नीतिशास्त्र
सर्वोच्च न्यायालय ने निष्क्रिय इच्छामृत्यु के नियमों को बनाया आसान
- 27 Jan 2023
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प्रिलिम्स के लिये:निष्क्रिय इच्छामृत्यु, राष्ट्रीय स्वास्थ्य डिजिटल रिकॉर्ड, अनुच्छेद 21, लिविंग विल। मेन्स के लिये:भारत में निष्क्रिय इच्छामृत्यु, इच्छामृत्यु के दिशा-निर्देशों में प्रमुख परिवर्तन। |
चर्चा में क्यों?
भारत में सर्वोच्च न्यायालय ने निष्क्रिय इच्छामृत्यु के नियमों में बदलाव किया है, इसका प्राथमिक उद्देश्य इसे आसान बनाने के साथ ही कम समय लेने वाली प्रक्रिया बनाना है।
दिशा-निर्देशों में प्रमुख परिवर्तन:
- सर्वोच्च न्यायालय ने लिविंग विल (प्रतिहस्ताक्षरित/लिखित बयान) को प्रमाणित करने या प्रतिहस्ताक्षरित करने के लिये न्यायिक मजिस्ट्रेट की आवश्यकता को खत्म करने हेतु पिछले निर्णय को बदल दिया।
- सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि किसी व्यक्ति के लिये वैध वसीयत बनाने हेतु नोटरी या राजपत्रित अधिकारी द्वारा सत्यापन पर्याप्त माना जाएगा।
- सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, लिविंग विल को संबंधित ज़िला न्यायालय की निगरानी में रखने के बजाय यह दस्तावेज़ राष्ट्रीय स्वास्थ्य डिजिटल रिकॉर्ड का हिस्सा होगा जिसे देश के किसी भी भाग में अस्पतालों और डॉक्टरों द्वारा एक्सेस (पहुँच की सुविधा) किया जा सकता है।
- यदि अस्पताल का मेडिकल बोर्ड चिकित्सा उपचार वापस लेने की अनुमति देने से इनकार करता है, तो रोगी के परिवार के सदस्य संबंधित उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सकते हैं, जो अंतिम निर्णय लेने के लिये चिकित्सा विशेषज्ञों का एक नया बोर्ड नियुक्त करता है।
निष्क्रिय इच्छामृत्यु (Passive Euthanasia):
- परिचय:
- निष्क्रिय (Passive) इच्छामृत्यु चिकित्सा उपचार को रोकने या वापस लेने का कार्य है, जैसे कि किसी व्यक्ति को मरने की अनुमति देने के उद्देश्य से जीवन समर्थन उपकरणों को रोकना या वापस लेना है।
- यह सक्रिय इच्छामृत्यु के विपरीत है, जिसमें सक्रिय हस्तक्षेप के माध्यम से किसी पदार्थ या बाहरी बल द्वारा व्यक्ति के जीवन को समाप्त किया जाना शामिल है, जैसे कि घातक इंजेक्शन देना।
- निष्क्रिय (Passive) इच्छामृत्यु चिकित्सा उपचार को रोकने या वापस लेने का कार्य है, जैसे कि किसी व्यक्ति को मरने की अनुमति देने के उद्देश्य से जीवन समर्थन उपकरणों को रोकना या वापस लेना है।
- भारत में इच्छामृत्यु :
- एक ऐतिहासिक फैसले में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2018 में निष्क्रिय इच्छामृत्यु को यह कहते हुए वैध कर दिया था कि यह 'लिविंग विल' का विषय है।
- फैसले के अनुसार, अपने चेतन मन से एक वयस्क को चिकित्सा उपचार से इनकार करने या स्वेच्छा से कुछ शर्तों के तहत प्राकृतिक तरीके से मृत्यु को गले लगाने हेतु चिकित्सा उपचार नहीं लेने का निर्णय लेने की अनुमति है।
- इसमें गंभीर रूप से बीमार रोगियों द्वारा बनाई गई 'लिविंग विल' के लिये दिशा-निर्देश भी निर्धारित किये गए हैं।
- अदालत ने विशेष रूप से कहा कि "मृत्यु की प्रक्रिया में गरिमा अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का एक हिस्सा है। किसी व्यक्ति को जीवन के अंत में गरिमा से वंचित करना व्यक्ति को एक सार्थक अस्तित्व से वंचित करना है।"
- इच्छामृत्यु वाले विभिन्न देश:
- नीदरलैंड, लक्ज़मबर्ग, बेल्जियम किसी भी ऐसे व्यक्ति, जो "असहनीय पीड़ा" का सामना करता है और जिसके स्वास्थ्य में सुधार की कोई संभावना नहीं है, को इच्छामृत्यु एवं सहायता प्राप्त आत्महत्या दोनों की अनुमति देते हैं।
- स्विट्ज़रलैंड में इच्छामृत्यु प्रतिबंधित है लेकिन किसी डॉक्टर या चिकित्सीय पेशेवर की उपस्थिति तथा सहायता से मृत्यु प्राप्त करने की अनुमति देता है।
- कनाडा ने घोषणा की थी कि मार्च 2023 तक मानसिक रूप से बीमार रोगियों को इच्छामृत्यु और असिस्टेड डाइंग की अनुमति दी जाएगी; हालाँकि इस निर्णय की व्यापक रूप से आलोचना की गई है और इस कदम में कुछ बदलाव भी किये जा सकते हैं।
- संयुक्त राज्य अमेरिका के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग कानून हैं। वाशिंगटन, ओरेगन और मोंटाना जैसे कुछ राज्यों में इच्छामृत्यु की अनुमति है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निजता के अधिकार को जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्भूत भाग के रूप में संरक्षित किया गया है। भारत के संविधान में निम्नलिखित में से किससे उपर्युक्त कथन सही एवं समुचित ढंग से अर्थित होता है? (2018) (a) अनुच्छेद 14 एवं संविधान के 42वें संशोधन के अधीन उपबंध। उत्तर: c |