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जैव विविधता और पर्यावरण

वन्य जीवन लाइसेंसिंग नियम 2024

  • 24 Jan 2024
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

वन्य जीवन (संरक्षण) लाइसेंसिंग (विचार के लिये अतिरिक्त मामले) नियम, 2024, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972, CITES

मेन्स के लिये:

वन्यजीव संरक्षण, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 में शामिल सफलता और चुनौतियाँ, वन्य जीवन लाइसेंसिंग नियम

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों? 

केंद्र सरकार ने हाल ही में वन्यजीव व्यापार नियम, 1983 में संशोधन करते हुए वन्य जीवन (संरक्षण) लाइसेंसिंग (विचार के लिये अतिरिक्त मामले) नियम, 2024 पेश किया, जिसके परिणामस्वरूप लाइसेंस प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण बदलाव हुए और कुछ प्रजातियों को बाहर रखा गया।

  • संशोधन 16 जनवरी, 2024 को लागू हो गए, जो वर्ष 1983 के बाद पहला संशोधन था।

वन्य जीवन लाइसेंसिंग नियम 2024 क्या हैं?

  • अनुसूची–I:
    • वर्ष 1983 में प्रकाशित नियमों में कहा गया है कि केंद्र सरकार के पिछले परामर्श के अलावा, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I या अनुसूची-II के भाग-II में निर्दिष्ट वन्यजीवों  के व्यापार के लिये ऐसा कोई लाइसेंस नहीं दिया जाएगा।
      • इस शर्त को नए दिशा-निर्देशों में बदल दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार के पिछले परामर्श के अलावा, ऐसा कोई लाइसेंस नहीं दिया जाएगा यदि यह अधिनियम की अनुसूची-I में निर्दिष्ट किसी वन्यजीवों से संबंधित है।
    • इसका तात्पर्य यह है कि अनुसूची-I प्रजातियों पर प्रतिबंध, जिसमें अत्यधिक सुरक्षा की आवश्यकता वाले जानवर शामिल हैं, जैसे कि बाघ, हाथी, गैंडे आदि परामर्श के प्रावधान के साथ अभी भी लागू हैं।
  • अनुसूची-II: 
    • नए दिशा-निर्देशों में महत्त्वपूर्ण बदलाव वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-II में सूचीबद्ध प्रजातियों के लिये लाइसेंसिंग प्रतिबंधों को हटाना है।
    • इसका तात्पर्य यह है कि अनुसूची-II प्रजातियों में व्यापार के लिये लाइसेंस केंद्र सरकार से किसी परामर्श या अनुमोदन के बिना दिये जा सकते हैं, जो पहले आवश्यक था।
  • लाइसेंसिंग में विचार किये जाने वाले कारक:
    • नए नियम उन कारकों को भी निर्दिष्ट करते हैं जिन पर अधिकृत अधिकारियों को लाइसेंस देते समय आवेदक की क्षमता, आपूर्ति प्राप्त करने का स्रोत और तरीका, क्षेत्र में मौजूदा लाइसेंस की संख्या तथा संबंधित वन्यजीवों के शिकार करने या व्यापार करने पर विचार करना चाहिये।

नये नियमों को लेकर क्या चिंताएँ हैं?

  • अनुसूची- II प्रजातियों का बहिष्कार:
    • अधिसूचना इस बात पर स्पष्टता प्रदान नहीं करती है कि अनुसूची-II प्रजातियों के लिये लाइसेंसिंग प्रतिबंध क्यों हटा दिये गए हैं।
      • अनुसूची-II में लुप्तप्राय स्तनधारी, पक्षी, कछुए, गेको और साँप जैसी महत्त्वपूर्ण प्रजातियाँ शामिल हैं तथा लाइसेंसिंग प्रतिबंधों से उनका बहिष्कार उन्हें मिलने वाली सुरक्षा के स्तर के बारे में चिंता पैदा करता है।
    • स्पष्टता की कमी के कारण यह सुनिश्चित करने के लिये और अधिक जाँच की आवश्यकता है कि संशोधित नियम संरक्षण आवश्यकताओं को पर्याप्त रूप से संबोधित करते हैं तथा अनजाने में कमज़ोर वन्यजीवों की सुरक्षा से समझौता नहीं करते हैं।
  • वर्ष 2022 में अनुसूचियों को युक्तिसंगत बनाना:
    • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूचियों को वन्य जीवन (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2022 में तर्कसंगत बनाया गया, जिससे प्रजातियों के वर्गीकरण में बदलाव आया।
    • वर्ष 2022 से पहले, संशोधन कार्यक्रम प्रजातियों के खतरे के स्तर पर आधारित थे। हाल के युक्तिसंगतीकरण ने प्रजातियों को वर्गीकृत करने के मानदंडों को बदल दिया है।
      • विशेषज्ञ प्रश्न करते हैं कि क्या अनुसूची-II में कुछ प्रजातियों का बहिष्कार तर्कसंगतकरण प्रक्रिया के अनुरूप है और क्या उन प्रजातियों की संख्या में वास्तव में वृद्धि हुई है, जो संरक्षण के निचले स्तर को उचित ठहराते हैं।

वन्यजीव व्यापार की स्थिति:

  • भारत एक जैवविविधता वाला देश है, जहाँ दुनिया की लगभग 6.5% ज्ञात वन्यजीव प्रजातियाँ पाई जाती हैं। विश्व के लगभग 7.6% स्तनधारी और विश्व के 12.6% पक्षी भारत में पाए जाते हैं।
    • विश्व स्तर पर वन्यजीवों और इसके उत्पादों की अवैध मांग के कारण पूरे उपमहाद्वीप में वन्यजीव अपराध में वृद्धि देखी गई है।
  • भारत में वन्यजीव व्यापार में नेवले के बाल, साँप की खाल, गैंडे के सींग, बाघ और तेंदुए के पंजे, हड्डियाँ, खाल, मूंछें, हाथी के दाँत, हिरण के सींग, कछुए के खोल, औषधीय पौधे, लकड़ी तथा पिंजरे में बंद पक्षी जैसे तोता, मैना सहित विविध उत्पाद शामिल हैं।
    • इस व्यापार का एक बड़ा हिस्सा अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार के लिये है और भारत में इसकी कोई सीधी मांग नहीं है।
  • भारत वन्यजीव तस्करी के लिये शीर्ष 20 देशों में से एक है और हवाई मार्ग से वन्यजीव तस्करी के लिये शीर्ष 10 देशों में से एक है
  • ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय द्वारा विश्व वन्यजीव रिपोर्ट 2020 में देखा गया कि वर्ष 1999 और 2018 के बीच, विश्व स्तर पर वनस्पतियों और जीवों की 6,000 विभिन्न प्रजातियों की पहचान की गई थी।

वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 क्या है?

  • परिचय:
    • वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 वन्य प्राणियों और पादपों की विभिन्न प्रजातियों के संरक्षण, उनके आवासों के प्रबंधन, जंगली जानवरों, पौधों तथा उनसे बने उत्पादों के व्यापार के विनियमन एवं नियंत्रण के लिये एक कानूनी ढाँचा प्रदान करता है।
    • यह अधिनियम उन पादपों एवं जीवों की अनुसूचियों को भी सूचीबद्ध करता है जिन्हें सरकार द्वारा अलग-अलग स्तर की सुरक्षा तथा निगरानी प्रदान की जाती है।
    • इससे पहले जम्मू-कश्मीर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के दायरे में नहीं आता था। लेकिन अब पुनर्गठन अधिनियम के परिणामस्वरूप भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम जम्मू-कश्मीर और लद्दाख पर लागू होता है।
  • नवीनतम संशोधन:
    • वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2022:

आगे की राह 

  • अनुसूची-I की प्रजातियों के लिये परामर्श और अनुमोदन प्रक्रिया के लिये एक सुदृढ़ तथा पारदर्शी तंत्र स्थापित करना एवं संबंधित हितधारकों की भागीदारी व प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना।
  • परामर्श तथा अनुमोदन प्रक्रिया से अनुसूची-II की प्रजातियों के बहिष्कार एवं प्रजातियों के चयन के मानदंडों के लिये एक स्पष्ट तथा तर्कसंगत स्पष्टीकरण प्रदान करना।
  • वन्यजीव व्यापार कानूनों तथा विनियमों के प्रवर्तन एवं अनुपालन को सुदृढ़ करना और उल्लंघनकर्त्ताओं के लिये दंड व पालन करने वालों के लिये प्रोत्साहन प्रदान करना।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. यदि किसी पौधे की विशिष्ट जाति को वन्यजीव सुरक्षा अधिनियम, 1972 की अनुसूची-VI में रखा गया है, तो इसका क्या तात्पर्य है? (2020)

(a) उस पौधे की खेती करने के लिये लाइसेंस की आवश्यकता है।
(b) ऐसे पौधे की खेती किसी भी परिस्थिति में नहीं हो सकती।
(c) यह एक आनुवंशिकत: रूपांतरित फसली पौधा है।
(d) ऐसा पौधा आक्रामक होता है और पारितंत्र के लिये हानिकारक होता है।

उत्तर: (a) 


मेन्स:

प्रश्न. भारत में जैवविविधता किस प्रकार अलग-अलग पाई जाती है? वनस्पतिजात और प्राणीजात के संरक्षण में जैवविविधता अधिनियम, 2002 किस प्रकार सहायक है? (2018)

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