अंतर्राष्ट्रीय संबंध
2023 में भारत के लिये भू-राजनीतिक चुनौतियाँ और अवसर
- 29 Dec 2022
- 14 min read
प्रिलिम्स के लिये:G20 शिखर सम्मेलन, यूक्रेन-रूस, तवांग टकराव, श्रीलंका संकट, नेपाल। मेन्स के लिये:भारत को शामिल करने वाले और/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समूह तथा समझौते |
चर्चा में क्यों?
रूस-यूक्रेन युद्ध एवं चीन की आक्रामक नीतियों व राजनयिक तथा सैन्य मोर्चों पर चुनौतियों और अवसरों के साथ भारत 2023 में प्रवेश कर रहा है।
- पूरे चीन में फैले अत्यधिक संक्रामक कोविड-19 संस्करण के साथ अनिश्चितता ने फिर से दुनिया के समक्ष तनाव की स्थिति उत्पन्न कर दी है, इसके साथ ही आर्थिक मंदी का साया भी मंडरा रहा है।
- G20 अध्यक्ष के रूप में भारत दुनिया के सामने मौजूद मुद्दों पर बातचीत किये जाने की आशा कर रहा है।
- 2 वर्षों के लिये संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के गैर-स्थायी सदस्य के रूप में भारत ने अपने विचारों को प्रस्तुत करने और वैश्विक बातचीत में योगदान देने की मांग की है।
2022 में प्रमुख चिंताएँ:
- रूस-यूक्रेन युद्ध:
- यूक्रेन पर रूसी आक्रमण ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से वैश्विक व्यवस्था को उलट दिया है, विश्व की खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा को प्रभावित किया है तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था को मंदी की ओर ले जाने का कार्य किया है।
- रूसी नेताओं की परमाणु बयानबाज़ी ने चिंता पैदा कर दी है, जबकि रूस और चीन के रणनीतिक संबंध एक और चिंता का विषय है।
- चीन की आक्रामकता:
- यूक्रेन युद्ध ने भी विश्व को आश्चर्यचकित कर दिया है, साथ ही विश्व ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामकता को देखा है।
- भारत भी अपनी सीमा पर उस आक्रामकता का सामना कर रहा है, जिसमें 2020 के गलवान संघर्ष के बाद अरुणाचल प्रदेश में झड़प हुई थी और इसमें 20 भारतीय सैनिक मारे गए थे।
- चीन के आक्रामक रुख को दक्षिण चीन सागर में उसकी हालिया गतिविधियों में देखा जा सकता है, जहाँ उसे एक द्वीप पर निर्माण कार्य करते देखा गया है।
- तालिबानी हस्तक्षेप:
- अफगानिस्तान पर तालिबान के फिर से कब्ज़ा करने के एक वर्ष से भी कम समय में भारत ने काबुल में भारतीय दूतावास में अपना संचालन कार्य फिर से शुरू कर खाद्यान्न, टीके तथा आवश्यक दवाओं के रूप में मानवीय सहायता भेजकर फिर से संलग्न होने की प्रक्रिया शुरू की।
- हालाँकि भारत ने अतिवाद के खतरे, अल्पसंख्यकों और महिलाओं के अधिकारों पर अपनी धारणा स्पष्ट कर दी है, इसके अतिरिक्त भारत ने अफगानिस्तान के भविष्य के लिये दीर्घकालिक प्रतिबद्धता का भी संकेत दिया है।
- भारत ने अफगानों के जीवन में सुधार के लिये पिछले दो दशकों में अपनी 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर की प्रतिबद्धता के अलावा 80 मिलियन अमेरिकी डॉलर की भी प्रतिबद्धता जताई है।
- इसका मतलब यह है कि भारत तालिबान को एक राजनीतिक अभिनेता के रूप में देख रहा है, हालाँकि यह पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठान से प्रभावित और नियंत्रित भी है।
- संकट में पड़ोस:
- श्रीलंका का आर्थिक और राजनीतिक संकट पड़ोस में एक बड़ी चुनौती थी। भारत ने उसे इतने कम समय में किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक मानवीय सहायता, ईंधन, दवाएँ प्रदान की हैं।
- भारत अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से आर्थिक ऋण राहत पैकेज पर बातचीत करने में भी श्रीलंका की मदद कर रहा है।
- श्रीलंका में चीन के प्रतिद्वंद्वी के रूप में होने के कारण भारत एक ऐसी सरकार चाहता है जो भारत की सुरक्षा और रणनीतिक हितों को समझती हो।
- म्याँमार के साथ बातचीत सीमित महत्त्वपूर्ण यात्राओं और सैन्य जुंटा शासन को सहायता के रूप में जारी रही है।
- म्याँमार से उत्तर-पूर्वी राज्यों में सुभेद्य सीमाओं के माध्यम से शरणार्थियों की आमद तथा निजी प्रभाव चिंता का मुख्य विषय है जो उत्तर-पूर्व में परेशानी उत्पन्न कर रहे हैं।
- श्रीलंका का आर्थिक और राजनीतिक संकट पड़ोस में एक बड़ी चुनौती थी। भारत ने उसे इतने कम समय में किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक मानवीय सहायता, ईंधन, दवाएँ प्रदान की हैं।
आगे की चुनौतियाँ और अवसर:
- चीन का मुद्दा:
- हाल ही में तवांग झड़प ने दिखाया है कि चीन न केवल पूर्वी लद्दाख में बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी यथास्थिति को चुनौती दे रहा है।
- यह स्पष्ट है कि चीन अतीत के विपरीत सबसे बड़ा विरोधी है जहाँ उसे संदेह का कुछ लाभ मिला था।
- भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया इस सोच से निर्देशित है कि किसी को धमकाने वाले के खिलाफ खड़ा होना होगा लेकिन इसकी कीमत चुकानी पड़ी है, क्योंकि सैनिकों ने लगातार तीन वर्ष तक पूर्वी लद्दाख में कड़ाके की सर्दी का सामना किया है।
- जैसा कि चीन खुद को एक महाशक्ति के रूप में देखता है जिस कारन भारत के साथ अधिक संघर्ष और प्रतिस्पर्द्धा संभावना है। अब वह समय आ गया है जब बातचीत के माध्यम से समस्याओं को हल करना होगा।
- रूस के साथ सहयोग:
- रूस पिछले सात दशकों से रक्षा उपकरणों का एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्त्ता रहा है तथा अमेरिका, फ्राँस और इज़रायल सहित अन्य देशों के विविधीकरण के बावजूद यह अभी भी इस क्षेत्र पर हावी है।
- लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध से एक जटिल स्थिति उत्पन्न हो गई है, जहाँ रूसी उपकरणों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया जा रहा है वहीँ आपूर्ति शृंखला तनाव में है।
- भारत के लिये चीन सबसे बड़ी चिंता का विषय रहा है और भारत की चिंता यह है कि चीन और रूस के संबंध उसके कुछ फैसलों को प्रभावित करते हैं।
- शीत युद्ध के बाद के युग में, आर्थिक संबंधों ने चीन-रूस संबंधों के लिये "नया रणनीतिक आधार" तैयार किया है।
- चीन रूस का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और यह रूस में एशिया का सबसे बड़ा निवेशक है।
- युद्ध के बाद रूस के प्रति पश्चिमी देशों के दृष्टिकोण ने मॉस्को को चीन के बहुत करीब ला दिया है। दिल्ली का प्रयास रूस और पश्चिम देश दोनों के साथ जुड़ना होगा, और अपने रणनीतिक रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को पहले रखना होगा।
- वैश्विक मंच के रूप में G20:
- G20 शिखर सम्मेलन की मेज़बानी वर्ष 2024 में आम चुनाव से महीनों पहले वैश्विक स्तर पर भारत के उत्थान के सबसे बड़े भूमिकाओं में से एक होगी।
- विकासशील और कम विकसित देशों के संदर्भ में, भारत ने पहले ही खुद को "वैश्विक दक्षिण की आवाज़" के रूप में स्थापित कर लिया है, और इसके साथ ही वैश्विक मंच पर अपनी प्राथमिकताओं को रखने की कोशिश करेगा।
- इस संदर्भ में, भारत रूसी और पश्चिमी वार्ताकारों और नेताओं को एकजुट करने और यूरोप में संघर्ष को समाप्त करने का भी प्रयास करेगा।
- यदि भारत ऐसा करने में सफल होता है, तो यह एक कूटनीतिक जीत की तरह होगी, जिसका घरेलू समर्थकों द्वारा स्वागत किया जाएगा।
- पश्चिमी देशों के साथ संबंध:
- भारत को अपने यूरोपीय और अमेरिकी भागीदारों की चिंताओं को दूर करने का प्रयास करना होगा क्योंकि वह सस्ता तेल खरीद रहा है और रूस के विरुद्ध पश्चिम का समर्थन नहीं कर रहा है।असल में G-20 संबंधी तैयारियाँ इस प्रकार का अवसर प्रदान कर सकती हैं।
- पड़ोसी देशों से संबंधित चुनौती:
- श्रीलंका और मालदीव:
- आने वाले वर्ष में, श्रीलंका को अभी भी भारत के मानवीय, वित्तीय और राजनीतिक समर्थन की आवश्यकता होगी, और भारत मालदीव में राजनीतिक संवाद का एक हिस्सा होगा।
- सितंबर 2023 में मालदीव में चुनाव होने जा रहे हैं, और "इंडिया आउट" अभियान की वजह से राजनीतिक बहस तेज़ होने की संभावना है। केंद्र सरकार इस बात पर नज़र रखने का प्रयास कर रही होगी कि राजनीतिक दल भारत को किस रूप में पेश करने का प्रयास कर रहे हैं।
- आने वाले वर्ष में, श्रीलंका को अभी भी भारत के मानवीय, वित्तीय और राजनीतिक समर्थन की आवश्यकता होगी, और भारत मालदीव में राजनीतिक संवाद का एक हिस्सा होगा।
- बांग्लादेश:
- शेख हसीना के सख्त शासन के बाद, जनवरी 2024 में बांग्लादेश में भी चुनाव आपेक्षित है।
- भारत के पूर्वी राज्यों को सुरक्षा प्रदान करने वाली एक लंबी और अबाधित राजनीतिक यात्रा के बाद, भारत अपने भविष्य की ओर देख रहा है।
- नेपाल:
- नेपाल ने विद्रोही से राजनेता बने पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' के प्रधानमंत्री बनने और हाल के वर्षों में पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली के सरकार पर नियंत्रण में भारत विरोधी घटनाओं में उल्लेखनीय परिवर्तन का अनुभव किया।
- यह भारत के लिये एक महत्त्वपूर्ण चुनौती पेश करेगा, क्योकि हाल के वर्षों में बीजिंग, चीन का प्रभाव काठमांडू, नेपाल में बढ़ा है।
- श्रीलंका और मालदीव:
- पाकिस्तान हेतु महत्त्वपूर्ण वर्ष:
- पाकिस्तान में चुनाव वर्ष 2023 के अंत में निर्धारित हैं। यह देखना महत्त्वपूर्ण होगा कि नई नागरिक सरकार और सेना प्रमुख भारत के प्रति अपने दृष्टिकोण को कैसे आकार देंगे।
- भारत में वर्ष 2024 में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं और इस दौरान पाकिस्तान समस्या को भारत किस तरह से उठाएगा और प्रबंधित करेगा, यह संबंधों के अगले कदमों की कुंजी हो सकती है।
आगे की राह
- भारत को अपने प्रयासों के लिये दूसरों के साथ स्मार्ट साझेदारी पर बल देने की आवश्यकता है।
- नए मित्र बनाते समय भारत को रूस जैसे पुराने सहयोगियों को अपने पक्ष में रखने, चीन सहित सभी देशों को शामिल करने और छोटे पड़ोसियों के साथ लंबित मामलों को हल करने की आवश्यकता है, जिन्होंने दशकों से विदेश नीति को बाधित किया है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ):प्रश्न. भारत-श्रीलंका संबंधों के संदर्भ में चर्चा कीजिये कि घरेलू कारक विदेश नीति को कैसे प्रभावित करते हैं। (मुख्य परीक्षा, 2013) प्रश्न. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अधिकांश राष्ट्रों के बीच द्विपक्षीय संबंध अन्य राष्ट्रों के हितों की परवाह किये बिना अपने स्वयं के राष्ट्रीय हित को बढ़ावा देने की नीति पर संचालित होते हैं। इससे राष्ट्रों के बीच संघर्ष और तनाव पैदा होता है। नैतिक विचार ऐसे तनावों को हल करने में कैसे मदद कर सकते हैं? विशिष्ट उदाहरणों के साथ चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2015) प्रश्न. 'उभरती हुई वैश्विक व्यवस्था में भारत द्वारा प्राप्त नव भूमिका के कारण उत्पीड़ित और उपेक्षित राष्ट्रों के नेता के मुखिया के रूप में दीर्घकाल से संपोषित भारत की छवि लुप्त हो गई है।' विस्तार से समझाइये। (मुख्य परीक्षा, 2019) |