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निवारक निरोध कानून के उपयोग में वृद्धि

  • 07 Sep 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

निवारक निरोध, दंडात्मक निरोध, गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB)।

मेन्स के लिये:

निवारक निरोध से संबद्ध मुद्दे और उनका समाधान।

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau-NCRB) द्वारा जारी किये गए नवीनतम अपराध आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2020 की तुलना में वर्ष 2021 में निवारक निरोध कानून के उपयोग में लगभग 23% की वृद्धि हुई है, जिसमें 1.1 लाख से अधिक लोगों को निवारक हिरासत में रखा गया है।

निवारक निरोध:

  • अनुच्छेद 22: संविधान का अनुच्छेद 22, गिरफ्तार या हिरासत (निरोध) में लिये गए व्यक्तियों को सुरक्षा प्रदान करता है। निवारक निरोध का उपयोग दो प्रकार से होता है- दंडात्मक और निवारक।
    • निवारक निरोध का उपयोग ऐसी स्थिति में किया जाता है, जब किसी व्यक्ति को केवल इस संदेह के आधार पर पुलिस हिरासत में रखा गया है कि वह कोई आपराधिक कृत्य करेगा या समाज को हानि पहुँचाने का प्रयास करेगा।
      • इसके अंतर्गत पुलिस के पास किसी ऐसे व्यक्ति हिरासत में लेने का अधिकार है जिस पर उसे अपराध करने का संदेह है, कुछ मामलों में वारंट या मजिस्ट्रेट के प्राधिकरण के बिना गिरफ्तारी करने का भी अधिकार है।
    • दंडात्मक निरोध अर्थ है- किसी अपराध के लिये सजा के रूप में निरोध। इसका उपयोग ऐसी स्थिति में किया जाता है, जब वास्तव में कोई अपराध में किया गया हो, या उस अपराध को करने का प्रयास किया गया हो।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ( NCRB) के आँकड़ों की मुख्य विशेषताएँ:

Behind-Bars

  • हिरासत की सबसे अधिक संख्या: वर्ष 2021 के अंत तक निवारक हिरासत में रखे गए कुल 24,500 से अधिक लोग या तो हिरासत में थे या अभी भी हिरासत में है, जिनकी संख्या वर्ष 2017 के बाद से जब NCRB ने इस आँकड़ों को रिकॉर्ड करना शुरू किया था, तब से अब तक सबसे अधिक है।
  • राज्य और केंद्रशासित प्रदेश: वर्ष 2021 में तमिलनाडु के बाद तेलंगाना और गुजरात में राज्यों में सबसे अधिक, जबकि जम्मू और कश्मीर में निवारक निरोध के मामले सबसे अधिक दर्ज किये गए है।
  • सापेक्षिक निवारक कानून:
    • NCRB के आँकड़ों से पता चला है कि राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत गिरफ्तार किये गए लोगों की संख्या वर्ष 2020 की तुलना में काफी कम हो गई थी।
      • NSA के तहत निवारक निरोध के मामलों की संख्या वर्ष 2020 में (741) चरम पर पहुँच गई थी, जो वर्ष 2021 में यह संख्या गिरकर 483 हो गई।
    • गुंडा एक्ट
    • स्वापक औषधि और मन: प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1988 में अवैध व्यापार की रोकथाम
    • लोक सुरक्षा अधिनियमट (पीएसए)
    • नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985
    • इनसाइडर ट्रेडिंग का निषेध (PIT)
    • कालाबाज़ारी और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के रखरखाव के निवारण अधिनियम, 1980 (PBMSECA)
    • इसके अलावा, "अन्य निरोध अधिनियमों" के रूप में वर्गीकृत एक श्रेणी, जिसके तहत अधिकांश निरोधक के मामले पंजीकृत थे, वर्ष 2017 के बाद से लगातार निवारक निरोध के तहत व्यक्तियों की सबसे अधिक संख्या "अन्य निरोध अधिनियम" श्रेणी के तहत रखी गई है।
  • समस्याएँ/चुनौतियाँ:
    • अन्य अधिनियमों का दुरुपयोग: गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (Unlawful Activities (Prevention) Act- UAPA) और महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम जैसे कई कानून भी निवारक निरोध हेतु उपाय प्रदान करते हैं।
    • सरकारी अधिकारियों द्वारा हेरफेर: जिला मज़िस्ट्रेट और पुलिस भी अक्सर किसी भी दो समुदायों के बीच उभरती सांप्रदायिक झड़पों या संघर्षों में कानून और व्यवस्था को नियंत्रित करने के लिये निवारक निरोध का दुरुपयोग करते हैं, भले ही यह हमेशा सार्वजनिक अव्यवस्था का कारण न हो।
  • सर्वोच्च न्यायालय का दृष्टिकोण: जुलाई 2022 में, सर्वोच्च न्यायालय की एक अवकाश पीठ ने तेलंगाना में एक चेन-स्नैचर के लिये जारी निवारक निरोध आदेश को रद्द करते हुए देखा कि राज्य को दी गई ये शक्तियाँ "असाधारण" है और चूँकि ये एक व्यक्ति की स्वतंत्रता को व्यापक स्तर पर प्रभावित करती हैं, अतः इनका उपयोग संयम के साथ किया जाना चाहिये।
    • न्यायालय ने यह भी कहा कि इन शक्तियों का इस्तेमाल सामान्य कानून और व्यवस्था की समस्याओं को नियंत्रित करने के लिये नहीं किया जाना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू

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