भारतीय समाज
लैंगिक अंतराल रिपोर्ट-2020
- 17 Dec 2019
- 10 min read
प्रीलिम्स के लिये:
WEF जेंडर गैप रिपोर्ट 2020
मेन्स के लिये:
भारत में लैंगिक अंतराल से संबंधित चुनौतियाँ
चर्चा में क्यों:
हाल ही में विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum- WEF) ने 153 देशों के आँकड़ों के आधार पर वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट- 2020 (Gender Gap Report- 2020) जारी की है। WEF द्वारा जारी इस रिपोर्ट में भारत 91/100 लिंगानुपात के साथ 112वें स्थान पर रहा। उल्लेखनीय है कि वार्षिक रूप से जारी होने वाली इस रिपोर्ट में भारत पिछले दो वर्षों से 108वें स्थान पर बना हुआ था।
क्या है वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट:
- जेंडर गैप रिपोर्ट, स्विट्ज़रलैंड स्थित विश्व आर्थिक मंच द्वारा हर वर्ष जारी की जाती है।
- वर्ष 2006 में पहली बार जारी इस रिपोर्ट में चार बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए विभिन्न मानकों पर व्यापक सर्वे और अध्ययन के आधार पर आँकड़े जारी किये जाते हैं, जो हैं-
- स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता
- राजनीतिक सशक्तीकरण
- शिक्षा का अवसर
- आर्थिक भागीदारी और अवसर
प्रमुख बिंदु:
- महिला स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता तथा आर्थिक भागीदारी के मामले में भारत इस रिपोर्ट में नीचे के पाँच देशों में शामिल रहा।
- जबकि भारत के मुकाबले हमारे पड़ोसी देशों का प्रदर्शन बेहतर रहा - बांग्लादेश (50वाँ), नेपाल (101),श्रीलंका (102वाँ), इंडोनेशिया (85वाँ) और चीन (106वाँ)।
- रिपोर्ट में आइसलैंड को सबसे कम लैंगिक भेदभाव (Gender Neutral) वाला देश बताया गया।
- जबकि यमन (153वाँ), इराक़ (152वाँ) और पाकिस्तान (151वाँ) का प्रदर्शन सबसे ख़राब रहा।
- WEF के अनुमान के अनुसार, विश्व में फैली व्यापक लैंगिक असमानता को दूर करने में लगभग 99.5 वर्ष लगेंगे, जबकि इसी रिपोर्ट में पिछले वर्ष के आँकड़ों के आधार पर यह अवधि 108 वर्ष अनुमानित थी।
- संगठन के अनुसार, इस वर्ष सुधार का कारण राजनीति में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी है (न्यूज़ीलैंड, फ़िनलैंड,हॉन्गकॉन्ग आदि देशों में महिला प्रधानमंत्री/ शीर्ष नेता)।
स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता :
- स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता के क्षेत्र में भारत (150वाँ स्थान) का प्रदर्शन बहुत ख़राब रहा है।
- रिपोर्ट के अनुसार, विश्व के चार बड़े देशों भारत, विएतनाम, चीन और पाकिस्तान में अभी भी करोड़ों की संख्या में ऐसी महिलाएँ हैं जिन्हें पुरुषों के सामान स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हैं।
- WEF ने भारत (91/100) और पाकिस्तान (92/100) में असमान शिशु लैंगिक जन्मानुपात को भी चिंताजनक बताया है।
राजनीतिक सशक्तीकरण और भागीदारी :
- राजनीतिक सशक्तीकरण और भागीदारी में अन्य बिंदुओं की अपेक्षा भारत का प्रदर्शन (18वाँ स्थान) बेहतर रहा है।
- लेकिन भारतीय राजनीति में आज भी महिलाओं की सक्रिय भागीदारी बहुत ही कम है, आकड़ों के अनुसार, केवल 14% महिलाएं ही संसद तक पहुँच पाती हैं ( विश्व में 122वाँ स्थान)।
- मंत्रिमंडल में महिलाओं की भागीदारी केवल 23% ही है ( विश्व में 69वाँ स्थान)।
- रिपोर्ट के अनुसार, भारत के इस बेहतर प्रदर्शन का कारण यह है कि भारतीय राजनीति में पिछले 50 में से 20 वर्षों में अनेक महिलाएँ राजनीतिक शीर्षस्थ पदों पर रही है। ( इंदिरा गांधी, मायावती, ममता बनर्जी, जयललिता आदि)
- आँकड़ों के मुताबिक, आज विश्व के विभिन्न देशों में 25.2% महिलाएँ संसद के निचले सदन का हिस्सा हैं, जबकि 21.2% मंत्रिपद संभाल रही हैं, जो कि पिछले वर्ष के अनुपात (24.1% और 19%) से बेहतर है।
- WEF के अनुमान के अनुसार, इस राजनीतिक असमानता को दूर करने में 95 वर्ष लग जाएँगे, जबकि पिछले वर्ष के आँकड़ों के अनुसार इसका अनुमान 107 वर्ष था।
शिक्षा के अवसर :
- महिलाओं के लिये शैक्षिक अवसरों की उपलब्धता के मामले में भारत का स्थान विश्व में 112वाँ है।
- जबकि इस आँकड़े में पिछले वर्ष भारत का स्थान 114वाँ और 2017 में 112वाँ स्थान रहा था।
- महिला साक्षरता के मामले में भारत का प्रदर्शन बहुत ही ख़राब रहा है, पुरुषों के मुकाबले (82% साक्षर) केवल दो-तिहाई महिलाएँ ही साक्षर हो पाती है।
आर्थिक भागीदारी और अवसर :
- रिपोर्ट के अनुसार, 2006 में पहली बार प्रकाशित आकड़ों की तुलना में आर्थिक क्षेत्र में महिलाओं के लिये सक्रिय भागीदारी के अवसरों में कमी आई है।
- 153 देशों में किये गए सर्वे में भारत एकमात्र ऐसा देश है जहाँ आर्थिक क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी का प्रतिशत राजनीतिक क्षेत्र से कम है।
- श्रमिक बाजार में भी महिलाओं की सक्रिय भागीदारी पुरुषों (82%) की तुलना में एक-चौथाई ही है तथा महिलाओं की औसत आय पुरुषों की तुलना में ⅕ है, इस मामले में भारत का विश्व स्थान 144वाँ स्थान है।
- WEF के आँकड़ों के अनुसार, अवसरों के मामले में विभिन्न देशों में आर्थिक क्षेत्र में महिलाओं की स्थिति इस प्रकार है- भारत (35.4%), पाकिस्तान (32.7%), यमन (27.3%), सीरिया (24.9%) और इराक़ (22.7%)।
- साथ ही भारत का नाम विश्व के उन देशों की सूची में भी है जहाँ कंपनियों में नेतृत्व के शीर्ष पदों पर महिलाओं की भागीदारी सिर्फ 13.8% है, जबकि इन्ही पदों पर चीन में महिलाओं की संख्या सिर्फ 9.7% ही है।
- केवल 14% भागीदारी उन महिलाओं की है जो शीर्ष नेतृत्व के पदों पर हैं (विश्व में 136वाँ स्थान) और पेशेवर तथा तकनीकी कुशल महिलाएँ केवल 30% है।
- WEF के अनुसार आर्थिक क्षेत्र में फैली इस विषमता को दूर करने में लगभग 257 वर्ष लग सकते हैं, जो चिंता का विषय है क्योंकि पिछले वर्ष के आंकड़ों के अनुसार यह अनुमान केवल 202 वर्षों का था।
- रिपोर्ट के अनुसार, हालाँकि भारत अपने यहाँ लिंगानुपात में व्याप्त असामानता को लगभग दो-तिहाई दूर करने में सफल रहा है लेकिन WEF ने देश के दूर-दराज़ के इलाकों में महिलाओं की स्थिति और भारतीय समाज में गहराई तक फैले लैंगिक अंतराल पर चिंता जाहिर की है।
सुझाव:
- रिपोर्ट के अनुसार, यद्यपि हम शिक्षा के क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन सुधार कर रहे हैं लेकिन महिलाओं के प्रति बढ़ती हिंसा, ज़बरन विवाह और स्वास्थ्य जैसी सेवाओं में होने वाला भेदभाव आज भी चिंता का विषय है जिसे दूर करने की सख़्त ज़रूरत है।
- WEF के अनुसार, इस असामानता को दूर करने के लिये ज़रूरी है कि समय के साथ उभरते नए क्षेत्रों जैसे क्लाउड-कम्प्यूटिंग, इंजीनियरिंग, डेटा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता(AI) में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाया जाए तथा नई पीढ़ी को इससे जुड़ने के लिये प्रोत्साहित किया जाए।
- उदाहरण के लिये, इस बार भी सर्वे में शीर्ष 10 में नोर्डिक देशों ने जगह बनायीं है। 2006 के आंकड़ों से तुलना करने पर पता चलता है कि इन देशों में राजनीतिक प्रतिनिधित्व के साथ कंपनियों में शीर्ष पदों पर महिलाओं की संख्या बढ़ी है और श्रमिक बाज़ार में भी कुशल महिलाओं की हिस्सेदारी में तेजी देखने को मिली है।
- संभव है कि अगले माह दावोस, स्विट्जरलैंड में होने वाले WEF के शिखर सम्मेलन के महत्त्वपूर्ण मुद्दों में एक मुद्दा लैंगिक अंतराल भी हो।
- WEF ने कहा कि वह इस बात को लेकर प्रतिबद्ध है कि 2030 तक WEF दावोस शिखर सम्मेलन में महिलाओं की भागीदारी को दोगुना किया जाए।