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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

क्वांटम प्रौद्योगिकी और भारत

  • 22 May 2023
  • 16 min read

यह एडिटोरियल 19/05/2023 को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित “Our Quantum Leap” पर आधारित है। इसमें क्वांटम सामग्री एवं प्रौद्योगिकी के महत्त्व और राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के बारे में चर्चा की गई है।

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय क्वांटम मिशन, क्वांटम प्रौद्योगिकी 

मेन्स के लिये:

राष्ट्रीय क्वांटम मिशन और क्वांटम प्रौद्योगिकी के विकास में इसकी भूमिका, क्वांटम प्रौद्योगिकी: अनुप्रयोग, चुनौतियाँ और आगे की राह।

भारत अपने स्वयं के प्रौद्योगिकी आधार का निर्माण करने को लेकर गंभीर हो रहा है और इस परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (National Quantum Mission) रक्षा, ऊर्जा एवं पर्यावरण से लेकर स्वास्थ्य सेवा एवं नागरिक अनुप्रयोगों तक विभिन्न क्षेत्रों में एक ‘गेम-चेंजर’ सिद्ध हो सकता है। किसी भी प्रौद्योगिकी का पहले आविष्कार होता है, फिर वह भौतिक नवाचार पर आगे विकास करती है और क्वांटम प्रौद्योगिकी भी इसका अपवाद नहीं है।

भारत के लिये क्वांटम सामग्री और उपकरणों में निवेश जितना दिखाई पड़ता है, उससे कहीं अधिक लाभांश का वादा करता है। यह प्रक्रिया अत्यधिक कुशल कार्यबल का एक संवर्ग उत्पन्न कर सकती है। चूँकि भारत वर्ष 2027 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिये तैयार है, देश में सुदृढ़ रूप से जुड़े सामग्री अवसंरचना का होना महत्त्वपूर्ण होगा। यह न केवल क्वांटम प्रौद्योगिकियों के लिये बल्कि अन्य प्रमुख वैज्ञानिक मेगाप्रोजेक्ट्स (सेमीकंडक्टर मिशन से लेकर न्यूट्रिनो ऑब्जरवेटरी और ग्रेविटेशनल वेव डिटेक्शन तक) के लिये उपयोगी होगी। ऊर्जा और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों में आत्मनिर्भरता के निर्माण में यह अवसंरचना महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

क्वांटम सामग्री 

  • क्वांटम सामग्री (Quantum materials) पदार्थ या प्रणालियों का एक वर्ग है जो हमें क्वांटम भौतिकी के कुछ अद्वितीय गुणों का दोहन करने और उन कार्यों को पूरा करने की अनुमति देती है जिसे शास्त्रीय प्रौद्योगिकी नहीं कर पाती।
  • ‘क्वांटम सामग्री’ की अवधारणा को मूल रूप से अपरंपरागत सुपरकंडक्टर्स, हेवी-फर्मियन सिस्टम और मल्टीफंक्शनल ऑक्साइड सहित कुछ असाधारण क्वांटम प्रणालियों की पहचान करने के लिये पेश किया गया था।
  • यह अब विज्ञान एवं इंजीनियरिंग के विविध क्षेत्रों—जैसे सॉलिड स्टेट फिजिक्स, कोल्ड एटम्स (जहाँ परमाणुओं को परम शून्य के आसपास ठंडा किया जाता है जिससे उनके क्वांटम यांत्रिक गुणों का अनावरण होता है), मटेरियल साइंस और क्वांटम कम्प्यूटिंग— में एक शक्तिशाली एकीकृत अवधारणा में परिणत हो गई है।

क्वांटम सामग्री के अनुप्रयोग 

  • ऊर्जा:क्वांटम सामग्री का उपयोग नई प्रकार की बैटरी, सौर सेल और अन्य ऊर्जा-कुशल उपकरणों के निर्माण में किया जा सकता है। उदाहरण के लिये, कार्बन परमाणुओं से बनी एक द्वि-आयामी सामग्री ‘ग्राफीन’ (graphene) में उत्कृष्ट विद्युत चालकता पाई गई है, जो इसे बैटरी में उपयोग के लिये एक आशाजनक सामग्री बना सकती है।
    • ग्राफीन षट्कोणीय जाली में व्यवस्थित कार्बन परमाणुओं की एकल-परमाणु-मोटी परत (one-atom-thick layer) है। ग्राफीन में उपस्थित इलेक्ट्रॉन द्रव्यमा रहित कणों के रूप में व्यवहार करते हैं, जो ग्राफीन को उच्च विद्युत चालकता एवं पारदर्शिता जैसे इसके अद्वितीय गुण प्रदान करता है।
  • जैव-चिकित्सा:क्वांटम सामग्री का उपयोग नए प्रकार के चिकित्सा उपकरणों (जैसे सेंसर और इमेजिंग उपकरणों) के निर्माण के लिये किया जा सकता है। उदाहरण के लिये, क्वांटम डॉट्स (quantum dots) को कोशिकाओं और ऊतकों के बायोइमेजिंग एवं बायोसेंसिंग के लिये फ्लोरोसेंट प्रोब के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • सूचना प्रौद्योगिकी: क्वांटम सामग्री का उपयोग नए प्रकार के कंप्यूटर और अन्य सूचना प्रौद्योगिकी उपकरणों के निर्माण के लिये किया जा सकता है। उदाहरण के लिये, क्वांटम कंप्यूटर—जो क्वांटम मैकेनिक्स के सिद्धांतों पर आधारित होते हैं, का उपयोग उन समस्याओं को हल करने के लिये किया जा सकता है जिन्हें हल करना वर्तमान में पारंपरिक कंप्यूटरों के लिये असंभव है।
  • रक्षा:क्वांटम सामग्री का उपयोग नए प्रकार के हथियार और रक्षा प्रणाली के निर्माण के लिये किया जा सकता है। उदाहरण के लिये, शत्रु मिसाइलों का पता लगाने और निगरानी के लिये क्वांटम सेंसर का इस्तेमाल किया जा सकता है, जबकि क्वांटम कंप्यूटरों का इस्तेमाल सुरक्षा की वृद्धि के लिये किया जा सकता है।
  • कृषि: क्वांटम सामग्री बायोसेंसिंग, बायोइमेजिंग एवं नैनो डिलीवरी जैसे क्वांटम प्रभावों का दोहन करके कृषि उत्पादकता, गुणवत्ता एवं सुरक्षा को बढ़ा सकती है।उदाहरण के लिये, फसलों और पशुओं में रोगजनकों एवं विषाक्त पदार्थों का पता लगाने के लिये क्वांटम डॉट्स का उपयोग बायोसेंसर के रूप में किया जा सकता है।

राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (National Quantum Mission- NQM)

  • परिचय:
    • इसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा क्रियान्वित किया जाएगा।
    • वर्ष 2023-2031 के लिये नियोजित मिशन का उद्देश्य वैज्ञानिक एवं औद्योगिक R&D का बीजारोपण करना, पोषण करना और इसके पैमाने को बढ़ाना है। यह क्वांटम प्रौद्योगिकी (QT) में एक जीवंत और अभिनव पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण का भी लक्ष्य रखता है।
    • इस मिशन के साथ भारत समर्पित क्वांटम मिशन कार्यान्वित करने वाला सातवाँ देश (अमेरिका, ऑस्ट्रिया, फिनलैंड, फ़्रांस, कनाडा और चीन के साथ) बन जाएगा।
  • मिशन की मुख्य बातें:
    • यह अगले 5 वर्षों में 50-100 फिजिकल क्यूबिट्स के और 8 वर्षों में 50-1000 फिजिकल क्यूबिट्स के मध्यवर्ती पैमाने के क्वांटम कंप्यूटर विकसित करने पर लक्षित होगा।
      • जैसे बिट्स (1 और 0) वे बुनियादी इकाइयाँ हैं जिनके द्वारा कंप्यूटर सूचनाओं को संसाधित करते हैं, उसी प्रकार ‘क्यूबिट्स’ या ‘क्वांटम बिट्स’ क्वांटम कंप्यूटरों द्वारा प्रयोग की जाने वाली इकाइयाँ हैं
    • यह मिशन परिशुद्ध समय (परमाणु घड़ियों), संचार और नेविगेशन के लिये उच्च संवेदनशीलता युक्त मैग्नेटोमीटर विकसित करने में मदद करेगा
    • यह क्वांटम उपकरणों के निर्माण के लिये सुपरकंडक्टर्स, नवीन सेमीकंडक्टर संरचनाओं एवं टोपोलॉजिकल सामग्रियों जैसे क्वांटम सामग्रियों के डिज़ाइन एवं संश्लेषण का भी समर्थन करेगा
    • मिशन निम्नलिखित के विकास में भी मदद करेगा, जैसे-
      • भारत के भीतर 2000 किमी की सीमा में ग्राउंड स्टेशनों के बीच उपग्रह आधारित सुरक्षित क्वांटम संचार
      • अन्य देशों के साथ लंबी दूरी का सुरक्षित क्वांटम संचार
      • 2000 किमी से अधिक में अंतर-शहर क्वांटम कुंजी वितरण (Inter-city quantum key distribution) 
      • क्वांटम मेमोरी के साथ मल्टी-नोड क्वांटम नेटवर्क
  • महत्त्व:
    • यह क्वांटम प्रौद्योगिकी से प्रेरित आर्थिक विकास को गति प्रदान करेगा और स्वास्थ्य सेवा एवं निदान, रक्षा, ऊर्जा और डेटा सुरक्षा जैसे विविध क्षेत्रों में क्वांटम टेक्नोलॉजीज एंड एप्लीकेशन (QTA) के विकास के मामले में भारत को अग्रणी देशों में शामिल कर देगा।
    • यह स्वदेशी रूप से क्वांटम-आधारित कंप्यूटर निर्माण की दिशा में कार्य करेगा जो कहीं अधिक कुशल होते हैं और अत्यंत सुरक्षित तरीके से जटिलतम समस्याओं को हल करने में सक्षम होते हैं।

क्वांटम सामग्री से संबद्ध चुनौतियाँ 

  • जैव संचयन (Bioaccumulation): क्वांटम सामग्री अपनी संभावित विषाक्तता और जैव संचयन के कारण स्वास्थ्य संबंधी एवं पर्यावरणीय जोखिम पैदा कर सकती है। उदाहरण के लिये, कैडमियम या सीसे (लेड) जैसी भारी धातुओं से बने क्वांटम डॉट्स जीवित कोशिकाओं और जीवों में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस, सूजन और डीएनए की क्षति का कारण बन सकते हैं।
  • जटिल और महँगी: क्वांटम सामग्री अपनी जटिल संरचना एवं संघटन के कारण संश्लेषण, शुद्धिकरण और निरूपण में जटिल एवं महँगी सिद्ध हो सकती है। उन्हें उच्च तापमान एवं उच्च दाब प्रतिक्रियाओं, विविध शुद्धिकरण चरणों और परिष्कृत विश्लेषणात्मक तकनीकों की आवश्यकता होती है।
  • सुरक्षा: क्रिप्टोग्राफी, निगरानी (surveillance) और युद्ध में संभावित अनुप्रयोगों के कारण क्वांटम सामग्री सुरक्षा एवं नैतिकता संबंधी चुनौतियाँ भी उत्पन्न कर सकती है। उदाहरण के लिये, क्वांटम कंप्यूटर मौजूदा एन्क्रिप्शन स्कीम्स को ब्रेक करने में सक्षम हो सकते हैं, क्वांटम सेंसर गुप्त विमान (stealth aircraft) का पता लगाने में सक्षम हो सकते हैं और क्वांटम हथियार सामूहिक विनाश का कारण बन सकते हैं।
  • सामाजिक प्रभाव: मानव अनुभूति, संचार और संस्कृति पर अपने प्रभाव के कारण क्वांटम सामग्री सामाजिक प्रभाव भी उत्पन्न कर सकती है। उदाहरण के लिये, क्वांटम-संचालित कृत्रिम बुद्धिमत्ता मानव बुद्धिमत्ता को पीछे छोड़ देने में सक्षम हो सकती है।
  • क्वांटम विसंगतता (Quantum Decoherence):यह क्वांटम मैकेनिक्स पर निर्भर क्वांटम कंप्यूटिंग एवं अन्य अनुप्रयोगों के लिये यह एक बड़ी चुनौती सिद्ध हो सकती है। उदाहरण के लिये, क्वांटम डॉट्स ऑक्सीडेशन, एग्रीगेशन या फोटोब्लीचिंग के कारण अपना प्रतिदीप्ति (Fluorescence) खो सकते हैं या अपना रंग बदल सकते हैं।
    • क्वांटम विसंगतता वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा पर्यावरण के साथ परस्पर क्रियाओं के कारण क्वांटम सूचना खो जाती है।

आगे की राह

  • निवेश बढ़ाना: क्वांटम प्रौद्योगिकी को अपनी पूरी क्षमता प्राप्त करने के लिये अनुसंधान एवं विकास, आधारभूत संरचना और मानव संसाधनों में पर्याप्त निवेश की आवश्यकता है।
    • भारत ने इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए 6000 करोड़ रुपए के बजट के साथ राष्ट्रीय क्वांटम मिशन लॉन्च किया है। 
    • हालाँकि, क्वांटम स्टार्ट-अप्स, सेवा प्रदाताओं और शैक्षणिक संस्थानों के विकास का समर्थन करने के लिये और अधिक सार्वजनिक एवं निजी वित्तपोषण की आवश्यकता है।
  • नियामक ढाँचा आवश्यक: क्वांटम प्रौद्योगिकी नैतिक, कानूनी और सामाजिक चुनौतियाँ भी पेश करती हैं, जिनके व्यापक हो जाने से पहले ही इन्हें संबोधित करने की आवश्यकता है। उदाहरण के लिये, क्वांटम सेंसिंग गोपनीयता अधिकारों का उल्लंघन कर सकती है और क्वांटम हथियार सामूहिक विनाश का कारण बन सकते हैं।
    • इस प्रकार, नवाचार और सुरक्षा को संतुलित करने वाली क्वांटम प्रौद्योगिकी के लिये एक नियामक ढाँचा विकसित करना विवेकपूर्ण होगा।
  • क्वांटम शिक्षा को बढ़ावा देना: क्वांटम प्रौद्योगिकी के लिये कुशल एवं प्रशिक्षित पेशेवरों की भी आवश्यकता होती है जो इसके सिद्धांतों एवं विधियों को समझ सकें और इन्हें अनुप्रयुक्त कर सकें। इसलिये, विभिन्न विषयों में छात्रों और शोधकर्त्ताओं के बीच क्वांटम शिक्षा एवं जागरूकता को बढ़ावा देना आवश्यक है।
    • स्कूलों-कॉलेजों में क्वांटम पाठ्यक्रम शुरू करने, कार्यशालाओं एवं सेमिनारों के आयोजन और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म एवं संसाधनों का निर्माण करने के माध्यम से ऐसा किया जा सकता है।
  • विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग: क्वांटम प्रौद्योगिकी की बेहतर समझ के लिये सरकारी एजेंसियों, उद्योग के अभिकर्त्ताओं और संस्थानों जैसे विभिन्न हितधारकों के बीच सहकार्यता एवं सहयोग का स्थापित होना आवश्यक है।
    • यह क्वांटम प्रौद्योगिकी के विभिन्न डोमेन एवं अनुप्रयोगों में ज्ञान साझेदारी, नवाचार और मानकीकरण को बढ़ावा दे सकता है।
    • यह भारत को क्वांटम प्रौद्योगिकी पर वैश्विक पहलों और नेटवर्क में भाग लेने में भी सक्षम बना सकता है।

अभ्यास प्रश्न: सरकार ने हाल ही में ‘राष्ट्रीय क्वांटम मिशन’ लॉन्च किया है। इस मिशन के महत्त्व और इसके समक्ष विद्यमान चुनौतियों की चर्चा करें।

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