भूगोल
बंगाल की खाड़ी में मैग्नेटिक फॉसिल्स
- 05 Apr 2024
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प्रिलिम्स के लिये:मैग्नेटिक फॉसिल्स, मैग्नेटोटैक्टिक बैक्टीरिया, पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र, पेलियोसीन-इओसीन थर्मल मैक्सिमम, मध्य इओसीन जलवायु मैक्सिमम, बंगाल की खाड़ी, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद, राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान, इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी मेन्स के लिये:मैग्नेटो फॉसिल्स के अध्ययन का महत्त्व। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में वैज्ञानिकों ने 50,000 वर्ष पुरानी तलछट (पानी या और किसी द्रव पदार्थ के नीचे बैठी हुई मैल) का पता लगाया है, जो कि बंगाल की खाड़ी में पाया जाने वाला एक विशाल मैग्नेटोफॉसिल्स है, यह अपनी तरह की सबसे दुर्लभ खोजों में से एक है।
- CSIR-राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने बंगाल की दक्षिण-पश्चिमी खाड़ी से तलछट के नमूने का अध्ययन करने हेतु मग्नेटिक विश्लेषण एवं इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी का उपयोग किया।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?
- मानसून में उतार-चढ़ाव: तलछट के नमूनों का विश्लेषण करने पर पिछले हिमनद-होलोसीन अवधि के दौरान मानसून में उतार-चढ़ाव का संकेत मिला, जिससे मौसम के उत्सादन एवं अवसादन पर प्रभाव पड़ा।
- मैग्नेटिक फॉसिल्स विकास हेतु इष्टतम स्थितियाँ: अध्ययन से पता चलता है कि विशाल मैग्नेटोफॉसिल्स निर्माण के लिये जलवायु परिवर्तन की घटनाएँ आवश्यक नहीं हैं; इसके स्थान पर लौह, कार्बनिक कार्बन एवं सबऑक्सिक स्थितियों का संतुलन आवश्यक है।
- मैग्नेटोफॉसिल्स द्वारा प्राप्त की गई जानकारी: मैग्नेटोफॉसिल्स प्राचीन जलीय वातावरण में पोषक तत्त्वों की उपलब्धता, ऑक्सीजन के स्तर और जल स्तरीकरण सहित पिछली पर्यावरणीय स्थितियों के बारे में जानकारी को प्राप्त करता है।
- बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली गोदावरी, महानदी, गंगा-ब्रह्मपुत्र, कावेरी और पेन्नर जैसी नदियों ने पोषक तत्त्वों से भरपूर तलछट एवं प्रतिक्रियाशील लौह तत्त्व प्रदान करके मैग्नेटो जीवाश्म निर्माण में योगदान दिया।
मैग्नेटोफॉसिल्स क्या हैं?
- परिचय:
- "मैग्नेटोफॉसिल्स" मैग्नेटोटैक्टिक बैक्टीरिया (Magnetotactic Bacteria) के जीवाश्म अवशेषों को संदर्भित करता है जिनमें चुंबकीय खनिज होते हैं।
- मैग्नेटोटैक्टिक बैक्टीरिया भूवैज्ञानिक रिकॉर्ड में जीवाश्म युक्त चुंबकीय कण उत्सर्जित करते हैं।
- मैग्नेटोटैक्टिक बैक्टीरिया:
- मैग्नेटोटैक्टिक बैक्टीरिया ज़्यादातर प्रोकैरियोटिक जीव होते हैं जो स्वयं को पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के साथ व्यवस्थित करते हैं। इसकी खोज वर्ष 1963 में साल्वाटोर बेलिनी ने की थी।
- ये जीव उन स्थानों तक पहुँचने के लिये चुंबकीय क्षेत्र का अनुसरण करते हैं जहाँ इष्टतम ऑक्सीजन सांद्रता होती है। यह प्रक्रिया उनकी कोशिकाओं के भीतर लौह-समृद्ध क्रिस्टल की उपस्थिति से सुगम होती है।
- मैग्नेटोटैक्टिक बैक्टीरिया जल निकायों में बदलते ऑक्सीजन स्तर और तलछट संतृप्ति को नेविगेट करने के लिये अपनी कोशिकाओं के भीतर मैग्नेटाइट या ग्रेगाइट के छोटे क्रिस्टल बनाते हैं।
- मैग्नेटोटैक्टिक बैक्टीरिया के भीतर क्रिस्टल मैग्नेटोटैक्सिस के माध्यम से एक शृंखला विन्यास में व्यवस्थित होते हैं।
- दुर्लभ विशाल मैग्नेटो जीवाश्म पारंपरिक चुंबकीय जीवाश्मों की तुलना में इतने आम नहीं हैं, ये संभवतः बैक्टीरिया के बजाय यूकेरियोट्स द्वारा निर्मित होते हैं।
- मैग्नेटोफॉसिल्स की उत्पत्ति:
- अधिकांश विशाल मैग्नेटोफोसिल्स दो भूवैज्ञानिक समय अवधि पेलियोसीन-इओसीन थर्मल मैक्सिमम (लगभग 56,000 मिलियन वर्ष पहले) और मिडिल इओसीन क्लाइमैटिक ऑप्टिमम (लगभग 40 मिलियन वर्ष पहले) के तलछट में पाए गए हैं, जो दोनों समयों पर वैश्विक तापमान में वृद्धि के लिये जाने जाते थे।
- इसने सुझाव दिया कि मैग्नेटोफॉसिल्स का निर्माण केवल ग्रीष्मकालीन अवधि के दौरान हुआ।
- बंगाल की खाड़ी से विशाल मैग्नेटो जीवाश्मों की खोज लगभग 50,000 साल पहले, अंतिम क्वार्टनरी काल (late Quaternary Period) से हुई थी, जिससे वे अब तक खोजे गए सबसे कम उम्र के विशाल मैग्नेटो जीवाश्म बन गए।
- वर्तमान अध्ययन इस धारणा को चुनौती देता है कि मैग्नेटोफॉसिल्स का निर्माण ग्रीष्मकालीन अवधि के दौरान हुआ था।
- अधिकांश विशाल मैग्नेटोफोसिल्स दो भूवैज्ञानिक समय अवधि पेलियोसीन-इओसीन थर्मल मैक्सिमम (लगभग 56,000 मिलियन वर्ष पहले) और मिडिल इओसीन क्लाइमैटिक ऑप्टिमम (लगभग 40 मिलियन वर्ष पहले) के तलछट में पाए गए हैं, जो दोनों समयों पर वैश्विक तापमान में वृद्धि के लिये जाने जाते थे।
प्रोकैरियोट्स |
यूकेरियोट्स |
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UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. शब्द ‘डेनिसोवन (Denisovan)’ कभी-कभी समाचार माध्यमों में किस संदर्भ में आता है? (2019) (a) एक प्रकार के डायनासोर का जीवाश्म उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. मैगेंटोफॉसिल्स और उनके निर्माण में मैग्नेटोटैक्टिक बैक्टीरिया की भूमिका पर चर्चा कीजिये |