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पेरियार टाइगर रिज़र्व से बस्तियों को बाहर करना

  • 31 Dec 2024
  • 2 min read

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL) द्वारा थाट्टेकड़ पक्षी अभयारण्य और पेरियार टाइगर रिज़र्व की एंजेल घाटी और पंबा घाटी बस्तियों का निरीक्षण करने के लिये एक टीम गठित की गई है।

  • एंजेल घाटी और पंबा घाटी बस्तियाँ (पेरियार टाइगर रिज़र्व):
    • केरल में मूकेनपेट्टी कॉजवे और कनमाला पुल के पास स्थित ये बस्तियाँ पूर्व सैनिकों और उनके वंशजों के लिये वर्ष 1947-48 ( द्वितीय विश्व युद्ध के बाद) की 'ग्रो मोर फूड' पहल के तहत बनाई गई थीं।
    • पेरियार टाइगर रिजर्व अपनी जैवविविधता के लिये प्रसिद्ध है, जिसमें बंगाल टाइगर, भारतीय हाथी और विविध वनस्पतियाँ शामिल हैं और इसे वर्ष 2022 में भारत के सबसे अच्छे प्रबंधित टाइगर रिज़र्व के रूप में मान्यता दी गई थी।
    • वन्यजीवों के आक्रमण और वन्य नियमों के कारण निवासियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और 5.02 वर्ग किलोमीटर आवासीय क्षेत्र को गैर-अधिसूचित करने की मांग की जा रही है।
  • थाट्टेकड़ पक्षी अभयारण्य:
    • यह पेरियार नदी पर कोठामंगलम के पास स्थित है और 280 से अधिक पक्षी प्रजातियों का निवास स्थान है।
    • वर्ष 1983 में स्थापित, इसका नाम डॉ. सलीम अली (भारत के प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी और पक्षी संरक्षणवादी) के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने इसे प्रायद्वीपीय भारत में सबसे समृद्ध पक्षी आवास माना था।
    • प्रस्तावित परिवर्तनों में मुन्नार प्रभाग से 897.25 हेक्टेयर आवासीय भूमि को हटाना तथा 1,016.94 हेक्टेयर वन भूमि को जोड़ना शामिल है।

और पढ़ें: भारत में संरक्षित क्षेत्रों का संरक्षण

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