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शासन व्यवस्था

केंद्र सरकार के कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में कटौती

  • 24 Apr 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये

महंगाई भत्ता, महंगाई राहत

मेन्स के लिये

COVID-19 की चुनौती से निपटने हेतु सरकार के प्रयास

चर्चा में क्यों?

महामारी से प्रेरित लॉकडाउन का देश की विभिन्न आर्थिक तथा गैर-आर्थिक गतिविधियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, जिससे सरकार की राजस्व स्थिति भी काफी प्रभावित हुई है, इसके मद्देनज़र केंद्र सरकार ने जुलाई 2021 तक केंद्र सरकार के 48 लाख कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनभोगियों के महंगाई भत्ते (Dearness Allowance-DA) में वृद्धि पर रोक लगा दी है।

प्रमुख बिंदु

  • वित्त मंत्रालय के अनुसार, केंद्र सरकार ने यह निश्चित किया है कि 1 जनवरी, 2020 से केंद्र सरकार के कर्मचारियों को देय DA और पेंशनभोगियों को देय महंगाई राहत (Dearness Relief-DR) के लिये देय की अतिरिक्त किस्त का भुगतान भी नहीं किया जाएगा।
  • ध्यातव्य है कि इसी वर्ष मार्च माह में सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के महंगाई भत्ते में 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी का ऐलान किया था। इस घोषणा के पश्चात् अप्रैल में सभी केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को अपने वेतन के साथ जनवरी से मार्च तक के बकाया के साथ बढ़ा हुआ DA मिलने की उम्मीद थी।
    • इसके अतिरिक्त आगामी वर्ष में भी महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी नहीं की जाएगी। हालाँकि सभी केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को मौजूद दर पर महंगाई भत्ते प्रदान किये जाएंगे।

आवश्यकता

  • COVID-19 महामारी से उत्पन्न अभूतपूर्व स्थिति के कारण सरकार के समक्ष वित्त संबंधी गंभीर चुनौती उत्पन्न हो गई है। COVID-19 महामारी से प्रभावित गरीब और कमज़ोर वर्गों के लिये स्वास्थ्य पर खर्च के साथ-साथ कल्याणकारी उपायों में भी बड़ी वृद्धि की आवश्यकता है जिसके लिये सरकार को अधिक-से-अधिक वित्त की आवश्यकता होगी।
  • COVID-19 प्रेरित लॉकडाउन के कारण सरकार को मिलने वाला कर एवं गैर-कर राजस्व लगभग रुक गया है, वहीं दूसरी और अर्थव्यवस्था को मंदी में प्रवेश करने से बचाने के लिये और अधिक आर्थिक प्रोत्साहन की आवश्यकता महसूस की जा रही है।

लाभ

  • केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के DA और DR में कटौती से मौजूदा वित्तीय वर्ष और वित्तीय वर्ष 2021-22 में तकरीबन 37,530 करोड़ रुपए की बचत की जा सकेगी। 
  • इसके माध्यम से सरकार को स्वास्थ्य एवं कल्याण के उपायों पर खर्च बढ़ाने में मदद मिलेगी।
  • विश्लेषकों के अनुसार, यदि राज्य सरकारें भी केंद्र सरकार के उपायों का पालन करती हैं तो इस माध्यम से कुल 82,566 करोड़ रुपए की बचत की जा सकती है।

केंद्र के निर्णय का विरोध

  • केंद्र सरकार के इस निर्णय के साथ ही केंद्रीय कर्मचारियों के विभिन्न संगठनों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है।
  • अखिल भारतीय रेलवे कर्मचारी महासंघ (All India Railwaymen's Federation) के अनुसार ‘सरकार द्वारा लिया गया यह निर्णय पूरी तरह गलत है और इसके कारण औसतन एक रेल कर्मचारी की लगभग डेढ़ महीने का वेतन  घट जाएगा। इसके अतिरिक्त पेंशनधारियों को भी इस निर्णय से नुकसान का सामना करना पड़ेगा।

आगे की राह

  • केंद्र सरकार मौजूदा समय में महामारी से निपटने के लिये अपनी वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु काफी प्रयास कर रही है।
  • इससे पूर्व केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक वर्ष की अवधि के लिये प्रधानमंत्री एवं केंद्रीय मंत्रियों सहित सभी सांसदों के वेतन में 30 प्रतिशत की कटौती की मंज़ूरी दी थी।
    • इसके अतिरिक्त मंत्रिमंडल ने आगामी दो वर्षों तक ‘संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना’ (Members of Parliament Local Area Development Scheme- MPLADS) को स्थगित करने का भी निर्णय लिया था। MPLADS पूर्ण रूप से भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित योजना है, इस योजना के तहत एक संसदीय क्षेत्र के लिये वार्षिक रूप से दी जाने वाली राशि की अधिकतम सीमा 5 करोड़ रुपए हैं।  
  • आवश्यक है कि सरकार केंद्र सरकार के कर्मचारी संघों के पक्ष पर भी विचार करे, साथ ही इसके कारण कर्मचारियों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिये भी कुछ व्यवस्था की जाए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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