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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 07 Jun, 2024
  • 20 min read
प्रारंभिक परीक्षा

4 अरब वर्ष पूर्व भी पृथ्वी पर जीवन

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

हाल ही में प्राचीन चट्टानों और खनिजों के विश्लेषण से पता चला है कि पृथ्वी के निर्माण के लगभग 600 मिलियन वर्ष बाद जीवन के लिये आवश्यक परिस्थितियाँ मौजूद थीं अर्थात 4 अरब वर्ष पूर्व भी यहाँ स्वच्छ जल और शुष्क भूमि मौजूद थी।

हाल ही में हुए अध्ययन की मुख्य बातें क्या हैं?

  • जल चक्र और जीवन का उद्भव: स्वच्छ जल और भूमि के बीच की अंतःक्रिया, जिसे जल चक्र भी कहा जाता है, ने संभवतः जीवन के लिये अनुकूल परिस्थितियाँ उत्पन्न की होंगी।
    • जीवाश्म साक्ष्यों के आधार पर पहले यह माना जाता था कि यह अंतःक्रिया लगभग 3.5 अरब वर्ष पूर्व शुरू हुई थी।
    • प्राचीन चट्टानों में ऑक्सीजन समस्थानिकों के अध्ययन से पृथ्वी के जल चक्र की उत्पत्ति का पता चलता है।
      • इसमें बताया गया है कि स्वच्छ जल और भूमि का परस्पर संपर्क पृथ्वी की सतह से कई किलोमीटर नीचे हुआ था, जिससे इस सिद्धांत को चुनौती मिलती है कि चार अरब वर्ष पूर्व पृथ्वी पूरी तरह से समुद्र से ढकी हुई थी।
  • प्रारंभिक जीवन पर प्रभाव: इन निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि जीवन के फलने-फूलने के लिये आवश्यक अनुकूल परिस्थितियाँ पृथ्वी पर बहुत पहले से मौजूद थीं।

पृथ्वी की उत्पत्ति से संबंधित मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • पृथ्वी की आयु: यद्यपि पृथ्वी की आयु लगभग 4.5 अरब वर्ष अनुमानित है, अध्ययन द्वारा पता चलता है कि पृथ्वी पर स्वच्छ जल और शुष्क भूमि 4 अरब वर्ष पूर्व भी मौजूद थी।
  • पृथ्वी की उत्पत्ति से संबंधित सिद्धांत:
    • नेबुलर परिकल्पना: यह इमैनुअल कांट (Immanuel Kant) द्वारा दी गई थी और लाप्लास (Laplace) द्वारा संशोधित की गई थी।

      • इसमें माना गया कि ये ग्रह सूर्य से जुड़े  एक पदार्थ के बादल द्वारा निर्मित हैं, जो धीरे-धीरे घूर्णन कर रहा था।
    • वर्ष 1950 में रूस में ओटो श्मिट (Otto Schmidt) और जर्मनी में कार्ल वेइज़ास्कर ने नेबुलर परिकल्पना को संशोधित किया।
    • 1950 में रूस में ओटो श्मिट और जर्मनी में कार्ल वेइज़ास्कर ने नेबुलर परिकल्पना को संशोधित किया।
      • उनका मानना ​​था कि सूर्य एक सौर नेबुला से घिरा हुआ है जिसमें अधिकांशतः हाइड्रोजन, हीलियम और धूल के कण मौजूद हैं।
      • कणों के घर्षण और टकराव के कारण डिस्क के आकार के बादल का निर्माण हुआ तथा अभिवृद्धि की प्रक्रिया के माध्यम से ग्रहों का निर्माण हुआ।
    • बिग बैंग सिद्धांत:  इसे एडविन हब्बल ने 1920 में प्रस्तुत किया था। यह सिद्धांत कहता है कि ब्रह्मांड एक बिंदु के रूप में शुरू हुआ, फिर अपने वर्तमान आकार तक पहुँचने के लिये विस्तार और संकुचन की प्रक्रिया से गुजरा।

  • पृथ्वी का विकास:
    • स्थलमंडल का निर्माण: प्रारंभ में पृथ्वी बहुत गर्म और अस्थिर थी। जैसे-जैसे यह शीतल होती गई, लोहे जैसे भारी तत्त्व केंद्र की ओर विस्थापित हो गए, जबकि हल्के पदार्थ सतह पर आ गए, जिससे क्रस्ट का निर्माण हुआ।
    • पृथ्वी के वायुमंडल का विकास तीन चरणों में हुआ:
      • प्रथम, आदिम वातावरण का विनाश।
      • दूसरा, पृथ्वी के गर्म आंतरिक भाग ने वायुमंडल के विकास में योगदान दिया। जिस प्रक्रिया के ज़रिये गैसों को आंतरिक भाग से बाहर निकाला जाता है, उसे डीगैसिंग (Degassing) कहते हैं।
      • अंततः, जीवित प्राणियों द्वारा प्रकाश संश्लेषण और ज्वालामुखी गतिविधि की प्रक्रिया के फलस्वरूप वायुमंडल संशोधित हुआ।
    • जलमंडल का विकास: महासागरों का निर्माण तब हुआ जब पृथ्वी के शीतल होने के कारण वायुमंडल में संघनित जलवाष्प से पृथ्वी के गर्त वर्षा के जल से भर गए।
    • जैविक प्रक्रियाओं का वायुमंडल पर प्रभाव: प्रकाश संश्लेषण द्वारा ऑक्सीजन को वायुमंडल में प्रवाहित किया गया, जिससे ऑक्सीजन पर निर्भर जीवों के लिये अधिकाधिक परिष्कृत रूप से विकसित होने का द्वार खुल गया।
    • जीवन की उत्पत्ति: यह एक प्रकार की रासायनिक प्रतिक्रिया थी, जिसने पहले जटिल कार्बनिक अणुओं को उत्पन्न किया और उन्हें एकत्रित किया।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न: 

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा/से युग्म सही सुमेलित है/हैं? (2008)

सिद्धांत/कानून से संबंधित वैज्ञानिक
1. महाद्वीपीय प्रवाह एडविन हबल
2. ब्रह्मांड का विस्तार अल्फ्रेड वेगेनर
3. प्रकाश विद्युत प्रभाव अल्बर्ट आइंस्टीन

 नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 2 और 3 
(b) केवल 3
(c) केवल 2 
(d) केवल 1

उत्तर: (b)


प्रारंभिक परीक्षा

QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2025

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

हाल ही में 2025 के लिये नवीनतम QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग जारी की गई, जिसमें भारतीय विश्वविद्यालयों की वैश्विक स्थिति में महत्त्वपूर्ण सुधार देखा गया।

रैंकिंग की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • परिचय:
    • QS (क्वाक्वेरेली साइमंड्स- एक वैश्विक उच्च शिक्षा विश्लेषक और सेवा प्रदाता) वैश्विक उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिये बेजोड़ डेटा, विशेषज्ञता एवं समाधान प्रदान करता है।
    • 2025 QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग के संकलन के लिये QS ने 17 मिलियन शोध पत्रों, 176 मिलियन उद्धरणों, विश्व भर के 5,600 संस्थानों के डेटा और 175,798 शिक्षाविदों तथा 105,476 नियोक्ताओं से प्राप्त अंतर्दृष्टि का विश्लेषण करने का दावा किया है।
  • शीर्ष वैश्विक संस्थान:
    • मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT): लगातार 13वें वर्ष विश्व स्तर पर सर्वश्रेष्ठ संस्थान के रूप में अपना स्थान बरकरार रखा।
    • इंपीरियल कॉलेज लंदन: छठे स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचा।
    • हार्वर्ड विश्वविद्यालय और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय: संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर।
  • क्षेत्रीय आकर्षण:
    • ETH ज़्यूरिख़: 17वें वर्ष भी महाद्वीपीय यूरोप में शीर्ष संस्थान बना हुआ है।
    • नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर (NUS) अपना आठवाँ स्थान बरकरार रखते हुए एशिया में एक प्रमुख संस्थान बना हुआ है।
  • भारत की स्थिति:
    • रैंकिंग के इस संस्करण में, 46 विश्वविद्यालयों के साथ, भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली विश्व स्तर पर सातवें स्थान पर है और एशिया में तीसरे स्थान पर है, जो केवल जापान (49 विश्वविद्यालय) और चीन (71 विश्वविद्यालय) से पीछे है।
    • 61% भारतीय विश्वविद्यालयों की रैंकिंग में सुधार हुआ है, जिसमें IIT बॉम्बे को भारत में शीर्ष स्थान प्राप्त हुआ है।
    • इस बार कुल 61% भारतीय विश्वविद्यालयों की रैंकिंग में सुधार हुआ है, जबकि 24% ने अपना स्थान बरकरार रखा है।
    • शोध एवं सहयोग:
      • प्रति संकाय उद्धरण: इस संबंध में भारत का प्रदर्शन मज़बूत है, जिसका स्कोर 37.8 है, जो वैश्विक औसत 23.5 से अधिक है।
        • यह एशिया में मौजूद ऐसे देशों जहाँ 10 से अधिक रैंक प्राप्त करने वाले विश्वविद्यालय हैं, दूसरे स्थान पर है।
      • हालाँकि, भारत अंतर्राष्ट्रीय संकाय अनुपात और अंतर्राष्ट्रीय छात्र अनुपात संकेतकों में पीछे है, जो अधिक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं आदान-प्रदान की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
    • शीर्ष भारतीय संस्थान:
      • IIT बॉम्बे: भारत में अग्रणी, IITबॉम्बे 2024 में 149वें स्थान से 2025 में 118वें स्थान पर पहुँच गया। 
      • IIT दिल्ली: भारत में दूसरा स्थान प्राप्त किया, 197वें स्थान से 47 पायदान नीचे 150वें स्थान पर पहुँचा। 
      • IIT इंदौर: एकमात्र भारतीय संस्थान रहा जिसकी रैंकिंग में गिरावट आई और यह 454वें स्थान से गिरकर 477वें स्थान पर आ गया। 
      • नई प्रविष्टियाँ: सिंबायोसिस इंटरनेशनल (Symbiosis International) (डीम्ड यूनिवर्सिटी- Deemed University) शीर्ष 20 यूनिवर्सिटीज़ में शामिल हुई तथा वैश्विक स्तर पर इसकी रैंकिंग 641-650 के बीच है।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारतीय संविधान के निम्नलिखित में से कौन-से प्रावधान शिक्षा पर प्रभाव डालते हैं? (2012)

  1. राज्य की नीति के निदेशक तत्त्व 
  2. ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकाय
  3. पंचम अनुसूची
  4. षष्ठ अनुसूची
  5. सप्तम अनुसूची

निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b)केवल 3, 4 और 5
(c) केवल 1, 2 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (d)


रैपिड फायर

यूनिफाइड इंडिया आर्गेनिक लोगो

स्रोत: बिज़नेस लाइन

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) तथा कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) ने संयुक्त रूप से इंडिया आर्गेनिक और आर्गेनिक इंडिया लोगो के स्थान पर “यूनिफाइड इंडिया आर्गेनिक” लोगो विकसित किया है।

  • नवीन लोगो राष्ट्रीय जैविक उत्पाद कार्यक्रम (NPOP) और FSSAI द्वारा भारतीय विनियमों के कार्यान्वयन में एकरूपता एवं अभिसरण लाने हेतु विकसित किया गया है।
  • इंडिया आर्गेनिक लोगो का उपयोग NPOP का अनुपालन करने वाले जैविक उत्पादों पर किया गया था, जबकि आर्गेनिक इंडिया/जैविक भारत का उपयोग FSSAI द्वारा प्रमाणित जैविक उत्पादों पर किया गया था।
  • प्रमाणन निकायों को कार्यान्वयन के लिये तीन माह का संक्रमण समय मिलेगा, जो लोगो को अधिसूचित किये जाने की तिथि से प्रदान किया जाएगा।
  • FSSAI एक स्वायत्त वैधानिक निकाय है, जिसकी स्थापना खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 के तहत की गई है।
    • यह भारत में खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता को विनियमित करके सार्वजनिक स्वास्थ्य के संरक्षण तथा संवर्द्धन के लिये ज़िम्मेदार है, जो स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।
  • APEDA वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन कार्य करता है, जो अनुसूचित उत्पादों जैसे फल, सब्ज़ियों आदि के निर्यात संवर्द्धन एवं विकास के लिये ज़िम्मेदार है।

और पढ़ें: FSSAI, APEDA, Organic Food Regulatory System in India, FSSAI, APEDA, भारत में जैविक खाद्य नियामक प्रणाली


रैपिड फायर

17वीं लोक सभा का विघटन

स्रोत: द हिंदू

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 17वीं लोकसभा को भंग करने की सिफारिश की।

  • संविधान के अनुच्छेद 83(2) के अनुसार, बैठक के प्रथम दिन से पाँच वर्ष पूर्ण होने पर संसद के निचले सदन को भंग कर दिया जाता है।
    • संसद भंग होने से मौजूदा सदन का कार्यकाल समाप्त हो जाता है और आम चुनाव होने के बाद नए सदन का गठन किया जाता है।
  • हालाँकि, प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा निचले सदन को पहले भी भंग किया जा सकता है।
  • इसे तब भी भंग किया जा सकता है, जब राष्ट्रपति को यह लगे कि पिछली सरकार के त्यागपत्र या भंग होने के बाद कोई व्यवहार्य सरकार नहीं बनाई जा सकती।
  • राज्यसभा एक स्थायी सदन होने के कारण भंग नहीं होती।

और पढ़ें: लोकसभा


रैपिड फायर

लिविंग विल और पैसिव यूथेनेसिया

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

हाल ही में बॉम्बे उच्च न्यायालय की गोवा पीठ में कार्यरत एक न्यायाधीश ने 'लिविंग विल' का पंजीकरण कराया है, जो उनके परिवार के लिये एक उन्नत चिकित्सा निर्देश प्रदान करता है, जब वे स्वयं निर्णय नहीं ले सकते। 

    • "लिविंग विल्स" की पृष्ठभूमि का पता कॉमन कॉज बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (Common Cause vs Union of India) (2018) मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय द्वारा लगाया जा सकता है।
      • 2018 में, सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार के रूप में सम्मान के साथ मरने के अधिकार की पुष्टि की (‘लिविंग विल’ पर निर्भर निष्क्रिय इच्छामृत्यु)।
        • इससे पहले वर्ष 2011 में सर्वोच्च न्यायालय ने अरुणा शानबाग मामले में पहली बार निष्क्रिय इच्छामृत्यु को मान्यता दी थी।
      • निष्क्रिय इच्छामृत्यु किसी व्यक्ति को जीवन-रक्षक चिकित्सा प्रक्रियाओं को सीमित या समाप्त करके मृत्यु की ओर अग्रसर होने देने की प्रथा है।
    • वर्ष 2023 में सर्वोच्च न्यायालय ने लिविंग विल के लिये कुछ मौजूदा दिशानिर्देशों में बदलाव करके निष्क्रिय इच्छामृत्यु की प्रक्रिया को सरल बना दिया।
      • दिशानिर्देशों के अनुसार, जो व्यक्ति "लिविंग विल" बनाना चाहता है, उसे दो गवाहों की उपस्थिति में संदर्भ प्रारूप के अनुसार, इसका मसौदा तैयार करना होगा। 
      • इसके बाद वसीयत को राजपत्रित अधिकारी या नोटरी द्वारा प्रमाणित किया जाना चाहिये तथा तालुका के मुख्य मामलातदार (Mamlatdar) को भेजी जानी चाहिये, जो इसे सुरक्षित अभिरक्षा के लिये ज़िला कलेक्टर द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारी को भेज देगा।

    Euthanasia

    और पढ़ें: सर्वोच्च न्यायालय ने निष्क्रिय इच्छामृत्यु के नियमों को बनाया आसान


    रैपिड फायर

    रेपो रेट 8वीं बार भी अपरिवर्तित रही

    स्रोत: द हिंदू

    हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने लगातार आठवीं बार नीतिगत दर को 6.5% पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया।

    • मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee- MPC) मुद्रास्फीति पर कड़ा नियंत्रण बनाए रखने तथा सामान्य मानसून की आशा के बीच खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि पर नज़र बनाए रखने के  लिये प्रतिबद्ध है
    • मई 2022 से कुल 250 आधार अंकों की लगातार छह दर वृद्धि के बाद दर वृद्धि चक्र को पिछले वर्ष अप्रैल में निलंबित कर दिया गया था।
    • RBI ने चालू वित्त वर्ष के लिये विकास अनुमान को 7% से बढ़ाकर 7.2% कर दिया है।
    • भारत में मुद्रास्फीति लक्ष्य निर्धारण वर्ष 2016 में अपनाया गया एक मौद्रिक नीति ढाँचा है, जिसके तहत केंद्र सरकार, भारतीय रिज़र्व बैंक के परामर्श से, पाँच साल में एक बार लक्ष्य मुद्रास्फीति दर निर्धारित करती है।

    और पढ़ें: मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee- MPC)


    रैपिड फायर

    ग्लोबल सॉइल पार्टनरशिप की 12वीं पूर्ण सभा

    स्रोत: एफएओ 

    वैश्विक एजेंडे में मृदा को स्थान देने तथा समावेशी नीतियों और मृदा प्रशासन (Soil Governance) को बढ़ावा देने के लिये दिसंबर, 2012 में स्थापित वैश्विक मृदा भागीदारी (GSP) ने वैश्विक संकटों के बीच तात्कालिक कार्रवाई का आग्रह करते हुए एक महत्त्वपूर्ण बैठक का शुभारंभ किया।

    • संयुक्त राष्ट्र का खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) इस भागीदारी की मेज़बानी करता है, जिसमें FAO के सदस्य के अतिरिक्त 700 से अधिक भागीदार शामिल हैं।
    • वैश्विक मृदा भागीदारी (GSP) तीन "आर": कम करने, पुनः उपयोग करने और नवीनीकृत करने के आधार पर सतत् मृदा प्रबंधन सुनिश्चित करके वर्ष 2030 तक विश्व की कम-से-कम 50% मृदा के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और बनाए रखने के लिये प्रतिबद्ध है।
    • GSP की प्रमुख पहलें:
      • VACS पहल: VACS पहल के तहत FAO, मध्य अमेरिका और अफ्रीकी देशों में लचीली कृषि खाद्य प्रणालियों (SoilFER) के लिये मृदा मानचित्रण परियोजना को लागू कर रहा है।
      • अन्य पहल: मृदा स्वास्थ्य को मापना, रिपोर्ट करना और सत्यापित करना, वैश्विक मृदा प्रयोगशाला नेटवर्क गुणवत्ता प्रमाणपत्र, कृषि संरक्षण और कृषि खाद्य प्रणालियों के परिवर्तन में स्वस्थ मृदा की भूमिका शामिल है।
    • उपलब्धियाँ:

    और पढ़ें: विश्व मृदा दिवस


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