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स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985

  • 01 Sep 2022
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

मारिज़ुआनाा/गांजा, स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ, भाँग, 'नशा मुक्त भारत' या ड्रग-मुक्त भारत अभियान

मेन्स के लिये:

स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985

चर्चा में क्यों?

हाल ही में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा कि स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम (NDPS) अधिनियम, 1985 के अनुसार भाँग को कहीं भी प्रतिबंधित पेय या निषिद्ध ड्रग्स के रूप में संदर्भित नहीं किया गया है।

  • उच्च न्यायालय ने पूर्व के दो निर्णयों मधुकर बनाम महाराष्ट्र राज्य, 2002 और अर्जुन सिंह बनाम हरियाणा राज्य, 2004 का आधार लेते हुए कहा कि पूर्व निर्णयों में भी कहा गया है कि भाँग को गांजा/मारिजुआना की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है, अतः NDPS अधिनियम के प्रावधान इस पर लागू नहीं होते हैं।
  • कुछ माह पूर्व ही थाईलैंड ने मारिज़ुआना/गांजे की खेती को वैध कर दिया है, हालाँकि इसके मनोरंजक उपयोग (जैसे धूम्रपान) पर अभी भी प्रतिबंध है।

भाँग:

  • परिचय:
    • इसका वैज्ञानिक नाम कैनबिस इंडिका (Cannabis Indica) है। यह एक प्रकार का पौधा होता है जिसकी पत्तियों को पीस कर भाँग तैयार की जाती है, जिसे अक्सर विभिन्न खाद्य पदार्थों के साथ ठंडाई और लस्सी जैसे पेय में मिलाया जाता है।
    • भाँग का सेवन भारतीय उपमहाद्वीप में सदियों से किया जाता रहा है और होली एवं महाशिवरात्रि जैसे त्योहारों के अवसर पर इसका व्यापक रूप से सेवन किया जाता है।
  • कानून:
    • NDPS अधिनियम, 1985 में अधिनियमित मुख्य कानून है, जो ड्रग्स और उसकी तस्करी से संबंधित है।

स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 के प्रावधान:

  • यह भाँग को एक मादक औषधि के रूप में परिभाषित करता है:
    • एनडीपीएस अधिनियम भाँग (हेम्प) को पौधे को उन हिस्सों के आधार पर एक मादक दवा के रूप में परिभाषित करता है जो इसके दायरे में आते हैं। अधिनियम इन भागों को इस प्रकार सूचीबद्ध करता है:
      • चरस: चरस कैनेबिस के पौधे से निकले रेजिन से तैयार होता है। यह रेजिन भी इस पौधे का हिस्सा है, रेजिन पेड़-पौधों से निकलने वाला चिपचिपा पदार्थ है। इसे ही चरस, हशीश और हैश कहा जाता है। भारत में स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 के तहत कैनबिस के किसी भी तरह के सेवन पर प्रतिबंध है।
      • गाँजा: भाँग और गांजा एक ही प्रजाति के पौधे से बनाए जाते हैं। भाँग के पौधे के फूल या फूलने वाले शीर्ष का उपयोग गांजा के रूप में किया जाता है।
      • भाँग के उपरोक्त रूपों में से किसी के भी या उससे तैयार किसी भी पेय या उससे निर्मित मिश्रण।
    • अधिनियम अपनी परिभाषा में शीर्ष पर न होने के कारण बीज और पत्तियों को शामिल नहीं करता है।
    • NDPS अधिनियम में भाँग का जिक्र नहीं है।
  • सजा:
    • NDPS अधिनियम की धारा 20 अधिनियम में परिभाषित भाँग के उत्पादन, निर्माण, बिक्री, खरीद, आयात और अंतर-राज्यीय निर्यात के लिये दंड का प्रावधान करती है। निर्धारित सजा ज़ब्त की गई दवाओं की मात्रा पर आधारित है।
    • यह कुछ मामलों में मौत की सजा का भी प्रावधान करता है जहाँ एक व्यक्ति बार-बार अपराधी हो।

NDPS अधिनियम के तहत अपराध की स्थिति:

  • राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के वर्ष 2021 के हालिया आँकड़ों के अनुसार, पंजाब अपराध दर की सूची में सबसे शीर्ष पर है।
    • पंजाब में वर्ष 2021 में 32.8% अपराध दर दर्ज की गई, जो देश में सबसे ज़्यादा थी।
  • हिमाचल प्रदेश 20.8% की अपराध दर के साथ दूसरे स्थान पर रहा, उसके बाद अरुणाचल प्रदेश ने NDPS अधिनियम की अपराध दर 17.2% दर्ज की, उसके बाद केरल (16%) का स्थान रहा।
  • वर्ष 2021 में NDPS अधिनियम के तहत सबसे कम अपराध दर केंद्रशासित प्रदेश दादर और नगर हवेली एवं दमन और दीव (0.5%) में दर्ज की गई, इसके बाद गुजरात (0.7%) और बिहार (1.2%) राज्यों का स्थान है।

नशीली दवाओं की लत से निपटने के लिये पहल:

  • नार्को-समन्वय केंद्र: नार्को-समन्वय केंद्र (NCORD) का गठन नवंबर 2016 में किया गया था और "नारकोटिक्स नियंत्रण के लिये राज्यों को वित्तीय सहायता" योजना को पुनर्जीवित किया गया था।
  • ज़ब्ती सूचना प्रबंधन प्रणाली: नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को एक नया सॉफ्टवेयर यानी ज़ब्ती सूचना प्रबंधन प्रणाली (SIMS) विकसित करने के लिये धन उपलब्ध कराया गया है जो नशीली दवाओं से संबंधित अपराध और अपराधियों का एक पूरा ऑनलाइन डेटाबेस तैयार करेगा।
  • नेशनल ड्रग एब्यूज़ सर्वे: सरकार एम्स के नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर की मदद से सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के माध्यम से भारत में नशीली दवाओं के दुरुपयोग के रुझानों को मापने हेतु राष्ट्रीय नशीली दवाओं के दुरुपयोग संबंधी सर्वेक्षण भी कर रही है।
    • प्रोजेक्ट सनराइज़: इसे स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा वर्ष 2016 में भारत में उत्तर-पूर्वी राज्यों में बढ़ते एचआईवी प्रसार से निपटने के लिये शुरू किया गया था (खासकर ड्रग्स का इंजेक्शन लगाने वाले लोगों के बीच)।
  • 'नशा मुक्त भारत' या ड्रग मुक्त भारत अभियान

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न

प्रश्न. संसार के दो सबसे बड़े अवैध अफीम उत्पादक राज्यों से भारत की निकटता ने भारत की आंतरिक सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है. नशीली दवाओं के अवैध व्यापार एवं बंदूक बेचने, मनी लॉन्ड्रिंग और मानव तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों के बीच कड़ियों को स्पष्ट कीजिये। इन गतिविधियों क रोकने के लिये क्या-क्या प्रतिरोधी उपाय किये जाने चाहिये? (मेन्स-2018)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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