भारतीय अर्थव्यवस्था
फ्यूचर ऑफ जॉब्स रिपोर्ट, 2025
- 11 Jan 2025
- 13 min read
प्रिलिम्स के लिये:विश्व आर्थिक मंच (WEF), फ्यूचर ऑफ जॉब्स रिपोर्ट, ग्रीन ट्रांजिशन, AI, नवीकरणीय ऊर्जा, कम आय वाली अर्थव्यवस्थाएँ, हितधारक पूंजीवाद, विश्व प्रतिस्पर्द्धात्मक सूचकांक, वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक, ऊर्जा संक्रमण सूचकांक, वैश्विक जोखिम रिपोर्ट, वैश्विक यात्रा एवं पर्यटन प्रतिस्पर्द्धात्मकता सूचकांक, GenAI, अर्द्धचालक, क्वांटम, एन्क्रिप्शन। मेन्स के लिये:वैश्विक श्रम बाज़ारों में तकनीकी प्रगति का प्रभाव। |
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
चर्चा में क्यों?
विश्व आर्थिक मंच (WEF) द्वारा 'फ्यूचर ऑफ जॉब्स रिपोर्ट, 2025' को जारी किया गया, जिसमें वर्ष 2030 तक वैश्विक रोज़गार बाज़ार को आकार देने वाले प्रमुख रुझानों एवं परिवर्तनों पर प्रकाश डाला गया है।
- 55 अर्थव्यवस्थाओं से प्राप्त इनपुट के आधार पर तैयार की गई इस रिपोर्ट में वर्ष 2030 तक 78 मिलियन नौकरियों की शुद्ध वृद्धि का अनुमान लगाया गया है तथा इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि किस प्रकार प्रौद्योगिकी, आर्थिक बदलाव एवं हरित परिवर्तन से रोज़गार एवं कौशल पर प्रभाव पड़ता है।
WEF रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?
- उभरते क्षेत्र: सबसे तेजी से उभरते क्षेत्र में फ्रंटलाइन रोज़गार (कृषि श्रमिक, डिलीवरी), देखभाल अर्थव्यवस्था, तकनीकी भूमिकाएँ और ग्रीन ट्रांजिशन से संबंधित रोज़गार शामिल हैं।
- कम प्रभाव वाले क्षेत्र: इस रिपोर्ट में पाया गया है कि कैशियर, डाटा एंट्री क्लर्क एवं बैंक टेलर जैसी लिपिकीय भूमिकाओं में काफी गिरावट आने की संभावना है।
- रोज़गार का विस्थापन और सृजन: स्वचालन, नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश और वृद्ध होती आबादी के कारण रोज़गार कम हो रहे हैं लेकिन नई तकनीक एवं मशीन प्रबंधन सम्बन्धी भूमिकाओं में वृद्धि हो रही हैं।
- धीमी आर्थिक संवृद्धि के कारण वैश्विक स्तर पर 1.6 मिलियन रोज़गार समाप्त होने की आशंका है।
- तकनीकी उन्नति: डिजिटल पहुँच का विस्तार सबसे अधिक परिवर्तनकारी प्रवृत्ति है, 60% नियोक्ताओं को उम्मीद है कि इससे वर्ष 2030 तक व्यवसायों का स्वरूप बदल जाएगा।
- उच्च कौशल की मांग वाली प्रमुख प्रौद्योगिकियों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और सूचना प्रसंस्करण (86%), रोबोटिक्स तथा स्वचालन (58%) और ऊर्जा प्रौद्योगिकियाँ (41%) शामिल हैं।
- हरित परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन प्रवृत्तियों से अक्षय ऊर्जा इंजीनियरों, पर्यावरण इंजीनियरों और इलेक्ट्रिक तथा स्वायत्त वाहनों के विशेषज्ञों जैसी भूमिकाओं की मांग बढ़ रही है।
- जनसांख्यिकीय बदलाव: वृद्ध होती आबादी एवं कम होते कार्यबल से श्रम आपूर्ति प्रभावित होती है।
- उच्च आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धावस्था के कारण स्वास्थ्य सेवा की मांग बढ़ जाती है जबकि निम्न आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में बढ़ते कार्यबल के कारण शिक्षकों तथा प्रतिभाशाली प्रबंधकों की मांग बढ़ जाती है।
- भू-आर्थिक विखंडन: भू-राजनीतिक तनाव और व्यापार प्रतिबंध 34% संगठनों में व्यापार मॉडल परिवर्तन को प्रेरित कर रहे हैं।
- व्यवसायों द्वारा अपने परिचालन को विदेश में स्थानांतरित करने और पुनः विदेश में हस्तांतरित करने की अधिक संभावना है।
- भू-राजनीतिक तनाव सुरक्षा भूमिकाओं और साइबर सुरक्षा कौशल की मांग को बढ़ा रहे हैं।
- भारत से संबंधित निष्कर्ष: भारत AI कौशल नामांकन में अग्रणी है, तथा कॉर्पोरेट प्रायोजन से GenAI प्रशिक्षण को काफी बढ़ावा मिल रहा है।
- भारत में नियोक्ता वैश्विक तकनीक अपनाने में तेजी लाने का लक्ष्य रखते हैं, 35% नियोक्ता सेमीकंडक्टर और कंप्यूटिंग प्रौद्योगिकियों से तथा 21% नियोक्ता क्वांटम और एन्क्रिप्शन से परिचालन में परिवर्तन की उम्मीद करते हैं।
- भारत और उप-सहारा अफ्रीकी देश, आने वाले वर्षों में लगभग दो-तिहाई नए कार्यबल की आपूर्ति करेंगे।
विश्व आर्थिक मंच (WEF)
- परिचय: WEF सार्वजनिक-निज़ी सहयोग के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, जिसका मुख्यालय ज़िनेवा, स्विट्ज़रलैंड में स्थित है।
- यह उद्योगों, क्षेत्रों और वैश्विक स्तर पर एजेंडा को आकार देने के लिये वैश्विक नेताओं को शामिल करता है।
- आधार : वर्ष 1971 में क्लॉस श्वाब द्वारा यूरोपीय प्रबंधन फोरम के रूप में स्थापित, WEF ने "हितधारक पूंजीवाद" की शुरुआत की, जो शेयरधारकों के लिये न केवल अल्पकालिक लाभ पर बल्कि सभी हितधारकों के लिये दीर्घकालिक मूल्य पर ज़ोर देता है।
- विकास: वर्ष 1973 में WEF ने अपना ध्यान आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर केंद्रित किया। इसने वर्ष 1975 में विश्व की अग्रणी 1,000 कंपनियों के लिये सदस्यता की शुरुआत की।
- वर्ष 1987 में इसे विश्व आर्थिक मंच का नाम दिया गया, जिससे संवाद के लिये एक मंच के रूप में इसकी भूमिका व्यापक हो गई। वर्ष 2015 में इसे एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन के रूप में मान्यता दी गई।
- प्रमुख रिपोर्ट: WEF प्रमुख रिपोर्टें प्रकाशित करता है, जिसमें वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता सूचकांक, विश्व लैंगिक अंतर सूचकांक, ऊर्जा संक्रमण सूचकांक, वैश्विक जोखिम रिपोर्ट और वैश्विक यात्रा एवं पर्यटन प्रतिस्पर्द्धात्मकता सूचकांक शामिल हैं।
उभरती प्रौद्योगिकियों के कारण भारत में रोज़गार के लिये क्या चुनौतियाँ हैं?
- रोज़गार विस्थापन: अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुसार, विनिर्माण एवं सेवा जैसे क्षेत्रों में दोहराव वाले कार्यों का स्वचालन हो रहा है, जिसके कारण संभावित रूप से रोज़गार का विस्थापन हो रहा है।
- कौशल की कमी: AI, साइबर सुरक्षा और डेटा साइंस में विशेषज्ञता की बढ़ती आवश्यकता है। हालाँकि कार्यबल के एक महत्त्वपूर्ण हिस्से में विशेष कौशल का अभाव है, जिससे रोज़गार की आवश्यकताओं और उपलब्ध प्रतिभा के बीच अंतर देखने को मिलता है।
- असमान प्रौद्योगिकी अपनाना: शहरी क्षेत्र तीव्रता से नवीन प्रौद्योगिकियों को अपना रहे हैं, जबकि इस मामले में ग्रामीण क्षेत्र पीछे हैं, जिसके कारण रोज़गार के अवसरों और आर्थिक विकास में असमानताएँ उत्पन्न हो रही हैं।
- अनौपचारिक क्षेत्र की चुनौतियाँ: अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों, जो भारत की अर्थव्यवस्था का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं, को प्रशिक्षण और शिक्षा तक पहुँच की कमी के कारण प्रौद्योगिकी-संचालित नौकरियों में बदलाव करना कठिन हो सकता है।
आगे की राह
- उन्नत कौशल: सरकारों, व्यवसायों और शैक्षिक संस्थानों को उभरते क्षेत्रों के अनुरूप विशेष कौशल उन्नयन कार्यक्रम बनाने के लिये सहयोग करना चाहिये।
- नियोक्ताओं को कर्मचारियों को घटती भूमिकाओं से बढ़ती भूमिकाओं में परिवर्तन में मदद करने के लिये कैरियर प्रगति के मार्ग बनाने चाहिये।
- विविधता, समानता और समावेशन (DEI): कंपनियों को विविधता भर्ती कार्यक्रमों में निवेश करना चाहिये, जिसका लक्ष्य कम प्रतिनिधित्व वाले समुदायों और क्षेत्रों तक पहुँचना है, जिससे प्रतिभा समूह में वृद्धि हो सके।
- कार्यबल के लिये AI को अपनाना: मानव रचनात्मकता और AI दक्षता के मिश्रण को अपनाना, जहाँ मनुष्य और मशीनें प्रतिस्पर्द्धा करने के बजाय सहयोग कर सकें, जिससे रोज़गार का त्याग किये बगैर उत्पादकता में सुधार हो सके।
- प्रतिभा को बनाए रखना: नियमित वेतन समीक्षा करना, पारिश्रमिक पारदर्शिता सुनिश्चित करना, तथा प्रतिधारण और कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिये स्टॉक विकल्प, बोनस और लाभ जैसे प्रोत्साहन प्रदान करना।
- सार्वजनिक नीति का समर्थन: सरकारों को पुनः कौशल प्रदान करने और उच्च कौशल प्रदान करने हेतु पहलों को वित्तपोषित करना चाहिये, विशेष रूप से प्रौद्योगिकी से प्रभावित उद्योगों के लिये, साथ ही विस्थापित श्रमिकों के लिये पुनः प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता और रोजगार की व्यवस्था करनी चाहिये।
निष्कर्ष
WEF की 'फ्यूचर ऑफ जॉब्स रिपोर्ट 2025' में कौशल वृद्धि, तकनीकी बदलावों के अनुकूल होने और कार्यबल में विविधता को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया है। सरकारों और व्यवसायों को भविष्य की नौकरी की मांगों को पूरा करने के लिये कौशल, AI और समावेशी विकास रणनीतियों में निवेश करके लचीले श्रम बाज़ार निर्माण के लिये सहयोग करना चाहिये।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: वर्ष 2030 तक वैश्विक श्रम बाज़ारों पर तकनीकी प्रगति और आर्थिक स्थितियों के प्रभाव पर चर्चा कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्सप्रश्न 1. वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता रिपोर्ट किसके द्वारा प्रकाशित की जाती है? (2019) (a) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष उत्तर: (c) प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन विश्व के देशों को 'ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स' रैंकिंग प्रदान करता है? (2017) (a) विश्व आर्थिक मंच उत्तर: (a)मेन्स
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