भारत में पर्यटन क्षेत्र

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में भारतीय पर्यटन क्षेत्र की बाधाओं, उपलब्ध अवसरों व इससे संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ:

COVID-19 महामारी के प्रकोप के कारण अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में ठहराव की स्थिति में उत्पन्न हो गई है। इस महामारी का सबसे नकारात्मक प्रभाव पर्यटन और आतिथ्य उद्योग पर देखने को मिला, जिसे लॉकडाउन तथा सोशल डिस्टेंसिंग का सीधा नुकसान झेलना पड़ा। ‘संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन’ (UN World Tourism Organization- UNWTO) के अनुसार,  वर्ष 1950 (जबसे UNWTO ने रिकार्ड रखना शुरू किया) के बाद अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन उद्योग के समक्ष यह सबसे बड़ा संकट है।  

वर्तमान में जब भारत सहित विश्व के कई देशों में COVID-19 के लिये टीकाकरण की प्रक्रिया शुरू हो गई है और इसके साथ ही दैनिक गतिविधियों के पुनः सामान्य रूप से शुरू होने की उम्मीदें भी बढ़ी हैं। ऐसे में भारत को पूरी सक्रियता के साथ पर्यटन क्षेत्र को समर्थन प्रदान करने का प्रयास करना चाहिये, क्योंकि  भारतीय अर्थव्यवस्था में इस क्षेत्र की भागीदारी लगभग 10% है और यह क्षेत्र वैश्विक स्तर पर भारत के सबसे बड़े सांस्कृतिक प्रतिनिधि के रूप में भी कार्य करता है।

इसके अतिरिक्त भारत को इस क्षेत्र में अंतर्निहित प्रतिस्पर्द्धात्मक बढ़त प्राप्त है क्योंकि यह उपयुक्त पर्यटन उत्पादों- परिभ्रमण, एडवेंचर, चिकित्सा, कल्याण, खेल, पर्यावरण-पर्यटन, फिल्म, ग्रामीण और धार्मिक पर्यटन जैसे  विविध पोर्टफोलियो प्रदान करता है।  यह प्रतिस्पर्द्धी बढ़त भारत को विश्व में एक प्रमुख पर्यटन केंद्र बनने में सहायता करेगी।

पर्यटन क्षेत्र की चुनौतियाँ: 

  • अवसंरचना और कनेक्टिविटी: बुनियादी ढाँचे का अभाव और अपर्याप्त कनेक्टिविटी कई विरासत स्थलों के लिये पर्यटकों की यात्रा में एक बड़ी बाधा बनती है।
    • इसके अतिरिक्त भारत में पर्यटन स्थलों की कमी नहीं है परंतु उन्हें एक-दूसरे से जोड़ने के लिये व्यवस्थित अवसंरचनाएँ सीमित है (जैसे: दिल्ली-आगरा-जयपुर स्वर्णिम त्रिभुज)।
  • प्रचार और मार्केटिंग: हालाँकि पर्यटन क्षेत्र के प्रचार में वृद्धि देखने को मिली है परंतु इसकी ऑनलाइन मार्केटिंग/ब्रांडिंग अभी भी सीमित है और इस मुहिम में समन्वय की भारी कमी दिखाई देती है। 
    • पर्यटक सूचना केंद्रों के प्रबंधन में बहुत ही शिथिलता देखने को मिलती है, जिससे स्थानीय/घरेलू और विदेशी पर्यटकों के लिये आसानी से कोई जानकारी प्राप्त करना कठिन हो जाता है। 
  • कौशल की कमी: पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र में प्रशिक्षित व्यक्तियों की पर्याप्त संख्या में कमी आगंतुकों को विश्व स्तरीय अनुभव प्रदान करने की दिशा में एक बड़ी बाधा के रूप में उभर कर सामने आती है।
    • प्रशिक्षित बहुभाषी गाइड्स की सीमित संख्या, स्थानीय जागरूकता तथा पर्यटकों की संख्या में वृद्धि से जुड़े लाभ और उत्तरदायित्त्वों की सीमित समझ आदि पर्यटन क्षेत्र के विकास में एक बड़ी बाधा के रूप में काम करते हैं।
  • पर्यटन क्षमता का सीमित प्रयोगविश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum- WEF) की ‘यात्रा और पर्यटन प्रतिस्पर्द्धा सूचकांक (Travel and Tourism Competitiveness Index- TTCR) रिपोर्ट, 2019’ में शामिल कुल 140 देशों में भारत को ‘सांस्कृतिक संसाधन और व्यावसायिक यात्रा’ में 8वाँ स्थान, प्रतिस्पर्द्धा में 13वाँ और प्राकृतिक संसाधनों की श्रेणी में 14वाँ स्थान प्राप्त हुआ।
    • विभिन्न श्रेणियों में इस उन्नत प्रदर्शन के बावजूद भारत की समग्र पर्यटन प्रतिस्पर्द्धा 34वीं रैंकिंग है, जो यह बताता है कि भारत द्वारा अपनी विरासत में मौजूद बहुमूल्य संपदा का पूरी क्षमता के अनुरूप उपयोग नहीं किया गया है, जैसा कि अन्य देशों द्वारा किया जाता है।  

आगे की राह:  

  • ‘वन इंडिया वन टूरिज़्म’ का दृष्टिकोण:  पर्यटन क्षेत्र का विस्तार कई मंत्रालयों तक होता है, यह एक राज्य के भीतर होने के साथ-साथ कई राज्यों में फैला है।
    • ऐसे में राष्ट्रीय पर्यटन परिषद जैसे एक सशक्त विधायी निकाय का होना बहुत ही आवश्यक है जो केंद्र-राज्य स्तर पर पर्यटन मामलों को तेज़ी से निपटाने की प्रणाली को सक्षम बनाने के साथ ‘वन इंडिया वन टूरिज़्म’ दृष्टिकोण सुनिश्चित करने में सहायक होगा।
  • बुनियादी ढाँचे के रूप में पर्यटन क्षेत्र: पर्यटन अवसंरचना परियोजना, अर्थात् होटल, रिसॉर्ट, उपकरण, पार्क आदि जिनकी परियोजना लागत 1 करोड़ रुपए से अधिक है, को 'बुनियादी ढाँचे' के रूप में अधिसूचित किया जाना चाहिये, जिससे ऐसी परियोजनाओं के प्रायोजकों को प्राथमिकता के आधार पर ऋण प्राप्त करने में सक्षम बनाया जा सके।
  • कौशल विकास:  पर्यटन उद्योग की आपूर्ति शृंखला में शामिल होने के लिये छोटे उद्यमों की स्थापना को प्रोत्साहित कर स्थानीय समुदायों को पर्यटन से जोड़ने की आवश्यकता है।
    • संगठित क्षेत्र में निवेशकों और ऑपरेटरों को स्थानीय स्तर पर कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिये प्रोत्साहित करते हुए रोज़गार के अवसरों में वृद्धि की जा सकती है।
  • विरासत स्थलों का संरक्षण:  सभी विरासत स्थलों के संरक्षण और विकास को बढ़ावा दिया जाना चाहिये और इस विकास को सरकारी धन के माध्यम से या गैर-सरकारी संगठनों/कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) गतिविधियों के माध्यम से पूरा किया जाना चाहिये।  
  • पर्यटन सुगमता को बढ़ावा देना: एक निर्बाध पर्यटन अनुभव सुनिश्चित करने के लिये हमें सभी अंतर्राज्यीय रोड टैक्स (Road Tax) के  मानकीकरण  के साथ उन्हें एक बिंदु पर देय बनाने के लिये उपयुक्त प्रणालीगत में सुधार की आवश्यकता है, जिससे पर्यटन सुगमता के साथ ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ को बढ़ावा दिया जा सकेगा।   
  • अतुल्य भारत 2.0: भारत में पर्यटन की विविधता को देखते हुए बौद्ध सर्किट, स्वदेश दर्शन या ‘अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में एडवेंचर टूरिज़्म’ जैसे अद्वितीय पर्यटन विकल्पों को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया जाना और इनका प्रचार करना बहुत आवश्यक है।
    • इस संदर्भ में भारत सरकार द्वारा अतुल्य भारत 2.0 अभियान की शुरुआत की जा सकती है, जिसके तहत 100 स्मार्ट और स्वच्छ पर्यटन गंतव्य स्थलों पर पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा।

निष्कर्ष:  COVID-19 महामारी के प्रकोप के दौरान पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र पर इसका सबसे अधिक नकारात्मक प्रभाव देखने को मिला। हालाँकि COVID-19 संक्रमण के मामलों में गिरावट और वैक्सीन के वितरण की शुरुआत के साथ पर्यटन क्षेत्र में सुधार की उम्मीद जगी है। पर्यटन क्षेत्र में उपलब्ध अवसरों को देखते हुए यदि इसे योजनाओं और नीतिगत सुधारों के माध्यम से पर्याप्त समर्थन प्रदान किया जाता है तो यह विकास के पुनः प्रवर्तन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ विश्व में भारत की छवि को मज़बूत करने में सहायक हो सकता है।    

Advantage-India  

अभ्यास प्रश्न: भारतीय पर्यटन क्षेत्र आर्थिक प्रगति को पुनः गति प्रदान करने में एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य  कर सकता है। इस कथन के संदर्भ में भारतीय पर्यटन क्षेत्र की वर्तमान चुनौतियों और समाधान के संभावित विकल्पों पर चर्चा कीजिये।