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प्रोजेक्ट 17A और आईएनएस तारागिरि

  • 13 Sep 2022
  • 6 min read

हाल ही में मझगाँव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) जो कि रक्षा मंत्रालय के अधीन है, ने प्रोजेक्ट 17A के तीसरे स्टील्थ फ्रिगेट, तारागिरि को लॉन्च किया।

प्रोजेक्ट 17A:

  • परिचय:
    • प्रोजेक्ट 17, अल्फा फ्रिगेट्स (P-17A) को भारतीय नौसेना द्वारा वर्ष 2019 में स्टील्थ गाइडेड-मिसाइल फ्रिगेट की एक शृंखला के निर्माण के लिये लॉन्च किया गया था।
    • इनका निर्माण वर्तमान में दो कंपनियों - मझगाँव डॉक शिपबिल्डर्स (MDL) और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) द्वारा किया जा रहा है।
    • इन गाइडेड-मिसाइल फ्रिगेट्स का निर्माण एक विशिष्ट स्टील्थ डिज़ाइन के साथ किया गया है, जिसमें रडार से बचने की तकनीक शामिल है जो इसे दुश्मन की नज़रों से बचाता है।
      • नई तकनीक से जहाज़ के इंफ्रारेड सिग्नल भी कम हो जाते हैं।
    • प्रोजेक्ट 17A के तहत लॉन्च किया गया पहला स्टील्थ शिप नीलगिरि था, जिसे वर्ष 2019 में लॉन्च किया गया था।
    • दूसरे जहाज़ उदयगिरि को मई 2022 में लॉन्च किया गया था जिसे वर्ष 2024 में चालू किया जाएगा।
    • वर्तमान स्थिति: इसके अलावा MDL और GRSE में सात पी17A फ्रिगेट निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं।
  • लाभ:
    • यह भारतीय शिपयार्डों, उनके उप-ठेकेदारों और सहायक उद्योग के लिये आर्थिक विकास और रोज़गार सृजन जैसे अतिरिक्त लाभ प्रदान करता है।
    • प्रोजेक्ट 17A के लगभग 75% ऑर्डर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों सहित स्वदेशी फर्मों को दिये गए हैं, इस प्रकार आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को भी बल मिलता है।
      • स्टील्थ फ्रिगेट्स जैसे जटिल फ्रंटलाइन जहाज़ के स्वदेशी निर्माण ने देश को जहाज़ निर्माण के क्षेत्र में एक उच्च पायदान पर पहुँचा दिया है।

तारागिरि की मुख्य विशेषताएँ:

  • तारागिरि का नाम गढ़वाल में स्थित हिमालय की एक पहाड़ी शृंखला के नाम पर रखा गया है।
  • जहाज़ को एकीकृत निर्माण पद्धति का उपयोग करके बनाया गया है जिसमें विभिन्न भौगोलिक स्थानों में ब्लॉक निर्माण शामिल है।
  • जहाज़ में अत्याधुनिक हथियार, सेंसर, उन्नत कार्रवाई सूचना प्रणाली, एकीकृत मंच प्रबंधन प्रणाली, विश्व स्तरीय मॉड्यूलर, एक परिष्कृत विद्युत वितरण प्रणाली और कई अन्य उन्नत सुविधाएँ होंगी।
  • इसे सतह से सतह पर मार करने वाली सुपरसोनिक मिसाइल प्रणाली से लैस किया जाएगा।
  • जहाज़ की वायु रक्षा क्षमता ऊर्ध्वाधर प्रक्षेपण और लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली के इर्द-गिर्द घूमेगी, जिसे दुश्मन के विमानों और जहाज़-रोधी क्रूज़ मिसाइलों के खतरे का मुकाबला करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:

प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा 'INS अस्त्रधारिणी' का सबसे अच्छा वर्णन है, जो हाल ही में समाचारों में था? (2016)

(a) उभयचर (एम्फिब) युद्ध जहाज़
(b) परमाणु संचालित पनडुब्बी
(c) टारपीडो लॉन्च और रिकवरी पोत
(d) परमाणु संचालित विमान वाहक

उत्तर: (c)

व्याख्या:

  • INS अस्त्रधारिणी एक स्वदेश निर्मित टॉरपीडो लॉन्च और रिकवरी पोत है। इसे 6 अक्तूबर, 2015 को कमीशन किया गया था।
  • अस्त्रधारिणी का डिज़ाइन नौसेना विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला (NSTL), शाफ्ट शिपयार्ड तथा IIT खड़गपुर का एक सहयोगात्मक प्रयास था।
  • यह अस्त्रधारिणी के लिये उन्नत प्रतिस्थापन है जिसे 17 जुलाई, 2015 को बंद कर दिया गया था।
  • इसमें कटमरैन (जुड़वाँ पतवार वाली नौका या अन्य नाव) के रूप में एक अद्वितीय डिज़ाइन है जो इसकी बिजली की आवश्यकता को काफी कम करता है और इसे स्वदेशी स्टील के साथ बनाया गया है।
  • यह उच्च समुद्री क्षेत्रो में काम कर सकता है और परीक्षणों के दौरान विभिन्न प्रकार के टारपीडो को तैनात करने तथा पुनर्प्राप्त करने के लिये टारपीडो लॉन्चर्स के साथ एक बड़ा डेक क्षेत्र है।
  • जहाज़ में आधुनिक बिजली उत्पादन और वितरण, नेविगेशन एवं संचार प्रणाली भी है।
  • जहाज़ की 95% प्रणालियाँ स्वदेशी डिज़ाइन की हैं, इस प्रकार यह 'मेक इन इंडिया' दृष्टिकोण लिये नौसेना के निरंतर प्रयास को प्रदर्शित करता है।
  • INS अस्त्रधारिणी का उपयोग DRDO की नौसेना प्रणाली प्रयोगशाला, NSTL द्वारा जल के नीचे हथियारों और प्रणालियों के तकनीकी परीक्षण के लिये विकसित किया जाएगा।

अतः विकल्प (C) सही है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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