भारतीय इतिहास
विजय दिवस की 53वीं वर्षगाँठ
- 17 Dec 2024
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प्रिलिम्स के लिये:भारत-बांग्लादेश संबंध, बांग्लादेश मुक्ति युद्ध, व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (CEPA) मेन्स के लिये:भारत-बांग्लादेश संबंध, द्विपक्षीय एवं क्षेत्रीय समूह और भारत से संबंधित और/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समूह एवं समझौते। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत द्वारा 16 दिसंबर को मनाया गया विजय दिवस वर्ष 1971 के मुक्ति संग्राम में जीत तथा बांग्लादेश के गठन की 53वीं वर्षगाँठ का प्रतीक है।
- राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित राष्ट्रीय नेताओं ने दिल्ली में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
53वाँ विजय दिवस समारोह
- कोलकाता के फोर्ट विलियम में आयोजित 53वें विजय दिवस समारोह में मुक्ति योद्धाओं (जो पूर्वी पाकिस्तान में गुरिल्ला प्रतिरोध बल का हिस्सा थे) सहित बांग्लादेशी प्रतिनिधिमंडल के वर्ष 1971 के मुक्ति संग्राम का स्मरण किया गया।
- इसमें युद्ध के दौरान प्रशिक्षण, आपूर्ति एवं नैतिक समर्थन में भारत के प्रमुख सहयोग पर प्रकाश डाला गया। इस दौरान भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने पाकिस्तानी सेना द्वारा किये गए अत्याचारों पर भी विचार व्यक्त किये।
- इस कार्यक्रम में पुष्पांजलि अर्पित करना, सलामी देना तथा सैन्य टैटू बनाना शामिल था, जिसमें भारत एवं बांग्लादेश के बीच स्थायी मित्रता पर ज़ोर दिया गया।
नोट:
- हाल ही में विजय दिवस के अवसर पर ढाका में पाकिस्तान के आत्मसमर्पण को दर्शाने वाली वर्ष 1971 की प्रतिष्ठित पेंटिंग को सेना प्रमुख के लाउंज से मानेकशॉ सेंटर में स्थानांतरित कर दिया गया।
- इस पेंटिंग के स्थान पर लेफ्टिनेंट कर्नल थॉमस जैकब द्वारा चित्रित 'कर्म क्षेत्र-कर्मों का क्षेत्र' पेंटिंग लगाई गई।
- इसमें बर्फ से ढके पहाड़, पैंगोंग त्सो, गरुड़, भगवान कृष्ण का रथ, चाणक्य एवं आधुनिक सैन्य उपकरण (जैसे- टैंक, हेलीकॉप्टर तथा गश्ती नौकाएँ) शामिल हैं जो भारत की सामरिक तथा सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक हैं।
वर्ष 1971 का बांग्लादेश मुक्ति युद्ध क्या था?
- परिचय:
- बांग्लादेश मुक्ति युद्ध, 1971 तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) एवं पश्चिमी पाकिस्तान (अब पाकिस्तान) के बीच एक सशस्त्र संघर्ष था, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश पाकिस्तान से स्वतंत्र हुआ।
- उत्पत्ति:
- वर्ष 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध की जड़ें वर्ष 1947 के भारत विभाजन से संबंधित हैं, जिससे उपमहाद्वीप धार्मिक आधार पर विभाजित हुआ था।
- जिन्ना की मांग को पूरा करने के लिये पाकिस्तान को मुस्लिम बाहुल्य राज्य के रूप में गठित किया गया था।
- धर्म के आधार पर एकजुट होने के बावजूद, पूर्वी एवं पश्चिमी पाकिस्तान के बीच भौगोलिक, सांस्कृतिक तथा भाषायी मतभेदों से मतभेद को जन्म मिला।
- वर्ष 1971 के युद्ध के कारण:
- सामाजिक शोषण: स्वतंत्रता के बाद, पश्चिमी पाकिस्तान द्वारा पूर्वी पाकिस्तान को सांस्कृतिक रूप से हीन माना गया, क्योंकि विभाजन से पूर्व हिंदू-प्रभुत्व वाले अभिजात वर्ग के साथ इसके ऐतिहासिक संबंध थे। इस धारणा से बंगाली लोगों के खिलाफ भेदभाव को बढ़ावा मिला।
- भाषाई प्रभुत्व: पाकिस्तान की राष्ट्रीय भाषा के रूप में उर्दू को थोपने से पूर्वी पाकिस्तान की प्रमुख भाषा (बंगाली) की उपेक्षा हुई, जिसके कारण व्यापक अशांति के साथ विरोध प्रदर्शन हुए।
- राजनीतिक भेदभाव: पश्चिमी पाकिस्तान का केंद्रीय सरकार पर प्रभुत्व था तथा सत्ता पंजाबी अभिजात वर्ग के पास केंद्रित थी। पूर्वी पाकिस्तान में, अपनी बड़ी आबादी के बावजूद, निर्णय लेने का न्यूनतम प्रतिनिधित्त्व था।
- वर्ष 1970 के चुनाव, जिनमें अवामी लीग के शेख मुजीबुर रहमान ने निर्णायक जीत हासिल की, पूर्वी पाकिस्तान की स्वायत्तता की मांग का प्रतीक थे, लेकिन पश्चिमी पाकिस्तानी नेताओं के प्रतिरोध के कारण अशांति फैल गई।
- आर्थिक शोषण: पूर्वी पाकिस्तान को गंभीर आर्थिक उपेक्षा और शोषण का सामना करना पड़ा।
- पूर्वी पाकिस्तान, पाकिस्तान के राजस्व का 62% उत्पन्न करने के बावजूद, अपने विकास के लिये राष्ट्रीय बजट का केवल 25% ही प्राप्त कर पाया।
- रोज़गार असमानताएँ: पश्चिमी पाकिस्तानियों ने अधिकांश प्रशासनिक और उच्च पदों पर कब्ज़ा कर लिया, जबकि बंगालियों का नागरिक तथा सैन्य सेवाओं में प्रतिनिधित्व कम था, जिससे असमानताएँ और अधिक बढ़ गईं।
- युद्ध की प्रमुख घटनाएँ:
- ऑपरेशन सर्चलाइट (25 मार्च, 1971):
- पाकिस्तानी सेना ने बंगाली राष्ट्रवादी आंदोलनों को दबाने के लिये ढाका और पूर्वी पाकिस्तान के अन्य क्षेत्रों पर क्रूर कार्रवाई शुरू की।
- इस अभियान में छात्रों, बुद्धिजीवियों और राजनीतिक नेताओं को निशाना बनाया गया, जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर हत्याएँ एवं विनाश हुआ।
- स्वतंत्रता और अनंतिम सरकार:
- शेख मुजीबुर रहमान द्वारा बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा ने मुक्ति संग्राम की औपचारिक शुरुआत को चिह्नित किया।
- मुक्ति वाहिनी (स्वतंत्रता सेनानी) का गठन पाकिस्तानी सेना के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध आयोजित करने के लिये किया गया था।
- बाद में, मुजीबनगर में बांग्लादेश की अनंतिम सरकार की स्थापना की गई और शेख मुजीबुर रहमान को राष्ट्रपति बनाया गया।
- मुक्ति वाहिनी द्वारा सैन्य अभियान (अप्रैल-दिसंबर 1971):
- मुक्ति वाहिनी ने पूर्वी पाकिस्तान में छापामार अभियान चलाए, पाकिस्तानी सेना को निशाना बनाया और आपूर्ति शृंखलाओं को बाधित किया।
- भारत में शरणार्थी संकट (मध्य 1971):
- पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों के कारण 10 मिलियन से अधिक शरणार्थी भारत आ गए।
- प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भारत ने मुक्ति वाहिनी को मानवीय सहायता प्रदान की तथा बाद में सैन्य और कूटनीतिक समर्थन भी प्रदान किया।
- ऑपरेशन सर्चलाइट (25 मार्च, 1971):
शिमला समझौता, 1972
- वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद 2 जुलाई, 1972 को इस समझौते पर हस्ताक्षर किये गए, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का निर्माण हुआ।
- संबंधों को सामान्य बनाने और शांति स्थापित करने के लिये प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तथा पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो के मध्य इस पर वार्तालाप हुई थी।
- उद्देश्य:
- कश्मीर मुद्दे का द्विपक्षीय समाधान किया जाए तथा इसका अंतर्राष्ट्रीयकरण रोका जाए।
- नए क्षेत्रीय शक्ति संतुलन के आधार पर भारत-पाक संबंधों में सुधार लाना।
- पाकिस्तान में और अधिक आक्रोश को रोकने के लिये भारत ने युद्धविराम रेखा को स्थायी सीमा बनाने का विरोध किया।
- प्रमुख प्रावधान:
- संघर्ष समाधान: मुद्दों का द्विपक्षीय एवं शांतिपूर्ण ढंग से समाधान किया जाना।
- नियंत्रण रेखा (LOC): दोनों पक्ष वर्ष 1971 के युद्ध के बाद कश्मीर में स्थापित नियंत्रण रेखा का सम्मान करने तथा इसकी स्थिति में एकतरफा परिवर्तन न करने पर सहमत हुए।
- सैन्य वापसी: अंतर्राष्ट्रीय सीमा के अपने-अपने पक्षों की ओर सैनिकों की वापसी।
- भावी कूटनीति: निरंतर वार्ता और युद्धबंदियों के प्रत्यावर्तन के प्रावधान।
वर्ष 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध पर भारत की प्रतिक्रिया क्या थी?
- प्रारंभिक सावधानी और मानवीय संकट:
- भारत ने शुरू में सतर्कतापूर्ण रुख अपनाया, लेकिन पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तान द्वारा की गई सैन्य कार्यवाही के कारण बड़े पैमाने पर शरणार्थियों का पलायन हुआ- लगभग 8-10 मिलियन लोग, जिनमें अधिकांशतः हिंदू थे, भारत की ओर पलायन कर गए।
- भारत ने पूर्वी राज्यों, मुख्यतः पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, त्रिपुरा और मेघालय में शरणार्थी शिविर स्थापित किये।
- कूटनीतिक प्रयास:
- भारत ने पाकिस्तान के अत्याचारों की ओर ध्यान आकर्षित करने और अंतर्राष्ट्रीय दबाव बनाने के लिये वैश्विक समर्थन मांगा।
- सैन्य हस्तक्षेप और परिणाम:
- युद्ध 3 दिसंबर, 1971 को शुरू हुआ जब पाकिस्तान ने पश्चिमी मोर्चों पर भारतीय सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले किये, जिसके जवाब में भारत ने भी हवाई हमले किये तथा पूर्वी और पश्चिमी दोनों मोर्चों पर समन्वित अभियान शुरू हुआ।
- भारत ने मुक्ति वाहिनी, जो बांग्लादेशी लड़ाकों की 20,000 सदस्यीय गुरिल्ला सेना थी, को प्रशिक्षण देकर तथा पूर्वी पाकिस्तान के भूगोल के बारे में उनके ज्ञान का लाभ उठाकर महत्त्वपूर्ण सहायता प्रदान की।
- यह संघर्ष 13 दिनों तक चला, जिसमें नौसेना और वायु सेना सहित भारत के सैन्य बलों ने महत्त्वपूर्ण प्रगति की।
- 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल ए.ए.के. नियाजी ने ढाका में आत्मसमर्पण समझौते पर हस्ताक्षर किये, जिसके परिणामस्वरूप 90,000 से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया, जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़े सैन्य आत्मसमर्पणों में से एक था और जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का निर्माण हुआ।
- युद्ध के परिणाम:
- इस युद्ध के परिणामस्वरूप जिन्ना के द्वि-राष्ट्र सिद्धांत को अस्वीकार कर दिया गया, जिससे कश्मीर पर पाकिस्तान का दावा कमज़ोर हो गया और दक्षिण एशिया में उसकी स्थिति काफी नाजुक हो गयी।
- जिन्ना के द्वि-राष्ट्र सिद्धांत में इस बात पर ज़ोर दिया गया कि हिंदू और मुसलमानों के बीच धार्मिक, सांस्कृतिक तथा सामाजिक मतभेद होने से उनके हितों की रक्षा के लिये अलग-अलग राष्ट्र आवश्यक हैं।
- भारत ने पाकिस्तान के दमन के पीड़ितों को मानवीय सहायता और समर्थन प्रदान करके अपनी अंतर्राष्ट्रीय छवि को मज़बूत किया तथा मानवाधिकारों और करुणा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित की।
- इस युद्ध के परिणामस्वरूप जिन्ना के द्वि-राष्ट्र सिद्धांत को अस्वीकार कर दिया गया, जिससे कश्मीर पर पाकिस्तान का दावा कमज़ोर हो गया और दक्षिण एशिया में उसकी स्थिति काफी नाजुक हो गयी।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: भारत-बांग्लादेश संबंधों में प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। द्विपक्षीय सहयोग और क्षेत्रीय स्थिरता बढ़ाने के लिये इन मुद्दों के समाधान के उपाय सुझाएँ। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न: तीस्ता नदी के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (b) मेन्सप्रश्न: आंतरिक सुरक्षा खतरों तथा नियंत्रण रेखा (LoC) सहित म्याँमार, बांग्लादेश और पाकिस्तान सीमाओं पर सीमा पार अपराधों का विश्लेषण कीजिये। विभिन्न सुरक्षा बलों द्वारा इस संदर्भ में निभाई गई भूमिका की भी चर्चा कीजिये। (2020) |