प्रारंभिक परीक्षा
स्वच्छ वायु सर्वेक्षण पुरस्कार 2024
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री एवं राजस्थान के मुख्यमंत्री ने जयपुर में अंतरराष्ट्रीय स्वच्छ वायु नील गगन दिवस (स्वच्छ वायु दिवस) के अवसर पर स्वच्छ वायु सर्वेक्षण पुरस्कार 2024 प्रदान किया।
नोट:
- प्रत्येक वर्ष 7 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छ वायु नील गगन दिवस मनाया जाता है ताकि वायु गुणवत्ता में सुधार के लिये जागरूकता बढ़ाई जा सके और कार्रवाई की जा सके। संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने वर्ष 2019 में इसकी घोषणा की थी।
स्वच्छ वायु सर्वेक्षण पुरस्कार 2024 क्या है?
पुरस्कार के बारे में:
- स्वच्छ वायु सर्वेक्षण पुरस्कार, 2024, जनसंख्या के आधार पर तीन श्रेणियों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राष्ट्रीय स्वच्छ वायु अभियान (NCAP) शहरों को प्रदान किया गया। विजेता शहर हैं:
- श्रेणी-1 (10 लाख से अधिक जनसंख्या): सूरत, जबलपुर और आगरा।
- श्रेणी-2 (3-10 लाख के बीच जनसंख्या): फिरोजाबाद, अमरावती और झाँसी।
- श्रेणी-3 (3 लाख से कम जनसंख्या): रायबरेली, नलगोंडा और नालागढ़।
- विजेता शहरों के नगर आयुक्तों को नकद पुरस्कार, ट्रॉफी और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।
स्वच्छ वायु सर्वेक्षण (SVS):
- परिचय:
- स्वच्छ वायु सर्वेक्षण (SVS) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा 131 गैर-प्राप्ति शहरों में शहर कार्य योजना (NCAP) के तहत अनुमोदित गतिविधियों के कार्यान्वयन और वायु गुणवत्ता के आधार पर शहरों को रैंक करने की एक नई पहल है।
- यदि 5 वर्ष की अवधि में वे लगातार PM10 या NO2 के लिये राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों (NAAQS) को पूरा नहीं करते हैं तो शहरों को गैर-प्राप्ति घोषित किया जाता है।
- शहरों का वर्गीकरण की जनगणना- 2011 के आधार पर किया गया है।
- स्वच्छ वायु सर्वेक्षण (SVS) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा 131 गैर-प्राप्ति शहरों में शहर कार्य योजना (NCAP) के तहत अनुमोदित गतिविधियों के कार्यान्वयन और वायु गुणवत्ता के आधार पर शहरों को रैंक करने की एक नई पहल है।
- मानदंड: शहरों का मूल्यांकन आठ प्रमुख बिंदुओं पर किया गया:
- बायोमास पर नियंत्रण
- नगरपालिका के ठोस अपशिष्ट को जलाना
- सड़क की धूल
- निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट से निकलने वाली धूल
- वाहनों से निकलने वाला उत्सर्जन
- औद्योगिक उत्सर्जन
- सार्वजनिक जागरूकता
- PM10 सांद्रता में सुधार
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु अभियान (National Clean Air Campaign- NCAP)
- परिचय: राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) का उद्देश्य सभी हितधारकों को शामिल करके और आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करके वायु प्रदूषण को व्यवस्थित रूप से नियंत्रित करना है।
- NCAP के तहत शहर-विशिष्ट कार्य योजनाओं के कार्यान्वयन के लिये 131 शहरों की पहचान की गई है।
- लक्ष्य: यह समयबद्ध कमी लक्ष्य के साथ वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिये राष्ट्रीय फ्रेमवर्क तैयार करने का देश का पहला प्रयास है।
- इसका उद्देश्य आधार वर्ष 2017 के साथ आगामी पाँच वर्षों में भारी (व्यास 10 माइक्रोमीटर या उससे कम या PM10 के कण पदार्थ) और महीन कणों (व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम या PM2.5 के कण पदार्थ) के संकेंद्रण में कम-से-कम 20% की कमी लाने का प्रयास करना है।
- निगरानी: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा “PRANA” पोर्टल भी लॉन्च किया गया है।
- NCAP के कार्यान्वयन की निगरानी करना।
- शहरों की कार्ययोजनाओं और कार्यान्वयन की स्थिति की निगरानी करना।
- शहरों द्वारा अपनाई गई सर्वोत्तम प्रथाओं को दूसरों के लिये अनुकरणीय बनाना।
स्वच्छ वायु के संबंध में सरकार की क्या पहल हैं?
- वाहन स्क्रैप नीति
- अपशिष्ट से संपदा अभियान
- ‘एक पेड़ माँ के नाम’ कार्यक्रम
- मिशन लाइफ
- आइडियाज़4लाइफ अभियान
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एन.जी.टी.) किस प्रकार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सी.पी.सी.बी.) से भिन्न है? (2018)
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) |
प्रारंभिक परीक्षा
पेरिस पैरालिंपिक्स गेम्स 2024
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री ने पेरिस पैरालिंपिक गेम्स 2024 में भारत के पैरा-एथलीटों के अब तक के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की सराहना की।
- भारत ने पेरिस पैरालिंपिक गेम्स 2024 में अपना ‘अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन’ करते हुए 7 स्वर्ण, 9 रजत और 13 कांस्य पदक सहित कुल 29 पदक जीते।
पैरालिंपिक के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- पैरालिंपिक दिव्यांग एथलीट के लिये सबसे बड़ा अंतर्राष्ट्रीय आयोजन है, जो यह ओलंपिक खेलों के तुरंत बाद होता है।
- दिव्यांग एथलीट के लिये ओलंपिक शैली के खेल, पहली बार वर्ष 1960 में रोम में आयोजित किये गए थे।
- इसकी देखरेख अंतर्राष्ट्रीय पैरालिंपिक समिति (IPC) द्वारा की जाती है, जो IOC द्वारा मान्यता प्राप्त निकाय है।
- स्थल: 19 जून 2001 को अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) और आईपीसी के बीच "एक बोली, एक शहर" के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे।
- इसका तात्पर्य है कि ओलंपिक खेलों की मेज़बानी करने वाले शहरों को अपने-आप ही पैरालिंपिक को अपनी बोली में शामिल करना होगा।
- पेरिस पैरालिंपिक गेम्स- 2024 के संदर्भ में: पेरिस पैरालिंपिक गेम्स- 2024 का आयोजन 28 अगस्त से 8 सितंबर 2024 के दौरान हुआ। इसमें विश्व भर से लगभग 4,400 एथलीट शामिल हुए।
- खेल अनुशासन: एथलीटों ने 22 खेलों में भाग लिया, जिससे यह एक व्यापक आयोजन बन गया, जिसमें विविध एथलेटिक प्रतिभाओं को प्रदर्शित किया गया।
- शुभंकर: पैरालिंपिक फ्रीज, फ्रीजियन कैप से प्रेरित है, जो पेरिस पैरालिंपिक गेम्स- 2024 का शुभंकर है। यह स्वतंत्रता और स्वाधीनता का प्रतीक है।
- कुल प्रदर्शन: चीन 94 स्वर्ण पदकों के साथ शीर्ष पर रहा। ग्रेट ब्रिटेन 49 स्वर्ण के साथ दूसरे स्थान पर रहा जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका 36 स्वर्ण के साथ तीसरे स्थान पर रहा।
पेरिस पैरालंपिक गेम्स 2024 में भारत का प्रदर्शन कैसा रहा?
- प्रतिनिधिमंडल: भारत ने 84 पैरा-एथलीटों का प्रतिनिधिमंडल भेजा, जो 12 स्पर्द्धाओं (टोक्यो 2021 में 9 स्पर्धाओं) में भाग लेंगे। पैरा साइकिलिंग, पैरा-रोइंग और ब्लाइंड जूडो नए खेल थे।
- प्रदर्शन: भारत ने 7 स्वर्ण, 9 रजत और 13 कांस्य सहित कुल 29 पदक जीते।
- भारत 18वें स्थान पर रहा।
- भारत ने प्रतियोगिता के इतिहास में 50 पदकों की उपलब्धि हासिल की।
- तीव्र सुधार: भारत ने वर्ष 1968 (तेल अवीव, इज़रायल) में अपने पैरालंपिक पदार्पण से लेकर वर्ष 2016 तक कुल 12 पदक जीते, जिनमें वर्ष 2016 के रियो खेलों में जीते गए चार पदक शामिल हैं।
- हालाँकि अगले दो संस्करणों, टोक्यो 2021 और पेरिस 2024 में भारत के प्रदर्शन में उल्लेखनीय सुधार हुआ और उसने 48 पदक प्राप्त किये, अब कुल पदकों की संख्या 60 हो गई।
- भाला फेंक में स्वर्ण: भारत के नवदीप सिंह को पुरुषों की भाला फेंक F41 स्पर्द्धा के फाइनल में स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया, क्योंकि ईरान के बेत सयाह सादेघ को अयोग्य घोषित कर दिया गया था। उन्होंने पहले रजत पदक जीता था।
- यह पुरुषों की भाला फेंक F41 श्रेणी में भारत का पहला स्वर्ण पदक है।
- F41 श्रेणी छोटे कद वाले एथलीटों के लिये एक प्रतिस्पर्द्धा वर्ग है।
- यह पुरुषों की भाला फेंक F41 श्रेणी में भारत का पहला स्वर्ण पदक है।
खेल प्रोत्साहन के लिये सरकार की क्या पहल हैं?
- टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम
- फिट इंडिया मूवमेंट
- खेलो इंडिया
- राष्ट्रीय खेल पुरस्कार योजना
- राष्ट्रीय खेल विकास कोष (NSDF)
और पढ़ें: पेरिस ओलंपिक- 2024 में भारत
प्रारंभिक परीक्षा
राष्ट्रीय ब्लॉकचेन फ्रेमवर्क लॉन्च
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology- MeitY) ने राष्ट्रीय ब्लॉकचेन फ्रेमवर्क (National Blockchain Framework- NBF) लॉन्च किया।
- विश्वस्य-ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी स्टैक, नेशनल ब्लॉकचेन फ्रेमवर्क लाइट (NBFLite), प्रमाणिक और नेशनल ब्लॉकचेन पोर्टल भी लॉन्च किये गए।
राष्ट्रीय ब्लॉकचेन फ्रेमवर्क क्या है?
- परिचय: यह एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जिसका उद्देश्य ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी के साथ डिजिटल शासन को सुरक्षित करना, सार्वजनिक सेवा में पारदर्शिता और विश्वास का वादा करना है।
- अन्य संबंधित लॉन्च:
- विश्वस्य-ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी स्टैक: यह विभिन्न ब्लॉकचेन-आधारित अनुप्रयोगों का समर्थन करने के लिये अभ्कल्पित किये गए भौगोलिक रूप से वितरित बुनियादी ढाँचे के साथ ब्लॉकचेन-एज़-ए-सर्विस प्रदान करता है।
- NBFLite (लाइटवेट ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म): यह एक ब्लॉकचेन सैंडबॉक्स प्लेटफॉर्म है, जिसे विशेष रूप से स्टार्टअप्स और शिक्षाविदों के लिये विकसित किया गया है ताकि ब्लॉकचेन अनुप्रयोगों में तीव्र प्रोटो टाइपिंग, अनुसंधान तथा क्षमता निर्माण को सक्षम किया जा सके।
- प्रमाणिक: यह मोबाइल ऐप की उत्पत्ति को सत्यापित करने के लिये एक अभिनव ब्लॉकचेन-सक्षम समाधान है।
- राष्ट्रीय ब्लॉकचेन पोर्टल: इसे विभिन्न ब्लॉकचेन संसाधनों तक पहुँच और एकीकरण की सुविधा के लिये लॉन्च किया गया था।
- NBF के लाभ:
- सुरक्षा और पारदर्शिता को बढ़ावा देना: NBF का उद्देश्य नागरिक-केंद्रित सेवाएँ प्रदान करने में सुरक्षा, विश्वास तथा पारदर्शिता को बढ़ाना है। यह विश्वसनीय डिजिटल सेवा वितरण प्रदान करने के भारत सरकार के प्रयासों के अनुरूप है।
- ब्लॉकचेन के साथ शासन में परिवर्तन: MeitY ने विभिन्न राज्यों और विभागों में NBF के अनुप्रयोगों को बढ़ाने व ढाँचे में एकीकृत किये जाने वाले नए अनुप्रयोगों एवं प्लेटफार्मों की खोज करने का आह्वान किया।
- अनुसंधान एवं विकास चुनौतियों का समाधान: MeitY ने बताया कि NBF को कई चुनौतियों से निपटने के लिये विकसित किया गया है, जिनमें शामिल हैं:
- ब्लॉकचेन-आधारित अनुप्रयोगों के निर्माण के लिये कुशल जनशक्ति की आवश्यकता।
- सुरक्षा, पारस्परिकता और प्रदर्शन से संबंधित अनुसंधान चुनौतियाँ।
विश्वस्य-ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी स्टैक के घटक क्या हैं?
- वितरित अवसंरचना: इसे भौगोलिक रूप से वितरित NIC डेटा केंद्रों (भुवनेश्वर, पुणे, हैदराबाद) पर होस्ट किया गया है।
- कोर फ्रेमवर्क कार्यक्षमता: यह मौलिक ब्लॉकचेन संचालन और सेवाएँ प्रदान करता है।
- स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स और API गेटवे: यह स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स और एप्लिकेशन इंटरफेस के निर्माण एवं प्रबंधन की सुविधा प्रदान करता है।
- सुरक्षा, गोपनीयता और पारस्परिकता: यह प्लेटफार्मों पर डेटा अखंडता और सुरक्षित संचार बनाए रखने पर केंद्रित है।
- अनुप्रयोग विकास BaaS की पेशकश: यह BaaS मॉडल के साथ ब्लॉकचेन अनुप्रयोगों के विकास और परिनियोजन का समर्थन करता है।
ब्लॉकचेन-एज़-ए-सर्विस (Blockchain as a Service- BaaS) क्या है?
- परिचय: ब्लॉकचेन-एज़-ए-सर्विस (BaaS) का तात्पर्य ब्लॉकचेन ऐप्स का निर्माण और संचालन करने वाली कंपनियों के लिये तीसरे पक्ष के क्लाउड-आधारित बुनियादी ढाँचे व प्रबंधन से है।
- BaaS के लाभ:
- परिचालन तीव्रता और मापनीयता: BaaS यह सुनिश्चित करता है कि ब्लॉकचेन अवसंरचना लचीली और मापनीय हो ताकि उभरते हुए अनुप्रयोग तथा उपयोगकर्ता की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।
- कार्य का सरलीकरण: कंपनियाँ जटिल अवसंरचना का प्रबंधन किये बिना ब्लॉकचेन ऐप को तेज़ी से बनाने और तैनात करने के लिये BaaS प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग कर सकती हैं।
- लागत बचत: यह लागत-प्रभावी और कुशल ब्लॉकचेन उपयोग को सक्षम बनाता है, सुरक्षित तथा पारदर्शी नवाचार एवं सेवा सुधार को बढ़ावा देता है।
- मापनीयता और परिचालन चपलता:: BaaS यह सुनिश्चित करता है कि ब्लॉकचेन का बुनियादी ढाँचा लचीला और स्केलेबल हो ताकि उभरते हुए अनुप्रयोग एवं उपयोगकर्ता की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।
और पढ़ें: ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न. ‘‘ब्लॉकचेन तकनीकी’’ के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये- (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) प्रश्न. भारत में ‘‘पब्लिक की इंफ्रास्ट्रक्चर’’ (Public Key Infrastructure) पदबंध किसके प्रसंग में प्रयुक्त किया जाता है? (2020) (a) डिजिटल सुरक्षा आधारभूत संरचना उत्तर: (a) प्रश्न. कभी-कभी समाचारों में आने वाले 'बिटकॉइन्स (Bitcoins)' के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2016)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) |
प्रारंभिक परीक्षा
शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में उत्तर प्रदेश में एक भूखंड, जो पहले पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति के परिवार के स्वामित्व में था, शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 (Enemy Property Act, 1968) के तहत नीलाम होने वाला है। यह घटनाक्रम भारत में शत्रु संपत्तियों के प्रबंधन और समाधान के बारे में चल रही चर्चाओं पर प्रकाश डालता है।
शत्रु संपत्ति अधिनियम क्या है?
- अधिनियमन: शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद "शत्रु विदेशी" या "शत्रु विषय" के रूप में वर्गीकृत व्यक्तियों के स्वामित्व वाली संपत्तियों को विनियमित करने के लिये अधिनियमित किया गया था।
- शत्रु संपत्ति की परिभाषा: इसका तात्पर्य उन व्यक्तियों या संस्थाओं द्वारा छोड़ी गई संपत्तियों से है, जो वर्ष 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्धों और 1962 के चीन-भारत युद्ध जैसे संघर्षों के बाद दुश्मन देशों (पाकिस्तान और चीन) में चले गए थे।
- इन संपत्तियों को शुरू में भारत रक्षा नियम, 1962 के तहत अधिग्रहित किया गया था, जो कि भारत रक्षा अधिनियम, 1962 के तहत अधिनियमित किये गए थे और गृह मंत्रालय के तहत एक विभाग भारत के शत्रु संपत्ति संरक्षक (CEPI) के पास निहित थे।
- भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ष 1966 के ताशकंद घोषणापत्र में ऐसी संपत्तियों की वापसी के बारे में चर्चा शामिल थी, लेकिन पाकिस्तान ने वर्ष 1971 में इन संपत्तियों का निपटान कर दिया।
- भारत ने शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 के तहत इन संपत्तियों पर अपना कब्ज़ा जारी रखा।
- यह अधिनियम सरकार को ऐसी संपत्तियों की अभिरक्षा और प्रबंधन का अधिकार देता है, ताकि राष्ट्रीय हितों के विरुद्ध उनका उपयोग रोका जा सके।
- संशोधन: शत्रु संपत्ति (संशोधन और विधिमान्यकरण) विधेयक, 2016 को संसद द्वारा 2017 में पारित किया गया, जिसमें 1968 अधिनियम और 1971 सरकारी स्थान (अप्राधिकृत अधिभोगियों की बेदखली) अधिनियम को संशोधित किया गया।
- इसने "शत्रु विषय" और "शत्रु फर्म" की परिभाषाओं को व्यापक बनाते हुए, इसमें शत्रु के कानूनी उत्तराधिकारी और उत्तराधिकारी को शामिल किया है, चाहे वह भारत का नागरिक हो या किसी गैर-शत्रु देश का नागरिक हो, साथ ही शत्रु फर्म की उत्तराधिकारी फर्म को भी शामिल किया है, भले ही उसके सदस्यों या भागीदारों की राष्ट्रीयता कुछ भी हो।
- वर्ष 2017 के संशोधन में स्पष्ट किया गया कि शत्रु संपत्ति सरकार के नियंत्रण में रहेगी, भले ही मूल शत्रु की स्थिति बदल जाए।
- प्रमुख कानूनी मिसालें:
- भारत संघ बनाम राजा मोहम्मद आमिर मोहम्मद खान मामला, 2005: महमूदाबाद के राजा के पास उत्तर प्रदेश में संपत्ति थी। विभाजन के बाद वे वर्ष 1957 में पाकिस्तान चले गए और पाकिस्तानी नागरिकता प्राप्त कर ली, जिसके कारण उनकी संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया।
- उनकी पत्नी और पुत्र भारतीय नागरिक के रूप में भारत में ही रहे और राजा की मृत्यु के बाद उनके पुत्र ने उनकी सम्पत्तियों पर अपना दावा पेश किया तथा उन्हें शत्रु सम्पत्ति के रूप में वर्गीकृत किये जाने को चुनौती दी।
- भारत के सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court- SC) ने माना कि चूंकि पुत्र भारतीय नागरिक है, इसलिये वह अपने पिता की संपत्ति वापस पाने का हकदार है। संपत्ति को शत्रु संपत्ति नहीं माना जा सकता क्योंकि असली वारिस भारत का नागरिक है।
- प्रभाव: सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद पाकिस्तान चले गए लोगों के रिश्तेदारों ने कई दावे किये। जवाब में, सरकार ने अदालतों को शत्रु संपत्तियों की वापसी का आदेश देने से रोकने के लिये अध्यादेश जारी किये और अंततः वर्ष 2017 में शत्रु संपत्ति (संशोधन और मान्यता) अधिनियम पारित किया।
- लखनऊ नगर निगम एवं अन्य बनाम कोहली ब्रदर्स कलर लैब प्राइवेट लिमिटेड एवं अन्य मामला, 2024: सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि शत्रु संपत्ति को कस्टोडियन में निहित करना अस्थायी है। भारत संघ स्वामित्व का दावा नहीं कर सकता, क्योंकि मूल मालिक से कस्टोडियन को स्वामित्व का कोई हस्तांतरण नहीं होता है, और इस प्रकार सरकार को कोई स्वामित्व अधिकार हस्तांतरित नहीं होता है।
- भारत संघ बनाम राजा मोहम्मद आमिर मोहम्मद खान मामला, 2005: महमूदाबाद के राजा के पास उत्तर प्रदेश में संपत्ति थी। विभाजन के बाद वे वर्ष 1957 में पाकिस्तान चले गए और पाकिस्तानी नागरिकता प्राप्त कर ली, जिसके कारण उनकी संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया।
सरकारी स्थान (अप्राधिकृत अधिभोगियों की बेदखली) अधिनियम, 1971
- इसे आम तौर पर सार्वजनिक परिसर अधिनियम के रूप में जाना जाता है और इसे सार्वजनिक संपत्ति पर अनधिकृत कब्ज़े के मुद्दे को हल करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- सरकारी स्थान की परिभाषा: अधिनियम की धारा 2(e) के तहत, ‘सरकारी स्थान’ में शामिल हैं:
- केंद्र सरकार से संबंधित या पट्टे पर दी गई संपत्तियाँ।
- संसद के किसी भी सदन के सचिवालय के नियंत्रण में परिसर।
- केंद्र सरकार की महत्त्वपूर्ण शेयरधारिता वाली कंपनियों, केंद्रीय अधिनियमों द्वारा स्थापित निगमों, विश्वविद्यालयों और प्रौद्योगिकी संस्थानों द्वारा नियंत्रित संपत्तियाँ।
- अधिभोगियों और भू-स्वामियों के लिये निहितार्थ:
- अप्राधिकृत अधिभोगी: अधिनियम बेदखली के लिये एक कठोर तंत्र प्रदान करता है, जो कानूनी सहारे के लिये सीमित अवसर प्रदान करता है। न्यायालय लगातार इस सिद्धांत को कायम रखते हैं कि सरकारी स्थान उनके इच्छित उपयोग के लिये उपलब्ध होना चाहिये और अप्राधिकृत कब्ज़ा इस उद्देश्य को कमज़ोर करता है।
- भू-स्वामी (सरकारी निकाय/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम): यह अधिनियम कब्ज़े वाली संपत्तियों की पुनः प्राप्त करने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करता है। हालाँकि, अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिएक कि बेदखली की प्रक्रिया निष्पक्ष और उचित हो, तथा प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किया जाए। न्यायिक व्याख्याएँ इस बात पर बल देती हैं कि यद्यपि एस्टेट अधिकारियों के पास पर्याप्त शक्तियाँ हैं, इनका प्रयोग विवेकपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिये।
रैपिड फायर
अमेज़न वर्षावन
स्रोत: NYT
वैज्ञानिक अमेज़न वर्षावनों (Amazon Rainforests) का अध्ययन कर रहे हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि वन किस हद तक कार्बन डाइऑक्साइड को रोकते और उसमें भारी मात्रा में कार्बन जमा करते हैं।
- एक नए अध्ययन में पाया गया है कि अमेज़न क्षेत्र के लगभग आधे कार्बन का हिस्सा इसकी लगभग 2% प्रजातियों में समाहित है। ये प्रजातियाँ प्रायः विशाल कठोर लकड़ी के पेड़ हैं, जो जलवायु परिवर्तन (और अवैध कटाई) के लिये सबसे अधिक संवेदनशील हो सकते हैं।
- टिपिंग प्वाइंट: अमेज़न वर्षावन को उन नौ जलवायु टिपिंग प्वाइंटों में से एक माना जाता है, जो वैश्विक जलवायु प्रणाली को एक नई स्थिति में ले जा सकते हैं।
- यदि यह एक महत्त्वपूर्ण बिंदु को पार कर जाता है, तो कार्बन के लिये वैश्विक सिंक अमेज़न, भारी मात्रा में कार्बन छोड़ सकता है, जिससे जलवायु परिवर्तन में तेज़ी आएगी।
- चिंताएँ: वनों की कटाई और बार-बार लगने वाली वनाग्नि से वन CO2 के स्रोत में बदल सकते हैं।
- 1970 और 1980 के दशक में ब्राज़ील ने मवेशी पालन तथा कृषि के लिये बड़े पैमाने पर वनों का रूपांतरण शुरू किया।
- वर्ष 2013 के बाद से वनाग्नि की घटनाएँ दोगुनी हो गयी हैं।
- अमेज़न वनों का महत्त्व:
- जैवविविधता: अमेज़न के वन विश्व की लगभग पाँचवीं स्थलीय प्रजातियों का घर हैं और सभी वन्यजीव प्रजातियों के 10% का भी आवास हैं।
- जल चक्र: अमेज़न के वृक्ष प्रतिदिन 20 अरब टन पानी वायुमंडल में छोड़ते हैं।
- कार्बन सिंक: अमेज़न वर्षावन में 150-200 बिलियन टन कार्बन संग्रहित है।
और पढ़ें: अमेज़न वर्षावन
रैपिड फायर
अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2024
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में भारत के उपराष्ट्रपति ने नई दिल्ली में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस (ILD) 2024 समारोह में साक्षरता की परिवर्तनकारी शक्ति पर ज़ोर दिया साथ ही शिक्षा को बढ़ाने और भाषायी विविधता के लिये राष्ट्रव्यापी प्रतिबद्धता का आग्रह किया।
- उपराष्ट्रपति ने युवाओं को सशक्त बनाने और भाषायी विविधता को मान्यता देने की इसकी क्षमता के लिये राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 की प्रशंसा की। कार्यक्रम के दौरान साक्षरता अंतराल को कम करने की दिशा में दूरस्थ क्षेत्रों में शिक्षार्थियों तक पहुँचने के लिये ULLAS (समाज में सभी के लिये आजीवन सीखने की समझ) DTH चैनल की शुरुआत की गई।
- ILD की शुरुआत तेहरान, ईरान में निरक्षरता के उन्मूलन पर शिक्षा मंत्रियों के विश्व सम्मेलन-1965, जिसने वैश्विक स्तर पर साक्षरता को बढ़ावा देने के लिये समर्पित एक दिन के विचार को जन्म दिया, के आधार पर की गई थी।
- यूनेस्को ने वर्ष 1967 में अपने 14वें आम सम्मेलन के दौरान औपचारिक रूप से 8 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के रूप में घोषित किया था और विश्व ने उस वर्ष पहली बार इस विशेष दिन को मनाया, जो एक महत्त्वपूर्ण वैश्विक अनुसरण की शुरुआत थी।
- अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस- 2024 की थीम: ‘Promoting multilingual education: Literacy for mutual understanding and peace.’ अर्थात् ‘बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देना: आपसी समझ और शांति के लिये साक्षरता।’
- भारत में साक्षरता से संबंधित प्रमुख पहल:
रैपिड फायर
अग्नि-4 मिसाइल
स्रोत: पी.आई.बी
अग्नि-4 मिसाइल को ओडिशा के चाँदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया।
- इस प्रक्षेपण ने सभी परिचालन और तकनीकी मापदंडों को सफलतापूर्वक सत्यापित किया। यह प्रक्षेपण सामरिक बल कमान (SFC) के तत्वावधान में आयोजित किया गया था।
- अग्नि-4 DRDO द्वारा विकसित मध्यम से अंतरमहाद्वीपीय दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों की अग्नि शृंखला में चौथी मिसाइल है।
- यह नाम संस्कृत शब्द 'अग्नि' से आया है जिसका अर्थ है 'आग' और यह प्रकृति के पाँच तत्त्वों में से एक का प्रतिनिधित्व करता है।
- अग्नि-4 एक मध्यम दूरी की बैलिस्टिक और सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है, जिसे ज़मीन या समुद्र से प्रक्षेपित करके ज़मीन या समुद्र पर स्थित लक्ष्यों को भेदने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- अग्नि-4 मिसाइल की मारक क्षमता 4,000 किलोमीटर है, इसकी लंबाई 20 मीटर है तथा यह 1,000 किलोग्राम का पेलोड ले जा सकती है।
- SFC भारत के परमाणु कमान प्राधिकरण (NCA) का हिस्सा है। यह देश के सामरिक और रणनीतिक परमाणु हथियारों के भंडार के प्रबंधन व प्रशासन के लिये ज़िम्मेदार है।
- NCA दो भागों से बना है: प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली राजनीतिक परिषद, जो परमाणु हथियारों का उपयोग करने का अधिकार रखने वाली एकमात्र संस्था है तथा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की अध्यक्षता वाली कार्यकारी परिषद, जो निर्णय लेने के लिये सुझाव प्रदान करती है तथा राजनीतिक परिषद के निर्देशों का क्रियान्वयन करती है।
और पढ़ें: मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल टेक्नोलॉजी
रैपिड फायर
जल संचय जन भागीदारी पहल
स्रोत: पी.आई.बी
हाल ही में प्रधानमंत्री ने सूरत गुजरात से ‘जल संचय, जन भागीदारी’ पहल की शुरुआत की।
- जल संरक्षण पर केंद्रित इस पहल का लक्ष्य गुजरात में लगभग 24,800 वर्षाजल संचयन संरचनाओं का निर्माण कराना है।
- यह पहल “समग्र समाज और समग्र सरकार” दृष्टिकोण पर आधारित है, जो जल प्रबंधन में सामुदायिक भागीदारी एवं सरकारी समन्वय के महत्त्व पर प्रकाश डालती है।
- भारत में जल संकट: विश्व की 18% जनसंख्या भारत में रहती है, लेकिन यहाँ जल संसाधन की उपलब्धता केवल 4% ही है।
- 700 में से 256 ज़िलों में भूजल का स्तर ‘गंभीर’ या ‘अत्यधिक दोहन’ वाला बताया गया है।
- ग्रामीण महिलाओं को प्रायः जल स्रोत तक पहुँचने के लिये 2.5 किलोमीटर से भी अधिक पैदल चलना पड़ता है।
- 163 मिलियन भारतीयों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध नहीं है। 21% संक्रामक रोग असुरक्षित जल से ही संबद्ध होते हैं।
- अन्य जल संरक्षण पहल:
- जल जीवन मिशन (JJM): JJM के तहत पाइप जल कनेक्शन को 3 करोड़ से बढ़ाकर 15 करोड़ से अधिक घरों तक पहुँचाया गया, जिससे देश की 75% से अधिक ग्रामीण जनसंख्या को लाभ मिला।
- अमृत सरोवर निर्माण: 60,000 से अधिक अमृत सरोवरों (जल निकायों) का निर्माण किया गया है, जिससे जल भंडारण और प्रबंधन में वृद्धि हुई है।
- कैच द रेन अभियान: यह राज्यों और अन्य हितधारकों को वर्षा जल संचयन संरचनाएँ (RWHS) बनाने के लिये प्रोत्साहित करता है।
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