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डेली अपडेट्स

भारतीय अर्थव्यवस्था

वर्ल्ड इकोनाॅमिक आउटलुक: आईएमएफ

  • 28 Apr 2022
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, वर्ल्ड इकोनाॅमिक आउटलुक, सकल घरेलू उत्पाद

मेन्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा जारी ‘वर्ल्ड इकोनाॅमिक आउटलुक’ रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु

चर्चा में क्यों? 

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा जारी ‘वर्ल्ड इकोनाॅमिक आउटलुक’ के नवीनतम संस्करण में वित्त वर्ष 2022-23 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि से संबंधित अपने पूर्वानुमान को घटाकर 8.2% कर दिया गया है। इसके बावजूद भारत विश्व में सबसे तेज़ी से आगे बढ़ रही प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है, जिसकी विकास दर चीन के 4.4% की तुलना में लगभग दो गुनी है।

IMF के वृद्धि संबंधी अनुमान:

  • भारतीय परिदृश्य: 
    • इसने वर्ष 2021 की इसी अवधि के दौरान अपने पिछले पूर्वानुमान (9%) को वर्ष 2022-23 के लिये भारत में वृद्धि अनुमान को 0.8% अंक कम कर दिया है। 
      • वर्ष 2021 में भारत ने 8.9% की वृद्धि दर दर्ज की।
      • वर्ष 2023-24 में भारत की अर्थव्यवस्था के 6.9% की दर से बढ़ने का अनुमान है।
    • IMF का अनुमान है कि वस्तु और ईंधन की उच्च कीमतों के कारण आयात बिल बढ़ने के साथ वित्त वर्ष 2022-23 में भारत का चालू खाता घाटा वित्त वर्ष 2021-22 के 1.6% से बढ़कर 3.1% हो जाएगा।
    • भारत "रूस-यूक्रेन युद्ध औरकी वजह से लागू नकारात्मक व्यापार शर्तों के कारण कई अन्य देशों की तरह पीड़ित था" क्योंकि उच्च खाद्य और ऊर्जा की कीमतें व्यापार संतुलन को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर रही थीं।
    • इसके अतिरिक्त बाहरी मांग में भी नरमी आ रही थी क्योंकि शेष विश्व की वृद्धि प्रभावित हुई थी। 
  • वैश्विक परिदृश्य:
    • IMF द्वारा वर्ष 2022 और वर्ष 2023 में वैश्विक विकास दर 3.6 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है, जो जनवरी 2022 के पूर्वानुमान की तुलना में क्रमश: 0.8 और 0.2 फीसदी कम है।
      • वैश्विक विकास में गिरावट भारत की विकास संभावनाओं को विशेष रूप से कमज़ोर करती है क्योंकि इससे भारतीय निर्यात की मांग कम हो जाएगी।
    • यह गिरावट काफी हद तक रूस और यूक्रेन युद्ध के प्रत्यक्ष प्रभावों को दर्शाती है। 
    • कोविड के मामलों के बढ़ने के कारण शेनझेन और शंघाई (चीन) जैसे प्रमुख विनिर्माण और व्यापारिक केंद्रों में हालिया लॉकडाउन की वजह से इस क्षेत्र में तथा इसके बाहर आपूर्ति बाधित होने की संभावना है। 

आईएमएफ के सुझाव:

  • मौद्रिक सख्ती:
    • इसने यूक्रेन में युद्ध के कारण वैश्विक आपूर्ति व्यवधानों के बीच मुद्रास्फीति की दर को नियंत्रण में रखने के लिये केंद्रीय बैंकों से मौद्रिक सख्ती की सिफारिश की।
      • आईएमएफ ने चेतावनी दी कि युद्ध "वैश्विक सुधार को बुरी तरह से प्रभावित करने, विकास की गति को धीमा करने के साथ ही मुद्रास्फीति को बढ़ा देगा।  
  • बढ़ती कीमतों की निगरानी: 
    • मौद्रिक प्राधिकरणों को घरेलू मुद्रास्फीति की संभावनाओं के चलते बढ़ती वैश्विक कीमतों के कारणों की सावधानीपूर्वक निगरानी करनी चाहिये। 
  • परिवारों को लक्षित आय सहायता: 
    • आईएमएफ रिपोर्ट ने अत्यधिक मूल्य वृद्धि का सामना कर रहे देशों में घरेलू बजट पर दबाव को कम करने के लिये सरकारों द्वारा परिवारों हेतु लक्षित आय का समर्थन किया। 

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष: 

  • परिचय:
    • द्वितीय विश्व युद्ध के बाद युद्ध में  तबाह देशों के पुनर्निर्माण में सहायता के लिये विश्व बैंक के साथ अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना की गई।
      • अमेरिका के ब्रेटन वुड्स में आयोजित एक सम्मेलन के दौरान इन दोनों संगठनों की स्थापना पर सहमति बनी। इसलिये इन्हें ब्रेटन वुड्स के जुड़वाँ संतानों यानी ब्रेटन वुड्स ट्विन्स के रूप में भी जाना जाता है।
    • IMF की स्थापना 1945 में हुई थी, यह उन 189 देशों द्वारा शासित और उनके प्रति जवाबदेह है जो इसके वैश्विक सदस्य हैं। भारत ने  27 दिसंबर, 1945 को IMF की सदस्यता ग्रहण की।
    • IMF का प्राथमिक उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली की स्थिरता सुनिश्चित करना है, यह  विनिमय दरों और अंतर्राष्ट्रीय भुगतान की प्रणाली है जो देशों (और उनके नागरिकों) को एक-दूसरे के साथ लेन-देन करने में सक्षम बनाती है।
      • वर्ष 2012 में एक कोष के जनादेश  के अंतर्गत  वैश्विक स्थिरता से संबंधित सभी व्यापक आर्थिक और वित्तीय क्षेत्र के मुद्दों को शामिल करने के लिये इसको अद्यतित  किया गया। 
  •  IMF की रिपोर्ट: 
  • वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक
    • यह IMF का एक सर्वेक्षण है जिसे आमतौर पर वर्ष में दो बार- अप्रैल और अक्तूबर के महीनों में प्रकाशित किया जाता है।
    • यह निकट और मध्यम अवधि के दौरान वैश्विक आर्थिक विकास का विश्लेषण तथा भविष्यवाणी करता है। 
    • पूर्वानुमान के अपडेट्स की बढ़ती मांग को देखते हुए वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक अपडेट जनवरी और जुलाई में प्रकाशित किया जाता है, जो आमतौर पर अप्रैल व अक्तूबर में प्रकाशित होने वाली मुख्य WEO रिपोर्ट्स के बीच का समय है। 

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQs): 

वैश्विक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट' किसके द्वारा तैयार की जाती है? (2016)

(a) यूरोपीय सेंट्रल बैंक
(b) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष
(c) पुनर्निर्माण हेतु अंतर्राष्ट्रीय बैंक और विकास
(d) आर्थिक सहयोग के लिये संगठन और विकास

उत्तर: B 

स्रोत: फाइनेंसियल एक्सप्रेस



डेली अपडेट्स

भारतीय अर्थव्यवस्था

वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक: IMF

  • 08 Apr 2021
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund- IMF) द्वारा वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक (World Economic Outlook), 2021 रिपोर्ट जारी की गई, जिसके अनुसार भारत की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2021 में 12.5% रहने का अनुमान है, इससे पहले जनवरी 2021 में इसे 11.5% अनुमानित किया गया था।

प्रमुख बिंदु

भारतीय अर्थव्यवस्था:

  • भारतीय अर्थव्यवस्था के वर्ष 2021 में 12.5% और वर्ष 2022 में 6.9% की दर से बढ़ने की उम्मीद है।
    • भारत की अर्थव्यवस्था में वर्ष 2020 में 8% का संकुचन देखा गया।
  • वर्ष 2021 में भारत की विकास दर चीन की तुलना में अच्छी स्थिति में है।
    • चीन एकमात्र प्रमुख अर्थव्यवस्था था जिसने वर्ष 2020 में 2.3% की सकारात्मक वृद्धि दर बनाए रखी और इसके वर्ष 2021 में 8.6% तथा वर्ष 2022 में 5.6% की दर से बढ़ने की उम्मीद है।

विश्व अर्थव्यवस्था:

  • IMF ने वर्ष 2021 और 2022 में विश्व की विकास दर क्रमशः 6% तथा 4.4% रहने के कारण एक मज़बूत आर्थिक रिकवरी की भविष्यवाणी की।
    • वैश्विक अर्थव्यवस्था वर्ष 2020 में 3.3% संकुचित हुई है।
  • यह दर्शाता है कि वर्ष 2020 का संकुचन पहले की तुलना में 1.1% कम है:
    • लॉकडाउन के बाद अधिकांश क्षेत्रों में वर्ष की दूसरी छमाही में उच्च वृद्धि की उम्मीद कम हो गई थी और अर्थव्यवस्थाओं ने काम करने के नए तरीकों के साथ अपने आप को अनुकूलित किया।
    • कुछ बड़ी अर्थव्यवस्थाओं ने अपने आपको अतिरिक्त राजकोषीय समर्थन और वर्ष की दूसरी छमाही में वैक्सीन के व्यापार से संभाला।

सुझाव:

  • स्वास्थ्य देखभाल:
    • टीकाकरण, उपचार और स्वास्थ्य देखभाल के लिये बुनियादी ढाँचे पर खर्च को प्राथमिकता देकर स्वास्थ्य संकट से बचने पर ज़ोर देने के साथ ही देशों का राजकोषीय खर्च प्रभावित परिवारों पर अच्छी तरह से लक्षित होना चाहिये।
  • उदार मौद्रिक नीति:
    • मौद्रिक नीति को व्यवस्थित होना चाहिये (जहाँ मुद्रास्फीति अच्छी तरह से व्यवहार करती है), जबकि स्थायी उपायों द्वारा वित्तीय स्थिरता के जोखिमों को दूर करना चाहिये।
  • कठोर दृष्टिकोण:
    • नीति निर्माताओं को महामारी से पहले की तुलना में अधिक सीमित नीति और उच्च ऋण स्तर से निपटने के लिये अपनी अर्थव्यवस्था का समर्थन जारी रखने की आवश्यकता होगी।
    • लंबे समय तक समर्थन के लिये बेहतर लक्षित उपायों की आवश्यकता होती है। मल्टी-स्पीड रिकवरी के साथ एक अनुकूलित दृष्टिकोण आवश्यक है, जिसमें महामारी के चरण में अच्छी तरह जाँची-परखी नीतियों, आर्थिक सुधार और देशों की संरचनात्मक विशेषताएँ शामिल हैं।
  • प्राथमिकताएँ:
    • प्राथमिकताओं में जलवायु परिवर्तन को कम करना, उत्पादन क्षमता को बढ़ाना, बढ़ती असमानता को रोकने के लिये सामाजिक सहायता को मज़बूत करना आदि को शामिल किया जाना चाहिये।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष

  • इस कोष की स्थापना द्वितीय विश्व युद्ध (Second World War) के पश्चात् युद्ध प्रभावित देशों के पुनर्निर्माण में सहायता के लिये विश्व बैंक (World Bank) के साथ की गई थी। 
    • इन दोनों संगठनों की स्थापना के लिये अमेरिका के ब्रेटन वुड्स में आयोजित एक सम्मेलन में सहमति बनी। इसलिये इन्हें ‘ब्रेटन वुड्स ट्विन्स’ (Bretton Woods Twins) के नाम से भी जाना जाता है।
  • वर्ष 1945 में स्थापित IMF विश्व के 189 देशों द्वारा शासित है तथा यह अपने निर्णयों के लिये इन देशों के प्रति उत्तरदायी है। भारत 27 दिसंबर, 1945 को IMF में शामिल हुआ था।   
  • IMF का प्राथमिक उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली की स्थिरता सुनिश्चित करना है। अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली से आशय विनिमय दरों और अंतर्राष्ट्रीय भुगतान की उस प्रणाली से है जो देशों (और उनके नागरिकों) को एक-दूसरे के साथ लेन-देन करने में सक्षम बनाती है।
    • IMF के अधिदेश में वैश्विक स्थिरता से संबंधित सभी व्यापक आर्थिक और वित्तीय मुद्दों को शामिल करने के लिये वर्ष 2012 में इसे अद्यतन/अपडेट किया गया था।
  • IMF द्वारा जारी की जाने वाली रिपोर्ट:

वर्ल्ड इकॉनमी आउटलुक

  • यह IMF का एक सर्वेक्षण है जिसे आमतौर पर अप्रैल और अक्तूबर के महीनों में साल में दो बार प्रकाशित किया जाता है।
  • यह भविष्य के चार वर्षों तक के अनुमानों के साथ निकट और मध्यम अवधि के दौरान वैश्विक आर्थिक विकास का विश्लेषण तथा भविष्यवाणी करता है।
  • इसके पूर्वानुमान के अपडेट्स की बढ़ती मांग के कारण वर्ल्ड इकॉनमी आउटलुक अपडेट जनवरी और जुलाई में प्रकाशित किया जाता है, जो आमतौर पर अप्रैल और अक्तूबर में में प्रकाशित होने वाली मुख्य WEO रिपोर्टों के बीच का समय है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस



डेली अपडेट्स

भारतीय अर्थव्यवस्था

वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक: IMF

  • 28 Jan 2021
  • 9 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने अपनी नवीनतम ‘वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक’ रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में तकरीबन 11.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है।

GDP-growth

प्रमुख बिंदु

भारत से संबंधित अनुमान

  • वित्तीय वर्ष 2020-21: चालू वित्त वर्ष के लिये अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारतीय अर्थव्यवस्था में 10.3 प्रतिशत के संकुचन का अनुमान लगाया है।
  • वित्तीय वर्ष 2021-22: 1 अप्रैल, 2021 से शुरू होने वाले आगामी वित्तीय वर्ष के लिये जीडीपी की वृद्धि दर लगभग 11.5 प्रतिशत रह सकती है, जो कि बीते वर्ष अक्तूबर माह में प्रस्तुत अनुमान से लगभग 2.7 प्रतिशत अधिक है।
    • पिछले वर्ष अक्तूबर माह में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की कुल जीडीपी में लगभग 8.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी का अनुमान जताया था, जो कि वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक था।
  • वित्तीय वर्ष 2022-23: रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था में संभवतः 6.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी।

2020-21 के लिये सरकार का अनुमान

  • केंद्र सरकार के पहले अग्रिम अनुमान के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.7 प्रतिशत का संकुचन दर्ज किया जा सकता है, जबकि भारतीय रिज़र्व बैंक के आँकड़ों की मानें तो इस वित्तीय वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.5 प्रतिशत का संकुचन हो सकता है।

आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान में बढ़ोतरी का कारण

  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के मुताबिक, भारत ने महामारी से निपटने और इसके आर्थिक परिणामों को कम करने के लिये कई महत्त्वपूर्ण निर्णायक कदम उठाए हैं, जिसके कारण आने वाले समय में भारतीय अर्थव्यवस्था पर अनुकूल प्रभाव देखा जा  सकता है।

महामारी से निपटने को सरकार द्वारा किये गए उपाय

  • महामारी के आर्थिक प्रभावों से निपटने के लिये बीते वर्ष मार्च माह में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने आर्थिक राहत पैकेज की घोषणा की थी।
  • प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना: सरकार ने भी गरीबों को कोरोना वायरस महामारी से मुकाबला करने के लिये सहायता हेतु नवगठित प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 1.70 लाख करोड़ रुपए के राहत पैकेज की घोषणा की थी।
  • आत्मनिर्भर भारत अभियान: आत्मनिर्भर भारत अभियान का उद्देश्य वैश्विक बाज़ार में अपनी हिस्सेदारी के लिये सुरक्षा अनुपालन और गुणवत्ता में सुधार के साथ-साथ प्रतिस्थापन पर ध्यान केंद्रित कर आयात निर्भरता को कम करना है।
    • सरकार द्वारा व्यवसायों, विशेष तौर पर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिये ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत तरलता उपायों की घोषणा की गई।

वैश्विक अनुमान

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  • वैश्विक अर्थव्यवस्था
    • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुमान के अनुसार, वर्ष 2021 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में 5.5 प्रतिशत और वर्ष 2022 में 4.2 प्रतिशत की दर से वृद्धि होने का अनुमान है।
      • IMF ने वर्ष 2020 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में 3.5 प्रतिशत के संकुचन की आशंका जताई है, जबकि पहले वैश्विक अर्थव्यवस्था में 4.4 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान व्यक्त किया गया था।
    • IMF ने अपने पूर्व अनुमान की तुलना वर्ष 2021 के अनुमान में 0.3 प्रतिशत अंक की बढ़ोतरी की है, जिसका मुख्य कारण यह है कि आने वाले समय में वैक्सीन के परिणामस्वरूप आर्थिक गतिविधियों में और अधिक मज़बूती आ सकती है, साथ ही कुछ विशाल अर्थव्यवस्थाओं द्वारा लिये गए नीतिगत उपायों के कारण भी आर्थिक वृद्धि दर में बढ़ोतरी हो सकती है।

वैश्विक व्यापार में वृद्धि का अनुमान

  • वर्ष 2021 में वैश्विक व्यापार की मात्रा में 8 प्रतिशत की बढ़ोतरी होने का अनुमान है।
  • IMF को उम्मीद है कि वर्ष 2021 में तेल की वैश्विक कीमतें वर्ष 2020 की तुलना में 20 प्रतिशत तक बढ़ सकती हैं, हालाँकि इसके बावजूद ये कीमतें वर्ष 2019 की औसत कीमत से काफी नीचे बनी रहेंगी।
  • वर्ष 2021 में गैर-तेल उत्पादों की वैश्विक कीमतों में वृद्धि होने का अनुमान है।

उच्च आर्थिक विकास वाली अन्य वैश्विक अर्थव्यवस्थाएँ

  • अनुमान के मुताबिक, वर्ष 2021 में चीन की अर्थव्यवस्था में 8.1 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी होगी, जिसके बाद स्पेन (5.9%) और फ्रांँस (5.5%) का स्थान है।
  • चीन, जो कि वर्ष 2020 में 2.3 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज करने वाला एकमात्र प्रमुख देश था, वर्ष 2022 में इसके 5.6 प्रतिशत की दर से आर्थिक विकास करने की उम्मीद है।

असमानता में वृद्धि

  • रिपोर्ट में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि महामारी के कारण असमानता के स्तर में हुई वृद्धि की वजह से वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान लगभग 90 मिलियन लोगों के गरीबी रेखा से नीचे चले जाने की संभावना है, साथ ही महामारी से कम शिक्षित महिलाओं, युवाओं और अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत लोगों की आजीविका एवं आय पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।
  • महामारी के कारण बीते दो दशकों में गरीबी को समाप्त/कम करने की दिशा में प्रगति भी प्रभावित हुई है।
  • गौरतलब है कि हाल ही में ऑक्सफैम इंटरनेशनल द्वारा जारी ‘इनइक्वलिटी वायरस रिपोर्ट’ में पाया गया है कि कोरोना वायरस महामारी ने भारत और दुनिया भर में मौजूदा असमानता की स्थिति को और गहरा कर दिया है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund): 

  • IMF की स्थापना द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् युद्ध प्रभावित देशों के पुनर्निमाण में सहायता के लिये विश्व बैंक (World Bank) के साथ की गई थी।  
    • इन दोनों संगठनों की स्थापना के लिये अमेरिका के ब्रेटन वुड्स में आयोजित एक सम्मेलन में सहमति बनी। इसलिये इन्हें ‘ब्रेटन वुड्स ट्विन्स’ (Bretton Woods Twins) के नाम से भी जाना जाता है।
  • वर्ष 1945 में स्थापित IMF विश्व के 189 देशों द्वारा शासित है तथा यह अपने निर्णयों के लिये इन देशों के प्रति उत्तरदायी भी है। भारत 27 दिसंबर, 1945 को IMF में शामिल हुआ था।   
  • IMF का प्राथमिक उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली की स्थिरता सुनिश्चित करना है। अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली से आशय विनिमय दरों और अंतर्राष्ट्रीय भुगतान की उस प्रणाली से है जो देशों (और उनके नागरिकों) को एक-दूसरे के साथ लेन-देन करने में सक्षम बनाती है।
    • IMF के अधिदेश में वैश्विक स्थिरता से संबंधित सभी व्यापक आर्थिक और वित्तीय मुद्दों को शामिल करने के लिये वर्ष 2012 में इसे अद्यतन/अपडेट किया गया था।
  • IMF द्वारा जारी महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट:

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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