प्रारंभिक परीक्षा
वायु प्रदूषण को कम करने में धूल निरोधकों की भूमिका
- 25 Oct 2023
- 6 min read
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में विशेष रूप से दिल्ली जैसे शहरों में जहाँ वायु प्रदूषण एक गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है, धूल से संबंधित प्रदूषण को कम करने के संभावित समाधान के रूप में धूल निरोधकों ने ध्यान आकर्षित किया है।
धूल निरोधक:
- परिचय:
- धूल निरोधक सामान्यतः कैल्शियम या मैग्नीशियम लवण से बने होते हैं, जिन्हें जल में मिलाया जाता है और फिर सड़कों पर छिड़का जाता है।
- यह मिश्रण प्रभावी ढंग से धूल को नियंत्रित करता है, जिससे वायु में धूल के कणों से लंबे समय तक राहत मिलती है।
- प्रभावकारिता:
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अध्ययन से संकेत मिलता है कि जल के साथ मिश्रित होने पर धूल निरोधकों का उपयोग जल के छिड़काव जैसे पारंपरिक तरीकों की तुलना में प्रदूषण को नियंत्रित करने में अधिक प्रभावी होता है।
- इस अध्ययन में डस्ट सप्रेसेंट (विशेष रासायनिक घोल) के उपयोग के बाद निर्माण स्थलों और सड़कों पर धूल के जमाव (PM10, PM2.5 तथा PM1 कणों सहित) में 30% तक की कमी देखी गई।
- वर्ष 2019 में CPCB ने खुदाई की गई पृथ्वी की सतहों, निर्माण एवं विध्वंस हुए कचरे के ढेरों और निर्माण क्षेत्रों तक पहुँचने वाली सड़कों पर डस्ट सप्रेसेंट के उपयोग की सिफारिश की।
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अध्ययन से संकेत मिलता है कि जल के साथ मिश्रित होने पर धूल निरोधकों का उपयोग जल के छिड़काव जैसे पारंपरिक तरीकों की तुलना में प्रदूषण को नियंत्रित करने में अधिक प्रभावी होता है।
नोट: वायु प्रदूषण पृथ्वी के वायुमंडल में प्राकृतिक एवं मानव निर्मित स्रोतों से उत्पन्न होने वाले हानिकारक पदार्थों की उपस्थिति है, जो वायु की गुणवत्ता, मानव स्वास्थ्य और समग्र पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।
वायु प्रदूषण के नियंत्रण हेतु हालिया तकनीकी हस्तक्षेप:
- प्रदूषण में कमी के लिये आयनीकरण तकनीक: इस तकनीक का उद्देश्य विशिष्ट क्षेत्रों में वायु की गुणवत्ता को बेहतर करते हुए, आयनीकरण प्रक्रियाओं के माध्यम से प्रदूषकों को निष्प्रभावी करना है।
- पवन संवर्द्धन और वायु शुद्धिकरण इकाई (WAYU): वायु प्रदूषण से निपटान हेतु इसे औद्योगिक परिसर, आवासीय परिसरों और यातायात सड़क चौराहे/डिवाइडर के आसपास के स्कूलों में स्थापित किया जा सकता है।
- यह उपकरण दो सिद्धांतों, वायु प्रदूषकों को कम करने तथा सक्रिय प्रदूषकों को हटाने, के लिये पवनोत्पादन पर काम करता है।
- मध्यम/वृहत पैमाने के स्मॉग टावर्स: ये टावर्स बड़े पैमाने पर पार्टिकुलेट मैटर और प्रदूषकों की कमी को लक्षित करने वाले वायु शोधक हैं।
- वायु गुणवत्ता निगरानी के लिये स्वदेशी फोटोनिक प्रणाली: विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा न्यूनतम समय में दूरस्थ वायु गुणवत्ता की निगरानी के लिये एक स्वदेशी फोटोनिक प्रणाली को विकसित किया जा रहा है, जिससे सूचित प्रदूषण प्रबंधन हेतु डेटा सटीकता में सुधार होगा।
वायु प्रदूषण से निपटने के लिये सरकार की पहल:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. हमारे देश के शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index) का परिकलन करने में साधारणतया निम्नलिखित वायुमंडलीय गैसों में से किनको विचार में लिया जाता है? (2016)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न.विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा हाल ही में जारी किये गए संशोधित वैश्विक वायु गुणवत्ता दिशानिर्देशों (AQGs) के मुख्य बिंदुओं का वर्णन कीजिये। विगत 2005 के अद्यतन से,यह किस प्रकार भिन्न हैं? इन संशोधित मानकों को प्राप्त करने के लिये, भारत के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में किन परिवर्तनों की आवश्यकता है? (2021) |