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संसद टीवी संवाद


भारतीय अर्थव्यवस्था

द बिग पिक्चर: भारत का आर्थिक विकास

  • 21 Apr 2021
  • 12 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund- IMF) द्वारा वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक (World Economic Outlook), 2021 रिपोर्ट जारी की गई, जिसके अनुसार भारत की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2021-22 में 12.5% रहने का अनुमान है, इससे पहले जनवरी 2021 में यह 11.5% अनुमानित थी।

  • इस बात पर भी आगाह किया है कि देश में कोविड-19 की चल रही दूसरी लहर से उत्पन्न होने वाले गंभीर नकारात्मक जोखिमों के बारे में पूर्वानुमान नहीं लगाया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • वर्ल्ड इकॉनमी आउटलुक रिपोर्ट: यह IMF का एक सर्वेक्षण है जिसे आमतौर पर वर्ष में दो बार प्रकाशित किया जाता है और यह निकट व मध्यम अवधि के दौरान वैश्विक आर्थिक विकास का विश्लेषण तथा भविष्यवाणी करता है।
    • रिपोर्ट में कुछ उच्च आवृत्ति वाले आर्थिक संकेतक भारत की आर्थिक वृद्धि के मज़बूत संकेत देते हैं, जबकि अन्य महामारी की दूसरी लहर के कारण विकास के मार्ग में निहित जोखिमों को भी सामने ला रहे हैं।
  • भारत की आर्थिक वृद्धि: रिपोर्ट के निष्कर्षों के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था के वर्ष 2021 में 12.5% और वर्ष 2022 में 6.9% की दर से बढ़ने की उम्मीद है।
    • वर्ष 2021 में भारत की विकास दर चीन की तुलना में अच्छी स्थिति में है।
    • भारत की आर्थिक विकास दर के पूर्वानुमान में 1% की वृद्धि कुछ उच्च-आवृत्ति संकेतकों से उत्साहजनक संकेतों की पृष्ठभूमि में हुई।
  • वैश्विक आर्थिक विकास: IMF ने वर्ष 2021 और 2022 में विश्व की विकास दर क्रमशः 6% तथा 4.4% रहने के कारण एक मज़बूत आर्थिक रिकवरी की भविष्यवाणी की।
    • वैश्विक अर्थव्यवस्था वर्ष 2020 में 3.3% संकुचित हुई है।

वैश्विक परिदृश्य

  • विकसित अर्थव्यवस्थाएँ: संयुक्त राज्य अमेरिका और स्पेन केवल दो विकसित अर्थव्यवस्थाएँ हैं, इनमें वित्त वर्ष 2021-22 में 6% से अधिक की आर्थिक वृद्धि का अनुमान है।
    • महामारी के बीच संयुक्त राज्य अमेरिका अपनी अर्थव्यवस्था को बनाए रखने में सक्षम रहा।
      • सरकार ने अपने नागरिकों को मजबूत वित्तीय सहायता प्रदान की थी।
  • उभरती अर्थव्यवस्थाएँ: विकासशील देश उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं क्योंकि महामारी ने पूंजी गहन नौकरियों (Capital Intensive Jobs) की तुलना में श्रम गहन नौकरियों (Labour Intensive Jobs), (विकासशील देशों में प्रचलित) को प्रभावित किया है।
    • भारत के अलावा किसी भी विकासशील देश के आँकड़ों में दोहरे अंकों में वृद्धि नहीं हुई है।
  • निर्यात-उन्मुख अर्थव्यवस्थाएँ: यूरोपीय देशों में एक बहुत बड़ा जनसांख्यिकीय संकट था इसलिये खपत दर बहुत कम थी।
    • जर्मनी जैसे देश, जो एक निर्यात-उन्मुख अर्थव्यवस्था है, में जब महामारी बढ़ी तो लॉकडाउन और आयात/निर्यात प्रतिबंधों के कारण उसकी अर्थव्यवस्था गंभीर रूप से प्रभावित हुई।
    • निर्यात उन्मुख अर्थव्यवस्थाएँ, जो प्राथमिक उत्पादों का निर्यात कर रही थीं, उन्हें भी बहुत नुकसान हुआ है।

भारत का आर्थिक विकास

  • विकास में वृद्धि करने वाले कारक: भारत में कृषि क्षेत्र में एक अच्छी गति के साथ-साथ रेलवे, माल ढुलाई राजस्व, बिजली क्षेत्रों में कोई ठहराव नहीं होने के कारण 1% की वृद्धि हुई है।
    • इसके अतिरिक्त वित्त वर्ष 2020-21 में GST संग्रह 1.24 लाख करोड़ रुपए (1.24 ट्रिलियन) के साथ उच्च था।
    • निर्यात के आँकड़ों में भी 31 बिलियन डॉलर की भारी उछाल देखी गई है।
      • यह उन निर्यातों के मामले में भी बहुत बड़ी वृद्धि है, जिन्होंने 7 महीने तक गिरावट देखी।
    • बिजली की खपत या श्रम भागीदारी की दर में गिरावट की स्थिति अभी तक बनी है।
    • महामारी के कारण विकास में बाधा: भारत की आर्थिक विकास दर कोविड संक्रमण दर और इसके परिणामस्वरूप लॉकडाउन में वृद्धि पर निर्भर है।
    • निस्संदेह विकास होगा लेकिन कोविड-19 इस विकास में एक संभावित बाधा है, कोविड-19 के कारण उत्पन्न संभावित चुनौतियों को कम नहीं किया जा सकता है।
  • विकास में बाधक क्षेत्र: रिपोर्ट में कुछ चेतावनी संकेत भी दिखाए गए हैं जो देश के आर्थिक विकास में बाधा बन सकते हैं।
    • इन संकेतकों में खुदरा क्षेत्र में गिरावट शामिल है।
    • आतिथ्य और परिवहन (Hospitality and Transportation) से संबंधित क्षेत्र भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, जिनका हिस्सा सकल घरेलू उत्पाद का 6% है।
    • वाहन पंजीकरण: फरवरी-मार्च 2021 में लगभग 60,000 वाहनों को दैनिक आधार पर पंजीकृत किया गया था, जो अब घटकर 55,000 रह गए हैं।
    • इसके परिणामस्वरूप आंशिक और पूर्ण रूप से लॉकडाउन एवं कर्फ्यू के कारण तेजी से बढ़ती कोविड-19 बीमारी की वजह से ग्रोथ रिकवरी प्रभावित होती है।

नोमुरा इंडेक्स बिज़नेस रिज्यूमेनेशन इंडेक्स

  • नोमुरा इंडिया बिजनेस अज़म्पशन इंडेक्स (Nomura India Business Assumption Index- NIBRI) जापानी ब्रोकरेज (Japanese Brokerage’s) का एक साप्ताहिक ट्रैकर है जो आर्थिक गतिविधि के सामान्यीकरण की गति को ट्रैक करता है।
    • यह डिमांड संकेतक जैसे- पावर, श्रम बल भागीदारी की मांग इत्यादि को कैप्चर और ट्रैक करता है ।
    • सूचकांक फरवरी 2021 में 99 अंक तक पहुँच गया, लेकिन अप्रैल के महीने में 90 तक गिर गया जो आर्थिक सुधार में मंदी का संकेत देता है।
    • मंदी का कारण मुख्य रूप से कोविड -19 की दूसरी लहर है।
  • सरकारी नीतियाँ: भारत ने विभिन्न आर्थिक सुधारों, टीकाकरण अभियान आदि के लिये कदम-से-कदम मिलाकर कई देशों की तुलना में कोविड-19 स्थिति को बेहतर तरीके से संभाला है।

आगे की राह

  • टीकाकरण और कोविड-उपयुक्त व्यवहार: भारत में टीकाकरण अभियान भी चल रहा है, इसके तहत लगभग 3-4 मिलियन लोगों का दैनिक आधार पर टीकाकरण किया जा रहा है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। ज़रूरत इस बात की है कि अधिक क्षमता का निर्माण किया जाए और तेज गति से अधिक-से-अधिक लोगों का टीकाकरण किया जाए।
    • टीकाकरण के बाद भी मास्क पहनने, सामाजिक दूरी बनाए रखने और स्वच्छता प्रोटोकॉल का पालन करने में कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी।
    • केवल स्वस्थ नागरिक ही अपनी पूरी क्षमता का उपयोग कर किसी देश के समग्र विकास में योगदान दे सकते हैं।
  • निवेश-केंद्रित दृष्टिकोण: राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (National Statistical Office- NSO) ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिये अर्थव्यवस्था में निवेश दर को सकल घरेलू उत्पाद के 31% पर ला दिया है जो किसी भी अर्थव्यवस्था के लिये भारत की तुलना में बहुत कम निवेश दर है।
    • वित्त वर्ष 2021-22 को बुनियादी ढाँचे तथा कई अन्य परियोजनाओं में निवेश को बढ़ाने, उन्हें मज़बूती प्रदान करने और उनके विकास का वर्ष होना चाहिये, जहाँ भारत घाटे के चरण में है।
  • वैक्सीन मानदंड में सुधार: केवल 45 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के टीकाकरण करने के लिये मुंबई, पुणे और दिल्ली जैसे कोविड हॉटस्पॉट क्षेत्रों में विशेष रूप से व्यवस्था की जाएगी।
    • ऐसे शहरों में श्रमिक वर्ग के लोग जो दैनिक आधार पर काम करते हैं, उन्हें तेज़ दर से और उम्र की परवाह किये बिना टीका लगाया जाएगा।
  • उन्नत मुद्रास्फीति के स्तर का प्रबंधन: भारत में मुद्रास्फीति उच्च स्तर के  जोखिम पर है, यही कारण है कि RBI रूढ़िवादी रहा है जिसके कारण इसने केवल 10.5% की वृद्धि दर का अनुमान लगाया है।
    • भारत को विकास की अनिवार्यताओं और मुद्रास्फीति की चिंताओं को संतुलित करते हुए बहुत ही संतुलित होकर चलना है।
    • RBI ने भी आर्थिक विकास को समर्थन देने के लिये एक नीति अपनाई है। इसने राज्यों के लिये अग्रिम तरीकों और साधनों की सीमा बढ़ा दी है तथा उन्हें RBI से अधिक राशि उधार लेने की अनुमति दी है।
  • सरकारी नीतियों की भूमिका: विकास का अनुमान सरकार द्वारा अपनाई गई नीतियों, विशेष रूप से राजकोषीय नीति और मौद्रिक नीतियों पर भी निर्भर करता है।
    • अब तक भारत ने अन्य देशों की तुलना में ऐसी नीतियों को अधिक समझदारी से अपनाया है।
      • भारत ने वर्ष 2020 में बड़े पैमाने पर आर्थिक सुधार लागू किये जब महामारी अपने चरम पर थी।
    • इसके अतिरिक्त भारत ने सरकार के हस्तक्षेप से बहुत से क्षेत्रों को मुक्त कर दिया है जो बेहतर और तेज़ आर्थिक विकास में उपयोगी होगा।

निष्कर्ष

  • भारत को विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में ग्रोथ रिकवरी पर ध्यान केंद्रित करना है जो अधिक स्थायी है।
  • भारत धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से आर्थिक सुधार के मार्ग पर है और निवेश इस विकास की गति को बनाए रखने का तरीका है।
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