदी नदी की तीसरी सबसे बड़ी सहायक नदी) में मिलती है जिसे म्याँमार में निंगथी नदी के नाम से भी जाना जाता है।
- चिंडौन नदी आगे चलकर म्याँमार की सबसे बड़ी नदी- इरावदी नदी में मिल जाती है और अंडमान सागर में गिरती है जो पूर्वोत्तर से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मार्गों तक माल की आवाजाही के लिये जलमार्ग प्रदान करती है।
- इसमें परिवहन के एक वहनीय, सतत् और कुशल साधन के रूप में जलमार्गों के उपयोग पर ज़ोर दिया गया जो कि भारत के विकास के संबंध में भारतीय प्रधानमंत्री की परिकल्पना के अनुरूप है।
- नगालैंड में तिजु नदी आगे चलकर चिंडौन नदी (इरावदी नदी की तीसरी सबसे बड़ी सहायक नदी) में मिलती है जिसे म्याँमार में निंगथी नदी के नाम से भी जाना जाता है।
- पर्यटन पहल: इसमें सामुदायिक जेटी के साथ दोयांग नदी झील को विकसित करने और पर्यटन को बढ़ाने के लिये रो पैक्स फेरी की व्यवहारिकता का अध्ययन करने की योजना बनाई गई।
- समुद्री कौशल विकास: इस पहल में समुद्री कौशल विकास केंद्र में समुद्री कौशल में प्रशिक्षण के लिये स्थानीय युवाओं को आमंत्रित करना शामिल है जिससे समुद्री क्षेत्र में रोज़गार को बढ़ावा मिलेगा।
- कलादान मल्टीमॉडल ट्रांज़िट ट्रांसपोर्ट परियोजना: IWAI के माध्यम से MoPSW संबद्ध क्षेत्र में विभिन्न परियोजनाओं पर कार्य कर रहा है जिसमें कलादान मल्टीमॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट परियोजना, NW 2 और NW 16 को इंडो बांग्लादेश प्रोटोकॉल रूट (IBPR) से जोड़ना, IBPR पर फेयरवे विकसित करना तथा पोर्ट ऑफ कॉल की घोषणा करना आदि शामिल हैं।
यूरो 2024
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
UEFA यूरोपीय चैंपियनशिप का 17वाँ संस्करण, जिसे यूरो 2024 के नाम से जाना जाता है, जर्मनी में आयोजित किया गया और स्पेन को चौथी बार चैंपियन का ताज पहनाया गया। इसके अतिरिक्त, संयुक्त राज्य अमेरिका में आयोजित कोपा अमेरिका का 48वाँ संस्करण अर्जेंटीना की जीत के साथ संपन्न हुआ।
- UEFA यूरोपीय फुटबॉल चैंपियनशिप का आयोजन यूनियन ऑफ यूरोपियन फुटबॉल एसोसिएशन (Union of European Football Associations- UEFA) द्वारा किया जाता है, जो पुरुषों का अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल टूर्नामेंट है, जो केवल यूरोपीय टीमों के लिये है।
- वर्ष 1958 में स्थापित यह प्रतियोगिता वर्ष 1960 में शुरू हुई थी। यह टूर्नामेंट आमतौर पर हर चार साल में आयोजित किया जाता है, लेकिन यूरो 2020 को महामारी के कारण स्थगित कर दिया गया था।
- यह फीफा विश्व कप के बाद दुनिया भर में दूसरा सबसे ज़्यादा देखा जाने वाला फुटबॉल टूर्नामेंट है।
- कोपा अमेरिका, जिसे अमेरिका कप के नाम से भी जाना जाता है, दक्षिण अमेरिका की राष्ट्रीय टीमों के बीच चतुष्कोणीय प्रारूप में खेला जाने वाला पुरुषों का अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल (सॉकर) टूर्नामेंट है।
- यह विश्व की सबसे पुरानी महाद्वीपीय फुटबॉल प्रतियोगिता है, जिसका इतिहास वर्ष 1916 से है और इसे विश्व स्तर पर तीसरा सबसे ज़्यादा देखा जाने वाला फुटबॉल टूर्नामेंट माना जाता है।
और पढ़ें: फीफा विश्व कप कतर 2022
प्रोजेक्ट PARI
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में संस्कृति मंत्रालय ने नई दिल्ली में विश्व धरोहर समिति की बैठक के 46वें सत्र के दौरान प्रोजेक्ट PARI (Public Art of India अर्थात् भारत की सार्वजनिक कला) की शुरुआत की।
- इसका उद्देश्य आधुनिक विषयों और तकनीकों को शामिल करते हुए भारत की कलात्मक विरासत (लोक कला/लोक संस्कृति) से प्रेरणा लेने वाली सार्वजनिक कला को सामने लाना है।
- देश भर से 150 से अधिक दृश्य कलाकार दिल्ली में सार्वजनिक स्थानों के सौंदर्यीकरण के लिये दीवार चित्रकला (wall paintings), भित्ति चित्र (murals), मूर्तियाँ (sculptures) और प्रतिष्ठानों सहित विभिन्न कलाकृतियाँ बनाएंगे।
- ये मूर्तियाँ प्रकृति, नाट्यशास्त्र के विचारों, गांधीजी, भारत के खिलौनों, प्राचीन ज्ञान, नाद या आदि ध्वनि, जीवन की सद्भावना और कल्पतरु (दिव्य वृक्ष) को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगी।
विश्व धरोहर समिति (WHC):
- यह यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में नए स्थलों को शामिल करने पर निर्णय लेता है।
- भारत जुलाई 2024 में पहली बार इस बैठक की मेज़बानी करने जा रहा है।
- भारत में 42 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं, जिनमें हाल ही में ‘होयसल के पवित्र समूह’ को भी शामिल किया गया है।
- इसमें 34 (सांस्कृतिक स्थल), 7 (प्राकृतिक) और 1 (मिश्रित) शामिल हैं।
और पढ़ें: भारत में विश्व धरोहर स्थल
विश्व अंतर्राष्ट्रीय न्याय दिवस
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
प्रतिवर्ष 17 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्याय को बढ़ावा देने और वैश्विक समुदाय को प्रभावित करने वाले गंभीर अपराधों के लिये दंड से मुक्ति के खिलाफ लड़ाई का सम्मान करने के लिये विश्व अंतर्राष्ट्रीय न्याय दिवस मनाया जाता है।
- ऐतिहासिक महत्त्व: 17 जुलाई 1998 को रोम संविधि को अपनाने के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (International Criminal Court - ICC) की स्थापना हुई।
- ICC संयुक्त राष्ट्र प्रणाली का हिस्सा नहीं है और संयुक्त राष्ट्र के साथ अपने संबंधों को नियंत्रित करने के लिये इसका एक अलग समझौता है। वर्तमान में 124 देश ICC के रोम संविधि के पक्षकार हैं। भारत रोम संविधि/ICCका पक्षकार नहीं है।
- ICC पहला स्थायी अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय है और इसे 1 जुलाई 2002 को या उसके बाद किये गए नरसंहार, युद्ध अपराध, मानवता के विरुद्ध अपराध तथा आक्रामकता के अपराधों सहित अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत अपराधों पर अधिकार प्राप्त है।
- रोम संविधि गंभीर अपराधों के लिये दंड से मुक्ति के विरुद्ध लड़ाई में एक महत्त्वपूर्ण कदम है, तथा अपराधियों की जवाबदेही सुनिश्चित करती है।
- यह दिवस अंतर्राष्ट्रीय न्याय तंत्र तथा दंड से मुक्ति के मुद्दे को संबोधित करने तथा वैश्विक शांति एवं सुरक्षा को बढ़ावा देने में उनकी भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाता है।
और पढ़ें: अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय
राज्यों ने किया PM-श्री योजना का विरोध
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
इंडियन एक्सप्रेस द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार शिक्षा मंत्रालय ने प्रधानमंत्री स्कूल्स फॉर राइज़िंग इंडिया (PM-SHRI) योजना में भाग लेने में अनिच्छुक होने के कारण दिल्ली, पंजाब और पश्चिम बंगाल को समग्र शिक्षा अभियान (SSA) के तहत निधि आवंटित करना समाप्त कर दिया है।
- इस योजना में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 के कार्यान्वयन को प्रदर्शित करने के लिये केंद्र सरकार, राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकारों और स्थानीय निकायों द्वारा प्रबंधित मौजूदा स्कूलों को अधिक दक्ष बनाकर 14,500 से अधिक पीएम-श्री स्कूल (पीएम स्कूल फॉर राइज़िंग इंडिया) स्थापित किये जाने का प्रावधान शामिल है।
- योजना के तहत व्यय का 60% केंद्र द्वारा और 40% राज्य द्वारा वहन किया जाएगा तथा राज्यों को शिक्षा मंत्रालय के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर कर अपनी भागीदारी की पुष्टि करनी होगी।
- पाँच राज्यों- तमिलनाडु, केरल, दिल्ली, पंजाब और पश्चिम बंगाल ने MoU पर अभी तक हस्ताक्षर नहीं किये हैं।
- तमिलनाडु और केरल ने MoU पर हस्ताक्षर करने की इच्छा व्यक्त की है जबकि दिल्ली, पंजाब तथा पश्चिम बंगाल ने हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है जिसके कारण केंद्र ने उनके SSA फंड पर रोक लगा दी है।
- समग्र शिक्षा स्कूली शिक्षा के लिये एक एकीकृत योजना है जिसका दायरा प्री-स्कूल से कक्षा XII तक है और इसका उद्देश्य स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर समावेशी तथा समान गुणवत्ता वाली शिक्षा सुनिश्चित करना है।
- इसमें सर्व शिक्षा अभियान (SSA), राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA) और टीचर एजुकेशन (TE) जैसी तीन योजनाएँ शामिल हैं।
- इस योजना का मुख्य लक्ष्य दो T- टीचर और टेक्नोलॉजी पर ध्यान केंद्रित कर स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना है।
- इसमें सर्व शिक्षा अभियान (SSA), राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA) और टीचर एजुकेशन (TE) जैसी तीन योजनाएँ शामिल हैं।
और पढ़ें: पीएम श्री स्कूल
औद्योगिक श्रमिकों के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक
स्रोत: पी.आई.बी.
श्रम और रोज़गार मंत्रालय के तहत श्रम ब्यूरो ( Labour Bureau) हर महीने औद्योगिक श्रमिकों के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI-IW) संकलित कर रहा है।
- मई, 2024 माह के लिये मुद्रास्फीति (Inflation) मई, 2023 के 4.42% की तुलना में कम होकर 3.86% हो गई।
औद्योगिक श्रमिकों के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI-IW):
- CPI-IW का उपयोग मुख्य रूप से केंद्र/राज्य सरकार के कर्मचारियों और औद्योगिक क्षेत्रों में कामगारों को दिये जाने वाले महँगाई भत्ते (Dearness Allowance-DA) के निर्धारण के लिये किया जाता है, इसके अलावा खुदरा कीमतों में मुद्रास्फीति को मापने, अनुसूचित रोज़गार में न्यूनतम मज़दूरी के निर्धारण और संशोधन के लिये भी इसका उपयोग किया जाता है।
- CPI में कई उप-समूह हैं जिनमें खाद्य व पेय पदार्थ, ईंधन व प्रकाश, आवास और वस्त्र, बिस्तर तथा जूते शामिल हैं।
- CPI के चार प्रकार इस प्रकार हैं:
- औद्योगिक श्रमिकों के लिये CPI (IW)
- कृषि मज़दूरों के लिये CPI (AL)
- ग्रामीण मज़दूरों के लिये CPI (RL)
- CPI (ग्रामीण/शहरी/संयुक्त) (CPI-C)
- IW, AL और RL को श्रम और रोज़गार मंत्रालय में श्रम ब्यूरो द्वारा संकलित किया जाता है। सीपीआई-सी को सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (National Statistical Office - NSO) द्वारा संकलित किया जाता है।
सार्वजनिक क्षेत्र के ऋणदाताओं ने MCLR बढ़ाया
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
भारतीय स्टेट बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के ऋणदाताओं ने अपने निधि आधारित उधार दर की सीमांत लागत (Marginal Cost of funds based Lending Rates - MCLR) में वृद्धि की है। इससे उधारकर्त्ताओं के लिये समान मासिक किस्तों (Equated Monthly Instalments- EMIs) में वृद्धि होगी।
- MCLR वह न्यूनतम ब्याज दर है जो बैंक को उधार देने के लिये वसूलनी चाहिये। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा अनुमत कुछ मामलों को छोड़कर, बैंक उस दर से कम पर कोई ऋण नहीं दे सकता है।
- MCLR एक "आंतरिक बेंचमार्क" है जो हर बैंक में अलग-अलग होता है। इसकी गणना निधि की सीमांत लागत के आधार पर की जाती है।
- MCLR के मुख्य घटक:
- निधियों की सीमांत लागत
- CRR का नकारात्मक कैरी ऑन अकाउंट
- परिचालन लागत
- अवधि प्रीमियम
- अगर निधि की लागत बढ़ जाती है, तो MCLR बढ़ जाता है और किसी भी MCLR अवधि से जुड़े लोन महँगे हो जाते हैं। इसी तरह अगर MCLR कम हो जाता है, तो लोन सस्ते हो जाते हैं।
- वर्ष 2019 में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने MCLR व्यवस्था को बदलने के लिये एक्सटर्नल बेंचमार्क बेस्ड लेंडिंग रेट (External Benchmark Based Lending Rate - EBLR) की शुरुआत की।
- परिणामस्वरूप, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) को दिये जाने वाले सभी खुदरा ऋण तथा फ्लोटिंग-रेट ऋण अब ईबीएलआर से जुड़ गए हैं।