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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 12 Apr, 2023
  • 31 min read
प्रारंभिक परीक्षा

सी. आर. राव को सांख्यिकी में 2023 का अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार

एक प्रमुख भारतीय-अमेरिकी गणितज्ञ और सांख्यिकीविद् कल्यामपुड़ी राधाकृष्ण राव (Calayampudi Radhakrishna Rao) को सांख्यिकी में 2023 के अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। इस पुरस्कार को सांख्यिकी के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार के समान माना जाता है।

कल्यामपुड़ी राधाकृष्ण राव के कार्य: 

  • पृष्ठभूमि:  
    • कलकत्ता मैथमैटिकल सोसाइटी के बुलेटिन में 1945 में प्रकाशित राव के उल्लेखनीय शोध-पत्र ने तीन मूलभूत परिणामों का प्रदर्शन किया, जिन्होंने सांख्यिकी के आधुनिक क्षेत्र के लिये मार्ग प्रशस्त किया और आज विज्ञान में बड़े पैमाने पर उपयोग किये जाने वाले सांख्यिकीय उपकरण प्रदान किये।
  • सिद्धांत: 
    • क्रैमर-राव लोअर बाउंड:
      • यह जानने का एक साधन प्रदान करता है कि कब किसी मात्रा का अनुमान लगाने का तरीका उतना ही अच्छा है जितना कि कोई भी तरीका हो सकता है।
    • राव-ब्लैकवेल प्रमेय:
      • यह एक अनुमान को इष्टतम अनुमान में बदलने का साधन प्रदान करता है। ये परिणाम मिलकर एक आधार बनाते हैं जिस पर बहुत से आँकड़े निर्मित होते हैं।
    • सूचना ज्यामिति:
      • यह एक नए अंतःविषयक क्षेत्र के रूप में विकसित हुआ जो अंततः "सूचना ज्यामिति" के रूप में स्थापित हुआ।
        • सूचना ज्यामिति संभाव्यता वितरण के परिवारों की ज्यामितीय संरचना का अध्ययन है।

कल्यामपुड़ी राधाकृष्ण राव के योगदान का महत्त्व 

  • सूचना ज्यामिति पर उनके द्वारा किये गए कार्य ने लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर में हिग्स बोसॉन मापन की समझ और अनुकूलन में सहायता की है और कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डेटा विज्ञान, सिग्नल प्रोसेसिंग, आकृति वर्गीकरण और छवि पृथक्करण की प्रगति में योगदान दिया है।
  • राव-ब्लैकवेल प्रमेय को स्टीरियोलॉजी, कण निस्पंदन और कंप्यूटेशनल अर्थमिति (Econometrics) सहित अन्य पर लागू किया गया है।
  • सिग्नल प्रोसेसिंग, स्पेक्ट्रोस्कोपी, रडार सिस्टम, मल्टीपल इमेज रेडियोग्राफी, रिस्क एनालिसिस और क्वांटम फिजिक्स जैसे विविध क्षेत्रों में क्रैमर-राव लोअर बाउंड का बहुत महत्त्व है।

कल्यामपुड़ी राधाकृष्ण राव को प्रदान किये गए पुरस्कार 

  • वर्ष 1968 में पद्म भूषण पुरस्कार से नवाज़ा गया। 
  • वर्ष 2001 में पद्म विभूषण पुरस्कार से नवाज़ा गया।

सांख्यिकी में अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार

  • सांख्यिकी में अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्रत्येक दो वर्ष में पाँच प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठनों के सहयोग से प्रदान किया जाता है।  
  • पुरस्कार सांख्यिकी क्षेत्र में एक व्यक्ति या टीम द्वारा एक बड़ी उपलब्धि, विशेष रूप से शक्तिशाली एवं मूल विचारों की उपलब्धि, को मान्यता प्रदान करता है, जिसने अन्य विषयों में व्यावहारिक अनुप्रयोगों और सफलताओं को जन्म दिया है।  
  • यह पुरस्कार नोबेल पुरस्कार, एबेल पुरस्कार, फील्ड्स मेडल और ट्यूरिंग पुरस्कार के बाद तैयार किया गया है। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस  


प्रारंभिक परीक्षा

निवारक निरोध

हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने निवारक निरोध कानून को ‘राज्य को मनमानी शक्ति प्रदान करने’ वाला एक ‘औपनिवेशिक विरासत’ के रूप में वर्णित किया है।

  • न्यायालय ने कहा है कि ये कानून अत्यंत शक्तिशाली हैं, जो राज्य को स्वतंत्र व मनमाने तरीके से निर्णय लेने में सक्षम बनाता है।

निवारक निरोध कानूनों पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के निहितार्थ  

  • सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय भारत की नागरिक स्वतंत्रता की रक्षा में एक महत्त्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है। निवारक निरोध कानूनों के माध्यम से राज्य को दिये गए मनमाने अधिकार पर न्यायालय की चेतावनी सरकारी शक्ति पर नियंत्रण और संतुलन सुनिश्चित करने के महत्त्व पर जोर देती है।
  • अत्यधिक सावधानी और सर्वाधिक विवरण (Excruciating Detail) के साथ मामलों का विश्लेषण करने पर निर्णय की अवधारणा सरकार के लिये व्यक्तियों के खिलाफ निवारक निरोध शक्तियों का प्रयोग करते हुए कानून की हर प्रक्रिया का पालन करने हेतु एक उच्च मानक निर्धारित करता है।
  • सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय सार्वजनिक व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा को बनाए रखने की आवश्यकता को संतुलित करते हुए व्यक्तिगत तथा नागरिक स्वतंत्रता की रक्षा के महत्त्व को रेखांकित करता है।
  • निर्णय न्यायिक निरीक्षण और समीक्षा के महत्त्व पर प्रकाश डालता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विरोध को दबाने या व्यक्तिगत अधिकारों का उल्लंघन करने के लिये निवारक निरोध कानूनों का दुरुपयोग नहीं किया जाता है।
  • नागरिक स्वतंत्रता की रक्षा पर न्यायालय का जोर मौलिक अधिकारों की सुरक्षा और भारत में विधि के शासन को सुनिश्चित करने में एक महत्त्वपूर्ण विकास है।

निवारक निरोध:

  • परिचय:  
    • निवारक निरोध का अर्थ है किसी व्यक्ति को बिना मुकदमे और न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि के निरुद्ध करना। इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति को पिछले अपराध के लिये दंडित करना नहीं है बल्कि उसे निकट भविष्य में अपराध करने से रोकना है।
    • किसी व्यक्ति की हिरासत तीन महीने से अधिक नहीं हो सकती है जब तक कि एक सलाहकार बोर्ड विस्तारित हिरासत के लिये पर्याप्त कारण की रिपोर्ट नहीं करता है।  
  • सुरक्षा: 
    • अनुच्छेद 22 गिरफ्तार या हिरासत में लिये गए व्यक्तियों को संरक्षण प्रदान करता है।
    • अनुच्छेद 22 के दो भाग हैं- पहला भाग सामान्य कानून के मामलों से संबंधित है और दूसरा भाग निवारक निरोध कानून के मामलों से संबंधित है।
  • दो प्रकार के हिरासत: 
    • जब किसी व्यक्ति को केवल इस संदेह के आधार पर पुलिस हिरासत में रखा जाता है तब इस प्रकार की हिरासत को निवारक निरोध की श्रेणी में रखा जाता है।
      • पुलिस के पास यह अधिकार है कि वह किसी को भी दंडनीय अपराध करने का संदेह होने पर हिरासत में ले सकती है और कुछ मामलों में वारंट अथवा दंडाधिकारी (मजिस्ट्रेट) के बोर्ड के परामर्श के बिना भी गिरफ्तार कर सकती है।
    • दंडात्मक निरोध अर्थ है- किसी अपराध के लिये सजा के रूप में निरोध। इसका उपयोग ऐसी स्थिति में किया जाता है, जब वास्तव में कोई अपराध किया गया हो, या अपराध करने का प्रयास किया गया हो।

स्रोत: द हिंदू


प्रारंभिक परीक्षा

संयुक्त राष्ट्र लोकतंत्र कोष

भारत संयुक्त राष्ट्र लोकतंत्र कोष (UNDEF) का चौथा सबसे बड़ा दानकर्त्ता देश है जिसके तहत जॉर्ज सोरोस के ओपन सोसाइटी फाउंडेशन से जुड़ी विश्व भर में कम-से-कम 68 परियोजनाओं को अनुदान प्रदान किया जाता है। 

  •   भारत ने जॉर्ज सोरोस के एनजीओ को वर्ष 2016 में निगरानी सूची में शामिल किया था। 

संयुक्त राष्ट्र लोकतंत्र कोष (UNDEF):

  • परिचय: 
    • संयुक्त राष्ट्र महासचिव कोफी ए. अन्नान द्वारा UNDEF की स्थापना वर्ष 2005 में विश्व भर में लोकतांत्रीकरण के प्रयासों का समर्थन करने के लिये संयुक्त राष्ट्र जनरल ट्रस्ट फंड के रूप में की गई थी।
      • वर्ष 2005 के विश्व शिखर सम्मेलन के दस्तावेज़ में महासभा द्वारा इसका स्वागत किया गया था।  
    • यह विश्व भर में लोकतांत्रिक शासन को सुदृढ़ करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • UNDEF's के जनादेश और परियोजनाएँ: 
    • UNDEF नागरिक समाज को सशक्त बनाने, मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में सभी समूहों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने वाली परियोजनाओं को वित्तपोषित करता है।
    • UNDEF द्वारा अधिकांश धन स्थानीय नागरिक समाज संगठनों (CSOs) को प्रदान किया जाता है।
      • संयुक्त राष्ट्र लोकतंत्र कोष (UNDEF) का सलाहकार बोर्ड वित्तपोषण और नीतिगत सिफारिशें प्रदान करता है, निधिकरण के प्रस्तावों का मूल्यांकन करता है और महासचिव के अनुमोदन पर निधिकरण प्रस्तावों की सिफारिश करता है।
    • UNDEF,100,000 से लेकर 300,000 अमेरिकी डॉलर तक का अनुदान देता है।
    • अब तक अनुदान के 15 दौर में, UNDEF ने 130 से अधिक देशों में 880 से अधिक दो-वर्षीय परियोजनाओं का समर्थन किया है। 
  • UNDEF के लिये भारत का समर्थन: 
    • इसकी स्थापना (2005) के बाद से भारत ने 32 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का योगदान दिया है।
      • शीर्ष तीन दानकर्त्ता देश अमेरिका, स्वीडन और जर्मनी हैं।
    • वर्ष 2022 में जब भारत ने कोष में 150,000 अमेरिकी डॉलर का योगदान दिया, तो यह 45 दानकर्त्ताओं के बीच चौथा सबसे बड़ा योगदान था।
    • भारत ने स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय CSO और NGO द्वारा संचालित परियोजनाओं के वित्तपोषण के माध्यम से विश्व भर में लोकतांत्रिक शासन को बढ़ावा देने के UNDEF के मिशन का लगातार समर्थन किया है

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


प्रारंभिक परीक्षा

राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक 2021-22

हाल ही में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री द्वारा राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक (SEEI) 2021-22 जारी किया गया है। 

राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक: 

  • परिचय:  
    • यह सूचकांक एलायंस फॉर एन एनर्जी-एफिशिएंट इकोनॉमी (AEEE) के सहयोग से ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (विद्युत मंत्रालय के तहत एक सांविधिक निकाय) द्वारा विकसित किया गया है।
    • इसके द्वारा ऊर्जा दक्षता में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की वार्षिक प्रगति का आकलन किया जाता है।  
    • 50 संकेतकों के साथ अद्यतन ढाँचा अब राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ संरेखित है और राज्य-स्तरीय ऊर्जा दक्षता पहलों के परिणामों और प्रभावों को ट्रैक करने के लिये  इसमें कार्यक्रम-विशिष्ट संकेतकों को शामिल किया गया है।
    • ऊर्जा दक्षता कार्यान्वयन में राज्यों की प्रगति और उपलब्धियों के आधार पर उन्हें चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है: फ्रंट रनर, अचीवर, कंटेंडर और एस्पिरेंट।
  • महत्त्व: 
    • भारत NDC लक्ष्यों को प्राप्त करने और वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन अर्थव्यवस्था बनने के लिये प्रतिबद्ध है।
      • इसके लिये केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सहयोग, विवेकपूर्ण संसाधन आवंटन, नीति संरेखण और नियमित रूप से प्रगति पर नज़र रखने की आवश्यकता है।
    • SEEI राज्य और स्थानीय ऊर्जा दक्षता नीतियों तथा कार्यक्रमों की देखरेख करता है तथा ऊर्जा फुटप्रिंट के प्रबंधन की निगरानी करता है।

SEEI- 2021-22 के मुख्य निष्कर्ष:

  • फ्रंट रनर श्रेणी (>60 अंक):
    • कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, असम और चंडीगढ़ अपने संबंधित राज्य समूहों में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्य हैं, जबकि तेलंगाना और आंध्र प्रदेश ने पिछले सूचकांक के बाद से सबसे अधिक सुधार किया है।
  • अचीवर श्रेणी (50-60 अंक):
    • असम, हरियाणा, महाराष्ट्र और पंजाब।

राज्यों के लिये सिफारिशें:

  • विशेष ध्यान वाले क्षेत्रों में ऊर्जा दक्षता हेतु वित्तीय सहायता को सक्षम बनाना।
  • ऊर्जा दक्षता कार्यान्वयन में उभरती ज़रूरतों और चुनौतियों का समाधान करने के लिये राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में संस्थागत क्षमता विकसित करना।
  • राज्यों में बड़े पैमाने पर ऊर्जा दक्षता कार्यान्वयन में वित्तीय संस्थानों, ऊर्जा सेवा कंपनियों तथा ऊर्जा पेशेवरों में आपसी सहयोग को बढ़ाना।
  • सभी क्षेत्रों हेतु ऊर्जा डेटा रिपोर्टिंग एवं निगरानी को मुख्यधारा में लाना।

ऊर्जा दक्षता ब्यूरो

  • परिचय : 
    • ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) की स्थापना 1 मार्च, 2002 को विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के प्रावधानों के तहत की गई थी। 
    • ऊर्जा दक्षता ब्यूरो का मिशन भारतीय अर्थव्यवस्था के ऊर्जा आधिक्य को कम करने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ विकासशील नीतियों और रणनीतियों को विकसित करने में सहायता करना है।
  • ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) के कार्य : 
    • ऊर्जा दक्षता ब्यूरो ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 में उल्लिखित विनियामक और संवर्द्धन कार्यों के लिये ज़िम्मेदार है।
    • यह अपने कार्यों को करने हेतु मौजूदा संसाधनों और बुनियादी संरचना को पहचानता है और उनका उपयोग करता है। ऊर्जा दक्षता ब्यूरो ऊर्जा दक्षता कार्यान्वयन में सुधार के लिये राज्य सरकारों के साथ मिलकर कार्य करता है।
    • ऊर्जा दक्षता पर BEE का ध्यान भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं और एक सतत् भविष्य में योगदान देता है।

स्रोत: पी.आई.बी


प्रारंभिक परीक्षा

ब्याज दर वृद्धि को रोकने के लिये RBI का निर्णय

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने ब्याज दरों में वृद्धि को रोकने और पिछली वृद्धि के प्रभावों का आकलन करने का निर्णय लिया है।

  • मई 2021 से ही RBI मुद्रास्फीति को कम करने के लिये ब्याज दरों में लगातार वृद्धि कर रहा था, जो कि उसके 4% के लक्ष्य स्तर से बहुत ऊपर था।

मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण (Inflation Targeting):  

  • परिचय:  
    • भारत में मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण एक मौद्रिक नीति ढाँचा है जिसे वर्ष 2016 में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा अपनाया गया था।
      • इसके तहत भारतीय रिज़र्व बैंक मुद्रास्फीति दर के लिये एक लक्ष्य निर्धारित करता है और इसे प्राप्त करने के लिये मौद्रिक नीति उपकरणों का उपयोग करता है।
    • वर्तमान में RBI का प्राथमिक उद्देश्य 4% मुद्रास्फीति लक्ष्य को प्राप्त करना है। RBI के पास +/- 2% का एक सुविधा क्षेत्र है जिसके भीतर मुद्रास्फीति बनी रहनी चाहिये। इसका अर्थ है कि RBI का लक्ष्य मुद्रास्फीति दर को 2% से 6% के बीच रखना है। 
      • मुद्रास्फीति की पिछली दो रीडिंग (जनवरी और फरवरी 2023) क्रमशः 6.5% और 6.4% थी। 
  • ब्याज दर वृद्धि को रोकने के कारण:
    • मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने हेतु ब्याज दरों में बढ़ोतरी की RBI की मौद्रिक नीति की सीमाएँ हैं। RBI के अनुसार वर्तमान परिस्थितियों में अकेले मौद्रिक उपाय ही महंगाई को नियंत्रित करने के लिये पर्याप्त नहीं हो सकते हैं।
  • लाभ :  
    • केंद्रीय बैंक की पारदर्शिता और जवाबदेही में वृद्धि।
    • निवेशकों और जनता को ब्याज दर में बदलाव का अनुमान लगाने की अनुमति देता है।  
    • मुद्रास्फीति की उम्मीदों को न्यूनतम करता है। 
  • RBI के मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण की सीमाएँ :  
    • आपूर्ति-पक्ष के कारकों पर सीमित प्रभाव: मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण आपूर्ति-पक्ष के आघातों जैसे कि फसल की विफलता, प्राकृतिक आपदाओं और भू-राजनीति संबंधी चुनौतियों के कारण वैश्विक वस्तु मूल्य के विरक्तिकरण को संबोधित करने में प्रभावी नहीं हो सकता है। यह केवल माँग-पक्ष के कारकों को नियंत्रित कर सकता है, जैसे पूंजी की आपूर्ति और ब्याज दरें आदि।
    • संरचनात्मक मुद्दों पर सीमित प्रभाव: मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण उन संरचनात्मक समस्याओं से निपटने में सक्षम नहीं हो सकता, जो मुद्रास्फीति का कारण बनती हैं, जैसे अक्षम वितरण प्रणाली, अपर्याप्त आधारभूत संरचना और प्रशासनिक बाधाएँ आदि।
    • अन्य उद्देश्यों के साथ संघर्ष: मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण अन्य व्यापक आर्थिक उद्देश्यों, जैसे आर्थिक विकास, रोज़गार और आय वितरण के साथ संघर्ष कर सकता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. भारत के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2010)

  1. भारत में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) केवल मासिक आधार पर उपलब्ध है।
  2. औद्योगिक श्रमिकों के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI(IW)) की तुलना में WPI खाद्य वस्तुओं को कम महत्त्व देता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 
(c) 1 और 2 दोनों 
(d) न तो 1 और न ही 2 

उत्तर: (b) 


प्र. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020) 

  1. खाद्य वस्तुओं का ‘उपभोक्ता मूल्य सूचकांक’ (CPI) भार (weightage) उनके ‘थोक मूल्य सूचकांक’ (WPI) में दिये गए भार से अधिक है। 
  2. WPI, सेवाओं के मूल्यों में होने वाले परिवर्तनों को नहीं पकड़ता, जैसा कि CPI करता है। 
  3. भारतीय रिज़र्व बैंक ने अब मुद्रास्फीति के मुख्य मान हेतु तथा प्रमुख नीतिगत दरों के निर्धारण हेतु WPI को अपना लिया है। 

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 2 
(c) केवल 3 
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (a)

स्रोत:इंडियन एक्सप्रेस


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 12 अप्रैल, 2023

राष्ट्रीय पार्टी 

भारत निर्वाचन आयोग ने आम आदमी पार्टी (AAP) को एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मान्यता दी है। निर्वाचन आयोग का यह निर्णय वर्ष 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव और वर्ष 2014 के बाद हुए 21 राज्य विधानसभा चुनाव में पार्टियों के प्रदर्शन की समीक्षा के आधार पर लिया गया। इस मान्यता के साथ भारतीय जनता पार्टी (BJP), भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस (INC), बहुजन समाज पार्टी (BSP), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी (CPI-M) और नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) के साथ AAP देश की छठी राष्ट्रीय पार्टी के रूप में शामिल हो गई। यह स्थिति सुनिश्चित करती है कि पार्टी का चिह्न देश भर में उसके उम्मीदवारों हेतु आरक्षित है। इसके विपरीत तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC), राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी (NCP) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने अपनी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खो दिया है। चुनाव आयोग का निर्णय चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 में निर्धारित मानदंडों पर आधारित था। अन्य शर्तों के अलावा एक राष्ट्रीय पार्टी को पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनावों में चार या अधिक राज्यों में कम-से-कम 6% वोट शेयर प्राप्त होना चाहिये और लोकसभा में कम-से-कम चार सांसद होने चाहिये। अपनी समीक्षा में निर्वाचन आयोग ने पाया कि TMC ने अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर से वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा, जबकि TMC ने गोवा, मणिपुर और मेघालय में अपनी राज्य पार्टी का दर्जा खो दिया। निर्वाचन आयोग ने पश्चिम बंगाल और ओडिशा में CPI का राज्य पार्टी का दर्जा खत्म कर दिया था।

 और पढ़ें: राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दल 

गुरु तेग बहादुर प्रकाश पर्व

गुरु तेग बहादुर प्रकाश पर्व सिख धर्म के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर के जन्म को चिह्नित करने एवं उनके जीवन तथा शिक्षाओं को याद करने के लिये मनाया जाता है। इस वर्ष यह 11 अप्रैल, 2023 को मनाया जा रहा है। तेग बहादुर का जन्म 21 अप्रैल, 1621 को अमृतसर में हुआ था।  उनका पालन-पोषण उनके पिता गुरु हरगोविंद के मार्गदर्शन में हुआ था, जो मुगलों के खिलाफ एक सेना खड़ी करने और योद्धा संतों की अवधारणा को बढ़ावा देने के लिये जाने जाते थे। सिख धर्म में तेग बहादुर का बहुत बड़ा योगदान है। उनके पद सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ 'गुरु ग्रंथ साहिब' में शामिल किये गए हैं। उन्होंने अपने एक मिशन के दौरान पंजाब के चक-नानकी शहर की स्थापना की, जो बाद में पंजाब के आनंदपुर साहिब का हिस्सा बन गया। दुर्भाग्य से गुरु तेग बहादुर को मुगल सम्राट औरंगज़ेब के आदेश पर वर्ष 1675 में दिल्ली में फाँसी दे दी गई थी। उन्हें एक संत और शहीद के रूप में याद किया जाता है जिन्होंने धर्म और न्याय की स्वतंत्रता के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिये अपना बलिदान दिया। 

और पढ़ें……. गुरु तेग बहादुर, सिख धर्म

महात्मा ज्योतिबा फुले 

प्रधानमंत्री ने महात्मा ज्योतिराव फुले की जयंती के अवसर पर श्रद्धांजलि अर्पित की। महात्मा जी एक महान समाज सुधारक, दार्शनिक और लेखक थे। उनका जन्म 11 अप्रैल, 1827 को भारत के महाराष्ट्र में हुआ था। वह बागवानी कृषकों की माली जाति से ताल्लुक रखते थे। फुले थॉमस पेन की पुस्तक 'द राइट्स ऑफ मैन' से बहुत प्रभावित थे, जिसने उन्हें स्वतंत्रता, समता और समाजवाद की वकालत करने के लिये प्रेरित किया। उनका मानना था कि सामाजिक बुराइयों के समाधान का एकमात्र तरीका महिलाओं और समाज के निम्न वर्गों के लोगों का ज्ञानवर्द्धन करना है। फुले द्वारा लिखी गई रचनाओं में प्रमुखतः 'तृतीय रत्न', 'गुलामगिरी', और 'शेतकान्यचा आसुड' आदि शामिल हैं। फुले ने वर्ष 1873 में सत्यशोधक समाज की स्थापना की, जिसका अर्थ 'सत्य के साधक' है। इसका उद्देश्य महाराष्ट्र में निम्न जातियों के लिये समान सामाजिक और आर्थिक लाभ प्राप्त करना था। वर्ष 1848 में, फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई ने पुणे में बालिकाओं के लिये पहले स्वदेशी स्कूल की स्थापना की, जहाँ पर वे दोनों शिक्षक के रूप में पढ़ाते थे। फुले लैंगिक समानता में विश्वास रखते थे और अपनी पत्नी को अपने सभी सामाजिक सुधार गतिविधियों में शामिल करते थे। उन्होंने युवा विधवाओं के लिये एक आश्रम की स्थापना की और विधवा पुनर्विवाह पर बल दिया। उन्होंने महाराष्ट्र में अस्पृश्यता और जाति व्यवस्था को खत्म करने की दिशा में कार्य किया। 28 नवंबर 1890 को उनका निधन हो गया, उनका स्मारक फुले वाडा, पुणे, महाराष्ट्र में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने 'दलित' शब्द का इस्तेमाल 'वर्ण व्यवस्था' से बाहर रखे गये उत्पीड़ित जनता के लिये किया था। फुले की सक्रियता से डॉ. बी.आर. अम्बेडकर और महात्मा गांधी प्रभावित थे।

और पढ़ें……. ज्योतिराव फुले

एकीकृत लाइसेंसिंग पोर्टल

केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो ने भारत में फार्मा और रासायनिक उद्योग के लिये लाइसेंसिंग और प्राधिकरण प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के उद्देश्य से एक एकीकृत पोर्टल लॉन्च किया है। इस पोर्टल को "आत्मनिर्भर भारत" के लिये अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और रोगियों तथा उनके परिवारों को आवश्यक निद्रौषध और दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ-साथ विभाग के संचालन में दक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही स्थापित करने के लक्ष्य के साथ विकसित किया गया है। इस पोर्टल की सहायता से दवा निर्यातकों, आयातकों और निर्माताओं को आसान और सुरक्षित लेनदेन, सरलीकृत प्रक्रियाओं और संपर्क रहित संचालन को सुलभ बनाया जाएगा। इसे अन्य सरकारी सेवाओं जैसे भारत कोष, वस्तु एवं सेवा कर, पैन-NSDL सत्यापन, ई-संचित और UIDAI के साथ एकीकृत करने के लिये डिज़ाइन किया गया है। यह पोर्टल केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो से लाइसेंस प्राप्त करने के लिये एकल बिंदु सेवाएँ प्रदान करता है। पोर्टल औषधीय, वैज्ञानिक और औद्योगिक उपयोग के लिये इन पदार्थों की उपलब्धता के बीच संतुलन बनाने हेतु एक प्रभावी उपकरण है जो कानूनी अनुपालन सुनिश्चित करने के साथ-साथ अवैध उपयोग के लिये उनके दुरुपयोग को भी सीमित करता है। केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो विभिन्न संयुक्त राष्ट्र अभिसमय और NDPS अधिनियम, 1985 के तहत स्वापक औषधि, मनःप्रभावी पदार्थ और अग्रगामी रसायन के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को विनियमित करने वाला केंद्र सरकार का संगठन है।


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