भूगोल
चुंबकीय ध्रुव
- 13 Jul 2020
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में ब्रिटिश अनुसंधानकर्त्ताओं ने पता लगाया है कि पृथ्वी का उत्तरी चुंबकीय ध्रुव तीव्र गति से कनाडा से साइबेरियाई क्षेत्र की ओर खिसक रहा है। वस्तुत: वैज्ञानिकों/अनुसंधानकर्ताओं को ‘विश्व चुंबकीय मॉडल’ में संशोधन करना पड़ेगा।
प्रमुख बिंदु:
- विश्व चुंबकीय मॉडल ‘आधुनिक नेविगेशन का आधार है जिसकी सहायता से समुद्री जहाज एवं नौकाएँ सागरों’ में अपने मार्ग की पहचान करते हैं।
- इसके अतिरिक्त विश्व चुंबकीय मॉडल कोर और बड़े पैमाने पर क्रस्टल चुंबकीय क्षेत्र का एक मानक मॉडल है जिसका उपयोग यूनाईटेड किंगडम एवं संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा रक्षा उद्देश्यों के लिये किया जाता है तथा नाटो (NATO) एवं अंतर्राष्ट्रीय हाइड्रोग्राफिक संगठन इसका उपयोग नागरिक नेविगेशन और हेडिंग सिस्टम में व्यापक रूप से करते हैं।
- गौरतलब है कि पृथ्वी के चुंबकीय ध्रुव में परिवर्तन होता रहता है। वस्तुत: विश्व चुंबकीय मॉडल को प्रत्येक 5 वर्ष बाद संशोधित किया जाता है, जिसे 2020 में संशोधित किया जाना था।
- परंतु उत्तरी चुंबकीय ध्रुव में अप्रत्याशित बदलाव के कारण 2019 में ही इसे संशोधित करने की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई।
क्या है चुंबकीय ध्रुव?
- चुंबकीय ध्रुव नति के उर्द्धाधर झुकाव को प्रदर्शित करता है ध्यातव्य है कि चुंबकीय नति क्षैतिज समतल एवं पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की दिशा में बनने वाला कोण है। वस्तुत: पृथ्वी एक बड़े चुंबक की भाँति कार्य करती है।
- पृथ्वी के गर्भ में ठोस आंतरिक कोर है जिसके चारों ओर बाह्य कोर द्रव अवस्था में है जिसमें लौह एवं निकिल जैसे भारी तत्त्व पाए जाते हैं।
- पृथ्वी के घूर्णन के कारण पृथ्वी का द्रव अवस्था वाला बाह्य कोर इलेक्ट्रिक धारा उत्पन्न करता है। इससे चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण होता है।
- ध्रुवों पर जहाँ से ये चुंबकीय धाराएँ प्रवाहित होती हैं वहीं चुंबकीय क्षेत्र का प्रभाव सर्वाधिक होता है। इन्हीं स्थानों को चुंबकीय ध्रुव कहा जाता है।
- पृथ्वी के दो चुंबकीय ध्रुव हैं यथा उत्तरी चुंबकीय ध्रुव तथा दक्षिणी चुंबकीय ध्रुव तथा कंपास की सूई हमेशा उत्तरी चुंबकीय ध्रुव की ओर संकेत करती है।
- गौरतलब है कि पृथ्वी के चुंबकीय ध्रुव (उत्तरी व दक्षिणी) पृथ्वी के वास्तविक भौगोलिक ध्रुवों से भिन्न होते हैं।
- पृथ्वी के वास्तविक भौगोलिक उत्तरी ध्रुव तथा चुंबकीय उत्तरी ध्रुव के मध्य बनने वाले कोण को चुंबकीय झुकाव (Magnetice Declination) कहते हैं।
कैसे होता है पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण?
- पृथ्वी की बाह्य परत को क्रस्ट कहते हैं जो कि ठोस है। क्रस्ट के बाद मैंटल परत होती है।
- पृथ्वी अपने अक्ष पर घूर्णन करती है तथा पृथ्वी का आंतरिक केंद्र पृथ्वी की बाह्य ठोस परतों की अपेक्षा भिन्न-भिन्न दरों पर घूर्णन करता है। इसके साथ ही घूर्णन के कारण बाह्य कोर में इलेक्ट्रिक धारा उत्पन्न हो जाती है।
- इस प्रकार आंतरिक कोर का यह गुण तथा बाह्य कोर में प्रवाहित होने वाली धारा पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण करते हैं।
- यह चुंबकीय धाराएँ पृथ्वी के उत्तरी एवं दक्षिणी चुंबकीय ध्रुवों से प्रवाहित होकर पृथ्वी के बाहर एक चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण करते हैं।
- पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र चुंबकीय ध्रुवों द्वारा निर्मित क्षेत्र के समक्ष ही होता है।
चुंबकीय ध्रुव/चुंबकीय क्षेत्र का महत्त्व:
- पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी पर जीवन के लिये अत्यंत ही आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण है।
- पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र सूर्य के विकिरण से पृथ्वी को सुरक्षा प्रदान करता है जो जीवन के अस्तित्व के लिये काफी महत्त्वपूर्ण है।
- पक्षी एवं कुछ जीव यथा व्हेल आदि पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की पहचान के आधार पर ही प्रवास एवं दिशा का ज्ञान प्राप्त करते हैं।
- पक्षियों एवं जानवरों की इन क्षमता को मैग्नेटोरिसेप्शन (Magnetoreception) कहते हैं।
- मानव द्वारा नेविगेशन के लिये चुंबकीय ध्रुवों का उपयोग किया जाता है।
क्या चुंबकीय ध्रुवों का उत्क्रमण हो रहा है?
- हाल में वैज्ञानिक अनुमान लगा रहे हैं कि चुंबकीय ध्रुव उत्क्रमित (रिवर्स) हो सकते हैं यथा पृथ्वी का उत्तरी चुंबकीय ध्रुव दक्षिणी चुंबकीय ध्रुव में तथा दक्षिणी चुंबकीय ध्रुव उत्तरी चुंबकीय ध्रुव में बदल जाएगा।
- हालाँकि ऐसा केवल अनुमान लगाया जा रहा है क्योंकि हाल के दिनों/वर्षों में पृथ्वी का उत्तरी चुंबकीय ध्रुव काफी तेजी से साईबेरिया की ओर प्रतिस्थापित हो रहा है। इसमें स्पष्टता खोज एवं अनुसंधान के बाद ही आएगी।
- गौरतलब है कि पृथ्वी के इतिहास में अब तक कई बार चुंबकीय ध्रुवों का उत्क्रमण हो चुका है। यथा पिछले 83 मिलियन वर्ष में पृथ्वी के चुंबकीय ध्रुवों में 183 बार उत्क्रमण हो चुका है।
- पृथ्वी के चुंबकीय ध्रुवों में आखिरी बार बदलाव वर्तमान से लगभग 78000 वर्ष पूर्व हुआ माना जाता है।
चुंबकीय ध्रुवों का उत्क्रमण हुआ वो क्या होगा:
- हालाँकि इस संबंध में सटीक जानकारी का अभाव है, परंतु कुछ अनुसंधानकर्ताओं का मानना है कि चुंबकीय ध्रुवों में बदलाव के परिणाम काफी विनाशकारी हो सकते हैं।
- क्योंकि चुंबकीय क्षेत्र सौर विकिरण से सुरक्षा प्रदान करता है इसलिये पृथ्वी पर जीवन नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकता है।
- पक्षियों एवं अन्य जीवों द्वारा उत्क्रमण होने पर इसके अनुकूलन (Adaptation) में हज़ारों वर्षों का समय लगेगा।