भूगोल
मानसून में देरी
- 10 Jun 2023
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ), पश्चिमी जेट स्ट्रीम, दक्षिणी दोलन (SO), भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD)। मेन्स के लिये:दक्षिण पश्चिम मानसून, हिंद-प्रशांत क्षेत्र का महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
वर्ष 2023 में मानसून 8 जून को केरल तट पर पहुँचा, जो कि मानसून के आरंभ की सामान्य तिथि 1 जून की तुलना में विलंब है।
मानसून
- परिचय:
- मानसून मौसमी पवनें (लयबद्ध पवन की गति या आवधिक पवनें) हैं जो मौसम के परिवर्तन के साथ अपनी दिशा बदल देती हैं।
- दक्षिण-पश्चिम मानसून को प्रभावित करने वाले कारक:
- भूमि और जल की अलग-अलग ऊष्मा और आर्द्रता भारत के भूभाग पर कम दबाव बनाती हैं जबकि आसपास के समुद्र तुलनात्मक रूप से उच्च दबाव का अनुभव करते हैं।
- गंगा के मैदानी भागों के ऊपर, ग्रीष्मकाल के दौरान में अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) की स्थिति में परिवर्तन, यह भूमध्यरेखा पर कम दबाव का क्षेत्र है जो सामान्यतः भूमध्य रेखा के लगभग 5°N पर स्थित होता है।
- इसे मानसून के मौसम के दौरान मानसून-ट्रफ (कम दबाव का क्षेत्र) के रूप में भी जाना जाता है।
- हिंद महासागर के ऊपर मेडागास्कर के पूर्व में लगभग 20°दक्षिणी अक्षांश पर उच्च दाब क्षेत्र की उपस्थिति उच्च दबाव वाले क्षेत्र की तीव्रता एवं स्थिति भारतीय मानसून को प्रभावित करती है।
- गर्मियों के दौरान तिब्बती पठार अत्यधिक गर्म हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप समुद्र तल से लगभग 9 किमी. ऊपर पठार पर मज़बूत ऊर्ध्वाधर वायु धाराएंँ और कम दबाव का निर्माण होता है।
- हिमालय के उत्तर में पश्चिमी जेट स्ट्रीम की गति और गर्मियों के दौरान भारतीय प्रायद्वीप पर उष्णकटिबंधीय पूर्वी जेट स्ट्रीम की उपस्थिति भी मानसून को प्रभावित करती है।
- दक्षिणी दोलन (Southern Oscillation- SO):
- यह उष्णकटिबंधीय पूर्वी प्रशांत महासागर और हिंद महासागर के बीच वायु और समुद्र की सतह के तापमान में बदलाव है। इसे सामान्यतः वायुदाव में बदलाव की घटना के रूप में जाना जाता है।
- ला नीना शीतलन घटना है और अल नीनो ऊष्ण घटना है।
- ला नीना आमतौर पर भारतीय मानसून पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।
- हिंद महासागर डिपोल (IOD):
- IOD पूर्वी (बंगाल की खाड़ी) और पश्चिमी हिंद महासागर (अरब सागर) के तापमान के बीच का अंतर है।
- सकारात्मक IOD के कारण भारत में अधिक वर्षा होती है, जबकि नकारात्मक IOD नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
मानसून की शुरुआत:
- मानसून की शुरुआत:
- केरल तट पर मानसून की शुरुआत चार महीने के दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है, जिससे भारत में वार्षिक वर्षा के 70% से अधिक वर्षा होती है।
- आम धारणा के विपरीत शुरुआत मौसम की पहली बारिश का उल्लेख नहीं करती है, बल्कि भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा निर्धारित विशिष्ट तकनीकी मानदंडों का पालन करती है।
- मानसून का आगमन:
- IMD, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में वायुमंडलीय और महासागर परिसंचरण में महत्त्वपूर्ण बदलाव के आधार पर मानसून के आगमन का निर्धारण करता है।
- आगमन की घोषणा बारिश की निरंतरता, तीव्रता और हवा की गति से संबंधित विशिष्ट मापदंडों पर निर्भर करती है।
- वर्षा:
- आगमन की घोषणा तब की जाती है जब केरल और लक्षद्वीप में 14 नामित मौसम केंद्रों में से कम-से-कम 60% 10 मई के बाद लगातार दो दिनों तक कम-से-कम 2.5 मिमी बारिश रिकॉर्ड की जाती है।
- विशिष्ट हवा और तापमान मानदंडों को पूरा करने पर दूसरे दिन आगमन की घोषणा की जाती है।
- पवन क्षेत्र:
- भूमध्य रेखा में 10ºN अक्षांश और 55ºE से 80ºE देशांतर सीमा के भीतर पछुवा हवा की गहराई 600 हेक्टोपास्कल (hPa) तक होनी चाहिये।
- 925 hPa पर 5-10ºN अक्षांश और 70-80ºE देशांतर के बीच क्षेत्रीय हवा की गति लगभग 15-20 समुद्री मील (28-37 किलोमीटर प्रति घंटा) होनी चाहिये।
- ऊष्मा:
- INSAT से प्राप्त आउटगोइंग लॉन्गवेव रेडिएशन (OLR) मान, 5ºN और 10ºN अक्षांशों तथा 70ºE एवं 75ºE देशांतरों के बीच के क्षेत्र में 200 वाट प्रति वर्ग मीटर (wm2) से कम होना चाहिये।
- विलंबित शुरुआत का प्रभाव:
- कृषि:
- विलंबित मानसून की शुरुआत कृषि गतिविधियों, विशेष रूप से फसलों की बुवाई को प्रभावित कर सकती है।
- किसान सिंचाई और फसल के विकास के लिये मानसून की बारिश पर बहुत अधिक निर्भर हैं।
- बारिश में देरी से बुवाई में देरी हो सकती है, जिससे फसल की पैदावार और कृषि उत्पादकता प्रभावित हो सकती है।
- जल संसाधन:
- देरी से मानसून की शुरुआत के परिणामस्वरूप पानी की कमी हो सकती है, विशेष रूप से जलाशयों, नदियों और झीलों को भरने के लिये वर्षा पर निर्भर क्षेत्रों में।
- ऊर्जा क्षेत्र:
- विलंबित मानसून जलविद्युत उत्पादन को प्रभावित कर सकता है, जो पर्याप्त जल उपलब्धता पर निर्भर करता है।
- पर्यावरण:
- यह वनस्पति के विकास और वितरण को प्रभावित कर सकता है, कुछ प्रजातियों के प्रवासन में देरी कर सकता है तथा पारिस्थितिक चक्र को बाधित कर सकता है।
- विलंबित मानसून भी प्रभावित क्षेत्रों में मिट्टी के कटाव, भूमि क्षरण और कम जैवविविधता में योगदान कर सकता है।
- कृषि:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारतीय मानसून का पूर्वानुमान करते समय कभी-कभी समाचारों में उल्लिखित 'इंडियन ओशन डाईपोल (IOD)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (b) व्याख्या:
अतः विकल्प (B) सही है। मेन्स:प्रश्न. आप कहाँ तक सहमत हैं कि मानवीकारी दृश्यभूमियों के कारण भारतीय मानसून के आचरण में परिवर्तन होता रहा है। चर्चा कीजिये। (2015) |