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भारतीय अर्थव्यवस्था

वर्ल्ड इकॉनोमिक आउटलुक रिपोर्ट 2019

  • 17 Oct 2019
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, वर्ल्ड इकॉनोमिक आउटलुक रिपोर्ट

मेन्स के लिये:

व्यापार युद्ध का वैश्विक अर्थव्यवस्था और भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund-IMF) द्वारा वर्ल्ड इकॉनोमिक आउटलुक रिपोर्ट (World Economic Outlook Report) 2019 जारी की गई है।

प्रमुख बिंदु

  • इस रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2019 और वर्ष 2020 के लिये भारत की आर्थिक वृद्धि दर क्रमशः 6.1% और 7% रहने का अनुमान है। गौरतलब है कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा अप्रैल में जारी की गई रिपोर्ट में संभावित आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 7.3% लगाया गया था, जिसे जुलाई की रिपोर्ट में घटाकर 7% कर दिया गया।
  • वित्तीय रूप से कमज़ोर गैर-बैंक वित्तीय क्षेत्र, बैंकों की बड़ी मात्रा में गैर-निष्पादक आस्तियों और वित्तीय संस्थाओं की संगठनात्मक कमी का भारत के आर्थिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

नोट- गैर निष्पादक आस्ति (Non Performing Asset)- भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार गैर निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) एक ऐसा ऋण या अग्रिम है जिसके लिये मूल या ब्याज भुगतान 90 दिनों की अवधि तक नहीं किया गया हो।

  • IMF ने रोज़गार और बुनियादी ढांँचे को बढ़ावा देने के लिये श्रम और भूमि कानूनों में संरचनात्मक सुधारों का आग्रह किया है। रिपोर्ट के मुताबिक घरेलू उपभोग मांग में कमी आर्थिक विकास दर के कम होने का सबसे बड़ा कारण है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, भारत की विकास दर को बढ़ाने के लिये मौद्रिक नीति में ढील, कॉर्पोरेट कर में कटौती, पर्यावरण और कॉर्पोरेट अनिश्चितताओं को दूर करने के उपायों एवं ग्रामीण उपभोग को बढ़ाने के लिये सरकारी प्रयास किये जाने चाहिये।
  • गौरतलब है कि IMF ने वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान में भी कटौती करके इसे 3.8% से 3% कर दिया है।
  • रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक अर्थ व्यवस्था बढ़ती व्यापारिक बाधाओं और भू-राजनैतिक तनावों के कारण समकालिक मंदी के दौर में है।

नोट: राष्ट्रों की एक-दूसरे के प्रति संरक्षणवादी नीतियों और व्यापार युद्ध की वजह से अर्थव्यवस्थाओं में उत्पन्न मंदी को समकालिक मंदी कहा जाता है। समकालिक मंदी का सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव भारत जैसी उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ता है।

  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा अमेरिका, चीन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसी अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की भी आर्थिक वृद्धि दर में कमी की गई है।
  • ज्ञातव्य है कि इससे पहले एशियाई डेवलपमेंट बैंक (Asian Development Bank- ADB) ने चालू वर्ष में भारत की आर्थिक विकास दर को 7.2% से घटा कर 6.5% कर दिया था।
  • विश्व बैंक ने भी अपनी रिपोर्ट में भारत की आर्थिक विकास दर का अनुमान 6.9% के मुकाबले 6% रहने की संभावना व्यक्त की है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष

(International Monetary Fund-IMF)

  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना ब्रेटनवुड्स सम्मेलन के तहत वर्ष 1944 में हुई थी। यह औपचारिक रूप से वर्ष 1945 में अस्तित्व में आया।
  • इसका मुख्यालय वाशिंगटन डी सी में है। वर्तमान समय में इसकी प्रमुख क्रिश्टालीना जार्जीवा हैं। भारतीय मूल की गीता गोपीनाथ को प्रमुख अर्थशास्त्री के रूप में नियुक्त किया गया है।
  • इसके सदस्य देशों की संख्या 189 है। प्रशांत महासागर में स्थित द्वीपीय राष्ट्र नौरु गणराज्य, वर्ष 2016 में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का 189वांँ सदस्य बना।
  • विशेष आहरण अधिकार अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की लेन-देन की एक इकाई है, जिसके तहत अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष अपने सदस्य देशों के आधिकारिक मुद्रा भंडार के पूरक के रूप में कार्य करता है।
  • विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Right) अंतर्राष्ट्रीय मुद्राओं की एक ऐसी टोकरी(Basket of currencies) है, जिसमें अमेरिकी डॉलर, जापानी येन, चाइनीस युआन, यूरो और पाउंड स्टर्लिंग शामिल हैं। चाइनीस युआन को वर्ष 2015 में विशेष आहरण अधिकार की मुद्रा टोकरी में शामिल किया गया।
  • वर्ल्ड इकॉनोमिक आउटलुक रिपोर्ट IMF द्वारा आमतौर पर एक वर्ष में दो बार प्रकाशित की जाती है। इस रिपोर्ट में समष्टि अर्थशास्त्र के विभिन्न पहलुओं जैसे- आर्थिक गतिविधि, रोज़गार मुद्रास्फीति, कीमत, विदेशी मुद्रा और वित्तीय बाज़ार, बाहरी भुगतान, वित्त पोषण तथा ऋण पर विचार करते हुए अर्थव्यवस्थाओं के विकास का विश्लेषण प्रस्तुत किया जाता है।

स्रोत- द हिंदू

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