प्रिलिम्स फैक्ट्स (14 Feb, 2025)



विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक 2025

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

विश्व आर्थिक मंच (WEF) की वर्ष 2025 की वार्षिक बैठक स्विट्जरलैंड के दावोस में संपन्न हुई, जिसमें विभिन्न देशों के प्रतिनिधि “कोलेबोरेशन फॉर द इंटेलीजेंट एज” विषय के अंतर्गत प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करने के क्रम में एक साथ आए। 

WEF,2025 के प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?

  • स्थिरता: इस बैठक में इस बात पर बल दिया गया कि स्थिरता व्यवसाय के अनुकूलन हेतु महत्त्वपूर्ण है तथा कंपनियों से लाभप्रदता एवं सामाजिक प्रभाव के क्रम में वैश्विक स्थिरता लक्ष्यों के साथ विकास को संरेखित करने का आग्रह किया गया।
  • उभरती हुई प्रौद्योगिकियाँ: विश्व आर्थिक मंच,2025 में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता और हरित प्रौद्योगिकी से अवसर और चुनौतियाँ दोनों उत्पन्न होते हैं।
    • ज़िम्मेदार AI ढाँचे और प्रगति के साथ नैतिक संतुलन आपूर्ति शृंखलाओं में सुधार, उत्सर्जन को कम करने तथा पारदर्शिता बढ़ाने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • साझेदारी: इस बात पर ज़ोर दिया गया कि वैश्विक चुनौतियों के लिये प्रभावी समाधान हेतु बहु-क्षेत्रीय साझेदारी की आवश्यकता है। प्रभावी सहयोग से वर्ष 2030 तक 12 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के बाज़ार अवसर सर्जित किये जा सकते हैं।
  • जलवायु कार्रवाई: तत्काल जलवायु कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया गया, तथा यह सुनिश्चित किया गया कि डीकार्बोनाइज़ेशन में श्रमिकों और समुदायों के लिये उचित परिवर्तन शामिल हो।
  • 2025 WEF में भारत:
    • निवेश प्रतिबद्धताएँ: भारत ने 20 लाख करोड़ रुपए से अधिक की निवेश प्रतिबद्धताएँ प्राप्त कीं, जिसमें से महाराष्ट्र को कुल का लगभग 80% प्राप्त हुआ।
    • राज्यों का योगदान: तेलंगाना ने 1.79 लाख करोड़ रुपए का निवेश प्राप्त किया, केरल ने अपने औद्योगिक परिवर्तन पर ज़ोर दिया और उत्तर प्रदेश ने 2029 तक पूर्ण रूप से निर्धनता मुक्त (Zero Poverty) के साथ 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के अपने दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला।

विश्व आर्थिक मंच

  • स्थापना: जर्मन इंजीनियर और अर्थशास्त्री क्लाउस श्वाब ने वर्ष 1971 में यूरोपीय प्रबंधन फोरम की स्थापना की, जो 1987 में WEF बना।
    • वर्ष 2015 में, WEF को आधिकारिक तौर पर एक अंतरराष्ट्रीय संगठन के रूप में मान्यता दी गई, जिसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है।
  • उद्देश्य: वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने तथा आर्थिक और सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देने के लिये व्यवसाय, सरकार और नागरिक समाज के नेताओं को शामिल करना।
    • हितधारक पूंजीवाद अवधारणा की शुरुआत की गई, जिसमें इस बात पर ज़ोर दिया गया कि कंपनियों को सभी हितधारकों को लाभ पहुँचाते हुए दीर्घकालिक मूल्य निर्माण को प्राथमिकता देनी चाहिये।
  • वार्षिक बैठक: विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक स्विट्ज़रलैंड के दावोस में आयोजित की गई, जिसमें विश्व के नेताओं, व्यापारिक अधिकारियों और अर्थशास्त्रियों सहित 3,000 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।
  • फोकस: आर्थिक विकास, जलवायु परिवर्तन, प्रौद्योगिकी और भूराजनीतिक अनिश्चितताएँ जैसे वैश्विक मुद्दे।
  • वित्तपोषण: मुख्यतः 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक वार्षिक टर्नओवर वाले वैश्विक निगमों द्वारा वित्त पोषित।
  • रिपोर्टें: वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता रिपोर्ट, वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट, फ्यूचर ऑफ जॉब्स रिपोर्ट, वैश्विक जोखिम रिपोर्ट और वैश्विक यात्रा और पर्यटन रिपोर्ट।
  • सूचकांक: यात्रा एवं पर्यटन विकास सूचकांक (TTDI)।
  • प्रभाव: G-20 के निर्माण जैसी प्रमुख कूटनीतिक सफलताओं में भूमिका निभाई है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन विश्व के देशों के लिये “सार्वभौम लैंगिक अंतराल सूचकांक (ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स)” का श्रेणीकरण प्रदान करता है? (2017) 

(a) विश्व आर्थिक मंच
(b) संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद
(c)  UN वुमन
(d) विश्व स्वास्थ्य संगठन 

उत्तर: (a) 


प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन विश्व आर्थिक मंच का संस्थापक है? (2009) 

(a) क्लॉस श्वाब
(b) जॉन केनेथ गाॅलब्रैथ
(c) रॉबर्ट ज़ूलिक
(d) पॉल क्रुगमैन 

उत्तर: (a) 


प्रश्न 3. वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता रिपोर्ट किसके द्वारा प्रकाशित की जाती है? (2019)

(a) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष
(b) व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन
(c) विश्व आर्थिक मंच
(d) विश्व बैंक 

उत्तर: (c)


इन-विट्रो गैमेटोजेनेसिस (IVG)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

शोधकर्त्ताओं ने इन-विट्रो गैमेटोजेनेसिस (IVG) विकसित किया है जो स्टेम कोशिकाओं से प्रयोगशाला आधारित प्रजनन को संभव बनाता है, तथा इसमें इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) की तुलना में अधिक लाभ हैं ।

इन-विट्रो गैमेटोजेनेसिस (IVG) क्या है?

  • IVG परिचय: IVG, एक नई प्रजनन तकनीक है जो त्वचा, बाल या रक्त से एकत्रित स्टेम कोशिकाओं से अंडे और शुक्राणु बनाती है । 
    • प्रयोगशाला में विकसित इन युग्मकों को निषेचित करके भ्रूण निर्मित किया जा सकता है, जिसे गर्भधारण के लिये सरोगेट में प्रत्यारोपित किया जाता है।
  • वैज्ञानिक सफलता: जापान में वैज्ञानिकों ने IVG का उपयोग करके सफलतापूर्वक चूहों पर किया, जबकि ब्रिटेन के शोधकर्त्ताओं को तीन वर्ष  के भीतर मानव परीक्षण की आशा है।
    • IVF के विपरीत, बांझ महिलाओं, समान लिंग वाले जोड़े और बुज़ुर्ग महिलाओं, दाता की आवश्यकता के बिना, स्वाभाविक रूप से गर्भधारण करने में सक्षम हो सकते हैं।
  • भारत के लिये महत्त्व: कई सामाजिक-जैविक कारकों के कारण IVG भारत के मामले में सहायक हो सकता है जैसे:
    • भारतीय महिलाओं की प्रजनन आयु विदेशी महिलाओं की तुलना में छह वर्ष पहले घट रही है।
    • पुरुषों के शुक्राणुओं की संख्या में पिछले 50 वर्षों में गिरावट आई है और अगले चार दशकों में यह न्यूनतम स्तर पर पहुँच सकती है । 
    • भारत की जनसंख्या 2.1 प्रतिस्थापन स्तर से नीचे आ गई है, जिससे वृद्धावस्था संकट का खतरा उत्पन्न हो गया है। 

इन-विट्रो गैमेटोजेनेसिस (IVG) और इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) के बीच अंतर:

पहलू

इन-विट्रो गैमेटोजेनेसिस (IVG)

इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF)

युग्मक स्रोत

स्टेम कोशिकाओं को इच्छित दम्पति के अण्डाणु या शुक्राणु में परिवर्तित करता है ।

इसके लिये इच्छित दम्पति या दाताओं से प्राकृतिक अण्डे और शुक्राणु की आवश्यकता होती है ।

आनुवंशिक संपादन

निषेचन ( डिज़ाइनर बेबी ) से पहले हानिकारक लक्षणों को हटाने की अनुमति देता है ।

आनुवंशिक विकारों के लिये भ्रूण की जाँच तक सीमित ।

प्रजनन आयु

नए युग्मक का निर्माण करके किसी भी उम्र में पितृत्व प्राप्त किया जा सकता है।

प्रजनन क्षमता आयु-संबंधी कारकों से सीमित होती है, क्योंकि उम्र के साथ अण्डे और शुक्राणु की गुणवत्ता कम हो जाती है।

कानूनी स्थिति

अधिकांश देशों में अभी तक विनियमित नहीं है ।

विश्व भर में विनियमित एवं व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है ।

नैतिक चिंताएँ

डिज़ाइनर बेबी और आनुवंशिक चयन (जैसे, शारीरिक लक्षणों, बुद्धि आदि का चयन) के बारे में चिंता व्यक्त की गई है।

यह कम विवादास्पद है, लेकिन इसमें भ्रूण का चयन शामिल है।

स्टेम कोशिकाएँ

  • स्टेम कोशिकाएँ, अद्वितीय कोशिकाएँ होती हैं जो रक्त, हड्डी और मांसपेशियों जैसी विशिष्ट कोशिकाओं का निर्माण करती हैं, तथा ऊतकों की मरम्मत और शारीरिक कार्यों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं ।

प्रकार:

  • भ्रूणीय (बहुशक्तिशाली) स्टेम कोशिकाएँ : किसी भी प्रकार की कोशिका बन सकती हैं, जो भ्रूण या गर्भनाल रक्त से प्राप्त होती हैं ।
  • ऊतक-विशिष्ट (बहुशक्तिशाली/एकशक्तिशाली) स्टेम कोशिकाएँ : केवल अपने ऊतकों के लिये कोशिकाएँ उत्पन्न करती हैं, उदाहरण के लिये, रक्त स्टेम कोशिकाएँ
  • प्रेरित प्लुरिपोटेंट स्टेम कोशिकाएँ (iPSCs) : अनुसंधान और दवा परीक्षण के लिये भ्रूण स्टेम कोशिकाओं की नकल करने वाली प्रयोगशाला निर्मित कोशिकाएँ ।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. मानव प्रजनन प्रौद्योगिकी में अभिनव प्रगति के संदर्भ में "प्राक्केन्द्रिक स्थानांतरण ”(Pronuclear Transfer) का प्रयोग किस लिये होता है। (2020)

(a) इन विट्रो अंड के निषेचन के लिये दाता शुक्राणु का उपयोग
(b) शुक्राणु उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं का आनुवंशिक रूपांतरण
(c) स्टेम (Stem) कोशिकाओं का कार्यात्मक भ्रूूणों में विकास
(d) संतान में सूत्रकणिका रोगों का निरोध

उत्तर: (d)


प्रश्न.  निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: 

  1. भावी माता-पिता के अंड या शुक्राणु उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं में आनुवंशिक परिवर्तन किये जा सकते हैं।  
  2.  व्यक्ति का जीनोम जन्म से पूर्व प्रारंभिक भ्रूणीय अवस्था में संपादित किया जा सकता है।   
  3. मानव प्रेरित प्लुरिपोटेंट स्टेम कोशिकाओं को एक शूकर के भ्रूण में अंतर्वेशित किया जा सकता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


कुनो राष्ट्रीय उद्यान में चीता शावकों का जन्म

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान (NP) में एक चीता ने दो शावकों को जन्म दिया, जिससे कुल चीतों की संख्या 26 हो गई, जिनमें 14 शावक शामिल हैं।

  • कूनो राष्ट्रीय उद्यान (NP) के बारे में: कूनो राष्ट्रीय उद्यान (NP) (श्योपुर, मध्य प्रदेश) को वर्ष 1981 में एक वन्यजीव अभयारण्य के रूप में स्थापित किया गया था और वर्ष 2018 में इसे राष्ट्रीय उद्यान में अपग्रेड किया गया।
  • वनस्पति: प्राथमिक वृक्ष प्रजातियाँ करधई, खैर और सलाई हैं।

Cheetah

और पढ़ें: प्रोजेक्ट चीता का एक वर्ष


फोर्ट विलियम का नाम परिवर्तन

स्रोत: द हिंदू 

कोलकाता स्थित भारतीय सेना के पूर्वी कमान मुख्यालय फोर्ट विलियम को औपनिवेशिक प्रतीक से मुक्त करने के उद्देश्य से इसके नाम में परिवर्तन कर इसे विजय दुर्ग का नाम दिया गया है। इसका नाम महाराष्ट्र के प्राचीनतम सिंधुदुर्ग किले के नाम पर रखा गया है, जो छत्रपति शिवाजी के अधीन मराठा नौसैनिक अड्डा था।

  • इसके अतिरिक्त किले के अंदर स्थित किचनर हाउस का नाम बदलकर मानेकशॉ हाउस और सेंट जॉर्ज गेट का नाम बदलकर शिवाजी गेट किया गया है।

फोर्ट विलियम:

  • यह किला कोलकाता में हुगली नदी के पूर्वी तट पर स्थित है और इसका नाम मूलतः इंग्लैंड के राजा विलियम तृतीय के नाम पर रखा गया था।
    • मूल किले का निर्माण अंग्रेज़ों ने सर जॉन गोल्ड्सबोरो के नेतृत्व में वर्ष 1696 में कराया था और 1706 में इसका निर्माण पूरा हुआ था। 
    • यह कलकत्ता की घेराबंदी (1756) के दौरान क्षतिग्रस्त हो गया था जब सिराजुद्दौला ने अंग्रेज़ों को पराजित किया था। 
    • प्लासी के युद्ध (1757) के बाद, रॉबर्ट क्लाइव ने 1758 और 1781 के बीच इसे एक नए स्थान पर पुनर्निर्मित किया।
  • महत्त्व:

अन्य समान नाम परिवर्तन:

  • राजपथ का नाम बदलकर कर्त्तव्य पथ और पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर श्री विजय पुरम रखा गया।
  • भारतीय नौसेना ने औपनिवेशिक प्रतीकों को हटाकर नया प्रतीक अपनाया (2022)।

और पढ़ें: अंग्रेज़ों की बंगाल विजय: प्लासी और बक्सर का युद्ध


अभ्यास साइक्लोन

स्रोत: द हिंदू

भारत-मिस्र संयुक्त विशेष बल अभ्यास साइक्लोन का तीसरा संस्करण राजस्थान में शुरू हुआ।

अभ्यास साइक्लोन के बारे में:

  • वार्षिक अभ्यास: भारत और मिस्र में बारी-बारी से आयोजित किया जाता है, जिसका अंतिम संस्करण मिस्र में (जनवरी 2024) आयोजित किया गया था।
  • उद्देश्य:
    • भारत और मिस्र के बीच सैन्य संबंधों को मज़बूत करना।
    • अंतर-संचालन क्षमता, संयुक्त परिचालन क्षमताओं में वृद्धि तथा विशेष युद्ध संचालन रणनीति का आदान-प्रदान।
    • संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय VII के अनुरूप रेगिस्तानी/अर्द्ध-रेगिस्तानी क्षेत्रों में आतंकवाद विरोधी अभियान। 

भारत और मिस्र:

  • मोस्ट फेवर्ड नेशन क्लॉज पर आधारित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (वर्ष 1978) के साथ भारत, अफ्रीका में मिस्र के प्रमुख व्यापारिक भागीदारों में से एक है।
  • भारत और मिस्र ने वर्ष 2023 में राजनीतिक, सुरक्षा, रक्षा, ऊर्जा और आर्थिक सहयोग पर आधारित रणनीतिक साझेदारी की स्थापना की।

भारत के साथ संयुक्त अभ्यास:

देश

अभ्यास

ऑस्ट्रेलिया

ऑस्ट्रा हिंद

बांग्लादेश

सम्प्रीति

चीन

हैंड इन हैंड

फ्राँस

शक्ति

इंडोनेशिया

गरुड़ शक्ति

कज़ाखस्तान

प्रबल दोस्त्यक

किर्गिज़स्तान

खंजर

मालदीव

एकुवेरिन

मंगोलिया

नोमडिक एलीफैंट

म्याँमार

इंबेक्स(IMBEX)

नेपाल

सूर्य किरण

ओमान

अल-नजाह

रूस

इंद्र

सेशल्स

लामितिये

श्रीलंका

मित्र शक्ति

थाईलैंड

मैत्री

ब्रिटेन

अजय वाॅरियर

संयुक्त राज्य अमेरिका

युद्धाभ्यास, वज्र प्रहार

अधिक पढ़ें: भारत के प्रमुख सैन्य अभ्यास


भ्रष्टाचार बोध सूचकांक 2024

स्रोत: द हिंदू

भ्रष्टाचार बोध सूचकांक (CPI), 2024 में भारत 96वें स्थान पर आ गया। यह वर्ष 2023 में 93वें स्थान पर था।

  • CPI: इसे गैर-सरकारी संगठन ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा वर्ष 1995 से प्रतिवर्ष प्रकाशित किया जाता है। 
  • इसके तहत 0 (अत्यधिक भ्रष्ट) से 100 (सबसे कम भ्रष्ट) के पैमाने का उपयोग करके सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार के कथित स्तर के आधार पर 180 देशों की रैंकिंग की जाती है।
  • CPI 2024 में डेनमार्क सबसे कम भ्रष्ट राष्ट्र के रूप में शीर्ष पर रहा, उसके बाद फिनलैंड और सिंगापुर का स्थान रहा। भारत के पड़ोसियों में पाकिस्तान (135), श्रीलंका (121) और बांग्लादेश (149) की रैंकिंग सबसे खराब रही, जबकि चीन 76वें स्थान पर रहा।
    • वर्ष 2012 के बाद से 32 देशों के भ्रष्टाचार के स्तर में उल्लेखनीय कमी आई है वहीं इसी अवधि के दौरान 148 देशों में भ्रष्टाचार या तो स्थिर रहा है या और भी बदतर हो गया है।
  • ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के अनुसार, भ्रष्टाचार से जलवायु परिवर्तन के शमन और अनुकूलन के लिये निर्धारित धन का दुरुपयोग होने से जलवायु कार्रवाई के साथ जीवाश्म ईंधन से संबंधित नीतियों में बाधा आती है। 
    • इससे लोकतंत्र के पतन एवं अस्थिरता के साथ मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है, जिसके लिये तत्काल वैश्विक कार्रवाई की आवश्यकता है।

और पढ़ें: भ्रष्टाचार बोध सूचकांक 2023