विश्वामित्री नदी और कच्छ मगरमच्छ
स्रोत: डाउन टू अर्थ
गुजरात सरकार ने वडोदरा की विश्वामित्री नदी में मगर अथवा कच्छ मगरमच्छ (Crocodylus palustris) की संख्या का अनुमान लगाने के लिये मगरमच्छों की गणना की।
- विश्वामित्री नदी: यह नदी गुजरात में पावागढ़ पहाड़ियों (पश्चिमी घाट का भाग) से निकलती है और वडोदरा से होकर बहती है तथा खंभात की खाड़ी में मिल जाती है। इसकी सहायक नदियाँ ढाढर और खानपुर इसमें मिलती हैं।
- इसके तटों पर स्थित अधिवास 1000 ईसा पूर्व प्राचीन हैं, जिनमें अंकोटक्का (अब अकोटा) भी शामिल है, जो गुप्त और वल्लभी शासन के दौरान विकसित हुई थी।
- इसमें कच्छ मगरमच्छ, अलवणीय जल के कछुए और मॉनिटर लिज़ार्ड पाई जाती हैं, जो इसे शहरी नदियों के बीच पारिस्थितिक रूप से अद्वितीय बनाती हैं।
- मगर अथवा कच्छ मगरमच्छ: ये भारत, श्रीलंका, पाकिस्तान और नेपाल में पाए जाते हैं तथा पश्चिम की ओर पूर्वी ईरान तक इनका विस्तारण है जहाँ यह मुख्यतः नदियों, झीलों और दलदलों जैसे अलवणीय जल क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
- यह मुख्यतः गंगा नदी बेसिन (बिहार और झारखंड), चंबल नदी (राजस्थान तथा मध्य प्रदेश) और गुजरात सहित भारत के 15 राज्यों में पाया जाता है।
- ये मछली, सरीसृप, पक्षी और स्तनधारी जीवों का भक्षण करते हैं। ये प्रजाति विवर नीडन (Hole-Nesting) करती हैं, जो शुष्क ऋतु के दौरान 25 से 30 अंडे देती हैं और इनकी ऊष्मायन अवधि 55 से 75 दिन की होती है।
- इस प्रजाति को आवास नाश, अवैध शिकार और मानव-वन्यजीव संघर्ष जैसे खतरों का सामना करना पड़ता है।
- संरक्षण: सुभेद्य (IUCN), CITES (परिशिष्ट I), और अनुसूची I (भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972)।
और पढ़ें: मगर प्रजाति के मगरमच्छ
आइंस्टीन वलय
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के यूक्लिड अंतरिक्ष दूरबीन ने पृथ्वी से लगभग 590 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर आकाशगंगा NGC 6505 के चारों ओर एक दुर्लभ आइंस्टीन वलय/रिंग की खोज की है।
- नोट: एक प्रकाश वर्ष वह दूरी है, जो प्रकाश एक वर्ष में तय करता है, जो 9.46 ट्रिलियन किलोमीटर है।
आइंस्टीन वलय/रिंग क्या है?
- आइंस्टीन वलय प्रकाश का वह वलय है, जो किसी खगोलीय पिंड, जैसे कि डार्क मैटर, आकाशगंगा या आकाशगंगाओं के समूह के चारों ओर दिखाई देती है।
- पूर्ण आइंस्टीन वलय केवल तभी दिखाई देता है जब पर्यवेक्षक (यूक्लिड टेलीस्कोप), गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग और बैकग्राउंड गैलेक्सी लगभग पूर्ण रूप से एक सीध में होते हैं।
- गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग: यह गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग के कारण होने वाली एक घटना है, जहाँ एक विशाल आकाशीय पिंड (जैसे एक आकाशगंगा) एक गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र बनाता है जो अपने पीछे अधिक दूर की वस्तु से आने वाले प्रकाश को मोड़ता और बढ़ाता है, जिससे फॉरग्राउंड ऑब्जेक्ट के चारों ओर एक पूर्ण वलय बनता है, जिसे आइंस्टीन वलय के रूप में जाना जाता है।
- वह वस्तु जिसके कारण प्रकाश का बंकन होता है, उसे गुरुत्वाकर्षी लेंस कहते हैं।
- खोज: वर्ष 1987 में पहली बार खोजे गए आइंस्टीन वलय अत्यंत दुर्लभ हैं, जो 1% से भी कम आकाशगंगाओं में पाए जाते हैं।
- NGC 6505 के चारों ओर आइंस्टीन वलय का निर्माण 4.42 अरब प्रकाश वर्ष दूर स्थित एक अनाम आकाशगंगा से उत्सर्जित प्रकाश से हुआ है, जो NGC 6505 के गुरूत्वीय कर्षण के कारण विकृत हो गया है, जिसके कारण इसके चारों ओर एक आकर्षक वलय जैसी बाह्याकृति दिखाई देती है।
- नामकरण: अल्बर्ट आइंस्टीन के सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत के अनुसार प्रकाश का गुरुत्वाकर्षण बल के कारण विशाल वस्तुओं के चारों ओर बंकन हो सकता है और यह चमकीला हो सकता है (दिक्काल को विकृत कर सकता है और प्रकाश के मार्ग को मोड़ सकता है), इसलिये इसका नाम "आइंस्टीन रिंग" रखा गया।
- प्रेक्षण: सामान्य रूप से इसे आँखों से नहीं देखा जा सकता और केवल यूक्लिड जैसे शक्तिशाली अंतरिक्ष दूरबीनों के माध्यम से इसका प्रेक्षण किया जा सकता है।
- वैज्ञानिक महत्त्व: ये ब्रह्मांड का अध्ययन करने की एक अद्वितीय विधि प्रदान करते हैं क्योंकि वे एक नैसर्गिक आवर्धिक लेंस के रूप में कार्य करते हैं, जिनसे सुदूरवर्ती आकाशगंगाओं का प्रेक्षण किया जा सकता होता है जो अन्यथा अदृश्य होते।
- आइंस्टीन रिंग्स खगोल भौतिकी में मूल्यवान उपकरण हैं क्योंकि ये वैज्ञानिकों के लिये डार्क मैटर का परीक्षण करने एवं डार्क एनर्जी (ब्रह्मांड के एकाएक विस्तार हेतु उत्तरदायी) का अध्ययन करने में सहायक हैं।
आइंस्टीन रिंग्स के सामान घटनाएँ
- आइंस्टीन क्रॉस: आइंस्टीन क्रॉस एक दुर्लभ गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग घटना है जिसमें दूर स्थित आकाशगंगा से आने वाले प्रकाश को एक विशाल फोरग्राउंड आकाशगंगा द्वारा मोड़ दिया जाता है, जिससे इसके चारो ओर क्रॉस जैसे पैटर्न में चार अलग-अलग इमेज बन जाती हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान के संदर्भ में, हाल ही में समाचारों में रहे दक्षिण ध्रुव पर स्थित एक कण डिटेक्टर 'आइसक्यूब' के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2015)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) |
फीमेल जेनाइटल म्यूटिलेशन के प्रति शून्य सहिष्णुता का अंतर्राष्ट्रीय दिवस
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
विश्व स्तर पर फीमेल जेनाइटल म्यूटिलेशन (FGM) के प्रति शून्य सहिष्णुता का अंतर्राष्ट्रीय दिवस (6 फरवरी ) "स्टेप अप द पेस" थीम के अंतर्गत मनाया गया, जिसमें FGM को समाप्त करने के क्रम में मज़बूत गठबंधन एवं इस पहल के विस्तार की आवश्यकता पर बल दिया गया।
नोट: FGM के प्रति शून्य सहिष्णुता का अंतर्राष्ट्रीय दिवस वर्ष 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा जागरूकता बढ़ाने एवं FGM को समाप्त करने के क्रम में वैश्विक प्रयासों को संगठित करने हेतु स्थापित किया गया था।
फीमेल जेनाइटल म्यूटिलेशन क्या है?
- परिभाषा: FGM में गैर-चिकित्सा कारणों से महिला जननांग को बदलना या चोट पहुँचाना शामिल है। इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकारों, स्वास्थ्य और बालिकाओं एवं महिलाओं की निजता का उल्लंघन माना जाता है।
- स्वास्थ्य पर प्रभाव:
- तत्काल: इसमें गंभीर दर्द, अत्यधिक रक्तस्राव, संक्रमण एवं सदमा के साथ मृत्यु भी हो सकती है।
- दीर्घकालिक: दर्द, संक्रमण के साथ मासिक धर्म एवं यौन स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ विकसित होती हैं।
- वैश्विक प्रसार: विश्व भर में 230 मिलियन से अधिक बालिकाएँ और महिलाएँ FGM से गुजर चुकी हैं, जिनमें से अधिकतर अफ्रीका, मध्य पूर्व एवं एशिया के 30 देशों से संबंधित हैं।
- प्रायः शिशु अवस्था से 15 वर्ष की आयु के बीच की छोटी कन्याओं का FGM किया जाता है। अनुमानतः प्रत्येक वर्ष 4 मिलियन कन्याओं को FGM का खतरा होता है, जो प्रति दिन औसतन 12,000 मामले होते हैं।
- FGM के अभ्यास के कारण: कई समुदायों में, FGM को कन्या की परवरिश करने, उसे वयस्कता अथवा प्रौढ़ता और विवाह के लिये तैयार करने की दृष्टि से एक आवश्यक भाग के रूप में देखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे स्त्री कामुकता नियंत्रित होती है और विवाहपूर्व कौमार्य तथा वैवाहिक विश्वस्तता सुनिश्चित होती है।
- कुछ लोग भूलवश यह मान लेते हैं कि FGM का अभ्यास करना धार्मिकता है, हालाँकि किसी भी धार्मिक ग्रंथ में इस प्रथा का निर्देश नहीं दिया गया है।
- लैंगिक असमानता पर आधारित, FGM जेंडर आधारित हिंसा है जिससे कन्याओं के शरीर को नुकसान पहुँचता है और उनके जीवन को खतरे होता है।
- उन्मूलन: संयुक्त राष्ट्र का लक्ष्य सतत् विकास लक्ष्य 5.3 के तहत वर्ष 2030 तक FGM का उन्मूलन करना है, जिसका लक्ष्य बाल विवाह और FGM जैसी कुप्रथाओं को समाप्त करना है।
- चुनौतियाँ: कुछ क्षेत्रों में इसका विरोध किया गया, जैसे कि गाम्बिया द्वारा FGM प्रतिबंध को हटाने का प्रयास किया गया जो दर्शाता है कि इसके उन्मूलन की प्रगति में भिन्नता है।
- लगभग 7 मिलियन कन्याएँ और महिलाएँ निवारण सेवाओं से लाभान्वित हुईं, लेकिन वर्ष 2030 तक FGM के उन्मूलन की दृष्टि से विश्व में इसका गिरावट स्तर 27 गुना तेज़ होना चाहिये।
- जिन 31 देशों से FGM की व्यापकता पर डेटा एकत्र किया गया है, उनमें से केवल 7 देश ही इस प्रथा को समाप्त करने के लिये वर्ष 2030 के संयुक्त राष्ट्र SDG लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर हैं।
- स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं द्वारा FGM करने की प्रवृत्ति में वृद्धि हुई है, जो इस गलत धारणा पर आधारित है कि यह प्रथा इसे सुरक्षित बना सकती है।
- सहयोगात्मक प्रयासों का आह्वान: केन्या और युगांडा जैसे देशों में समुदाय-नेतृत्व वाली पहलों और सुदृढ़ नीतियों के कारण प्रचलन दर में गिरावट देखी गई है।
- संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने FGM को समाप्त करने के लिये सरकारों, नागरिक समाज, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और ज़मीनी स्तर के संगठनों के बीच सहयोग बढ़ाने का आग्रह किया है।
भारत में FGM
- भारत में FGM को "खफ्द (Khafd)" के रूप में संदर्भित किया जाता है, जिसका कारण परंपरा को कायम रखना, धार्मिक आदेशों का पालन करना और महिलाओं की यौन स्वतंत्रता को नियंत्रित करना है।
- भारत में यह प्रथा मुख्य रूप से बोहरा मुस्लिम समुदाय द्वारा प्रचलित है, इस प्रथा पर प्रतिबंध लगाने वाला कोई विशेष कानून नहीं है।
- वर्ष 2018 में महिलाओं के अधिकारों के उल्लंघन का हवाला देते हुए FGM पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी; लेकिन समुदाय ने इसे अनुच्छेद 25 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता का मामला बताते हुए इसका बचाव किया था।
- सुप्रीम कोर्ट (SC) ने कहा कि FGM अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 15 (लैंगिक आधार पर कोई भेदभाव नहीं) का उल्लंघन करता है। हालाँकि जनहित याचिका अभी भी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: फीमेल जेनाइटल म्यूटिलेशन (FGM) प्रथा के सामाजिक-सांस्कृतिक कारणों पर चर्चा कीजिये, इसका महिलाओं के स्वास्थ्य और अधिकारों पर प्रभाव को बताइये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)मेन्सभारत में महिलाओं पर वैश्वीकरण के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों पर चर्चा कीजिये? (2015) |
पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्य तिथि
स्रोत: पी.आई.बी.
प्रधानमंत्री ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की। उनका देहांत 11 फरवरी 1968 को हुआ था।
- परिचय: इनका जन्म 25 सितंबर 1916 को हुआ और यह भारतीय राजनीतिज्ञ, दार्शनिक और RSS एवं भारतीय जनसंघ (BJS) (भारतीय जनता पार्टी के पूर्ववर्ती) के विचारक अथवा सिद्धांतकार थे।
- योगदान: उन्होंने अंत्योदय अर्थात समाज में सबसे आखिरी व्यक्ति के उत्थान और सर्वाधिक सुविधावंचितों की आवश्यकताओं को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित किया।
- यह "समग्र मानवतावाद" दर्शन के प्रणेता थे जिसमें कल्याण, सामाजिक न्याय, आर्थिक समानता और आत्मनिर्भरता पर ज़ोर दिया गया।
- मान्यता: राष्ट्र के प्रति उनके योगदान के सम्मान में वर्ष 2014 से 25 सितंबर को उनकी जयंती को अंत्योदय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- वर्ष 2015 में, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के नाम में परिवर्तन कर इसे दीनदयाल अंत्योदय योजना-NRLM कर दिया गया।
- वर्ष 2018 में उत्तर प्रदेश में मुगलसराय जंक्शन का नाम बदलकर उनके नाम पर रखा गया।
और पढ़ें: संगठन से समृद्धि: DAY-NRLM
भारत-EFTA डेस्क
स्रोत: द हिंदू
भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) ने आर्थिक संबंधों का सुदृढ़ीकरण करने तथा व्यापार एवं आर्थिक साझेदारी समझौते (TEPA) के तहत निवेश को सुविधाजनक बनाने के लिये भारत-EFTA डेस्क का शुभारंभ किया ।
भारत-EFTA डेस्क
- परिचय: यह इन्वेस्ट इंडिया द्वारा स्थापित एक समर्पित निवेश सुविधा तंत्र है, जो EFTA देशों के व्यवसायों के लिये भारत में निवेश करने हेतु एकल स्रोत अथवा एकल-खिड़की मंच के रूप में कार्य करता है।
- उद्देश्य: भारत-EFTA डेस्क का लक्ष्य TEPA के उद्देश्यों को साकार करने में सहायता करना है, जैसे:
- 15 वर्षों में 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का FDI, जिससे भारत में 1 मिलियन से अधिक प्रत्यक्ष रोज़गार सृजित होंगे।
- TEPA में बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित प्रतिबद्धताएँ।
- मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के साथ प्रौद्योगिकी सहयोग को संरेखित करना।
- भारत-EFTA TEPA मार्च 2024 में हस्ताक्षरित एक व्यापक FTA है।
यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA)
- EFTA आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्ज़रलैंड का अंतर-सरकारी संगठन है, जिसे स्टॉकहोम अभिसमय (1960) के तहत स्थापित किया गया था।
- भारत EFTA का पांचवाँ सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है (यूरोपीय संघ, अमेरिका, ब्रिटेन और चीन के बाद)।
- द्वीपक्षीय व्यापार: भारत और EFTA देशों के बीच व्यापार वर्ष 2023-24 में 24 बिलियन अमरीकी डॉलर था, जो वर्ष 2022-23 के 18.65 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक था। व्यापार अंतराल EFTA ब्लॉक के पक्ष में था।
- प्रमुख साझेदार: स्विट्ज़रलैंड (सबसे बड़ा), उसके बाद नॉर्वे।
और पढ़ें: भारत-EFTA व्यापार समझौता
संत गुरु रविदास की जयंती
स्रोत: पी.आई.बी.
प्रधानमंत्री ने संत गुरु रविदास को उनकी 648 वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की, जो माघ माह की पूर्णिमा तिथि (जो वर्ष 2025 में 12 फरवरी को है) को मनाई जाती है।
संत गुरु रविदास:
- इनका जन्म 1377 ई. में सीर गोवर्धनपुर (उत्तर प्रदेश) में हुआ। वे भक्ति आंदोलन के संत, कवि और समाज सुधारक थे।
- इन्हें रैदास, रोहिदास और रुहिदास के नाम से भी जाना जाता था। वे हाशिये पर स्थित समुदाय से थे लेकिन उन्होंने मानवाधिकार, समानता एवं आध्यात्मिक ज्ञान पर बल दिया।
- इनके पद गुरु ग्रंथ साहिब में शामिल हैं और मीराबाई ने उन्हें अपना आध्यात्मिक मार्गदर्शक माना था।
- यह दिन पंजाब, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा में व्यापक रूप से मनाया जाता है।
- पंजाब का दोआब क्षेत्र एक महत्त्वपूर्ण रविदासिया दलित समुदाय का स्थान है, जो संत रविदास की शिक्षाओं का पालन करता है।
भक्ति आंदोलन:
- यह 7 वीं और 17 वीं शताब्दी के बीच एक आध्यात्मिक और सामाजिक सुधार आंदोलन था, जिसमें व्यक्तिगत ईश्वर के प्रति भक्ति पर ज़ोर दिया गया तथा अनुष्ठानों और जाति पदानुक्रम को खारिज़ कर दिया गया।
- यह संपूर्ण भारत में फैल गया और हिंदू धर्म, सिख धर्म एवं सूफी धर्म पर इसका प्रभाव पड़ा।
- उल्लेखनीय भक्ति संतों में उत्तर भारत में कबीर, गुरु नानक और मीरा बाई एवं दक्षिण भारत में अलवार, नयनार, रामानुज और बसव शामिल हैं।
और पढ़ें... भक्ति और सूफी आंदोलन