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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 11 Apr, 2025
  • 28 min read
प्रारंभिक परीक्षा

थार रेगिस्तान

स्रोत: डाउन टू अर्थ

एक नए अध्ययन के अनुसार, भारत में थार रेगिस्तान में पिछले दो दशकों में महत्त्वपूर्ण मानसूनी वर्षा और कृषि विस्तार के कारण हरियाली (Greening) में 38% की वार्षिक वृद्धि हुई है। 

  • थार रेगिस्तान (द ग्रेट इंडियन डेजर्ट) की अवस्थिति: यह भारतीय उपमहाद्वीप पर रेत की पहाड़ियों (Sand Hills) का एक शुष्क क्षेत्र है। यह उत्तर-पश्चिमी भारत (राजस्थान, गुजरात, पंजाब और हरियाणा) और दक्षिण-पूर्वी पाकिस्तान (सिंध और पंजाब प्रांत) में 200,000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।
  • भूगोल और जलवायु: इसकी सीमा पश्चिम में सिंधु नदी के मैदान, उत्तर और उत्तर-पूर्व में पंजाब के मैदान, दक्षिण-पूर्व में अरावली पर्वतमाला और दक्षिण में कच्छ के रण से लगती है।
    • इस रेगिस्तान में उपोष्णकटिबंधीय रेगिस्तानी जलवायु पाई जाती है, जिसमें लगातार उच्च दबाव और अवतलन की स्थिति बनी रहती है। 
  • मृदा संरचना: रेगिस्तान की मृदा में रेगिस्तानी, लाल रेगिस्तानी, सिरोज़ेम, लाल और पीली, लवणीय, लिथोसोल और रेगोसोल शामिल हैं। 
    • ये मृदा मोटे बनावट वाली, अच्छी जल निकासी वाली, तथा कैल्शियम युक्त होती है, जो विशिष्ट वनस्पति और कृषि के लिये सहायक होती है।
  • जैवविविधता: यह अपेक्षाकृत समृद्ध जैवविविधता को बढ़ावा देता है, जिसमें ब्लू बुल (नीलगाय), ब्लैकबक, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB) और इंडियन गज़ेला (चिंकारा) शामिल हैं।
  • भारत के सबसे बड़े राष्ट्रीय उद्यानों में से एक, डेजर्ट नेशनल पार्क (राजस्थान) यहीं स्थित है।
  • खनिज संसाधन: यह रेगिस्तान में विश्व के सबसे बड़े लिग्नाइट कोयला भंडारों में से एक है।
  • यह जिप्सम और नमक (लवणीय झीलों- सांभर और कुचामन के साथ) से समृद्ध है।

और पढ़ें: थार रेगिस्तान


प्रारंभिक परीक्षा

जापान ने बनाया 3D प्रिंटेड ट्रेन स्टेशन

स्रोत: एन वाई टाइम्स

जापान ने विश्व का पहला 3D प्रिंटेड रेलवे स्टेशन (हात्सुशिमा स्टेशन) का निर्माण किया है, जिसे एडिटिव मैन्यूफैक्चरिंग (3D प्रिंटिंग) तकनीक का उपयोग कर मात्र 6 घंटों में पूरा किया गया।

  • स्टेशन के 3D प्रिंटेड हिस्से, जो कंक्रीट से निर्मित विशेष मोर्टार से बनाए गए थे, को अलग-अलग ट्रकों द्वारा निर्माण स्थल पर लाया गया, जिससे श्रम की आवश्यकता और साइट पर निर्माण करने में लगने वाले समय की बचत हुई, जिसे फिर कम समय में असेंबल किया गया।

3D प्रिंटिंग तकनीक क्या है?

  • परिचय: 3D प्रिंटिंग या एडिटिव मैन्यूफैक्चरिंग (AM), एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें डिजिटल डिज़ाइन के आधार पर सामग्री को परत दर परत जोड़कर 3-आयामी वस्तुओं का निर्माण किया जाता है।
    • यह पारंपरिक (व्यवकलक) विनिर्माण के विपरीत है, जिसमें कर्तन अथवा ड्रिलिंग के माध्यम से ठोस ब्लॉक से सामग्री अलग करना शामिल है।

  • कार्य प्रणाली:
    • डिज़ाइन और रूपांतरण: कंप्यूटर एडेड डिज़ाइन (CAD) सॉफ्टवेयर या 3D स्कैनिंग का उपयोग करके एक डिजिटल 3D मॉडल विकसित किया जाता है। फिर इस मॉडल को तनु परतों में स्लाइस किया जाता है और यंत्र-पठनीय (Machine-Readable) G-कोड निर्देशों में परिवर्तित किया जाता है।
    • प्रिंटिंग और पोस्ट-प्रोसेसिंग: 3D प्रिंटर द्वारा डिज़ाइन के अनुसार ऑब्जेक्ट बनाने के लिये सामग्री (प्लास्टिक, धातु, आदि) को परत दर परत जमा किया जाता है। प्रिंटिंग के बाद, ऑब्जेक्ट को साफ किया जाता है, संसाधित किया जाता है, असेंबल किया जाता है और सटीकता और निष्पादन के लिये परीक्षण किया जाता है।
  • प्रयुक्त सामग्री : इसमें थर्मोप्लास्टिक, धातु और मिश्र धातु, सिरेमिक और चिकित्सा अनुप्रयोगों के लिये बायोइंक जैसी  जैव सामग्रियों सहित विभिन्न प्रकार की सामग्रियों का उपयोग किया जाता है।
  • 3D प्रिंटिंग की सामान्य विधियाँ: सामान्य 3D मुद्रण विधियों में मैटेरियल जेटिंग, डायरेक्टेड एनर्जी डिपोजिशन (DED) और शीट लेमिनेशन शामिल हैं, जो जटिल वस्तुओं को सटीकता के साथ परत-दर-परत निर्मित करते हैं।
  • प्रमुख अनुप्रयोग:

4D प्रिंटिंग तकनीक क्या है?

  • परिचय: 4D प्रिंटिंग 3D प्रिंटिंग का एक परिष्कृत रूप है जहाँ स्मार्ट/इंटेलीजेंट मटेरियल (जैसे हाइड्रोजेल, एक्टिव पॉलिमर) का उपयोग करके बनाई गई वस्तुएँ गर्मी, प्रकाश, नमी या दबाव जैसी बाह्य उद्दीपनों के जवाब में समय के साथ आकार, संरचना या गुण परिवर्तित कर सकती हैं।
    • स्थिर 3D प्रिंट के विपरीत, 4D-मुद्रित वस्तुएँ स्वचालित रूप लचीली होती हैं, स्वयं संयोजित हो सकती हैं, मरम्मत कर सकती हैं या रूपांतरित हो सकती हैं, जिससे इलेक्ट्रॉनिक्स या मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता के बिना गतिशील और प्रतिक्रियाशील संरचनाएँ संभव हो जाती हैं।
  • प्रमुख अनुप्रयोग:
    • चिकित्सा: अनुकूली प्रत्यारोपण जैसे घुलनशील स्टेंट (Dissolvable Stents) और स्मार्ट डिवाइस जो शरीर के विकास या तापमान के अनुकूल हो जाते हैं, जिनका उपयोग जीवन रक्षक सर्जरी और लक्षित दवा वितरण में किया जाता है।
    • वस्त्र एवं जूते: यह पर्यावरण की स्थितियों के अनुरूप पहनने योग्य वस्तुओं को सक्षम बनाता है, सैन्य वर्दी और स्पोर्ट्सवियर वेंटिलेशन, रंग को समायोजित कर सकते हैं या गतिशील रूप से उपयुक्त हो सकते हैं।
    • एयरोस्पेस और ऑटोमोटिव: अंतरिक्ष यात्री सूट के लिये नासा के 4D-प्रिंटेड स्मार्ट वस्त्र और प्रभाव-प्रतिरोधी एयरबैग (Impact-Resistant Airbags) और विमान इंजन को शीतल करने के लिये इंटेलीजेंट मटेरियल।

  

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. “क्यूबिट (Qubit)” शब्द का उल्लेख निम्नलिखित में से कौन-से एक प्रसंग में होता है? (2022)

(a) क्लाउड सेवाएँ
(b) क्वांटम संगणन
(c) दृश्य प्रकाश संचार प्रौद्योगिकियाँ
(d) बेतार संचार प्रौद्योगिकियाँ 

उत्तर: (b)


प्रश्न 1. विकास की वर्तमान स्थिति में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence), निम्नलिखित में से किस कार्य को प्रभावी रूप से कर सकती है? (2020)

  1. औद्योगिक इकाइयों में विद्युत की खपत कम करना 
  2.  सार्थक लघु कहानियों और गीतों की रचना 
  3.  रोगों का निदान 
  4.  टेक्स्ट-से-स्पीच (Text-to-Speech) में परिवर्तन 
  5.  विद्युत ऊर्जा का बेतार संचरण

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2, 3 और 5
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (b)


प्रारंभिक परीक्षा

ऋण मैट्रिक्स

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

भारत का घरेलू ऋण जून-2021 से जून 2024 के बीच सकल घरेलू उत्पाद के 36.6% से बढ़कर 42.9% हो गया, जो एक व्यापक आर्थिक बदलाव का संकेतक है और इससे ऋण-से-जीडीपी अनुपात, लोक बनाम निजी ऋण तथा आंतरिक बनाम बाहरी ऋण जैसे प्रमुख ऋण मैट्रिक्स के परीक्षण की आवश्यकता पर प्रकाश पड़ा है। 

प्रमुख ऋण मीट्रिक्स क्या हैं? 

  • ऋण से जीडीपी अनुपात: 
    • यह किसी देश के कुल ऋण और उसके सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का अनुपात है ।
    • यह देश की ऋण चुकाने की क्षमता को दर्शाता है। इसका उच्च अनुपात, राजकोषीय स्थिरता के लिये संभावित जोखिम का संकेतक है जबकि मध्यम अनुपात प्रबंधनीय है यदि आर्थिक विकास की स्थिति मज़बूत है।
    • भारत का संदर्भ: केंद्र सरकार का ऋण-जीडीपी अनुपात वर्ष 2024-25 में 57.1% और वर्ष 2025-26 में 56.1% होने का अनुमान है।
      • सरकार का लक्ष्य वर्ष 2030-31 तक इसे 50 ± 1% तक लाना है।
      • कुल लोक ऋण में राज्य सरकारों की हिस्सेदारी लगभग एक-तिहाई है और वर्ष 2014-15 और 2019-20 के बीच समग्र लोक ऋण में वृद्धि में उनका योगदान 50% से अधिक था। 
  • लोक ऋण:
    • परिचय: लोक ऋण से तात्पर्य सरकार द्वारा अपनी विकासात्मक तथा राजकोषीय आवश्यकताओं के वित्तपोषण हेतु लिये जाने वाले ऋण से है।  
    • इसका भुगतान भारत की संचित निधि से किया जाता है और इसमें आंतरिक तथा बाह्य दोनों प्रकार के ऋण शामिल होते हैं। 
    • संवैधानिक आधार: संविधान के अनुच्छेद 292 के अनुसार, संघ सरकार लोक ऋण को भारत की संचित निधि से देय अनुबंधित देनदारियों के रूप में परिभाषित करती है, जिसे संसद द्वारा विधि बनाकर निर्धारित किया जा सकता है
    • वर्गीकरण
      • भारत की संचित निधि के अंतर्गत ऋण (इसमें सरकारी प्रतिभूतियाँ और ट्रेज़री-बिल जैसे बाज़ार ऋण शामिल हैं)।
      • लोक खाता देयताएँ (जैसे भविष्य निधि, लघु बचत, आदि)।
  • आंतरिक बनाम बाह्य ऋण:
  • आंतरिक ऋण से तात्पर्य देश के अंदर से लिये गए लोक ऋणों (मुख्य रूप से घरेलू स्रोतों जैसे व्यक्तियों, बैंकों और वित्तीय संस्थानों) से है। इसे भारतीय रुपए में दर्शाया जाता है।
    • यह केंद्र के सार्वजनिक ऋण का 93% से अधिक हिस्सा है और इसे विपणन योग्य (सरकारी प्रतिभूतियाँ,ट्रेज़री-बिल) और गैर-विपणन योग्य (विशेष प्रतिभूतियाँ, आदि) में विभाजित किया गया है।.
  • बाह्य ऋण से तात्पर्य अन्य देशों की सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं या विदेशी निवेशकों के प्रति देश के ऋण दायित्वों से है, जो आमतौर पर विदेशी मुद्राओं में अंकित होते हैं।
    • इसमें विदेशी स्रोतों तथा बहुपक्षीय संस्थाओं से प्राप्त ऋण भी शामिल हैं।
    • सितंबर 2024 के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद के मुकाबले बाह्य ऋण का अनुपात 19.4% था।

    भारत में ऋण प्रबंधन से संबंधित प्रमुख प्रावधान: 

    • अनुच्छेद 292 और 293: 
      • अनुच्छेद 292: केंद्र सरकार को संसद द्वारा निर्धारित सीमा के अंदर भारत की संचित निधि की प्रतिभूति पर धन उधार लेने की अनुमति है।
      • अनुच्छेद 293: राज्य सरकारों को केंद्र की पूर्व स्वीकृति से राज्य की संचित निधि की प्रतिभूति पर घरेलू स्तर पर धन उधार लेने का अधिकार है।
    • RBI अधिनियम, 1934: आरबीआई अधिनियम, 1934 के तहत भारतीय रिज़र्व बैंक को केंद्र सरकार की ओर से लोक ऋण का प्रबंधन करने के लिये अधिकृत किया गया है।
    • FRBM अधिनियम, 2003: FRBM अधिनियम, 2003 का उद्देश्य राजकोषीय अनुशासन को संस्थागत बनाना, राजकोषीय घाटे को कम करना तथा घाटे के लिये लक्ष्य निर्धारित करके, पारदर्शिता बढ़ाकर एवं समय पर राजकोषीय रिपोर्टिंग सुनिश्चित करके दीर्घकालिक समष्टि आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करना है। 

    कारक

    लोक ऋण पर प्रभाव

    व्याख्या

    राजकोषीय घाटे में वृद्धि

    वृद्धि

    उच्च राजकोषीय घाटे के कारण राजस्व एवं व्यय के बीच के अंतर को पूरा करने के लिये उधार लेने की आवश्यकता होती है।

    राजस्व में वृद्धि (कर)

    कमी 

    उच्च राजस्व से उधार लेने के साथ लोक ऋण की आवश्यकता कम हो जाती है।

    व्यय में वृद्धि (जैसे, कल्याणकारी योजनाएँ)

    वृद्धि

    सरकारी व्यय में वृद्धि से घाटे के वित्तपोषण के लिये अधिक उधार लेना पड़ता है।

    ब्याज दर में वृद्धि

    वृद्धि

    उच्च ब्याज दरों के कारण ऋण चुकाने की लागत में वृद्धि हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप अधिक उधार लेने से इसकी मात्रा में वृद्धि होती है।

    निजीकरण/परिसंपत्ति बिक्री

    कमी

    परिसंपत्तियों की बिक्री से प्राप्त आय से राजकोषीय घाटा कम हो सकता है और इस प्रकार उधार लेने की आवश्यकता कम हो सकती है। 

    विदेशी उधार

    वृद्धि

    विदेशी स्रोतों से उधार लेने से बाह्य ऋण में वृद्धि होती है।

    मुद्रा अवमूल्यन

    वृद्धि

    अवमूल्यन से विदेशी ऋण के भुगतान की लागत में वृद्धि होने से कुल ऋण में वृद्धि हो जाती है।

      UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

    प्रिलिम्स:

    प्रश्न. निम्नलिखित कथनाें पर विचार कीजिये: (2018)

    1. राजकोषीय दायित्व और बजट प्रबंधन (एफ.आर.बी.एम.) समीक्षा समिति के प्रतिवेदन में सिफारिश की गई है कि वर्ष 2023 तक केन्द्र एवं राज्य सरकारों को मिलाकर ऋण-जी.डी.पी. अनुपात 60% रखा जाए जिसमें केंद्र सरकार के लिये यह 40% तथा राज्य सरकारों के लिये 20% हो। 
    2. राज्य सरकाराें के जी.डी.पी. के 49% की तुलना में केन्द्र सरकार के लिये जी.डी.पी. का 21% घरेलू देयतायें हैं। 
    3. भारत के संविधान के अनुसार यदि किसी राज्य के पास केंद्र सरकार की बकाया देयतायें हैं तो उसे कोई भी ऋण लेने से पहले केंद्र सरकार से सहमति लेना अनिवार्य है।

    उपर्युक्त कथनाें में से कौन-सा/से सही है/हैं?

    (a) केवल 1   
    (b) केवल 2 और 3
    (c) केवल 1 और 3   
    (d) 1, 2 और 3

    उत्तर: (c)


    मुख्य परीक्षा

    भारत द्वारा बांग्लादेश के लिये पारगमन सुविधा का समापन

    स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

    चर्चा में क्यों? 

    भारत ने वर्ष 2020 की पारगमन सुविधा को समाप्त कर दिया, जिसके तहत बांग्लादेशी निर्यात को अपने बंदरगाहों तथा हवाई अड्डों से गुजरने की अनुमति दी गई। यह निर्णय चीन में बांग्लादेश की टिप्पणियों के बाद आया, जिसमें उसने पूर्वोत्तर भारत को 'भूमि से घिरा हुआ' बताया और खुद को इस क्षेत्र के लिये 'महासागर का संरक्षक' बताया, साथ ही पूर्वोत्तर भारत में चीन के प्रभाव के क्रम में स्वयं को एक रणनीतिक प्रवेश द्वार बताया।

    नोट: भारत द्वारा वर्ष 2020 में बांग्लादेश के लिये शुरू की गई पारगमन सुविधा द्वारा बांग्लादेशी निर्यातकों को भूटान, नेपाल और म्यांमार जैसे देशों में वस्तु परिवहन के क्रम में भारतीय भूमि सीमा शुल्क स्टेशनों (LCS) का उपयोग करने की अनुमति दी गई।

    • इस व्यवस्था का उद्देश्य व्यापार प्रवाह को सुव्यवस्थित करना, रसद लागत को कम करना तथा पारगमन लागत एवं समय में कटौती करके बांग्लादेश के रेडीमेड परिधान (RMG) क्षेत्र को लाभ पहुँचाना था।

    भारत द्वारा बांग्लादेश की पारगमन सुविधा को समाप्त क्यों किया गया?

    • उद्योग जगत का विरोध: परिधान निर्यात संवर्द्धन परिषद (AEPC) ने इसे समाप्त करने का समर्थन किया।
      • भारत और बांग्लादेश वैश्विक वस्त्र बाज़ारों में प्रत्यक्ष प्रतिस्पर्द्धी हैं, विशेष रूप से RMG क्षेत्र में (वैश्विक परिधान निर्यात में चीन प्रथम स्थान पर, बांग्लादेश दूसरे स्थान पर तथा भारत छठे स्थान पर है)।
      • भारतीय निर्यातकों ने तर्क दिया कि यह सुविधा बांग्लादेश के पक्ष में है, जिससे भारत की बाज़ार हिस्सेदारी और लॉजिस्टिक्स अवसंरचना को नुकसान होता है।
    • हवाई मार्ग से वस्तु ढुलाई की लागत में वृद्धि: अमेरिका और यूरोप जैसे गंतव्यों के लिये वस्तु ढुलाई दरों में तीव्र वृद्धि से भारत पर बाहरी कार्गो बोझ को कम करने की मांग को बढ़ावा मिला है।
    • चीनी कारक: भारत का यह कदम सिलीगुड़ी कॉरिडोर (चिकन नेक कॉरिडोर) के पास चीन की बढ़ती उपस्थिति पर उसकी रणनीतिक चिंता को दर्शाता है, जहाँ बांग्लादेश ने भारत की पूर्वोत्तर सीमा  के करीब लालमोनिरहाट एयरबेस (Lalmonirhat Airbase) में चीनी निवेश को आमंत्रित किया है।
    • पूर्वोत्तर क्षेत्र, जिसे "सेवेन सिस्टर्स" के नाम से जाना जाता है, संकीर्ण सिलीगुड़ी कॉरिडोर के माध्यम से भारत की मुख्य भूमि से जुड़ा हुआ है। इसकी अंतर्राष्ट्रीय सीमाएँ बांग्लादेश, भूटान, म्याँमार, चीन और नेपाल के साथ लगती हैं, जो इसे भू-राजनीतिक रूप से अत्यधिक संवेदनशील बनाती हैं।

    • निहितार्थ: 
      • बांग्लादेश: वर्ष 2024 में, RMG के नेतृत्व में बांग्लादेश के 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निर्यात क्षेत्र को भारत के कदम के बाद उच्च लागत और विलंब का सामना करना पड़ा, जिससे वस्त्र क्षेत्र में इसकी वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता प्रभावित हुई।
      • भारत: यह निर्णय भारत-बांग्लादेश संबंधों में बढ़ते तनाव को दर्शाता है, विशेष रूप से इसलिये क्योंकि बांग्लादेश चीन के करीब जा रहा है।
        • विशेषज्ञों ने यह भी चेतावनी दी है कि यह कदम विश्व व्यापार संगठन (WTO) के प्रशुल्क एवं व्यापार पर सामान्य समझौते (GATT) के अनुच्छेद V और व्यापार सुविधा समझौते (TFA) के अनुच्छेद 11 के साथ टकराव उत्पन्न कर सकता है, जो स्थल-रुद्ध देशों के लिये पारगमन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करते हैं।

    और पढ़ें: भारत-बांग्लादेश संबंध

    दृष्टि मेन्स प्रश्न:

    प्रश्न: भारत द्वारा बांग्लादेश को पारगमन सुविधा वापस लेने के कारणों की जाँच कीजिये। क्षेत्रीय व्यापार और कनेक्टिविटी पर इसके क्या निहितार्थ हैं?

     

      UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)   

    प्रिलिम्स 

    प्रश्न. तीस्ता नदी के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)

    1. तीस्ता नदी का उद्गम वही है जो ब्रह्मपुत्र का है, लेकिन यह सिक्किम से होकर बहती है।
    2.  रंगीत नदी की उत्पत्ति सिक्किम में होती है और यह तीस्ता नदी की एक सहायक नदी है।
    3.  तीस्ता नदी भारत एवं बांग्लादेश की सीमा पर बंगाल की खाड़ी में जा मिलती है।

    उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

    (a) केवल 1 और 3
    (b) केवल 2
    (c) केवल 2 और 3
    (d) 1, 2 और 3

    उत्तर: (b)


    मेन्स:

    प्रश्न. नियंत्रण रेखा (LoC) सहित म्याँमार, बांग्लादेश और पाकिस्तान की सीमाओं पर आंतरिक सुरक्षा खतरों तथा सीमा पार अपराधों का विश्लेषण कीजिये। इस संबंध में विभिन्न सुरक्षा बलों द्वारा निभाई गई भूमिका पर भी चर्चा कीजिये (2018)


    रैपिड फायर

    WMO द्वारा वर्ष 2024 की सूची से हरिकेन के नाम हटाना

    स्रोत: बिज़नेस लाइन

    विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने वर्ष 2024 में होने वाली अपूरणीय क्षति के कारण चार हरिकेन बेरिल, हेलेन, मिल्टन और जॉन को अपनी अटलांटिक और पूर्वी प्रशांत हरिकेन सूचियों से हटा दिया है, जिससे संबंधित आघात और संवेदनशीलता के कारण उनका पुनः उपयोग अनुपयुक्त हो गया है।

    • बेरिल अब तक का सबसे प्रारंभिक श्रेणी-5 हरिकेन (157 मील प्रति घंटे से अधिक की गति वाली पवनें) बन गया, जिसने कैरीबियाई क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित किया।
    • हेलेन और मिल्टन के कारण संयुक्त राज्य अमेरिका में विनाशकारी क्षति हुई, जबकि जॉन के कारण मैक्सिको में गंभीर बाढ़ आई।
    • WMO ने अटलांटिक में प्रतिस्थापन के रूप में ब्रायना, होली और मिगुएल को और पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में जेक को चुना है। जब तक कि अत्यधिक प्रभाव के कारण उन्हें हटा न दिया जाए, चक्रवातों के नाम प्रत्येक छह वर्ष में प्रयुक्त किये जाते हैं।
    • भारत में चक्रवातों का नामकरण: भारत बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में आने वाले चक्रवातों के लिये एक बार की नामकरण प्रणाली (One-Time Naming System) का उपयोग करता है। 
    • जब वायु की गति 34 नॉट या उससे अधिक हो जाती है, तो चक्रवातों को नाम दे दिया जाता है, तथा इन नामों का कभी भी पुनः उपयोग नहीं किया जाता, भले ही चक्रवात किसी अन्य क्षेत्र में चला जाए।
      • भारतीय मौसम विभाग तटीय देशों की ओर से उष्णकटिबंधीय चक्रवात क्षेत्रीय निकाय के साथ समन्वय में चक्रवातों का नामकरण करता है, जिसमें 13 देश (भारत, बांग्लादेश, मालदीव, म्याँमार, पाकिस्तान, श्रीलंका, ओमान, थाईलैंड, ईरान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन) शामिल हैं।

    और पढ़ें: उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नामों की नई सूची


    रैपिड फायर

    अगस्त्यमलाई बायोस्फीयर रिज़र्व

    स्रोत: द हिंदू

    सर्वोच्च न्यायालय ने गैर-वानिकी गतिविधियों और अतिक्रमण की पहचान करने के उद्देश्य से केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) को अगस्त्यमलाई भू-परिदृश्य का विस्तृत सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया है

    और पढ़ें: अगस्त्यावनम बायोलॉजिकल पार्क


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